“मुझे पता है कि ईश्वर कहाँ रहते हैं,” हमारे चार वर्षीय पोते ने मेरी पत्नी, कैरी से बोला l “वह कहाँ है?” अपनी जिज्ञासा को जागते हुए देखकर, उसने पूछा l “वह आपके घर के बगल में जंगल में रहते हैं,” उसने उत्तर दिया l

जब कैरी ने मुझे अपनी बातचीत के बारे में बताया,  तो उसने सोचा कि उसकी सोच किस बात से प्रेरित थी l “मुझे पता है,” मैंने उत्तर दिया l “”जब वह पिछली बार आया था तो हम उसके साथ जंगल में घूमने गए थे, और मैंने उससे कहा था कि भले ही हम परमेश्वर को नहीं देख सकते,  लेकिन हम उसके द्वारा किये गए कार्यों को देख सकते हैं l” “क्या तुम मेरे द्वारा बनाए गए पैरों के निशान देखते हो?”  मैंने अपने पोते से पूछा था जब हमने एक नदी के किनारे रेतीले स्थान पर कदम रखे थे l “जानवर और पेड़ और नदी परमेश्वर के पैरों के निशान की तरह हैं l  हम जानते हैं कि वह यहाँ हैं क्योंकि हम उसके द्वारा बनाई गई चीजों को देख सकते हैं l

भजन 104 के लेखक ने भी सृष्टि में ईश्वर के प्रमाणों की ओर संकेत करते हुए कहा, “हे यहोवा, तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी संपत्ति से परिपूर्ण है” (पद.24) l यहाँ बुद्धि के लिए पाया जाने वाला इब्री शब्द बाइबल में अक्सर कुशल शिल्पकारिता का वर्णन करने के लिए उपयोग किया गया है l प्रकृति में परमेश्वर के हाथ के कार्य उसकी उपस्थिति की घोषणा करती है और हमें उसकी प्रशंसा करने को प्रेरित करती है l

भजन 104 “हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह” (पद.1, 35) शब्दों से शुरू और समाप्त होता है l एक शिशु के हाथ से लेकर बाज के आँख तक, हमारे चारों-ओर हमारे सृष्टिकर्ता की कारीगरी उसके उत्कृष्ट कौशल को प्रगट करती है l आज हम इन सभी को आश्चर्य से स्वीकार्य करें – और इन सब के लिए उसकी प्रशंसा करें!