केवल परमेश्वर पर भरोसा
कुछ लोग आपसे कह सकते हैं कि कुछ ख़ास “भाग्यशाली तंत्र-मन्त्र” ने उनके लिए अच्छा भाग्य लेकर आया l कुछ के लिए यह ‘सजावटी मछली’ है दूसरों के लिए यह विशेष सिक्के, पारिवारिक विरासत या शुभ दिन है । वस्तुएं जो सुख लाने वाली मानी जाती हैं और जिसके लिए बहुत से लोग बहुत समय और ध्यान लगाते हैं l
शुभ भाग्य में सार्वभौमिक विश्वास विभिन्न संस्कृतियों में खुद को अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शित करता है l यह हमारे परम सुख के लिए परमेश्वर के साथ सम्बन्ध के अतिरिक्त कुछ और──पैसा या मानव शक्ति या धार्मिक परम्परा भी──में भरोसा करने की हमारी मानवीय प्रवृति की ओर संकेत करता है l परमेश्वर ने अपने लोगों को इसके प्रति आगाह किया जब अश्शूर के आक्रमण ने धमकाया, और उन्होंने अपने पापों से मुड़ने और व्यक्तिगत रूप से उसकी ओर मुड़ने की जगह फिरौन की मदद खोजी : “प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, ‘लौट आने और शांत रहने में तुम्हारा उद्धार है; शांत रहने और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है । परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया, तुम ने कहा, “नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़कर भागेंगे l” इसलिये तुम भागोगे!’” (यशायाह 30:15-16) l
उनका “अभियान” विफल रहा (जैसे कि परमेश्वर ने कहा था कि वह होगा) और अश्शूर ने यहूदा को पूरी तरह पराजित कर दिया । लेकिन परमेश्वर ने अपने लोगों से यह भी कहा था, “तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे l” इसके बावजूद भी जब हमने कमतर वस्तुओं पर भरोसा रखा है, परमेश्वर फिर भी, उसके पास लौटने में हमारी मदद करने के लिए अपना हाथ फैलाता है l “क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं” (पद.18) l
सफाई की विधि
मैं अपने घुटनों पर गिरी और अपने आँसुओं को फर्श पर गिरने दिए । “परमेश्वर, आप क्यों मेरा देखभाल नही कर रहे है?” मैं रोयी l यह 2020 की कोविड-19 महामारी के समय था । मैं लगभग एक महीने से नौकरी से निकाली गई थी, और मेरी बेरोजगारी के आवेदन में कुछ गड़बड़ी हो गयी थी l मुझे अभी तक कोई पैसा भी नहीं मिला था, और अमेरिकी सरकार ने जिस प्रोत्साहन राशि का वादा किया था अभी तक नहीं पहुंची थी । मैंने अपने दिल की गहराई में परमेश्वर पर भरोसा किया कि परमेश्वर सब कुछ ठीक करेगा । मैंने विश्वास किया कि वह सच में मुझसे प्यार करता था और मेरा ख्याल रखेगा, लेकिन उस समय, मैंने अपने आप को त्यागा हुआ महसूस किया ।
विलापगीत की पुस्तक हमे स्मरण दिलाती है कि विलाप करना ठीक है । यह पुस्तक सम्भवतः बबिलोनियों द्वारा यरूशलेम नष्ट करने के दौरान या इसके तुरंत बाद 587 ई.पू. में लिखी गयी थी । यह दुःख (3:1,19), अत्याचार (1:18) और भुखमरी (2:20; 4:10) का वर्णन करती है जिनका लोगों ने सामना किया । फिर भी पुस्तक के मध्य में लेखक को याद आता है कि वह क्यों आशा कर सकता है : “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, तेरी सच्चाई महान् है l प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान् है” (3:22-23) l विनाश के बावजूद, लेखक स्मरण करता है कि परमेश्वर विश्वासयोग्य रहता है l
कभी-कभी यह विश्वास करना असम्भव महसूस होता है कि “जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिए यहोवा भला है” (पद.25), खासतौर तब, जब हम अपने कष्टों का अंत नहीं देखते है l लेकिन हम उसे पुकार सकते है, भरोसा कर सकते है कि वह हमारी सुनता है, और वह उस समय भी हमारे लिए विश्वासयोग्य रहेगा ।
परमेश्वर को आदर देने का चुनाव
मुझे ऑस्ट्रेलिया की एक असाधारण शल्यचिकित्सक कैथरीन हैमलिन की निधन सूचना पढ़ने के बाद उनके बारे में पता चला l इथियोपिया में, कैथरीन और उनके पति ने विश्व के एकमात्र हॉस्पिटल की स्थापना की जो शरीर की विनाशकारी और प्रसूति नासूर(obstetric fistula) के भावनात्मक आघात का इलाज करने के लिए समर्पित किया गया जो विकासशील संसार में एक सामान्य क्षति के रूप में बच्चे के जन्म के समय हो सकता है l कैथरीन को 60,000 से ज्यादा महिलाओं के इलाज की देखरेख का श्रेय दिया गया ।
हैमलिन बानवे की उम्र तक हॉस्पिटल में काम करती रही और अपने हर दिन की शुरुआत एक कप चाय और बाइबल अध्ययन से करती हुयी, जिज्ञासा से प्रश्न पूछनेवालों से कहा कि वह यीशु में एक साधारण विश्वासी है जो केवल वही कार्य कर रही थी जो परमेश्वर ने उसे दिया था l
मैं उनके असाधारण जीवन के बारे में जानकर आभारी थी क्योंकि उन्होंने मेरे लिए पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन को हमारे जीवन को इस तरह जीने के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया, यहाँ तक कि जो परमेश्वर को सक्रिय रूप से अस्वीकार करते हैं “वे भी [हमारे] भले कामों को देखकर . . . परमेश्वर की महिमा करें” (1 पतरस 2:12) l
परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ्य जो हमें आत्मिक अंधकार से निकालकर उसके साथ एक रिश्ते में बुलाया है (पद. 9) हमारे काम या हमारी सेवा क्षेत्रों को विश्वास की गवाही में परिवर्तित कर सकता है । परमेश्वर ने जो भी जुनून या कौशल हमें उपहार के तौर पर दिए हैं, हम उन सभी को करने में अतिरिक्त सार्थकता और उद्देश्य के साथ इस प्रकार करें जिसके पास लोगों को उसकी ओर इंगित करने की ताकत हो l
न्याय का परमेश्वर
शायद यह इतिहास का सबसे महान “बलि की गाय” थी। हम नही जानते कि उसका नाम डेज़ी, मेडलिन, या ग्वेंडोलिन था (हर एक नाम सुझाया गया नाम है), पर शिकागो में 1871 की आग के लिए श्रीमती ओ’लियरी की गाय को दोषी माना गया जिसके कारण शहर का हर तीसरा निवासी बेघर हो गया था l लकड़ियों की संरचनाओं में से गुज़रती हुयी आग तेज हवा के कारण तीन दिनों तक जलती रही और लगभग तीन-सौ लोगों की जान ले ली l
कई वर्षों तक, लोगों को यह लगा कि किसी गौशाले में रात को जलती हुयी लालटेन को उस गाय द्वारा ठोकर मारने के कारण आग लगी थी l अगली छानबीन के बाद──126 साल बाद──पुलिस और अग्नि की शहरी समिति ने स्वीकृत प्रस्ताव पारित कर गाय और उसके मालिक को दोषमुक्त करते हुए पड़ोसियों की अनुबद्ध जांच का सुझाव दिया l
न्याय अक्सर समय लेता है, और पवित्र शास्त्र स्वीकार करता है कि यह कितना मुश्किल हो सकता है l राग में दोहराने के शब्द, "कब तक?" भजन 13 में चार बार दोहराए गए हैं, “हे परमेश्वर, कब तक?” क्या सदैव मुझे भुला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझसे छिपाए रहेगा? मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियाँ करता रहूँ, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं? कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?” (पद. 1-2) l लेकिन अपने विलाप के मध्य, दाऊद विश्वास और आशा का कारण ढूंढ लेता है : “परन्तु मैंने तो तेरी करुणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा (पद.5) ।”
यहाँ तक कि जब न्याय विलंबित होता है, परमेश्वर का प्रेम हमें कभी धोखा नहीं देगा l हम उस में भरोसा कर सकते हैं और आराम पा सकते है न केवल उस पल के लिए परन्तु हमेशा के लिए l