हमने अपने आप को “मसीह में बहनें” कहा, लेकिन मेरे गोर दोस्त और मैंने दुश्मनों की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया था l एक सुबह एक कैफ़े नाश्ते पर, हमने अपने अलग-अलग नस्लीय विचारों के बारे में कठोरता से बहस की l फिर हम अलग हो गए, कसम खाकर कि एक दूसरे से कभी नहीं मिलेंगे l एक साल बाद, हालाँकि, हमें उसी सेवा द्वारा काम पर रखा गया था──एक ही विभाग में काम करते हुए, एक दूसरे से फिर से जुड़ने में असमर्थ नहीं थे l सबसे पहले अटपटे ढंग से, हमने मतभिन्नता पर बात की l फिर, समय के साथ, परमेश्वर ने हमें एक-दूसरे से माफ़ी मांगने और चंगा करने और सेवा को अपना सर्वश्रेष्ठ देने में मदद की l 

परमेश्वर ने एसाव और उसके जुड़वाँ भाई, याकूब के बीच कड़वे मतभेद को ठीक किया और दोनों के जीवनों को धन्य किया l एक समय चालबाजी करनेवाला, याकूब ने पिता की आशीष छीन लिया था जो एसाव की थी l लेकिन बीस साल बाद, परमेश्वर ने याकूब को अपने देश लौटने के लिए बुलाया l इसलिए, याकूब ने एसाव को खुश करने के लिए बेशुमार तोहफे भेजे l “तब एसाव उससे भेंट करने को दौड़ा, और उसको हृदय से लगाकर, गले से लिपटकर चूमा; फिर वे दोनों रो पड़े” (उत्पत्ति 33:4) l 

उनका पुनर्मिलन अपने उपहारों──प्रतिभाओं या धनसंग्रह को परमेश्वर के सामने पेशकश करने से पहले एक भाई या बहन के साथ क्रोध शांत करने के लिए परमेश्वर के आग्रह का एक उत्कृष्ट उदाहरण है (मत्ती 5:23-24) l इसके बजाय, “जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा” (पद.24) l याकूब ने एसाव के साथ सामंजस्य स्थापित कर परमेश्वर की आज्ञा मानी, और बाद में परमेश्वर के लिए एक वेदी स्थापित की (उत्पत्ति 33:20) l कितना सुन्दर एक व्यवस्था : पहले क्षमा और सामंजस्य के लिए प्रयास करें l फिर, वह हमें अपनी वेदी पर, स्वीकार करता है l