परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि
एक साधारण ग्रीष्मकालीन प्रकृति की सैर के रूप में जो कुछ शुरू हुआ वह हम दोनों पति-पत्नी के लिए कुछ विशेष बन गया जब हम अपने गृह नगर की नदी के किनारे लम्बी दूरी तक पैदल चले । हमने छोटी-छोटी लहरों में एक लम्बे लट्ठे पर कुछ परिचित “मित्र” देखे──पांच या छः बड़े कछुए जो धूप सेंक रहे थे । हम दोनों इन रेंगनेवाले जंतुओं के अद्भुत दृश्य देखकर मुस्कुराए, जिन्हें हम कई महीनों से नहीं देखे थे । हम खुश थे कि हम लौटे थे, और हम परमेश्वर की भव्य सृष्टि में आनंद के एक क्षण का उत्सव मना पाए ।
परमेश्वर ने अय्यूब को एक बढ़िया प्रकृति सैर पर ले गया (अय्यूब 38 देखें । उस परेशान व्यक्ति को अपनी स्थिति के सम्बन्ध में परमेश्वर से एक उत्तर चाहिए था (पद.1) । और उसने परमेश्वर की सृष्टि के द्वारा उसके साथ अपनी यात्रा पर जो कुछ देखा उससे उसकी ज़रूरत के अनुसार प्रोत्साहन मिल गया ।
अय्यूब के आश्चर्य की कल्पना कीजिये जब परमेश्वर ने उसे अपने संसार की शानदार अभिकल्पना की याद दिलायी । अय्यूब को प्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक संसार का विवरण मिला : “उसकी नींव कौन सी वस्तु पर रखी गयी──जब कि भोर के तारे एक संग आनंद से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?” उसे परमेश्वर द्वारा समुद्रों की सीमाएँ निर्धारित करने के बारे में एक भूगोल पाठ मिला (पद.11) ।
सृष्टिकर्ता ने अय्यूब को निरंतर उसके द्वारा बनाया गया प्रकाश, हिम जो वह बनाता है, और वह वर्षा जिसका प्रबंध वह चीजों के उगने और बढ़ने के लिए करता है की सूचना दी (पद.19-28) । अय्यूब ने नक्षत्रों के विषय भी सुना जिसने उन्हें अन्तरिक्ष में छितराया था (पद.31-32) ।
अंततः, अय्यूब ने प्रत्युत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है” (42:2) । जब हम प्राकृतिक संसार का अनुभव करते हैं हम अपने बुद्धिमान और अद्भुत सृष्टिकर्ता के आदर में खड़े हों ।
सुसमाचार
1941 में, जब पूरे यूरोप में हिटलर के शासन का विस्तार हो रहा था, उपन्यासकार जॉन स्टाइनबैक(एक अमरीकी लेखक) को युद्ध के प्रयासों में सहायता करने के लिए कहा गया । उसे अग्रिम पंक्ति पर लड़ने या सैनिकों से मिलने के लिए नहीं कहा गया था, बल्कि एक कहानी लिखने के लिए कहा गया । परिणाम द मून इज़ डाउन(The Moon Is Down), एक शांतिमय भूमि के बारे में एक उपन्यास है जिसपर एक दुष्ट शासक आक्रमण करता है । भूमिगत प्रेस पर मुद्रित और गुप्त रूप से पूरे कब्जे वाले देशों में वितरित किये गए, उपन्यास ने एक सन्देश भेजा : मित्र राष्ट्र आ रह थे, और उपन्यास के पात्रों की नक़ल करके पाठक अपनी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते थे । द मून इज़ डाउन(The Moon Is Down) के द्वारा, इस लेखक ने जर्मन शासन के तहत लोगों के लिए खुशखबरी लायी──उनकी आज़ादी निकट थी ।
इस कहानी के पात्रों की तरह, पहली शताब्दी में यहूदी लोग क्रूर रोमन शासन के कब्जे में थे । लेकिन सदियों पहले, ईश्वर ने उन्हें मुक्त करने और दुनिया में शांति लाने के लिए एक सहयोगी भेजने का वादा किया था (यशायाह 11) । आनंद तब भड़क उठा जब वह सहयोगी आया! पौलुस कहता है, “हम तुम्हें उस प्रतिज्ञा के विषय में जो बापदादों से की गयी थी, यह सुसमाचार सुनाते हैं, कि परमेश्वर ने यीशु को जिलाकर, वही प्रतिज्ञा हमारी संतान के लिए पूरी की” (प्रेरितों 13:32-33) । यीशु के पुनरुथान और क्षमा की पेशकश के द्वारा, संसार में बहाली शुरू हो गयी थी (पद.38-39; रोमियों 8:21) ।
तब से, यह कहानी संसार भर में फैल गयी है, जिसे जहाँ भी अपनाया गया शांति और स्वतंत्रता लेकर लाती है । यीशु को मरे हुओं में से जिलाया गया है । पाप और बुराई से हमारा छुटकारा शुरू हो गया है । उसी में हम स्वतंत्र हैं!
आप अकेले नहीं हैं
“आपको देखकर बहुत ख़ुशी हुई !” “आपको, भी!” “बहुत ख़ुशी है कि आप यहाँ हैं!” शुभकामनाएँ गर्मजोशी और स्वागत के थे । एक दूसरे शहर की एक सेवाकाई के सदस्य अपने शाम के कार्यक्रम से पहले ऑनलाइन एकत्र हुए । उनके वक्ता के रूप में, मुझे बुलाते हुए, मैं चुपचाप देखता रहा, जब बाकी लोग वीडियो कॉल पर इकट्ठे होने लगे । एक अंतर्मुझी के रूप में और किसी को नहीं जानने के कारण, मैंने एक सामाजिक रूप से बाहरी व्यक्ति की तरह महसूस किया । फिर अचानक, एक स्क्रीन खुला और वहां मेरे पास्टर थे । फिर एक और स्क्रीन खुला । लम्बे समय से एक चर्च मित्र भी कॉल में शामिल हो रहे थे । उन्हें देखकर, मुझे अब अकेला महसूस नहीं हुआ । ऐसा लगता था, परमेश्वर, समर्थन भेजा था ।
इज़ेबेल और अहाब के प्रकोप से बचकर निकलने के बाद “अकेला [नबी] रह गया है” के जैसा अनुभव करने के बावजूद एलिय्याह अकेला नहीं था (1 राजा 19:10) । मरुभूमि के बियाबान में चालीस दिन और चालीस रात तक यात्रा करने के बाद, एलिय्याह होरेब पर्वत पर एक गुफा में छिप गया । लेकिन परमेश्वर ने उसे सेवा में वापस बुलाकर उससे कहा, “लौटकर दमिश्क के जंगल को जा, और वहां पहुँचकर अराम का राजा होने के लिए हजाएल का और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिए आबेलमहोला के शापात के पुत्र एलिशा का अभिषेक करना” (पद.15-16) ।
परमेश्वर ने उसके बाद आश्वस्त किया, “तौभी मैं सात हज़ार इस्राएलियों को बचा रखूँगा । ये तो वे सब हैं, जिन्होंने न तो बाल के आगे घुटने टेके, और न मुँह से उसे चूमा है” (पद.18) । जैसा कि एलिय्याह ने सीखा, परमेश्वर की सेवा करते समय हम अकेले सेवा नहीं करते हैं । जब परमेश्वर सहायता पहुंचाता है, हम मिलकर सेवा करते हैं ।
यीशु का एक सच्चा शिष्य
जब एक कला संग्राहक ने अपनी वैन गोग चित्रकारी (एक प्रसिद्ध पाश्चात्य चित्रकार) एक कला विशेषज्ञ को दिखाया, विशेषज्ञ ने उस पर एक नज़र डाली और कहा कि यह असली नहीं है । संग्राहक ने उसके बाद उस चित्रकारी को अपनी अटारी में छिपा दिया, जहाँ वह पचास वर्षों तक रखा रहा । उसकी मृत्यु के बाद, और अगले चार दशकों तक उस चित्रकारी का रह रह कर मूल्यांकन होता रहा । हर बार यह पक्का किया गया कि वह नकली था──2012 तक, जब तक कि एक विशेषज्ञ ने चित्रकारी फलक(canvas) के धागा विभाजन(thread separation) को गिनने के लिए कंप्यूटर का उपयोग नहीं किया । उसने पता लगाया कि यह एक ही कैनवास से वैन गोग के एक और चित्रकारी के रूप में काटा गया था । कला संग्राहक के पास वैन गोग का असली चित्रकारी था ।
क्या आप नकली की तरह अनुभव करते हैं? क्या आप डरते हैं कि यदि लोग आपको जाचेंगे, वह जान जाएंगे कि आप कितना कम प्रार्थना करते हैं, कितना कम देते हैं, और कितना कम सेवा करते हैं? क्या आप ताँक-झाँक करनेवाली आँखों से दूर, अटारी में छिपने के लिए प्रलोभित हैं?
अपने जीवन की रूप-रेखा, और रंग के नीचे, गहराई में देखें । यदि आप अपने मार्गों से मुड़ गए हैं और यीशु में विश्वास किये हैं, तब आप और वह एक ही कैनवास के हिस्से हैं । यीशु की तस्वीर का उपयोग करने पर, “मैं दाखलता हूँ : तुम डालियाँ हो” (यूहन्ना 15:5) । यीशु और आप सीवनहीन संपूर्णता बनते हैं ।
यीशु में विश्राम करना आपको उसका सच्चा शिष्य बनाता है । यह अपनी तस्वीर को सुधारने का भी केवल एक तरीका है । उसने कहा, “जो मुझे में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते” (पद.5) ।