जब जॉन ल्युईस, एक अमेरिकी राजनेता, की मृत्यु 2020 में हुई, तो कई राजनितिक धारणा वाले लोगों ने शोक व्यक्त किया l 1965 में, ल्युईस काले नागरिकों के लिए मताधिकार प्राप्त करने के लिए मार्टिन लूथर किंग जूनियर के साथ जुलूस में शामिल हुए थे l इस जुलूस के दौरान, ल्युईस को सिर में करारी चोट लगी थी, जिसके दाग उनके जीवन भर बने रहे l ल्युईस ने कहा, “जब आप कुछ ऐसा देखते हैं जो सही नहीं है, न्यायसंगत नहीं है, अन्यायपूर्ण है, आपके पास कुछ बोलने के लिए नैतिक जिम्मेदारी है l कुछ करने के लिए l उन्होंने यह भी कहा, “कभी नहीं, कभी भी, अच्छी, अनिवार्य परेशानी में कुछ आवाज़ उठाने में डरना नहीं चाहिए l”

ल्युईस ने समय पर सीखा कि जो सही है उसे करना, सच्चाई में विश्वासयोग्य रहना, “अच्छी” परेशानी उत्पन्न करने की मांग करता है l उन्हें अलोकप्रिय बातें बोलने की ज़रूरत पड़ सकती है l आमोस भविष्यद्वक्ता भी यह जानता था l इस्राएल का पाप और अन्याय देखते हुए, वह चुप नहीं रह सका l आमोस ने निंदा किया कि “तुम धर्मी को सताते और घूस लेते, और फाटक में दरिद्रों का न्याय बिगाड़ते हो” जबकि “मनभावनी दाख की [बारियों]” के साथ “गढ़ें हुए पत्थरों” के घर बनाए हो (आमोस 5:11-12) l कलह से बाहर रहकर अपनी सुरक्षा और आराम बनाए रखने के बजाय, आमोस ने बुराई का नाम लिया l नबी ने अच्छी, अनिवार्य परेशानी उत्पन्न की l   

लेकिन इस मुसीबत का उद्देश्य सभी के लिए अच्छा करना था──सभी के लिए न्याय l “न्याय को नदी के समान, और धर्म को महानद के समान बहने दो” (पद.24) l जब हम अच्छी परेशानी(न्याय जिस धार्मिकता, अहिंसक परेशानी की मांग करता है), परिणाम हमेशा भलाई और चंगाई/स्वास्थ्य होता है l