सेवा के लिए एक हृदय
न्यूमेक्सिको में एक मिनिस्ट्री (सेवकाई) स्थानीय निवासियों को हर महीने 24,000 पाउंड से अधिक मुफ्त भोजन देकर अपने समुदाय की मदद करता है। मिनिस्ट्री (सेवकाई) के अगुए ने कहा, “लोग यहाँ आ सकते हैं, और हम उन्हें स्वीकार करेंगे और उनसे वही मिलेंगे जहाँ वह हैं।” हमारा लक्ष्य है –उनकी आत्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिये उनकी व्यवहारिक जरूरतों को पूरा करना । मसीह में विश्वासी होने के नाते, परमेश्वर हमसे चाहता है की जो हमें दिया गया है उसके द्वारा हम दूसरों को आशीषित करें और अपने समुदायों को उसके करीब लाएं। हम सेवा करने के लिए अपने हृदय को कैसे विकसित कर सकते है जो परमेश्वर को महिमा दे ?
हम परमेश्वर से यह कह कर दूसरों के सेवा करने वाला हृदय विकसित करते है वह हमें दिखाए कि उसके दिए गये वरदानों का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए कैसे करें (1पतरस4:10) ।इस तरीके से हम परमेश्वर को बहुत सारे धन्यवाद के भाव चढ़ाते है, उस बहुतायतता के लिए जिससे उसने हमें आशीषित किया है। (2कुरिन्थियों9:12)
दूसरों की सेवा करना यीशु की सेवकाई का एक महत्वपूर्ण भाग था। जब उसने बिमारों को चंगा किया और भूखों को खिलाया, तो परमेश्वर के प्रेम और भलाई से बहुत लोग परिचित हुए। हमारे समुदाय की देखभाल करने के द्वारा, हम उसकी शिष्यता का अनुकरण कर रहे है। परमेश्वर की बुद्धि हमें स्मरण कराती है कि जब हम अपने कर्मों के द्वारा परमेश्वर के प्रेम को प्रदर्शित करते हैं, तो अन्य लोग परमेश्वर की महिमा करेंगे (पद13)। सेवा आत्म–संतुष्टि के बारे में नहीं परन्तु दूसरों को परमेश्वर के प्रेम की सीमा दिखाना है और उन चमत्कारी तरीकों को दिखाना है जो उनके द्वारा काम करता है जो उनके नाम से बुलाये गये हैं।
एक घर की अभिलाषा
ऐनीऑफ़ ग्रीन गेबल्स कहानियों के मुख्य पात्र ऐनी को एक परिवार की इच्छा थी। वह अनाथ थीं और उसने कभी एक ऐसे जगह पाने की आशा खो दी थी जिसे वह घर कह सके। फिर उसने यह जाना कि मैथ्यू नामक एक बूढा आदमी और उसकी बहन मरिला उसे स्वीकार करने के लिए तैयार थे। एक छोटी गाड़ी में उनके घर जाते हुए ऐनी ने बार–बार बकबक करने के लिए माफ़ी मांगी, पर मैथ्यू, जो एक शांत स्वभाव का था ने कहा, “तुम जितना चाहो उतना बात कर सकती हो। मुझे कोई आपत्ति नहीं है।” यह ऐनी के कानों के लिए संगीत था। उसे लगता था कि कोई भी कभी उसे अपने आसपास नहीं चाहता, तो उसकी बकबक क्यों सुनना चाहेगा। पहुंचने के बाद, उसकी उम्मीदें धराशायी हो गई जब उसे पता चला कि भाई–बहनों ने सोचा था की उन्हें खेत में मदद करने के लिए एक लड़का मिल रहा है। वह लौटाए जाने से डरी, लेकिन ऐनी की एक प्यार भरे घर की लालसा तब पूरी हुई जब उन्होंने उसे अपने परिवार का एक हिस्सा बनाया।
हम सब ने ऐसे समय का सामना किया है जब जब हम अनचाहे और अकेला महसूस करते हैं। लेकिन जब हम यीशु में उद्धार के द्वारा परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बनते हैं तो वह हमारे लिए एक सुरक्षित गढ़ बन जाता है। भजनसंहिता 62:2।वह हममें प्रसन्न होता है और हमे अपने साथ सब कुछ के बारे में बात करने के लिए आमंत्रित करता है — हमारी चिंता, परीक्षाएं, दुःख और आशा। भजनकार हमें कहता है “ परमेश्वर में आराम पाओ और अपने मन की बातें उससे खोल के कहो। (पद5,8)
संकोच न करें। जितना चाहे परमेश्वर से बात करें। वह बुरा नहीं मानेगा। वह आपके हृदयों से प्रसन्न है। उसमें आप एक घर पा सकते है।
झूठों का पिता
विक्टर धीरे–धीरे अश्लील वीडियो देखने का आदी हो गया। उसके बहुत सारे मित्र अश्लील वीडियो देखते थे और क्योंकि वह ऊबा हुआ था इसलिये वह भी इसका आदी हो गया था। पर अब उसे समझ आया कि यह कितना गलत था,उसने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया था,और उसकी पत्नी उसकी इस आदत से बिल्कुल टूट चुकी थी। उसने अपने जीवन को बचाने की कसम खाईए ताकि वह उसकी ओर दुबारा न देखे। वह अभी भी डरता है की बहुत देर हो चुकी है। क्या उसकी शादी बचाई जा सकती है? क्या वह कभी स्वतंत्र हो पायेगा और पूरी तरफ से माफ़ी प्राप्त कर पायेगा?
हमारा शत्रु शैतान परीक्षा को ऐसे प्रस्तुत करता है जैसे की यह कोई बड़ी बात नहीं। सब कोई तो कर रहे हैं। इसमें नुकसान क्या है? लेकिन जिस क्षण हम उसके योजना को पकड़ लेते है वह अपना रास्ता बदल देता है। आप सोचते हैं कि बहुत देर हो चुकी! आप ज्यादा दूर निकल चुके! अब कोई आशा नहीं है!
जब हम आत्मिक युद्ध में संग्लन होते हैं, शत्रु हमें हराने के लिए कुछ भी कह सकता है। यीशु ने कहा “वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता हैय क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है।” (यूहन्ना8:44)
यदि शैतान झूठा है तो हमें उसकी कभी नहीं सुनना चाहिए। जब वह कहता है कि हमारा पाप कोई बड़ी बात नहीं है, तब नहीं सुनना चाहिए और तब नहीं जब वह कहता है कि हम आशा हीन हैं। यीशु हमें शैतान के शब्दों को खारिज करने और उसके बजाय उनकी सुनने में मदद करें। हम उसके वायदों पर अपने दिल से निर्भर करते हैं। “यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे, और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (पद31.32)
उजियाला हो
मेरी बेटी के शुरुआती दिनों में, मैं अक्सर उसके सामने आने वाली चीज़ों का नाम लेती थी। मैं वस्तुओं को पहचानती या उसे कुछ अपरिचित चीज छूने देती और उसके नाम को बोलती थी ,और इस तरह जिस विशाल दुनिया की वह खोज कर रही थी उसके लिये समझ और एक शव्दावली उसे दे रही थी। भले ही मैं और मेरे पति ने स्वाभाविक रूप से अपेक्षा (आशा) की थी कि उसका पहला शब्द मम्मा या डैडी होगा, पर उसने पूरी रीति से एक फरक शब्द बोलकर हमें आश्चर्य में डाला, उसके छोट्टेमुंह ने एक दिन बुदबुदाया डाईट जो मैंने अभी–अभी उसके साथ बाँटा था लाईट उसका एक मीठा, गलत उच्चारण वाली गूंज ।
प्रकाश हमारे लिए बाइबल में दर्ज परमेश्वर द्वारा बोले गये पहले शब्दों में से एक है। जब परमेश्वर का आत्मा एक अंधेरी, निराकार और खाली पृथ्वी पर मँडरा रहा था, तो परमेश्वर ने अपनी सृष्टि में यह कहते हुए प्रकाश का परिचय दिया “उजियाला हो” (उत्पत्ति 1:3)। उसने कहा कि प्रकाश अच्छा था, जिसे शेष पवित्रशास्त्र ने दिखाया है, भजनकार समझाता है कि परमेश्वर के वचन हमारी समझ को प्रकाशित करते हैं (भजन संहिता 119:130), और यीशु स्वयं को संसार की ज्योति के रूप में संदर्भित करता है जो प्रकाश का दाता है। जीवन के प्रकाश का देने वाला (यूहन्ना 8:12)।
परमेश्वर ने अपने सृष्टि के निर्माण के काम में सबसे पहले जो बोला वह ज्योति देने के लिए था। यह इसलिए नहीं था की उसे अपने काम करने के लिए ज्योति चाहिए, नहीं, वह ज्योति हमारे लिए थी। ज्योति हमें उसे देखने और हमारे चारों तरफ उसकी सृष्टी में उसके उँगलियों के निशान पहचानने में, क्या अच्छा है और क्या नहीं पर भेद करने में, और इस विशाल संसार में यीशु का एक बार में एक कदम अनुसरण करने के लिये सक्षम बनाता है।