बुद्धिमान सलाह सुनना
अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान, राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन एक बार खुद को एक राजनेता को खुश करते हुए पाया, तो उन्होंने कुछ केंद्रीय सेना रेजिमेंटों(सैन्य दलों) को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया l जब युद्ध के सचिव, एडविन स्टैंटन को आदेश मिला, तो उन्होंने इसे अंजाम देने से इनकार कर दिया l उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मूर्ख थे l लिंकन को बताया गया कि स्टैंटन ने क्या कहा था, और उन्होंने उत्तर दिया : “अगर स्टैंटन ने कहा कि मैं मूर्ख हूँ, तो मुझे होना चाहिए, क्योंकि वे लगभग हमेशा सही है l मैं अपने लिए देखूँगा l” जब दोनों लोगों ने बात की, राष्ट्रपति ने जल्द समझ लिया कि उनका निर्णय एक गंभीर गलती थी, और बिना किसी हिचकिचाहट के उन्होंने इसे वापस ले लिया l यद्यपि स्टैंटन ने लिंकन को मूर्ख कहा था, लेकिन जब स्टैंटन उनसे असहमत थे, तो राष्ट्रपति ने अड़ियल ढंग से इन्कार न करके बुद्धिमान साबित हुए l इसके बजाय, लिंकन ने सलाह सुनी, उस पर विचार किया और अपना विचार बदल दिया l
क्या आपने कभी किसी ऐसे व्यक्ति का सामना किया है जो महज बुद्धिमान सलाह नहीं सुनता था? (1 राजा 12:1-11 देखें) l यह क्रोधित करनेवाला हो सकता है, क्या यह नहीं हो सकता? या, और भी व्यक्तिगत, क्या आपने कभी सलाह मानने से इनकार किया है? जैसा कि नीतिवचन 12:15 कहता है, “मूढ़ को अपनी ही चाल सीधी जान पड़ती है, परन्तु जो सम्मति मानता, वह बुद्धिमान है l लोग हमेशा सही नहीं हो सकते, लेकिन हमारे लिए भी वैसा ही है! यह जानते हुए कि हर कोई गलतियाँ करता है, केवल मूर्ख यह मानते हैं कि वे अपवाद हैं l इसके बजाय, आइए ईश्वरीय बुद्धिमत्ता का अभ्यास करें और दूसरों के बुद्धिमान सलाह सुने ─भले ही हम शुरू में असहमत हों l कभी-कभी परमेश्वर हमारे अच्छे (पद. 2) के लिए ऐसे ही काम करता है l
हमारे लिए गाना
एक युवा पिता ने अपने बच्चे को अपनी बाहों में उठाए हुए था, उसके लिए गा रहा था और उसे लय में झुला रहा था l बच्चे में श्रवण-दोष था, जिससे वह मधुर गीत या शब्द नहीं सुन सकता था l फिर भी पिता ने अपने बेटे के लिए गाया, अपने बेटे के प्रति प्रेम का एक सुंदर, कोमल कार्य किया l और उसका प्रयास उसके छोटे लड़के के आनंदमय मुस्कान से पुरस्कृत किया गया l
पिता-पुत्र की अदला-बदली का अलंकार सपन्याह के शब्दों का असाधारण प्रतिरूप है l पुराने नियम के भविष्यवक्ता का कहना है कि परमेश्वर खुशी-खुशी अपनी बेटी, यरूशलेम के लोगों के लिए गाएगा (सपन्याह 3:17) l परमेश्वर को अपने प्यारे लोगों के लिए अच्छे काम करने में आनंद मिलता है, जैसे कि उनकी सजा को वापस लेना और उनके दुश्मनों को वापस करना (पद.15) l सपन्याह का कहना है कि उनके पास अब डरने की कोई वजह नहीं है और इसके बजाय खुशी मनाने का कारण है l
हम, जो परमेश्वर की संतान के रूप में यीशु मसीह के बलिदान द्वारा छुड़ाए गए हैं, कभी-कभी कम सुनते हैं – असमर्थ, या हमारे लिए परमेश्वर द्वारा उल्लासित प्रेम के गाने की ओर अपने कानों को अनुकूल बनाने में शायद अनिच्छुक होते हैं l हमारे लिए उसका गहरा प्रेम उस युवा पिता की तरह है, जो अपने बेटे की सुनने में असमर्थता के बावजूद अपने बेटे के लिए प्यार से गाया l उसने हमारी सजा भी समाप्त कर दी है, जिससे हमें खुश होने के लिए अतिरिक्त कारण मिला है l शायद हम उसकी आवाज़ में ज़ोर से गूंज रही खुशी को और अधिक बारीकी से सुनने की कोशिश कर सकते हैं l पिता, हमें आपकी स्नेही धुन सुनने और आपकी बाहों में सुरक्षित रूप से रहने के लिए मदद करें l
प्रकृति पर ध्यान देना
एक दोस्त और मैंने हाल ही में मेरा एक पसंदीदा घूमने का स्थान गए l तेज हवा वाली पहाड़ी पर चढ़कर, हमने जंगली फूलों वाले एक मैदान को पार करके ऊंची चीड़ के पेड वाले जंगल में प्रवेश किए, उसके बाद एक घाटी में उतरकर हम थोड़ा समय के लिए ठहर गए l बादल हमारे ऊपर धीरे-धीरे उड़ रहे थे l पास में एक धारा बह रही थी l ध्वनियाँ केवल पक्षियों की थीं l मैं और मेरा दोस्त पंद्रह मिनट तक चुपचाप खड़े रहकर यह सब गौर से देखते रहे l
जैसा कि पता चला, उस दिन हमारे कार्य बेहद उपचारात्मक थे l एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, जो लोग ठहरकर प्रकृति पर चिंतन करते हैं वे उच्च स्तर की खुशी, चिंता के नीचा स्तर और पृथ्वी की देखभाल की अधिक इच्छा का अनुभव करते हैं l हालांकि, जंगल से गुजरना पर्याप्त नहीं है l आपको बादलों को देखना होगा, पक्षियों को सुनना होगा l कुंजी प्रकृति में रहना नहीं है, लेकिन इसे ध्यान से देखना है l
क्या प्रकृति के फायदों का आध्यात्मिक कारण हो सकता है? पौलुस ने कहा कि सृष्टि परमेश्वर की सामर्थ्य और प्रकृति को प्रगट करती है (रोमियों 1:20) l परमेश्वर ने अय्यूब से कहा कि वह उसकी उपस्थिति के प्रमाण के लिए समुद्र, आकाश और तारों को देखे (अय्यूब 38-39) l यीशु ने कहा कि “आकाश के पक्षी” और “जंगली सोसनों” पर ध्यान करना परमेश्वर की देखभाल प्रगट कर सकता है और चिंता कम कर सकता है (मत्ती 6:25-30) l बाइबल में, प्रकृति पर ध्यान देना एक आत्मिक अभ्यास है l
वैज्ञानिक सोचते हैं कि प्रकृति हमें सकारात्मक रूप से क्यों प्रभावित करती है? शायद एक कारण यह है कि प्रकृति पर ध्यान करने से हम परमेश्वर की एक झलक प्राप्त कर सकते हैं जिसने इसे बनाया और जो हमें ध्यान से देखता है l
कानूनी रूप से उसका
शीबा ने खुशी के कारण रोयी जब उसने और उसके पति ने अपने बच्चे के लिए जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट प्राप्त किया, जिससे गोद लेना कानूनी रूप से बाध्यकारी बन गया l अब मीना हमेशा उनकी बेटी होगी, हमेशा के लिए उनके परिवार का हिस्सा l जब शीबा ने कानूनी प्रक्रिया पर विचार किया, उसने “सच्चे आदान-प्रदान” के बारे में भी सोचा जो तब होता है जब हम यीशु के परिवार का हिस्सा बनते हैं : “अब हम पाप और टूटेपन के अपने जन्मसिद्ध अधिकार से दबाकर रखे गए हैं l” इसके बजाय, उसने जारी रखा, जब हम उसके बच्चों के रूप में अपनाए जाते हैं, तो हम कानूनी रूप से परमेश्वर के राज्य की पूर्णता में प्रवेश करते हैं l
प्रेरित पौलुस के दिनों में, यदि एक रोमी परिवार एक पुत्र को अपनाता था, तो उसकी कानूनी स्थिति पूरी तरह बदल जाती थी l उसके पुराने जीवन प्रत्येक ऋण रद्द कर दिया जाता था और वह अपने नए परिवार के सभी अधिकारों और विशेषाधिकारों को हासिल कर लेता था l पौलुस चाहता था कि यीशु में रोम के विश्वासी समझें कि यह नया दर्जा उनपर भी लागू होता था l अब वे पाप और दण्डाज्ञा के लिए बाध्य नहीं थे, लेकिन अब वे “आत्मा के अनुसार” चलते थे (रोमियों 8:4) l और जिनकी अगुवाई आत्मा करता है वे परमेश्वर की संतान के रूप में गोद लिए जाते हैं (पद. 14-15) l उनका कानूनी दर्जा बदल गया जब वे स्वर्ग के नागरिक बन गए l
यदि हमें उद्धार का उपहार मिला है, तो हम भी परमेश्वर के बच्चे हैं, उनके राज्य के उत्तराधिकारी हैं और मसीह के साथ संयुक्त l हमारे ऋण यीशु के बलिदान के उपहार द्वारा रद्द कर दिए गए हैं l हमें अब डर या दण्डाज्ञा में जीने की जरूरत नहीं है l