“मूर्तियों की नाक क्यों टूटी हुई हैं?” यह पहला सवाल है जो आगंतुक ब्रुकलिन संग्रहालय में मिस्र की कला के अध्यक्ष, एडवर्ड से पूछते हैं l
एडवर्ड इसे सामान्य टूट-फुट पर दोष नहीं दे सकता हैं; यहां तक ​​कि दो आयामी चित्रित आकृतियों के नाक भी गायब हैं l वे अनुमान लगाते हैं कि इस तरह का विनाश जानबूझकर किया गया है l दुश्मनों का इरादा मिस्र के देवताओं को मारना था l ऐसा लगता है जैसे वे उनके साथ “गोट योर नोज़”(एक खेल) खेल रहे थे l आक्रमणकारी सेनाओं ने इन मूर्तियों के नाक तोड़ डाले जिससे वे सांस नहीं ले सकते थे l
सचमुच?बस इतने की ज़रूरत थी? इस तरह के देवताओं के साथ, फिरौन को पता होना चाहिए था कि वह मुसीबत में था l हाँ, उसके पास एक सेना और एक पूरे राष्ट्र की राज्यनिष्ठा थी l इब्री मूसा नामक डरपोक भगोड़े के नेतृत्व में थके हुए दास थे l लेकिन इस्राएल के पास जीवित परमेश्वर था, और फिरौन के देवता झूठा दावा करनेवाले थे l दस विपत्तियों के बाद, उनके काल्पनिक जीवन समाप्त हो गए l
इस्राएल ने अपनी जीत का जश्न अखमीरी रोटी के पर्व के साथ मनाया, जब उन्होंने एक हफ्ते तक बिना खमीर की रोटी खाई (निर्गमन 12:17; 13:7–9)l खमीर पाप का प्रतीक है, और परमेश्वर चाहता था कि उसके लोग याद रखें कि उनका बचाया हुआ जीवन पूरी तरह से उसका है l
हमारा पिता मूर्तियों से कहता है, “तुम हार गए,” और अपने बच्चों से, “तुम्हें जीवन मिल गया l” उस परमेश्वर की सेवा करो जो तुम्हें सांस देता है, और उसके प्रेमी बाहों में विश्राम करो l