अंग्रेजी के कवि फ्रांसिस थॉम्पसन की प्रसिद्ध कविता “द हाउंड ऑफ हैवन” की आरंभिक पंक्तियाँ “मैं रात को और दिन को उसका पीछा करता रहा” हैं l थॉम्पसन यीशु द्वारा अनवरत पीछा करने का वर्णन करता है─परमेश्वर से उसके छिपने का प्रयास, या यहां तक ​​कि भाग जाने के उसके प्रयासों के बावजूद l कवि अंत करता है, “मैं वह हूँ जिसे तू ढूढ़ता है!”

परमेश्‍वर का पीछा करने वाला प्रेम,  योना की किताब का एक केंद्रीय विषय है l नबी को नीनवे के लोगों (इस्राएल के कुख्यात दुश्मन) को ईश्वर की ओर मुड़ने की आवश्यकता के बारे में बताने के लिए एक काम मिला,  लेकिन इसके बजाय “योना यहोवा के सम्मुख से . . . भाग जाने के लिए उठा” (योना 1:3) l उसने नीनवे के विपरीत दिशा में जानेवाले एक जहाज पर स्थान सुरक्षित किया,  लेकिन एक प्रचंड आंधी से जहाज जल्द ही टूटने लगा l जहाज के मांझियों को बचाने के लिए, इससे पूर्व कि योना को एक बड़ी मछली निगल जाए, उसे जहाज पर से समुद्र में फेंक दिया गया (1: 15–17) l

अपनी खूबसूरत कविता में,  योना ने याद किया कि परमेश्वर से दूर भागने की उसकी पूरी कोशिश के बावजूद, परमेश्वर ने उसका पीछा किया l जब योना अपनी स्थिति से पराजित हो गया और उसे बचाए जाने की ज़रूरत पड़ी,  तो उसने प्रार्थना में परमेश्वर को पुकारा और उसके प्यार की ओर मुड़ा (2:2, 8) l परमेश्वर ने उत्तर दिया और न केवल योना के लिए,  बल्कि उसके अश्शुर के दुश्मनों के लिए भी बचाव प्रदान किया (3:10) l

जैसा कि दोनों कविताओं में वर्णित है, हमारे जीवनों में ऐसे समय आ सकते हैं  जब हम ईश्वर से भागने की कोशिश करते हैं l तब भी यीशु हमसे प्यार करता है और हमारे रिश्ते को अपने साथ पुनर्स्थापित करने के लिए काम करता है (1 यूहन्ना 1:9) l