योजनाएं और मितव्ययिती
२००० में, एक नयी बढ़ती कंपनी ने अपनी कंपनी को ३७५ करोड़ रुपये में दूसरी कंपनी को बेचने की पेशकश की, होम मूवीज़ और वीडियो गेम रेंटल जो उस समय पर राजा जैसे थे। इस कंपनी नेटफ्लिक्स के लगभग ३,००,००० ग्राहक थे, जबकि बड़ी मूवी रेंटल कंपनी के पास लाखों और लाखों थे। इस कंपनी ने अपने छोटे प्रतियोगी को खरीदने का अवसर आगे बढ़ा दिया। परिणाम? आज नेटफ्लिक्स के १८ करोड़ से अधिक ग्राहक हैं और इसकी कीमत लगभग १५ लाख करोड़ रुपये है। जहां तक दूसरी कंपनी की बात है,जिसको वें बेचना चाहते थे, . . यह गिर गयी। हममें से कोई भी भविष्य में क्या होगा नहीं जान सकता।
हम यह मानने के लिए प्रलोभन में होते हैं कि हमारा जीवन हमारे नियंत्रण में हैं और भविष्य के लिए हमारी योजनाएँ सफल होंगी। परन्तु याकूब कहता है, " तुम तो भाप के समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है फिर लोप हो जाती है" (४:१४)। जीवन जितना हम अक्सर महसूस करते हैं, उससे अधिक संक्षिप्त, त्वरित और अधिक नाजुक होता है। योजना बनाना आवश्यक है, लेकिन अनुमान का पाप इस धारणा में है कि हमारे हाथ में नियंत्रण में हैं। यही कारण है कि याकूब हमें चेतावनी देता है कि "[हमारी] अभिमानी योजनाओं में डींग न मारे," क्योंकि "ऐसा सब घमण्ड बुरा है" (पद १६)।
इस पापपूर्ण अभ्यास से बचने का तरीका है ईश्वर के साथ कृतज्ञ भागीदारी। कृतज्ञता हमें याद दिलाती है कि वह हर "अच्छे और सिद्ध वरदान" का स्रोत है (१:१७)। फिर जब हम परमेश्वर के पास आते हैं, तो हम उससे केवल हमारी वर्तमान और भविष्य की योजनाओं को आशीष देने के लिए नहीं बल्कि जो वह कर रहे हैं उसमें शामिल होने में हमारी सहायता करने के लिए कहते हैं। प्रार्थना करने का यही अर्थ है, "यदि प्रभु की इच्छा हो तो" (४:१५)।
माँगो!
हमारे तहखाने से उठने वाली उल्लासपूर्ण चीखें मेरी पत्नी शर्ली की आई थीं। घंटों तक उसने एक न्यूज़लेटर प्रोजेक्ट के साथ संघर्ष करा, और अब वह उसे लगभग समाप्त ही करने वाली थी। आगे बढ़ने की अपनी चिंता और अनिश्चितता में, उसने परमेश्वर की मदद के लिए प्रार्थना की थी। उसने फेसबुक दोस्तों से भी संपर्क किया था और जल्द ही यह प्रोजेक्ट पूरा हो गया था- एक टीम प्रयास।
जबकि एक समाचार पत्र प्रोजेक्ट जीवन में एक छोटी सी चीज है, छोटी (या कम छोटी) चीजें चिंता या व्याकुलता पैदा कर सकती हैं। शायद आप नए-नए माता-पिता बने है और बच्चे को पालने के अनुभव से गुज़र रहे है; या एक छात्र हो सकते है जो नए शैक्षिक चुनौतियों का सामना कर रहे हो; या ऐसा व्यक्ति जो अपने किसी प्रियजन को खोने का शोक मना रहे हो; या ऐसा कोई व्यक्ति जो घर, काम, या अपनी सेवकाई में चुनौती का अनुभव कर रहा हो। कभी-कभी हम अनावश्यक रूप से ऐसे कगार पर होते हैं क्योंकि हम परमेश्वर से सहायता नहीं मांगते हैं (याकूब ४:२)।
पौलुस ने फिलिप्पी में यीशु के अनुयायियों और हमें आवश्यकता के समय हमारी रक्षा का सबसे पहले हथियार केंद्रित करते हुए कहा: "किसी बात की चिन्ता न करना, परन्तु हर बात में प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपनी बिनती प्रस्तुत करना" (फिलिप्पियों ४:६)। जब जीवन जटिल हो जाता है, तो हमें इस भजन जैसे अनुस्मारक की आवश्यकता होती है "यीशु कैसा दोस्त प्यारा.." :"ओह क्या शांति हम अक्सर खोते, / ओह क्या नाहक गम उठाते हैं, / यह ही बाइस है यकीनन, / बाप के पास न जाते हैं। ”
और शायद हमारे परमेश्वर से सहायता माँगने में, वह हमें ऐसे लोगों से पूछने के लिए प्रेरित करेगा जो हमारी सहायता कर सकते हैं।
जब आपको सहायता की आवश्यकता हो
सोमवार की सुबह थी, लेकिन मेरा दोस्त दीपक दफ्तर में नहीं था। वह घर पर बाथरूम की सफाई कर रहा था। एक महीना बेरोजगार, उसने सोचा, और नौकरी का कोई अता-पता नहीं। कोविद-१९ महामारी के कारण उनकी फर्म बंद हो गई थी और भविष्य की चिंताओं ने दीपक को भय से भर दिया था। मुझे अपने परिवार को सम्हालना है, उसने सोचा। मैं मदद के लिए कहां जा सकता हूं?
भजन संहिता १२१:१ में, यरूशलेम जाने वाले तीर्थयात्रियों ने एक ऐसा ही प्रश्न पूछा कि सहायता कहाँ से प्राप्त करें।पवित्र नगर में सिय्योन पर्वत पर की लंबी और संभावित रूप से खतरनाक यात्रा थी, जिसमें यात्रियों को एक कठिन चढ़ाई का सामना करना पड़ता था। उन्हें जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वे आज हमारे जीवन में कठिन यात्राओं की तरह ही लग सकती हैं - ऐसे रास्ते पर चलना जहाँ बीमारी, रिश्तों की समस्याएं, शोक, काम पर तनाव या दीपक के मामले में, आर्थिक कठिनाई और बेरोजगारी।
परन्तु हम इस सच्चाई से आनंदित हो सकते हैं कि स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता स्वयं हमारी सहायता करता है (पद २)। वह हमारे जीवन को देखता है (वव. ३,५,७-८) और वह जानता है कि हमारी क्या ज़रूरते है। "निगरानी करने" का इब्रानी शब्द, शमर है, जिसका अर्थ है "पहरा देना।" ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता हमारा संरक्षक है। हम उसकी सुरक्षा में हैं। दीपक ने हाल ही में साझा किया, "परमेश्वर ने मेरा और मेरे परिवार का ख्याल रखा "और सही समय पर, उन्होंने एक शिक्षक की नौकरी प्रदान की।"
जब हम अपनी यात्रा के प्रत्येक चरण में परमेश्वर पर भरोसा करते हैं और उसका पालन करते हैं, तो हम आशा के साथ आगे देख सकते हैं, यह जानते हुए कि हम उसकी बुद्धि और प्रेम की सुरक्षात्मक सीमाओं के भीतर हैं।
उतरने का स्थान
मृग परिवार का एक सदस्य इम्पाला दस फीट ऊंची और तीस फीट लंबाई तक कूदने में सक्षम है। यह एक अविश्वसनीय करतब है, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि अफ्रीकी जंगली में इसके जीवित रहने के लिए यह आवश्यक भी है। फिर भी, चिड़ियाघरों में पाए जाने वाले कई इम्पाला बाड़ों में, आप पाएंगे कि जानवरों को एक दीवार से सटाकर रखा जाता है जो केवल तीन फीट लंबी होती है। इतनी नीची दीवार में ये एथलेटिक जानवर कैसे रह सकते हैं? पर यह संभव होता है क्योंकि इम्पाला तब तक नहीं कूदेंगे जब तक कि वे यह नहीं देख पाय की वें कहाँ उतरेंगे। दीवार इम्पलास को बाड़े के अंदर रखती है क्योंकि वे नहीं देख सकते कि दूसरी तरफ क्या है।
इंसानों के रूप में, हम सब भी कुछ अलग नहीं हैं। हम आगे बढ़ने से पहले किसी स्थिति का परिणाम जानना चाहते हैं। हालाँकि, विश्वास का जीवन शायद ही कभी इस तरह से काम करता है। कुरिन्थ की कलीसिया को लिखते हुए, पौलुस ने उन्हें याद दिलाया, "हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते है" (२ कुरिन्थियों ५:७)।
यीशु ने हमें प्रार्थना करना सिखाया, "तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे पृथ्वी पर भी हो" (मत्ती ६:१०)। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम उसके परिणामों को पहले ही जान लेंगे। विश्वास से जीने का अर्थ है उसके अच्छे उद्देश्यों पर भरोसा करना, भले ही वे उद्देश्य रहस्य में डूबे हों।
जीवन की अनिश्चितताओं के बीच, हम उसके अटूट प्रेम पर भरोसा कर सकते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि जीवन हमारे सामने क्या लेकर आये, "हम उसे प्रसन्न करना अपना लक्ष्य बना लेते हैं" (२ कुरिन्थियों ५:९)।
जीवन भर का सिलसिला
शिबुमोन और एलिजाबेथ सपेरों के हाशिए पर रहने वाले समुदाय के जीवन को बदलने के लिए एक महान खोज के लिए केरल के हरे-भरे राज्य से दिल्ली के बाहरी इलाके में चले गए। उन्होंने मंडी गांव (दिल्ली और गुड़गांव की सीमा पर) के बच्चों को शिक्षित करने के लिए अपने जीवन के कार्यप्रणाली को बदल दिया। उन्होंने ऐसा मार्ग चुना जिससे लोग कम सफर करते है इस उम्मीद में कि एक दिन बच्चे अपने माता-पिता का पेशा न अपनाकर सभ्य जीवन जीएंगे।
यहोयादा नाम आसानी से पहचाना नहीं जाता है, फिर भी यह जीवन भर परमेश्वर के प्रति समर्पण का पर्याय है। उसने राजा योआश के शासनकाल के दौरान याजक के रूप में सेवा की, जिसने अधिकांश भाग के लिए अच्छी तरह से शासन किया - यहोयादा के लिए धन्यवाद।
जब योआश केवल सात वर्ष का था, तब यहोयादा उसे सही राजा के रूप में स्थापित करने में उत्प्रेरक था (२ राजा ११:१-१६)। लेकिन यह कोई सत्ता हथियाना नहीं था। योआश के राज्याभिषेक के समय, यहोयादा ने "यहोवा और राजा और प्रजा के बीच वाचा बाँधी कि वे यहोवा की प्रजा होंगे" (पद १७)। उसने अपने शब्द रखते हुए, अति आवश्यक सुधार लागू किए। "जब तक यहोयादा जीवित रहा, तब तक होमबलि यहोवा के भवन में नित्य चढ़ाए जाते थे" (२ इतिहास २४:१४)। अपने समर्पण के लिए, यहोयादा को "राजाओं के साथ दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई" (पद १६)।
यूजीन पीटरसन ऐसे ईश्वर-केंद्रित जीवन को "एक ही दिशा में एक लंबी आज्ञाकारिता" कहते हैं। विडंबना यह है कि यह ऐसी आज्ञाकारिता है जो सबसे अलग खड़ी होती है ऐसे संसार में जो प्रसिद्धि, शक्ति और आत्म-पूर्ति पर झुका हुआ है।