सोजर्नर ट्रूथ, जिसका जन्म का नाम इसाबेला बौम्फ्री था, का जन्म 1797 में न्यूयॉर्क में एक दासी के रूप में हुआ था l यद्यपि, लगभग उसके सभी बच्चे दास के रूप में बेचे गये थे, वह 1826 में एक बेटी के साथ भाग कर स्वतंत्र हुई और एक परिवार के साथ रही जो उसकी स्वतंत्रता के लिए पैसा चुकाए थे । अपने परिवार को अलग रखने के अन्यायपूर्ण व्यवस्था में सहमति की जगह, उसने अपने छोटे बेटे पीटर को फिर से हासिल करने के लिए कानूनी कार्यवाई की──उन दिनों में एक अफ़्रीकी अमेरिकी महिला के लिए एक अद्भुत साहसिक कार्य l यह जानते हुए कि वह अपने बच्चों की परवरिश परमेश्वर के मदद के बिना नहीं कर सकती थी, वह मसीह में एक विश्वासी बन गयी और बाद में उसने अपना नाम सोजर्नर ट्रूथ रखा । यह दिखाने के लिए कि उसके जीवन की नींव परमेश्वर की सच्चाई पर बनी थी ।

राजा सुलैमान, नीतिवचन 14 का लेखक, कहता है कि “हर बुद्धिमान स्त्री अपने घर को बनाती है” (पद.1), इसके विपरीत, एक बुद्धिहीन स्त्री “ढा देती है ।“ यह निर्माण का रूपक परमेश्वर द्वारा सुनने के लिए इच्छुक लोगों को दी गयी बुद्धि को दर्शाता है । कोई अपना घर बुद्धि से कैसे बनाता है? ऐसा करने के द्वारा “जो [दूसरों की] उन्नति के लिए उत्तम हो” (इफिसियों 4:29; 1 थिस्सलुनीकियों 5:11 भी देखें) कोई कैसे ढा देता है? नीतिवचन 14 उत्तर देता है, “मूढ़ के मुँह में गर्व का अंकुर [होता है]” (पद.3) l

सोजर्नर के पास अशांत समय में दृढ़ “शरणस्थान” (पद.26) था, परमेश्वर की बुद्धिमत्ता के लिए धन्यवाद । शायद आपको कभी अपने बच्चों को अन्याय से छुड़ाना न पड़े । परन्तु आप अपना घर उसी नींव पर बना सकते हैं जिस पर सोजर्नर ने बनाया──परमेश्वर की बुद्धिमत्ता l