एक माँ को लगा कि वह परिवार के क्रिसमस उपहारों पर अतिव्यय कर रही है, इसलिए एक साल उसने कुछ अलग करने की सोची l छुट्टी से पहले कुछ महीनों तक, उसने सेकंड-हैंड बिक्री के जरिए सस्ती, प्रयुक्त वस्तुएँ ढूंढ़ी l उसने सामान्य से अधिक खरीदा लेकिन बहुत कम पैसे में । क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, उसके बच्चों ने उत्साहपूर्वक एक उपहार के बाद दूसरा फिर तीसरा उपहार खोला । अगले दिन और भी थे! माँ ने नए उपहार नहीं लाने के लिए दोषी महसूस किया था, इसलिए क्रिसमस की सुबह उसके पास अतिरिक्त उपहार थे । बच्चों ने उन्हें खोलना शुरू किया, लेकिन जल्दी से शिकायत की, “हम और उपहारों को खोलने के लिए बहुत थक गए हैं!” आपने हमें बहुत अधिक दिया है! ” क्रिसमस की सुबह बच्चों की ओर से यह आदर्श प्रत्युत्तर नहीं है!

परमेश्वर ने हमें बहुत आशीष दी है, लेकिन ऐसा लगता है कि हम हमेशा अधिक तलाश रहे होते हैं : एक बड़ा घर, एक बेहतर कार, एक बड़ा बैंक खाता, या [रिक्त स्थान भरें] । पौलुस ने तीमुथियुस को अपनी मंडली में लोगों को यह याद दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया कि “न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं l यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर संतोष करना चाहिए” (1 तीमुथियुस 6:7–8) ।

परमेश्वर ने हमें हमारी जरूरतों की पूर्ति के अलावा हमारी सांस और जीवन दिया है । उसके उपहारों के साथ आनंद लेने और संतुष्ट होने के लिए यह कितना तरोताज़ा हो सकता है और यह कहना, आपने हमें बहुत कुछ दिया है! हमें और अधिक की आवश्यकता नहीं है l संतोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है (पद.6) l