Month: जून 2021

विश्वास का मार्ग

2017 में विश्व कप क्वालिफाइंग मैच जिसने अमेरिका को ट्रिनिडाड और टोबागो के खिलाफ खड़ा किया, इस कम ज्ञात टीम ने विश्व को चौंका दिया जब उन्होंने अमेरिका के पुरुषों की राष्ट्रीय टीम को हराया, एक टीम जो छप्पन स्थान ऊपर थी l 2-1 की गड़बड़ी ने 2018 विश्व कप से अमेरिकी टीम को हटा दिया l 

ट्रिनीडैड और टोबागो की जीत बहुत ही अनपेक्षित थी कुछ हद तक इसलिए कि अमेरिका की जनसंख्या और संसाधन बाकी छोटे कैरिबियन राष्ट्रों को बौना बना दिया था l लेकिन वह अजेय सुविधाएँ उस उत्साही टीम को हराने के लिए काफी नहीं थीं ।

गिदोन और मिद्यानियों की कहानी योद्धाओं के एक छोटे समूह और एक बड़ी सेना के बीच, एक सामान्य परेशानी को दर्शाता है l इस्राएली सेना के पास वास्तव में 30,000 से भी अधिक योद्धा थे, लेकिन परमेश्वर ने सेना को घटाकर केवल 300 योद्धा कर दिया ताकि राष्ट्र सीख सके कि उनकी सफलता परमेश्वर पर आधारित थी──न कि उनकी सेना के आकर, खजाने की धनराशि, अथवा उनके अगुओं के कौशल पर (न्यायियों 7:1-8)

जिन चीजों को हम देख सकते या माप सकते हैं उन पर भरोसा और विश्वास करना प्रलोभक  हो सकता है, परन्तु यह विश्वास का मार्ग नहीं है । हालाँकि, यह अक्सर मुश्किल होता है, जब हम परमेश्वर पर निर्भर होने के लिए इच्छुक होते हैं, “उसकी शक्ति के प्रभाव में बलवंत” बनने के लिए (इफिसियों 6:10), हम साहस और आत्मविश्वास के साथ परिस्थितियों में जा सकते है, उस समय भी जब हम अभिभूत और अयोग्य महसूस करते है । उसकी उपस्थिति और सामर्थ्य हम में और हमारे द्वारा अद्भुत कार्य कर सकते हैं l 

यीशु की कुर्सी

जब मेरी सहेली मार्ज बाइबल अध्ययन सभा में तामी से मिली, उसने देखा कि उनमें कुछ सामानता है । परन्तु मार्ज ने उससे दोस्ती की, और उसने अपने नए मित्र से मूल्यवान पाठ सीखा l 

तामी कभी भी किसी बाइबल अध्ययन में नहीं गयी थी, और उसे कुछ समझने में कठिनाई हो रही थी जिसके विषय दूसरी महिलाएं अध्ययन में बातें कर रही थीं : कि परमेश्वर उनसे बातें करता था──कुछ जिसका उसने कभी भी अनुभव नहीं किया था l 

वह परमेश्वर से बहुत सुनना चाहती थी इसलिए उसने कार्य किया l बाद में, उसने मार्ज से बताया l मैंने एक ओर एक पुरानी कुर्सी रखी, और हर समय जब मैं बाइबल पढ़ती हूँ, मैं यीशु से आकर उसमें बैठने को कहती हूँ l” तब तामी ने समझाया कि जब भी कोई पद उसे अलग से दिखाई देता था, वह उस पद को चोक/खड़िया से कुर्सी पर लिख दिया करती थी l यह उसके लिए विशेष बन गयी है “यीशु की कुर्सी,” और उसने उसे परमेश्वर के संदेशों से भर दिया है जो उसे सीधे बाइबल से मिले l 

मार्ज कहती है, “[यीशु की कुर्सी] ने {तामी] के जीवन को बदल दिया है l वह आत्मिक रूप से उन्नति कर रही है क्योंकि बाइबल व्यक्तिगत बन गयी है l 

यहूदी विश्वासियों से बात करते समय, यीशु ने कहा, ‘‘यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे । तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना 8:31-32) l हम उसके शिक्षाओं में बने रहे, चाहे उसके शब्दों को कुर्सी पर लिखना हो, उन्हें याद करना हो, या उन्हें व्यवहारिक बनाने की इच्छा हो l मसीह के संदेश की सच्चाई और बुद्धिमत्ता हमें उसमें बढ़ने में मदद करता है और हमें आजाद करता है ।

हमारे पिता की देखभाल

थवाक! मैंने उपर देखा और उस आवाज की तरफ अपना कान लगाया । खिड़की के फलक पर एक धब्बा देखकर, मैं बाहर झाँकी और चिड़िया का धड़कता-शरीर देखा । मेरा हृदय दुखित हुआ । मैं नाजुक पंख वाली चिड़िया की मदद करने के लिए ललायित हो गई ।

मत्ती 10 में, जब यीशु अपने चेलों को आसन्न खतरे के बारे में आगाह किया, उसने उनको दिलासा देने के लिए गौरेयों के लिए अपने पिता की देखभाल का वर्णन किया l उसने बारहों को निर्देश दिया जब उसने, उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया कि उन्हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियों और सब प्रकार की दुर्बलताओं को दूर करें” (पद.1) l जबकि ऐसे सामर्थ्य के काम करना चेलों को बहुत अच्छा लग रहा होगा, अनेक उनका विरोध करने वाले थे, जिसमें शासकीय अधिकारी, उनके अपने परिवार, और दुष्ट की फुसलानेवाली पकड़ शामिल थी (पद.16-28) l

फिर 10:29-31 में, यीशु ने उनसे किसी का भी सामना करने में भयभीत नहीं होने के लिए कहा क्योंकि वे कभी भी अपने पिता की देखभाल से बाहर नहीं होने वाले थे l उसने पूछा, “क्या पैसे में दो गौरेयें नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती . . . इसलिए डरो नहीं; तुम बहुत गौरेयों से बढ़कर हो l”

मैंने दिन भर उस पक्षी की जाँच की, हर बार उसे जीवित देखा लेकिन शांत l फिर, देर शाम वह उड़ गयी थी l मैंने प्रार्थना की कि वह बच जाए l निश्चित रूप से अगर मैं इस चिड़िया की इतनी परवाह कर रही थी, परमेश्वर इससे भी अधिक देखभाल करता है l कल्पना कीजिये कि वह आपकी और मेरी कितनी परवाह करता है!

परमेश्वर की सामर्थ्य

रेबेका और रसल के डॉक्टरों ने उनसे कहा कि उनको बच्चे नहीं हो सकते । परन्तु परमेश्वर के पास दूसरी योजना थी──और दस साल बाद रेबेका गर्भवती हुई । वह गर्भावस्था स्वस्थ था; और जब संकुचन शुरू हुआ, दम्पति उत्साह से अस्पताल पहुंचे l फिर भी प्रसव-काल के घंटे अधिक लम्बे और बहुत गम्भीर हो गए, और रेबेका का शरीर अभी भी प्रसव के लिए प्रयाप्त प्रगति नहीं कर रहा था । अंत में, डॉक्टर ने निर्णय किया कि उन्हें एक आपातकालीन सी-सेक्शन(C-section) करना होगा l भयभीत, रेबेका बच्चे के लिए और खुद के लिए सिसकियाँ भरने लगी l डॉक्टर शांतिपूर्वक उसे आश्वस्त करते हुए बोली, ‘मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगी, पर हम परमेश्वर से प्रार्थना करने जा रहे हैं क्योंकि वह अधिक कर सकता है l” उसने रेबेका के साथ प्रार्थना किया, और पन्द्रह मिनट बाद, एक स्वस्थ बच्चा ब्रूस, ने जन्म लिया l

डॉक्टर ने परमेश्वर पर और उसकी सामर्थ्य पर अपनी निर्भरता को समझ लिया । उसने पहचाना कि यद्यपि उसके पास शल्यचिकित्सा करने के लिए प्रशिक्षण और कौशल था, फिर भी उसके हाथों के मार्गदर्शन के लिए उसे परमेश्वर की बुद्धि, सामर्थ्य और मदद की आवश्यकता थी (पद.1-2) l

अत्यधिक कुशल लोगों, या किसी के बारे में सुनना उत्साहजनक है, जो यह स्वीकार करते हैं कि उन्हें उसकी जरूरत है──क्योंकि वास्तव में हमें ज़रूरत है l वह परमेश्वर है; हम नहीं l केवल वह “हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है” (इफिसियों 3:20) । आइये हम उससे सीखने और प्रार्थना में उस पर भरोसा करने के लिए एक नम्र हृदय रखें क्योंकि जो हम कभी कर पाते की तुलना में वह “अधिक काम कर सकता है l”

परमेश्वर का राज्य

मेरी माँ अपनी जिन्दगी के दौरान बहुत सारी चीजों के प्रति समर्पित रही है, लेकिन छोटे बच्चों का यीशु से परिचय कराना निरंतर उनकी इच्छा में बनी रही l कई एक बार मैंने अपनी माँ को सर्वजनिक रूप में असहमत होते देखा, सब उपस्थित थे जब किसी ने कुछ और को अधिक “गंभीर खर्च” समझकर उसके पक्ष में बच्चों की सेवा बजट में कटौती करने का प्रयास किया l “एक गर्मी के मौसम में मैंने छुट्टी ले ली जब मैं तुम्हारे भाई के साथ गर्भवती थी, यही सही था,” वह मुझसे बोली l मैंने थोड़ा पारिवारिक गणित किया और मैंने एहसास किया कि मेरी माँ पचपन सालों से चर्च में बच्चों के साथ काम कर रही थी ।

मरकुस 10 सुसमाचारों में मनभावन कहानियों में से एक को अंकित करता है जिसे आम तौर पर “छोटे बच्चे और यीशु” शीर्षक दिया जाता है l लोग बच्चों को यीशु के पास ला रहे थे कि वह उन पर हाथ रखें और उन्हें आशीष दे । पर चेलों ने इसे रोकने की कोशिश की । मरकुस उल्लेख करता है कि यीशु “क्रोधित” हुआ──और अपने ही चेलों को डांटा : “बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना मत करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है” (पद.14) l

चार्ल्स डिकिन्स ने लिखा, “मैं इन छोटे लोगों से प्यार करता हूँ; और यह कोई मामूली बात नहीं जब वे, जो परमेश्वर की ओर से इतने नये हैं, हमसे प्यार करते है ।“ और यह कोई मामूली बात नहीं जब हम, जो उम्रदार हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए सब करते हैं जो हम कर सकते है कि यीशु के हमेशा नया रहनेवाले प्रेम से बच्चे कभी वंचित न रह जाएँ l