Month: मई 2021

सही शब्द

पिछले एक साल में,  कई लेखकों ने विश्वासियों से आग्रह किया है कि वे हमारे विश्वास की “शब्दावली” पर नए सिरे से विचार करें l जैसे, एक लेखक ने,  इस बात पर जोर दिया कि विश्वास के धर्मवैज्ञानिक समृद्ध शब्द भी अपना प्रभाव खो सकते हैं,  जब, अति सुपरिचय और अति उपयोग के कारण,  हम सुसमाचार की गहराई और ईश्वर की आवश्यकता के साथ स्पर्श खो देते हैं l जब ऐसा होता है,  तो उसने सुझाव दिया,  हमें विश्वास की भाषा “आरम्भ से” पुनः सीखने की आवश्यकता है, अपनी मान्यताओं को त्यागकर जब तक कि हम सुसमाचार को पहली बार न देख सकें l

“आरंभ से परमेश्वर की बातें बोलना” सीखने का निमंत्रण मुझे पौलुस की याद दिलाता है,  जिसने “सभी मनुष्यों के लिए सब कुछ [बनकर]”  . . . सुसमाचार के लिए अपना जीवन समर्पित किया” (1 कुरिन्थियों 9:22-23) l उसने कभी नहीं माना कि जो यीशु ने किया था उसे वह सबसे श्रेष्ठ तरीके से संप्रेषित करना जानता था l इसके बजाय,  उसने लगातार प्रार्थना पर भरोसा किया और साथी विश्वासियों से उसके लिए प्रार्थना करने के लिए अनुनय किया─कि सुसमाचार साझा करने में उसे “प्रबल वचन”(इफिसियों 6:19 IBP) मिलने में सहायता मिल सके l

प्रेरित मसीह में प्रत्येक विश्वासी की आवश्यकता को भी जानता था कि वह उसके प्रेम में गहरी जड़ों की आवश्यकता के लिए हर दिन विनम्र और ग्रहणशील बना रहे (3:16–17) l यह तभी संभव है जब हम परमेश्वर के प्रेम में अपनी जड़ें गहरी करते जाते हैं,  प्रत्येक दिन उसके अनुग्रह पर अपनी  निर्भरता के बारे में अधिक जागरूक होते जाते हैं,  कि उसने हमारे लिए किया है उसके विषय अविश्वसनीय समाचार साझा करने के लिए हमें प्रबल शब्द मिल सके l

भारी लेकिन आशावान

पीनट्स(Peanuts) कॉमिक स्ट्रिप(पट्टी) में,  बहुत ही उत्साही चरित्र लूसी ने पांच सेंट(cent) के बदले में “मनोचिकित्सीय मदद” देने का विज्ञापन दिया l लाइनस उसके कार्यालय में आकर   अपनी “उदासी की गहरी भावना” उसे बताया l जब उसने उससे पूछा कि वह अपनी स्थिति के बारे में क्या कर सकता है,  तो लूसी का त्वरित उत्तर था,  "इससे संभलो! कृपया, पांच सेंट दीजिये l”

जबकि इस तरह का सुकून देने वाला मनोरंजन एक क्षणिक मुस्कुराहट लाता है,  वास्तविक जीवन में होने वाली उदासी और निराशा हमें जकड़ सकती है,  जिन्हें आसानी से खारिज नहीं किये जा सकता l निराशा और नाउम्मीदी की भावनाएं वास्तविक हैं,  और कभी-कभी पेशेवर ध्यान देने की आवश्यकता होती है l

लूसी की सलाह वास्तविक पीड़ा को संबोधित करने में सहायक नहीं थी l हालाँकि,  भजन 88 का लेखक कुछ शिक्षाप्रद और आशावादी सलाह देता है l मुसीबत से भरा एक ट्रक उसके दरवाजे पर आ गया l और इसलिए,  नम ईमानदारी के साथ,  उसने परमेश्वर के समक्ष अपना हृदय उंडेल दिया l “मेरा प्राण क्लेश से भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुँचा है” (पद.3) l “तू ने मुझे गढ़हे के तल ही में, अँधेरे और गहिरे स्थान में रखा है” (पद.6) l “अंधकार ही मेरा साथी है” (पद.18 Hindi-C.L.) l हम भजनहार की पीड़ा के विषय सुनते हैं,  महसूस करते हैं, और शायद उसके साथ तादात्म्य स्थापित करते हैं l फिर भी,  सब कुछ यह नहीं है l उसका विलाप आशा से पूर्ण है l “हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूँ l मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, और मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा” (पद. 1-2; देखें पद. 9, 13) l भारी चीजें आती हैं और व्यावहारिक कदम जैसे परामर्श और चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हो सकती है l लेकिन ईश्वर में कभी आशा नहीं छोड़नी चाहिए l

यह वह है जिसे आप जानते हैं

2019 की शुरुआत में, चार्ली वेंडरमीयर की अस्सी की उम्र में मृत्यु हो गई l राष्ट्रीय रेडियो प्रसारण चिल्ड्रन बाइबल आवर(Children’s Bible Hour) के इस होस्ट/प्रस्तुतकर्ता को कई दशकों तक,  हजारों हजार लोग अंकल चार्ली के रूप में जानते थे l अंकल चार्ली की मृत्यु से एक दिन पहले, उन्होंने एक अच्छे दोस्त से कहा, "यह वह नहीं है की आप क्या जानते हैं,  पर यह की आप किसे जानते हैं" l बेशक,  मैं यीशु मसीह के बारे में बात कर रहा हूँ l”

जैसे ​​कि जब उन्होंने अपने जीवन के अंत का सामना किया,  तो अंकल चार्ली यीशु के विषय बात करने से और लोगों का उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करने की ज़रूरत से खुद को रोक नहीं सके l

प्रेरित पौलुस यीशु को जानना ही सबसे महत्वपूर्ण कार्य समझा : “मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूँ l जिसके कारण में ने सब वस्तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूँ, जिससे मैं मसीह को प्राप्त करूं” (फिलिप्पियों 3:8) l और हम यीशु को कैसे जान सकते है? “यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकार अंगीकार करे, और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा” (रोमियों 10:9) l

हम यीशु के बारे में तथ्यों को जान सकते हैं,  हम चर्च के बारे में सब कुछ जान सकते हैं,  और हम बाइबल से भी परिचित हो सकते हैं l  लेकिन यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में जानने का एकमात्र तरीका उसके उद्धार के मुफ्त उपहार को स्वीकार करना है l यही तो वह है जिसे हमें जानना है l

अग्नि द्वारा उर्जित

जब दो अग्निशामक,  थके हुए और कालिख लगे हुए,  नाश्ते के लिए एक रेस्तरां में रुके,  तो वेटर ने समाचार से उन पुरुषों को पहचान लिया और उसे एहसास हुआ कि वे रात को गोदाम की आग से जूझ रहे थे l अपना आभार दिखाने के लिए, उसने अपने बिल पर एक नोट लिखा, “आपका नाश्ता आज मेरी ओर से है l आपको धन्यवाद. . .  दूसरों की सेवा करने और उन स्थानों में जाने के लिए जिनसे सभी भागते हैं . . . अग्नि द्वारा उर्जित और साहस द्वारा प्रेरित, आप कितने बड़े उदाहरण है l”

पुराने नियम में,  हम तीन युवकों : शद्रक,  मेशक, और अबेदनगो के कार्यों में साहस का एक उदाहरण देखते हैं (दानिय्येल 3) l बेबीलोन के राजा की प्रतिमा को नमन करने के हुक्म का पालन करने के बजाय,  इन युवकों ने साहसपूर्वक अपने इनकार के द्वारा परमेश्वर के लिए अपना प्यार दिखाया l उनका दंड उन्हें धधकते भट्टी में फेंकना था l फिर भी वे लोग पीछे नहीं हटे : “हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन् हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है l परन्तु यदि नहीं, तो [भी] . . . हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी कड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे” (पद.17-18) l

परमेश्वर ने उन्हें सचमुच बचाया और यहाँ तक ​​कि उनके साथ आग में चला भी (पद. 25–27) l आज हमारे अग्निमय आजमाइशों और परेशानियों में,  हमें भी यह निश्चय है कि परमेश्वर  हमारे साथ है l वह सक्षम है l

यीशु के अलोकप्रिय विचार

पंद्रह वर्षों तक,  माइक बर्डन ने अपने छोटे से शहर में स्मरणीय वस्तुओं की दुकान में घृणा से भरी बैठकें कीं l लेकिन 2012 में जब उसकी पत्नी ने उसकी भागीदारी पर सवाल उठाना शुरू किया,  तो उनका हृदय नरम हो गया l उसने महसूस किया कि उसके जातिवादी विचार कितने गलत थे और वह अब वह व्यक्ति नहीं होना चाहता था l उग्रवादी समूह ने उसके परिवार को उस अपार्टमेंट से बाहर निकाल कर बदला लिया जो वे उनमें से एक सदस्य से किराये पर ले रखा था l

वह मदद के लिए कहाँ गया?  हैरानी की बात है,  वह एक स्थानीय काले पास्टर के पास गया, जिसके साथ उसका संघर्ष हुआ था l पास्टर और उनके चर्च ने कुछ समय के लिए माइक के परिवार के लिए आवास और किराने के सामान का प्रबंध किया l जब उनसे पूछा गया कि वह मदद करने के लिए क्यों सहमत थे, तो पास्टर कैनेडी ने समझाया, “यीशु मसीह ने कुछ बहुत ही अलोकप्रिय काम किये l जब मदद करने का समय आता है,  तो आप वही करते हैं जो परमेश्वर  चाहता है कि आप करें l” बाद में माइक ने कैनेडी के चर्च में बोला और नफरत फैलाने में अपने हिस्से के लिए अश्वेत समुदाय से माफी मांगी l

यीशु ने पहाड़ी उपदेश में कुछ अलोकप्रिय विचारों की शिक्षा दी : “जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे ... अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो” (मत्ती 5:42,44) l यह सोचने का उल्टा तरीका है परमेश्वर जिसका अनुसरण करने के लिए हमें बुलाता है l यद्यपि यह कमजोरी की तरह दिखता है,  यह वास्तव में परमेश्वर की सामर्थ्य को कार्य्वान्वित करना है l

वह जो हमें सिखाता है ही वह है जो यह उल्टा जीवन के लिए जैसे वह हमसे मांग करता है हमें जीने की शक्ति देता है l