जब मेरे पति चट्टानी समुद्र तट पर टहलते हुए क्षितिज की तस्वीरें ले रहे थे,  मैं एक बड़ी चट्टान पर बैठे हुए एक और चिकित्सा नाकामयाबी के विषय क्षुब्ध हो रही थी l हालाँकि मेरे घर लौटने पर मेरी समस्याएँ मेरा इंतजार कर रही होंगी, मुझे उस क्षण शांति की आवश्यकता थी l मैं आने वाली लहरों को घूर रही थी जो काली, नुकीली चट्टानों से टकरा रहे थे l लहर के वक्र में एक अंधेरी छाया ने मेरी आंख को अपनी ओर कर लिए l अपने कैमरे पर ज़ूम विकल्प का उपयोग करते हुए,  मैंने उस आकार को एक समुद्री कछुआ के रूप में पहचाना जो शांतिपूर्वक लहरों की सवारी कर रहा था l उसके तरणका-पाद(flippers) फैले हुए और शांत थे l अपने चेहरे को लवणयुक्त मंद हवा की ओर करके, मैं मुस्कुरायी l

”स्वर्ग में तेरे(परमेश्वर) अद्भुत काम की . . . प्रशंसा होगी”(भजन 89:5) l हमारे अतुलनीय परमेश्वर शासन करते हुए “समुद्र के गर्व को . . . तोड़ता है; जब उसके तरंग उठते हैं, तब[परमेश्वर] . . . उनको शांत कर देता है” (पद.9) l उसने “जगत और जो कुछ उस में है, उसे . . . स्थिर किया है” (पद.11) l उसने यह सब बनाया, वही सब का मालिक है, और अपनी महिमा और हमारे आनंद के लिए प्रायोजन करता है l

अपने विश्वास की नींव पर खड़े रहकर─हमारे अपरिवर्तनीय पिता का प्यार─हम “तेरे मुख के प्रकाश में [चल सकते हैं]” (पद.15) l परमेश्वर हमारे साथ सामर्थ में शक्तिशाली और अपने बर्ताव में करुणामयी बना रहता है l हम दिन भर उसके नाम में आनन्दित रह सकते हैं (पद.16) l इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमें किन बाधाओं का सामना करना पड़े या कितनी नाकामयाबियों को सहन करना पड़े, परमेश्वर हमें थामता है जब लहरें उठती और गिरती हैं l