Month: अप्रैल 2022

बुद्धिमान सलाहकार

जब मैं सैमनरी में पढ़ रहा था, तब मैं पूर्णकालिक काम करता था l उसके साथ पुरोहिताई आवर्तन और एक चर्च में प्रशिक्षण(internship) l मैं व्यस्त था। जब मेरे पिता मुझसे मिलने आए, तो उन्होंने मुझसे कहा, “तुम वास्तव में विफल हो जाओगे l” मैंने उनकी सलाह को यह माँनते हुए हल्के में लिया कि वह पुरानी पीढ़ी के व्यक्ति हैं और परिणाम प्राप्त करने में मेरे मेहनत को नहीं समझ पा रहे हैं ।

मैं विफल तो नहीं हुआ l परंतु मैंने बहुत कठोर सूखेपन का अनुभव किया जिसमें मैं निराशा में चला गया l उस समय से, मैंने चेतावनियों को सुनना सीख लिया है─विशेषकर अपने प्रियों से ─बहुत सावधानी के साथ l 

इससे मुझे मूसा की कहानी याद आ गई l वह भी इस्राएल का न्यायी होकर बड़े परिश्रम से कार्य कर रहा था (निर्गमन 18:13)। फिर भी उसने अपने ससुर की चेतावनी को मानना उचित समझा (पद 17-18)। यित्रो बहुत व्यस्त नहीं था, परंतु वह मूसा और उसके परिवार से प्रेम करता था और आनेवाली परेशानियों को जानता था l शायद इसीलिए मूसा यित्रो की बात सुन सका और उसकी सलाह को माना l मूसा ने छोटे विवादों को सुलझाने के लिए “ऐसे पुरुषों को छांट [लिया] जो गुणी” थे, और उसने कठिन मामलों को स्वयं हल किया (पद. 21-22)। क्योंकि उसने यित्रो की बात सुनी, उसने अपने काम को पुनःव्यवस्थित किया, और अपना बोझ साझा करने के लिए दूसरों को सुपुर्द किया, इसलिए वह जीवन के उस काल में विफल नहीं हुआ l 

हममें से बहुत से लोग परमेश्वर का कार्य, अपना परिवार, और अन्यों को बहुत गंभीरता से─और भी भावप्रवणता से लेते हैं l परंतु फिर भी हमें अपने भरोसेमंद प्रिय लोगों की सलाह मानना चाहिए और अपने समस्त कार्यों में परमेश्वर की बुद्धि और सामर्थ पर भरोसा करना चाहिए।

परमेश्वर का महान प्रेम

जब मेरे एक मित्र ने मुझसे पवित्रता को प्रोत्साहित करने वाले एक कार्यशाला में किशोरावस्था की लड़कियों को संबोधित करने को कहा, तो मैंने मना कर दिया‌। एक भाग खड़े हुए किशोर के रूप में, मैंने संघर्ष किया था और मेरी अनैतिकता के कारण दशकों तक के घाव के निशान थे l  शादी के बाद अपने पहले बच्चे को गर्भपात के कारण खो देने के कारण मैंने सोचा कि परमेश्वर मेरे बीते हुए पापों के कारण मुझे दंड दे रहा है। अनन्तः जब मैंने 30 वर्ष की आयु में अपना जीवन मसीह को समर्पित कर दिया, मैंने अपने पापों का अंगीकार किया और पश्चाताप किया . . . बार-बार l अभी भी, दोष भावना और शर्मिंदगी मुझे खाए जा रही थी। मैं परमेश्वर के अनुग्रह के विषय कैसे बता सकता था जब कि मैंने उसके उस महान अनुग्रह के दान को पूरी तरह अपने जीवन में अनुभव नहीं किया था? धन्यवाद हो, समय के साथ, अपने पापों से मन फिराने से पूर्व जो मैं था परमेश्वर ने उन झूठों को समाप्त कर दिया जो मुझे जकड़े हुए थे l उसके अनुग्रह से, अंततः मैंने परमेश्वर के क्षमा को प्राप्त किया जो वह मुझे प्रारंभ से देना चाहता था।

परमेश्वर हमारी परेशानियों से उत्पन्न विलापों और हमारे बीते पापों के परिणाम को समझता है। हालाँकि, वह अपने लोगों को निराशा पर विजय पाने, अपने पापों से मन फिराने, और उसके महान “प्रेम,” “तरस,” और “विश्वासयोग्यता” (विलापगीत 3:19-23) की आशा में ऊपर उठने की शक्ति देता है l परमेश्वर का वचन कहता है कि परमेश्वर स्वयं हमारा “भाग है”─हमारी आशा और उद्धार है─और हम उसकी अच्छाइयों पर भरोसा रखना सीख सकते हैं (पद 24-26)।

हमारा करुणामय पिता उसकी प्रतिज्ञाओं पर भरोसा करने में हमारी सहायता करता है l जब हम उसके महान प्रेम को अपने लिए भरपुरी के साथ स्वीकारते हैं तब हम उसके अनुग्रह का सुसमाचार फैला सकते हैं l

सेवा करने हेतु एक साथ रचे गए

एक ग्रामीण क्षेत्र में, एक खलिहान बनाना एक सामाजिक कार्यक्रम है l एक किसान के परिवार को एक खलियान बनाने के लिए बहुत महीने लगेंगे परंतु गांव वाले साथ काम करके उसे जल्दी पूरा कर देते हैं l समय से पहले लकड़ियों का इंतजाम किया जाता है, औजारों को लाया जाता है l एक नियुक्त दिन में बहुत सबेरे पूरा गांव एक जगह एकत्र होता है, काम बांटे जाते हैं, और  एक साथ मिलकर खलिहान बना दिया जाता है─कभी-कभी एक दिन में l 

यह कलीसिया के लिए परमेश्वर के दर्शन की एक अच्छी तस्वीर है जिसमें हमारी भूमिका है। बाइबल कहती है “तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो” (1 कुरिन्थियों 12:27) परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक जन को विभिन्न रूप से योग्य बनाया है और कार्य को विभाजित किया है जिसमें हममें से प्रत्येक “एक साथ गठकर . . . ठीक ठीक कार्य” करते हैं ( इफिसियों 4:16) l हम समाज में “एक दूसरे का भार” उठाने के लिए प्रोत्साहित किये गए हैं (गलतियों 6:2)।

फिर भी हम इसे अक्सर अकेले ही करना चाहते हैं। हम परिस्थितियों को अपने नियंत्रण में रखने के लिए, अपनी आवश्यकताओं को अपने तक ही सीमित रखते हैं। और हम दूसरों की जरूरतों के बोझ को उठाने के लिए अपने कंधे को उपलब्ध करने में असमर्थ रहते हैं l परंतु परमेश्वर चाहता है कि हम अन्य लोगों से संपर्क करें। वो जानता है कि जब हम दूसरों की सहायता मांगते हैं और उनकी आवश्यकता के लिए प्रार्थना करते हैं तो खूबसूरत चीजें होती हैं l 

हम एक दूसरे पर आश्रित होकर ही अनुभव कर सकते हैं कि परमेश्वर के पास हमारे लिए क्या है और वह उसे कैसे हमारे जीवन में अद्भुत तरीके से पूरा करता है─जैसे एक दिन में एक खलिहान का निर्माण।

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