Month: अप्रैल 2022

वास्तव में जीवित

क्योंकि यह ईस्टर के बाद का सप्ताह था, हमारे पाँच वर्षीय बेटे ने पुनरुत्थान के बारे में बहुत सारी बातें सुनी थीं l उसके पास हमेशा प्रश्न होते थे─आमतौर पर वास्तविक रूप से चकरा देने वाले l मैं गाड़ी चला रहा था और वह मेरे पीछे वाली सीट पर सीटबेल्ट से बंधा हुआ था l वह खिड़की से झांकता हुआ, गंभीर विचारों में था l “डैडी,” उसने कहा, और ठहरकर एक कठिन सवाल पूछने के लिए तैयारी करने लगा l “जब यीशु हमें फिर से जीवन देंगे, क्या हम वास्तव में जीवित होंगे─या केवल हम हमारे दिमाग में जीवित होंगे?” 

यही वह प्रश्न है जिसे हम में से बहुत से लोग लिए चलते हैं, चाहे हम इसे जोर से बोलने की साहस रखते हों या नहीं? क्या परमेश्वर हमें सच में चंगा कर देगा? क्या वह हमें वास्तव में मुर्दों में से जिंदा करेगा? क्या वह अपने सारे वायदे पूरे करेगा?

प्रेरित यूहन्ना हमारे निश्चित भविष्य का “नए आकाश और नयी पृथ्वी” के रूप में वर्णन करता है (प्रकाशितवाक्य 21:1) l उस पवित्र नगर में, “परमेश्वर आप [हमारे] साथ रहेगा और [हमारा] परमेश्वर होगा” (पद.3) l मसीह की जीत के कारण, हमारे लिए एक भविष्य की प्रतिज्ञा दी गयी है जहां अब आँसू नहीं है, परमेश्वर और उसके लोगों के विरुद्ध बुराई की कोई व्यूहरचना नहीं होगी l इस अच्छे भविष्य में, “मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बाते जाती रहीं” (पद.4) l 

अर्थात्, उस भविष्य में जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्वर करता है, हम वास्तव में जीवित होंगे l हम इतने जीवित होंगे कि वर्तमान का हमारा जीवन मात्र एक छाया की तरह लगेगा l

प्रेम जोखिम के लायक है

जब मेरे एक मित्र ने हमारी दस साल पुरानी दोस्ती बिना कोई कारण बताएं तोड़ दी, तो मैं लोगों से दूरी बनाने की अपनी पुरानी आदत में पुनः लौट गया l अपने दुख से संघर्ष करते हुए, मैंने अपनी अलमारी से सी.एस.लिउईस की लिखी किताब द फोर लव्ज़(The Four Loves) निकाली l लिउईस ध्यान देता है कि प्रेम अतिसंवेदनशीलता की मांग करता है l वह कहता है कि जब कोई प्रेम करने का जोखिम उठाता है तो “कोई सुरक्षित निवेश नहीं” होता है l वह सलाह देता है कि “किसी चीज़ से” प्रेम करने का “[भावी परिणाम] हृदय का अत्यधिक दुखित होना/निचोड़ा जाना और संभवतः टूटना है l” उन शब्दों को पढ़ने से उस वृतांत को पढ़ने का मेरा दृष्टिकोण बदल गया कि किस प्रकार पतरस का यीशु का एक बार नहीं बल्कि तीन बार इनकार करने के बाद, यीशु अपने पुनरुत्थान के बाद अपने शिष्यों के समक्ष एक बार नहीं बल्कि तीन बार प्रकट होता है (यूहन्ना 21:1-14) l

यीशु ने कहा “हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझसे प्रेम रखता है?” (21:15)।

धोखा और अस्वीकृति के डंक के अनुभव के बाद, यीशु ने पतरस से भय के जगह साहस, निर्बलता की जगह सामर्थ्य, निराशा की जगह निःस्वार्थता से बात की l अपने प्रेम करने की इच्छा की पुष्टि के द्वारा उसने क्रोध की जगह करुणा को प्रदर्शित किया।

पवित्रशास्त्र प्रगट करता कि पतरस आहत हुआ क्योंकि यीशु ने उससे तीसरी बार पूछा, “क्या तू मुझसे प्रीति रखता है?” (पद.17) l लेकिन जब यीशु ने पतरस से दूसरों से प्रेम(पद. 15-17)   एवं उसका अनुसरण करके (पद.19) अपना प्रेम प्रमाणित करने को कहा, तो उसने अपने सभी शिष्यों से बिना किसी शर्त के प्रेम का जोखिम उठाने को आमंत्रित किया l हममें से प्रत्येक को उत्तर देना होगा जब यीशु पूछेगा, “क्या तुम मुझसे प्रीति रखते हो?” हमारा उत्तर असर डालेगा कि हम दूसरों से किस तरह प्रेम करते हैं l

आओ आराधना करें

जब उन्होंने बहु-पीढ़ी आराधना सभा में स्तुति के गीत गाए, कईयों ने आनंद और शांति का अनुभव किया। परंतु एक थकी हुए मां नहीं l जब वह अपने बच्चे को झुला रही थी, जो रोने पर था, उसने अपने पांच वर्ष के बच्चे के लिए गीत की पुस्तक पकड़ रखी थी और साथ ही साथ अपने छोटे बच्चे को दूर जाने से रोकने का प्रयास कर रही थी l तभी पीछे बैठे एक वरिष्ठ सज्जन ने उस स्त्री से कहा कि लाइए मैं आपके बच्चे को चर्च के आस-पास घुमा लाऊँ और एक युवा स्त्री ने इशारा किया कि वह उनके बड़े बच्चे के लिए गीत पुस्तक को पकड़ लेगी l 2 मिनट के अंदर उस मां का अनुभव बदल गया और वह साँस ले सकी, अपनी आखें बंद कर सकी, और परमेश्वर की आराधना कर सकी ।

परमेश्वर ने हमेशा से चाहा कि उसके लोग उसकी आराधना करें─पुरुष और स्त्री, वृद्ध और युवा, लम्बे समय से विश्वासी, और नवागंतुक l प्रतिज्ञात देश में पहुँचने से पहले जब मूसा ने इस्राएल के गोत्रों को आशीष दी, उसने उनसे एक साथ इकठ्ठा होने का आग्रह किया, “क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या तुम्हारे फाटकों के भीतर के परदेशी,” कि वे “सुनकर सीखें, और तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का भय मानकर” उसकी आज्ञाओं का पालन करें (व्यवस्थाविवरण 31:12)।  यह परमेश्वर को आदर देता है जब हम उसके लोगों के लिए एक साथ उसकी आराधना करना संभव बनाते हैं, चाहे हमारे जीवन की कोई भी अवस्था हो l 

चर्च में उस सुबह, वह माँ, वरिष्ठ सज्जन, और वह युवा स्त्री प्रत्येक ने देने और लेने के द्वारा परमेश्वर के प्रेम का अनुभव किया l शायद अगली बार जब आप चर्च में हैं, आप भी किसी की मदद करके परमेश्वर का प्रेम फैला सकते हैं या आप विनीत कार्य को स्वीकारने वाले बन सकते हैं l

कार्यस्थल पर गवाही

“क्या तुम मुझसे अब भी नाराज हो कि मैं तुम्हारे मनपसंद विभाग को छोटा करने जा रहा हूं?” इवलिन के प्रबंधक ने उससे पूछा। “नहीं।“ कहते हुए उसने अपने जबड़ों को भींचा। वह इस बात से और भी परेशान थी कि वह अधिकारी उसको इसके विषय परेशान कर रहा था। वह विभिन्न रूचि समूहों को आकर्षित करने के तरीके ढूंढ़कर कम्पनी की सहायता करने का प्रयास कर रही थी, लेकिन सिमित स्थान ने इसे लगभग असंभव बना दिया l इवलिन अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश की, लेकिन निर्णय लिया कि जो उसका अधिकारी कहेगा वह वही करेगी। हो सकता है कि वह उन परिवर्तनों को न ला सकी जिन्हें वो आशा करती थी, परंतु वह अब भी अपना काम अपनी क्षमता के अनुसार कर सकती थी l 

प्रेरित पतरस की पहली पत्री में, उसने पहली सदी के विश्वासियों से “मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबंध के अधीन” रहने के लिए आग्रह किया (1 पतरस 2:13)। एक कठिन कार्य-स्थल में ईमानदारी बनाए रखना सरल नहीं है l परंतु पतरस हमें निरंतर अच्छा करने के लिए एक कारण को देता है : “अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; ताकि जिन-जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जानकार बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्हीं के कारण कृपा-दृष्टि के परमेश्वर की महिमा करें (पद.12)। इसके अलावा, यह ध्यान देनेवाले अन्य विश्वासियों के लिए धर्मनिष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करने में हमारी सहायता करेगा l 

यदि हम वास्तव में एक अपमानजनक कार्य स्थिति में हैं, यदि संभव हो तो उसे त्यागना ही सर्वोत्तम होगा (1 कुरिन्थियों 7:21)। परंतु सुरक्षित वातावरण में, आत्मा की सहायता से हम हमारे कार्य में अच्छा कर सकते हैं याद रखते हुए कि “यह परमेश्वर को भाता है” (पद.20) l  जब हम अधिकारियों के आधीन होते हैं, तो हम दूसरों को परमेश्वर का अनुसरण करने और महिमा देने का कारण देते हैं l