मौसम का लाभ उठाना
छोटे रूप में अंधकार का मुकाबला करने के लिए कृतसंकल्प, लीसा ने एक बड़े कद्दू पर परमानेंट मार्कर से उन बातों को लिखना आरम्भ किया जिसके लिए वह धन्यवादी थी l “धूप(sunshine)” पहला विषय था l जल्द ही आगंतुक उसकी सूची में जोड़ना शुरू कर दिए l कुछ एक प्रविष्ठियाँ मनमौजी थीं : उदाहरण के लिए अर्थहीन अंकन(doodling) l दूसरे व्यवहारिक थे : “एक गर्म घर”; “एक चलती कार l” और भी लोग मर्मस्पर्शी थे, जैसे कि एक प्रिय दिवंगत का नाम l धन्यवाद की एक श्रृंखला धीरे-धीरे उस कद्दू के चारों-ओर पहुँचने लगे l
भजन 104 उन वस्तुओं के लिए प्रशंसा की एक सूची प्रस्तुत करता है जिसे हम अक्सर नज़रंदाज़ कर देते हैं l “[परमेश्वर] नालों में सोतों को बहाता है,” लेखक कहता है (पद.10) l “तू पशुओं के लिए घास, और मनुष्यों के काम के लिए अन्न आदि उपजाता है” (पद.14) l रात को भी अच्छा और उपयुक्त देखा गया है l “तू अंधकार करता है, तब रात हो जाती है; जिस में वन के सब जीव-जन्तु धूमते फिरते हैं” (पद.20) l लेकिन उसके बाद, “सूर्य उदय [होता है] . . . तब मनुष्य अपने काम के लिए और संध्या तक परिश्रम करने के लिए निकालता है” (पद.22-23) l इन सब बातों के लिए, भजनकार अंत में लिखता है, “मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूँगा” (पद.33) l
ऐसे संसार में जो मृत्यु के साथ निपटना नहीं जानता, हमारे सृष्टिकर्ता की छोटी से छोटी प्रशंसा की पेशकश भी आशा का चमकदार निरूपण हो सकता है l
एक नई बुलाहट
किशोर गिरोह का नेता केसी और उसके समर्थकों ने घरों और कारों में तोड़-फोड़ की, सुविधा भण्डार लूट लिए और अन्य गिरोह से लड़ाई की l आख़िरकार, केसी को गिरफ्तार किया गया और सजा सुनाई गयी l जेल में, वह “शॉट कॉलर(Shot Caller-बॉस)” बन गया, व्यक्ति जिसने दंगों के दौरान घर के बने हुए चाक़ू बांटे l
कुछ समय बाद, उसे एकांत कारावास में रखा गया l अपने कक्ष में, केसी ने एक “चलचित्र” का अनुभव किया जिसमें उसने अपने जीवन की क्रमबद्ध घटनाओं की पुनरावृत्ति देखी──और यीशु को देखा, जिसमें उसे ले जाया जा रहा है और क्रूस पर किलों से ठोंका जा रहा है और वह कह रहा था, “मैं यह तुम्हारे लिए कर रहा हूँ l” केसी रोते हुए फर्श पर गिर गया और अपने पापों को स्वीकार किया l बाद में, उसने एक पास्टर के साथ अपने अनुभव को साझा किया, जिसने यीशु के बारे में और समझाया और उसे एक बाइबल दी l “यह मेरे विश्वास की यात्रा की शुरुआत थी,” केसी ने कहा l आख़िरकार, उन्हें मेनलाइन कैदखाने में डाल दिया गया, जहाँ कैदी स्वतंत्रता से एक दूसरे से मिल सकते थे, जहाँ उसके विश्वास के लिए उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया l लेकिन उसने शांति महसूस की, क्योंकि “[उसने] एक पवित्र बुलाहट प्राप्त की थी : दूसरे कैदियों को यीशु के विषय बताता था l”
तीमुथियुस को लिखे अपने पत्र में, प्रेरित पौलुस जीवन को बदलने की मसीह की सामर्थ्य के विषय बात करता है l परमेश्वर हमें दुराचार के जीवन से निकालकर यीशु का अनुसरण करने और उसकी सेवा करने के लिए बुलाता है (2 तीमुथियुस 1:9) l जब हम विश्वास से उसे स्वीकार करते हैं, हम मसीह के प्रेम के जीवित गवाह बनने की अभिलाषा करते हैं l पवित्र आत्मा हमें ऐसा करने के लिए सक्षम बनाता है, उस समय भी जब सुसमाचार साझा करने के अपने प्रयास में हम पीड़ा सहते हैं (पद.8) l केसी के समान , आइये हम अपनी नई बुलाहट के अनुकूल जीएँ l
परमेश्वर आपके लिए गाता है
हमारे पहले बच्चे──एक लड़का──के जन्म के सत्रह महीने बाद, एक लड़की पैदा हुई l मैं एक लड़की का विचार करके अत्यधिक आनंदित हुआ, लेकिन मैं थोड़ा असहज भी था, क्योंकि जब मैं छोटे लड़कों के बारे में कुछ बातें जानता था, मैं बेटियों के सम्बन्ध में अनजान था l हमने उसका नाम सारा (Sarah) रखा, और उसको हिला-डुला कर सुलाना मेरा सौभाग्य था ताकि मेरी पत्नी आराम कर सके l मुझे नहीं मालूम क्यों, लेकिन मैंने उसे गाना गाकर सुलाना शुरू किया, और गाने का चुनाव था “यू आर माई सनशाइन l” चाहे उसे अपनी बाहों में थामे हुए या उसके पालने के ऊपर झुके हुए, मैं पूरी तरह से उसके लिए गाता था, और गाने के हर क्षण का आनंद लेता था l अब वह 20 वें वर्ष में है, और मैं अभी भी उसे सनशाइन(Sunshine) बुलाता हूँ l
हम आमतौर पर स्वर्गदूतों के गाने के बारे में सोचते हैं l लेकिन आखिरी बार आपने परमेश्वर के गायन के बारे में कब सोचा था? सही है──परमेश्वर का गायन l और इसके अलावा, आखिरी बार आपने उसको आपके लिए कब गाते सुना है? सपन्याह यरूशलेम के लिए अपने सन्देश में स्पष्ट है, “तेरा परमेश्वर यहोवा” तेरे कारण आनंद से मगन होगा, यहाँ तक कि वह “ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा” (3:17) l यद्यपि यह संदेश सीधे तौर पर यरूशलेम से बात करता है, यह संभव है कि परमेश्वर हमारे लिए भी गाता है──जिन्होंने यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण किया है! कौन सा गीत वह गाता है? पवित्रशास्त्र इसके सम्बन्ध में स्पष्ट नहीं है l लेकिन वह गीत उसके प्रेम से उत्पन्न हुआ है, इसलिए हम भरोसा कर सकते हैं कि यह सच्चा है और उत्कृष्ट है और सही है और पवित्र है और खूबसूरत है और प्रशंसनीय है (फिलिप्पियों 4:8) l
क्या परमेश्वर सुन रहा है?
जब मैंने अपने चर्च की मंडलीय देखभाल टीम में सेवा की, तो मेरा एक कर्तव्य सेवाओं के दौरान पेंसिल से लिखी बेंच कार्ड्स पर दिए गए अनुरोधों पर प्रार्थना करना था l एक आंटी के स्वास्थ्य के लिए l एक जोड़े के वित्त के लिए l एक पुत्र की ईश्वर की खोज के लिए l शायद ही मैंने इन प्रार्थनाओं के परिणाम सुने l अधिकाँश अनाम थे, और मेरे पास यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि परमेश्वर ने कैसे प्रतियुतर दी l मैं स्वीकार करता हूँ कि कई बार मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या वह वास्तव में सुन रहा था? क्या मेरी प्रार्थनाओं के परिणामस्वरूप कुछ हो रहा था?
हमारे जीवनकाल में, हम में से अधिकांश सवाल करते हैं, “क्या परमेश्वर मेरी सुनता है?” मुझे एक बच्चे के लिए अपनी हन्ना जैसी अनुनय याद है जो सालों तक अनुत्तरित रही l और मेरी दलीलें थीं कि मेरे पिता विश्वास किये, फिर भी बिना किसी स्पष्ट अंगीकार के उनकी मृत्यु हो गयी l
सहस्त्राब्दियों में सर्वत्र असंख्य उदाहरण अंकित है कि परमेश्वर के कान सुनने के लिए झुके रहे : दासत्व में इस्राएलियों की कराहना सुनी (निर्गमन 2:24); सीनै पर्वत पर मूसा की सुनी (व्यवस्थाविवरण 9:19); गिलगाल में यहोशू की सुनी (यहोशु 10:14); संतान के लिए हन्ना की प्रार्थना सुनी (1 शमूएल 1:10-17); शाऊल से बचाव के लिए दाऊद की पुकार सुनी (2 शमूएल 22:7) l
पहला यूहन्ना 5:14 उत्कर्ष है, “यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो वह हमारी सुनता है l” शब्द “सुनता है” का मतलब ध्यान देना है और सुना गया है के आधार पर प्रत्युत्तर देना है l
जब हम आज परमेश्वर के पास जाते हैं, हमें उसके सुनने के कान का भरोसा हो जो उसके लोगों के इतिहास में सर्वत्र पाया जाता है l