अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान, कर्तव्य छोड़कर भागने का दण्ड फांसी थी l लेकिन संघ की सेनाओं ने शायद ही कभी भागनेवालों को मृत्युदंड दिया, क्योंकि उनके कमांडर-इन-चीफ अब्राहम लिंकन ने उन सभी को माफ कर दिया था l इसने युद्ध के सचिव, एडविन स्टेनटन को व्यथित किया, जिनका यह मानना था कि लिंकन की उदारता भावी भागनेवालों को केवल प्रलोभित किया l लेकिन लिंकन ने उन सैनिकों के साथ सहानुभूति व्यक्त की, जिन्होंने अपनी साहस खो दी थी और जिन्होंने लड़ाई की ताप में अपने डर से हार मान लिया था l और उसकी सहानुभूति ने उसे उसके सैनिकों के लिए प्रिय बनाया l वे अपने “फादर अब्राहम” से प्यार करते थे, और उनके स्नेह ने सैनिकों को लिंकन की और अधिक सेवा करने की इच्छा दी l
जब पौलुस तीमुथियुस को “मसीह यीशु के एक अच्छे योद्धा के समान” उसके साथ “दुःख” उठाने के लिए बुलाता है (2 तीमुथियुस 2:3), तो वह उसे कठिन काम विवरण(job description) के लिए बुलाता है l एक सैनिक को पूरी तरह से समर्पित, कड़ी मेहनत करने वाला और निस्वार्थ होना चाहिए l उसे अपने कमान ऑफिसर, यीशु की सेवा पूरे हृदय से करना है l लेकिन वास्तव में, हम कभी-कभी उसके अच्छे सैनिक बनने में असफल होते हैं l हम हमेशा उसकी सेवा ईमानदारी से नहीं करते हैं l और इसलिए पौलुस का आरंभिक वाक्यांश महत्वपूर्ण है : “उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है बलवंत हो जा” (पद.1) l हमारा उद्धारकर्ता अनुग्रह से भरा हुआ है l वह हमारी कमजोरियों में सहानुभूति रखता है और हमारी असफलताओं को क्षमा करता है (इब्रानियों 4:15) l और जिस तरह लिंकन की करुणा ने संघ के सैनिकों को प्रोत्साहित किया, उसी तरह यीशु के अनुग्रह से विश्वासियों को बल मिलता है l हम उसकी और अधिक सेवा करना चाहते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि वह हमसे प्यार करता है l