बदला नहीं लेना
किसान अपने ट्रक में चढ़कर सुबह अपने फसल का निरीक्षण करने गया l जब वह अपनी सम्पत्ति के अंतिम छोर पर पहुँचा, उसका खून खौलने लगा l किसी ने उसके फार्म के एकान्तता का उपयोग──फिर से── अवैध रूप से अपना कूड़ा फेंकने के लिए किया था l
जब वह अपने ट्रक में बचे हुए भोजन के बैग्स भर रहा था, किसान को एक लिफाफा मिला l उसके ऊपर दोषी का पता अंकित था l यहाँ एक अवसर था जिसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता था l उस रात वह दोषी के घर तक अपना ट्रक लेकर गया और केवल उसका नहीं अपना कूड़ा भी वहां फेंक कर आया!
कुछ लोगों का कहना है, बदला लेना मीठा होता है, लेकिन क्या यह सही है? 1 शमूएल 24 में, दाऊद और उसके लोग हत्यारा राजा शाऊल से बचने के लिए एक गुफा में छिपे हुए थे l जब शाऊल भी उसी गुफा में शौच करने गया, तो दाऊद के लोगों ने देखा कि यह अवसर बदला लेने के लिए इतना अच्छा था कि इसे जाने नहीं दिया जाना चाहिए (पद.3-4) l लेकिन दाऊद इस इच्छा के विरुद्ध बदला लेना न चाहा l वह . . . कहने लगा, “यहोवा न करे कि मैं अपने प्रभु से जो यहोवा का अभिषिक्त है, ऐसा काम करूँ” (पद.6) l जब शाऊल को पता चला कि दाऊद ने उसके जीवन को बक्श दिया है, वह शक्की हो गया l “तू मुझ से अधिक धर्मी है,” वह चिल्लाया (पद.17-18) l
जब हम या हमारे प्रिय लोग अन्याय का सामना करते हैं, दोषी से बदला लेने के अवसर आ सकते हैं l क्या हम ऐसी इच्छा के सामने घुटने टेक देंगे, जैसा कि उस किसान ने किया या दाऊद की तरह उसके विरुद्ध जाएंगे? क्या हम बदला लेने के स्थान पर धार्मिकता का चुनाव करेंगे?
आंधी में होकर सुरक्षित
1830 में स्कॉटिश मिशनरी एलेग्जेंडर डफ की भारत की पहली यात्रा के दौरान, उनका जहाज़ दक्षिण अफ्रीका के तट से दूर एक तूफ़ान से टूट गया l वह और उसके सह यात्री किसी प्रकार एक विरान द्वीप पर अपनी जान बचायी; और कुछ समय बाद जहाज़ के एक कर्मी को डफ की बाइबल मिली जो बहती हुई तट पर आ गई थी l जब वह पुस्तक सूख गई, डफ ने बचे हुए लोगों के समक्ष भजन 107 पढ़ा, और उनको साहस मिला l आखिरकार, बचाए जाने के बाद और एक और बार जहाज़ के नष्ट होने के बाद, डफ भारत पहुँचे l
भजन 107 कुछ एक तरीके बताता है जिससे परमेश्वर ने इस्राएलियों को छुड़ाया था l इसमें शक नहीं कि डफ और उसके सहयात्रियों ने वचन का समर्थन किया और उसमें शांति प्राप्त की : “वह आंधी को शांत कर देता है और तरंगें बैठ जाती हैं l तब वे उनके बैठने से आनंदित होते हैं, और वह उनकी मन चाहे बंदरगाह में पहुँचा देता है” (पद.29-30) l और, इस्राएलियों के समान, उन्होंने भी “यहोवा की करुणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिए करता है, उसका धन्यवाद (किया)” (पद.31) l
हम नया नियम (मत्ती 8:23-27); मरकुस 4:35-41) में भजन 107:28-30 का सामानांतर देखते हैं l यीशु और उसके शिष्य झील पर एक नाव में थे जब एक प्रचंड आंधी आयी l उसके शिष्य भय में पुकार उठे, और यीशु──देह में परमेश्वर──ने झील को शांत कर दिया l हम साहस न छोड़ें! हमारा सामर्थी परमेश्वर और उद्धारकर्ता हमारी पुकार सुनता और प्रत्युत्तर देता है और हमारे तूफानों के बीच हमें शांति देता है l
कोलाहल में शांति
पठाखों जैसी किसी आवाज़ ने जोन को नींद से जगा किया l कांच बिखर गया l इस बात के लिए इच्छुक कि वह अकेले नहीं होती, वह यह देखने के लिए उठी कि क्या हो रहा था l अँधेरी सड़कें खाली थीं और उसका घर भी ठीक-ठाक लग रहा था──तब उसने टूटे हुए दर्पण को देखा l
जांचकर्ताओं को गैस लाइन से आधा इंच दूर एक गोली मिली l यदि वह लाइन से टकराता, तो संभवतः वह जीवित बच नहीं पाती l बाद में उन्होंने पाया कि वह पास के अपार्टमेंट्स से आवारा गोली थी, लेकिन अब, जोन घर में रहने में डर रही थी l उसने शांति के लिए प्रार्थना की, और एक बार जब कांच साफ़ कर दिया, उसका मन शांत हो गया l
भजन 121 हमें मुसीबत के समय में परमेश्वर की ओर देखने के लिए एक चेतावनी है l यहाँ हम देखते हैं कि हमें शांति और निश्चिन्तता मिलती है क्योंकि हमारी “सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है” (पद.2) l परमेश्वर जिसने सृष्टि की रचना की हमारी मदद करता है और हमारी देखभाल करता है (पद.3)──हमारे सोने के समय भी──लेकिन वह कभी नहीं सोता है (पद.4) l वह तो दिन और रात को हमारी देखभाल करता है (पद.6), “अब से लेकर सदा तक” (पद.8) l
चाहे जिस तरह की स्थिति में हम अपने को पाते हैं, परमेश्वर देखता है l और वह हमारे लिए इंतज़ार करता है कि हम उसकी ओर मुड़ें l जब हम मुड़ते हैं, शायद हमारी स्थिति हमेशा बदलेगी नहीं, लेकिन उसने इन सब के बीच शांति देने का वादा किया है l
याद करें और उत्सव मनाएँ
6 दिसम्बर 1907 को, अमेरिकी राज्य वेस्ट वर्जिनिया में विस्फोटों ने एक छोटे समुदाय को हिलाकर रख दिया, जो कोयला-खनन उद्योग के इतिहास में सबसे खराब आपदाओं में से एक था l कुछ 360 खनिक मारे गए, और यह अनुमान लगाया गया कि इस भीषण त्रासदी ने लगभग 250 विधवाओं और 1000 बच्चों को बिना पिता के पीछे छोड़ दिया l इतिहासकार बताते हैं कि स्मारक सभा विकास का अनुकूल सेवा स्थान बन गया, जिसमें से अमेरिका में फादर्स डे का उत्सव अंततः आरम्भ होनेवाला था l बड़े नुक्सान में से स्मृति निकली और── आखिरकार──उत्सव l
मानव इतहास में सबसे बड़ी त्रासदी तब हुई जब मानव ने अपने सृष्टिकर्ता को क्रूस पर चढ़ाया l फिर भी, उस अँधेरे क्षण ने स्मृति और उत्सव दोनों को उत्पन्न किया l जिस रात वह क्रूस पर चढ़नेवाला था, उससे पहले वाली रात में, यीशु ने इस्राएल के फसह के तत्वों को लिया और अपना स्वयं का स्मारक उत्सव बनाया l लूका का आलेख इस तरह से दृश्य का वर्णन है : “फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, ‘यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए दी जाती है : मेरे स्मरण के लिए यही किया करो’” (22:19) l
आज भी, जब भी हम प्रभु भोज लेते हैं, हम हमारे लिए उसके महान, असीम प्रेम का आदर करते हैं──हमारे बचाव की लागत को याद करते हैं और जीवन के उपहार का जश्न मनाते हैं जो उसके बलिदान ने उत्पन्न किया l जैसा कि चार्ल्स वेस्ली ने अपने महान भजन में कहा, “अद्भुत प्रेम! संभव कैसे कि तू, मेरा परमेश्वर, मेरे लिए मर जाए?”