सेवा करने के लिए जीवित
दस वर्षीय चेल्सिया को एक बड़ा कला सेट मिलने के बाद, उसने महसूस किया कि जब वह दुखी होती थी तो परमेश्वर उसे बेहतर एहसास करने में मदद करने के लिए कला का उपयोग करता था l जब उसने जाना कि कुछ बच्चों के पास कला सामग्री सरलता से उपलब्ध नहीं है, उसने उनकी मदद करना चाहा l तो जब उसके जन्मदिन की पार्टी का समय आया, उसने अपने मित्रों से उसके लिए उपहार लाने के लिए मना किया l इसके बदले में, उसने उन्हें आवश्यकतामंद बच्चों की मदद करने के लिए कला सामग्री दान करने और डिब्बे बनाने के लिए आमंत्रित किया l
बाद में, उसने अपने परिवार की मदद से, चेल्सिया चैरिटी(Chelsea Charity) आरम्भ किया l उसने और लोगों से डिब्बे बनाने के लिए माँगना शुरू किया ताकि और बच्चों की मदद की जा सके l उसने समूहों को कला टिप्स भी दिये जिन्होंने उसके डिब्बे प्राप्त किये थे l एक स्थानीय अखबार द्वारा चेल्सिया का इंटरव्यू लेने के बाद, पूरी देश से लोग सामग्री दान करना आरम्भ के दिए l जबकि चेल्सिया चैरिटी अंतर्राष्ट्रीय रूप से निरंतर कला सामग्री भेजती रही है, यह युवा लड़की दर्शा रही है कि कैसे परमेश्वर हमें उपयोग कर सकता है जब हम दूसरों की सेवा करने के लिए जीने की इच्छा रखते हैं l
चेल्सिया की साझा करने की भावना/दया और इच्छा एक विश्वासयोग्य भंडारी का हृदय प्रतिबिंबित करता है l प्रेरित पतरस यीशु में सभी विश्वासियों को विश्वासयोग्य भंडारी बनने के लिए उत्साहित करता है जब वे परमेश्वर द्वारा उनको दिए गए संसाधन और वरदान को साझा करने के द्वारा “एक दूसरे से अधिक प्रेम [रखते हैं]” (1 पतरस 4:8-11) l
हमारे प्रेम के छोटे कार्य दूसरों को हमारे साथ मिलकर देने के लिए प्रेरित करते हैं l परमेश्वर हमारे साथ-साथ मिलकर सहायता देनेवालों का संगठन/जमघट तैयार कर सकता है l जब हम परमेश्वर पर निर्भर होते हैं, हम सेवा करने के लिए जीवित रहते हैं और परमेश्वर को वह महिमा दे सकते हैं जिसके वह योग्य है l
पवित्रशास्त्र का अध्ययन करना
जे. आई. पैकर (1926-2020), ने अपने उत्कृष्ट पुस्तक नोईंग गॉड(Knowing God) में, मसीह में चार प्रसिद्ध विश्वासियों के विषय बताया, जिन्हें उन्होंने “बाइबल के लिए उदबिलाव (beavers for the Bible)” संबोधित किया l “सभी प्रशिक्षित विद्वान नहीं थे, लेकिन जैसे एक उदबिलाव एक पेड़ को कुतर कर उसमें घुस जाता है, वैसे ही हर एक पवित्रशास्त्र को खा कर परमेश्वर को जानने के लिए बड़ी सावधानी बरतते थे l पैकर ने आगे ध्यान दिया कि बाइबल अध्ययन के द्वारा परमेश्वर को जानना केवल विद्वानों के लिए नहीं है l “एक साधारण बाइबल पढ़ने वाला और उपदेश सुनने वाला जो पवित्र आत्मा से भरा हुआ है एक अधिक दक्ष विद्वान जो धर्मवैज्ञानिक रूप से सही होने से संतुष्ट है की तुलना में अपने परमेश्वर और उद्धारकर्ता के साथ कहीं अधिक गहरा जान-पहचान बना लेगा l
दुर्भाग्यवश, बाइबल का अध्ययन करनेवाले सभी लोग विनम्र दिलों के साथ उद्धारकर्ता को बेहतर तरीके से जानने और उसके समान बनने के लक्ष्य के साथ ऐसा नहीं करते हैं l यीशु के काल में पुराने नियम के ग्रंथों को पढ़ने वाले लोग थे, फिर भी पवित्रशास्त्र जिस एक व्यक्ति के बारे में कहता था उससे वे चूक गए l “तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनंत जीवन तुम्हें मिलाता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिए मेरे पास आना नहीं चाहते” (यूहन्ना 5:39-40) l
क्या आप कभी-कभी बाइबल पढ़ते हुए खुद को ठगा हुआ पाते हैं? या क्या आपने शास्त्रों का पूरी तरह से अध्ययन करना छोड़ दिया है? बाइबल के “उदबिलाव” बाइबल पाठकों से अधिक हैं l वे प्रार्थना और ध्यान से पवित्रशास्त्र को उन तरीकों से पढ़ते हैं जो यीशु को देखने और उससे प्यार करने के लिए उनकी आँखें और दिल खोलते हैं──जो इसमें प्रकट हुआ है l
भीतर से चूर-चूर
जब मैं किशोर था, मेरी माँ ने हमारे बैठक की दीवार पर एक भित्ति-चित्र(mural) पेंट किया, जो कई वर्षों तक वहाँ रहा l इसमें प्राचीन यूनानी दृश्य दर्शाया गया था जिसमें एक खंडहर मंदिर के किनारे पड़े हुए सफ़ेद स्तम्भ, एक ढहता हुआ फव्वारा और एक टूटी हुई मूर्ती थी l जब मैंने उस हेलेनिस्टिक वास्तुकला(सिकंदर महान के बाद की वास्तुकला) को देखा जो कभी बड़ी सुन्दर लगती थी, मैंने कल्पना करने की कोशिश की कि यह कैसे नष्ट हुआ था l मैं उत्सुक थी, खासकर जब मैंने सभ्यताओं की त्रासदी के बारे में अध्ययन करना शुरू किया, जो कभी महान और उन्नतशील थे, जो अन्दर से बिगड़कर और चूर-चूर हो गए थे l
आज हम अपने आस-पास जो अधर्मी भ्रष्टता और प्रचंड विनाश देख रहे हैं वह परेशान करनेवाला हो सकता है l हमारे लिए यह स्वाभाविक है कि हम उन लोगों और राष्ट्रों की ओर इशारा करके समझाने का प्रयास करें जिन्होंने ईश्वर को अविकार किया है l लेकिन क्या हमें अपनी निगाहें अपने अन्दर भी नहीं करना चाहिए? पवित्रशास्त्र हमें पाखंडी होने के बारे में चेतावनी देता है, जब हम अपने हृदयों के अन्दर गहराई से न देखते हुए दूसरों को उनके पापी तरीकों से मुड़ने के लिए कहते हैं (मत्ती 7:1-5) l
भजन 32 हमें अपने पाप देखने और अंगीकार करने की चुनौती देता है l यह केवल तभी संभव है जब हम अपने व्यक्तिगत पाप को पहचानते और स्वीकार करते हैं कि हम अपराध से मुक्ति और सच्चे पश्चाताप की ख़ुशी का अनुभव कर सकते हैं (पद.1-5) l और जैसे कि हम यह जानकार खुश होते हैं कि परमेश्वर हमें पूर्ण क्षमा प्रदान करता है, हम उस आशा को दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं जो भी पाप से जूझ रहे हैं l
त्याग कब किया जाए
फरवरी 2020 में, जब कोविड-19 संकट शुरू ही हो रहा था, एक अखबार के स्तम्ब लेखक की चिंता ने मुझे प्रभावित किया l क्या हम स्वेचछा से खुद को अलग रखेंगे, उसने सोचा, अपने काम, यात्रा, और खरीदारी की आदतों को बदलेंगे ताकि दूसरे बीमार नहीं होंगे? “यह केवल कोई क्लिनिकल(clinical) संसाधन का एक जांच नहीं है,” उसने लिखा, “लेकिन दूसरों के लिए खुद को अलग करने की हमारी तत्परता l” अचानक, सदाचार की आवश्यकता प्रथम पृष्ठ की खबर बन गई l
जबकि हम अपनी आवश्यकता के विषय चिंतित हैं दूसरों की आवश्यकता पर विचार करना कठिन हो सकता है l शुक्र है, हमारे पास आवश्यकता पूरा करने के लिए केवल इच्छाशक्ति नहीं है l हम पवित्र आत्मा से उदासीनता की जगह प्रेम, दुःख का मुकाबला करने के लिए आनंद, हमारी चिंता की जगह शांति, हमारे आवेग को दूर करने के लिए सहनशीलता(धीरज), दूसरो की देखभाल करने के लिए दया, उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भलाई, अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए विश्वासयोग्यता, कठोरता की जगह नम्रता, आत्म-केन्द्रितता से परे संयम देने के लिए कहें (गलातियों 5:22-23) l जबकि हम इन सारी बातों में सिद्ध नहीं होंगे, हमें निरंतर आत्मा का वरदान सद्गुण को तलाशने को बुलाया गया है (इफिसियों 5:18) l
एक लिखक ने एक बार पवित्रता का वर्णन जो आवश्यक है उसे करना है जब उसे करने की ज़रूरत है की क्षमता के रूप में किया है l और इस प्रकार की पवित्रता प्रतिदिन आवश्यक है, केवल किसी महामारी में नहीं l क्या दूसरों के लिए त्याग करने की क्षमता हममें है? पवित्र आत्मा जिसे करने की ज़रूरत है उसे करने की सामर्थ्य से हमें भर दे l