मैं मीटिंग के लिए एक रात लंदन में था । बहुत तेज बारिश हो रही थी, और मुझे देर हो रही थी । मैं गलियों से तेजी से दौड़ता हुआ, एक कोने से मुड़ा और फिर रुक गया । दर्जनों स्वर्दूत रीजेंट स्ट्रीट के ऊपर मंडरा रहे थे,  उनके विशाल झिलमिलाते पंख यातायात में पसरे हुए थे l  स्पंदन करती हजारों बत्तियों से बनी हुई,  यह सबसे अद्भुत क्रिसमस प्रदर्शन था जिसे मैंने देखा था । केवल मैं ही अकेला मोहित नहीं था l सैकड़ों लोग विस्मय में डूबे हुए सड़क पर पंक्तिबद्ध थे l

क्रिसमस की कहानी में विस्मय सबसे महत्वपूर्ण है l जब स्वर्गदूत ने मरियम के समक्ष प्रगट होकर समझाते हुए कहा कि वह चमत्कारिक रूप से गर्भ धारण करेगी (लूका 1:26-38),  और चरवाहों को यीशु के जन्म की घोषणा की (2:8–20). प्रत्येक ने भय, आश्चर्य – और विषमय से प्रत्युत्तर दिया l उस रीजेंट स्ट्रीट की भीड़ को देखते हुए,  मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या हम भी कुछ हद तक वही प्रथम दिव्य दृश्य का अनुभव कर रहे थे l

एक क्षण बाद,  मैंने कुछ और देखा । कुछ स्वर्गदूतों ने अपनी भुजाएँ उठाई थीं,  मानो वे भी किसी चीज़ को टकटकी लगाकर देख रहे हों । जैसे कि स्वर्गदूतों का समूह यीशु का जिक्र होने पर स्तुति करने लगे (पद.13-14), ऐसा लगता है कि स्वर्गदूत भी विस्मित होते देखे जा सकते है – जब वे उसे टकटकी लगाकर देखते हैं l

“वह उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है” (इब्रानियों 1:3) l उज्ज्वल और प्रकाशमान,  यीशु हर स्वर्गदूत की निगाह का केंद्र बिंदु है (पद.6) । यदि स्वर्गदूत के प्रसंग वाला क्रिसमस का प्रदर्शन व्यस्त लंदन वासियों को उनके रास्ते में रोक सकता है,  तो उस पल की कल्पना करें जब हम उसे आमने-सामने देखेंगे l