अमेरिका में, एक गिराव कंपनी(demolition company) ने गलत इमारत को बुलडोज़र से गिरा  दिया । जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि गिराए जाने वाले घर के मालिक ने विध्वंस से बचने के लिए पड़ोसी के घर पर अपने स्वयं के घर की संख्या लगा दी थी l

यीशु ने इसके विपरीत किया । वह अपने “घर” को दूसरों की खातिर ढाने के लिए एक मिशन पर था । दृश्य की कल्पना करें और यीशु के अपने शिष्यों सहित हर कोई कितना भ्रमित हुआ होगा । उन्हें एक दूसरे पर नज़र रखते हुए कल्पना कीजिये क्योंकि उसने धर्म के अगुओं को चुनौती दी थी : “इस मंदिर को ढा दो,” मसीह ने कहा, “और मैं इसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा” (यूहन्ना 2:19) l अगुओं ने नाराजगी जताते हुए कहा, “इस मंदिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हैं, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?” (पद.20) l परन्तु यीशु जानता था कि वह अपने शरीर के मंदिर का उल्लेख कर रहा था (पद.21) l वे नहीं जानते थे l

उन्होंने यह नहीं समझा कि वह यह दिखाने के लिए आया है कि हम खुद को और एक दूसरे को जो नुकसान पहुंचाते हैं, वह अंततः वही उठाएगा l वह इसके लिए प्रायश्चित करेगा ।

परमेश्वर हमेशा हमारे दिलों को हमसे बेहतर जानता है l इसलिए उसने अपनी योजनाओं की पूर्णता उन लोगों को भी नहीं दी, जिन्होंने उसके आश्चर्यकर्मों को देखा था और उसमें विश्वास किया था (पद. 23-25) । फिर जैसा कि अब वह धीरे-धीरे यीशु के शब्दों में प्यार और अच्छाई को प्रकट कर रहा था, जो हम समझ नही सकते थे, यदि वह हमें बता भी देता l