नरक से आशा
1979 में, पुरातत्वविद्(archeologist/आर्केओलोजिस्ट) गेब्रियल बार्के ने चाँदी के दो छोटे घूँघर/खर्रा(scroll/स्क्रोलl) खुदाई से निकाले l धातु के स्क्रोल को नाजुक ढंग से खोलने में वर्षों लग गए, और प्रत्येक में गिनती 6:24-26 से आशीष इब्री में उकेरी हुयी देखी गयी, “यहोवा तुझे आशीष दे और तेरी रक्षा करे; यहोवा तुझ पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए, और तुझ पर अनुग्रह करे; यहोवा अपना मुख तेरी ओर करे; और तुझे शांति दे l” विद्वानों ने स्क्रोल को सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व का बताया है l वे संसार में बाइबल के सबसे पुराने ज्ञात अंश हैं l
जिस स्थान पर वे पाए गए वह उतना ही दिलचस्प है l बार्के हिन्नोम की घाटी में एक गुफा की खुदाई कर रहे थे, वही स्थान जहाँ नबी यिर्मयाह ने यहूदा के लोगों से कहा था कि परमेश्वर उनको अपने बच्चों को बलि चढ़ाने के कारण मार डालेगा (यिर्मयाह 19:4-6) l यह घाटी ऐसी दुष्टता की जगह थी कि यीशु ने नरक के चित्र के रूप में “गेहन्ना/Gehenna” (“हिन्नोम की घाटी” के लिए इब्री नाम का एक यूनानी रूप) शब्द का प्रयोग किया था (मत्ती 23:33) l
इस जगह, लगभग उस समय यिर्मयाह अपने राष्ट्र पर परमेश्वर का न्याय घोषित कर रहा था, कोई और अपनी भावी आशीष को चाँदी के स्क्रोल पर उकेर रहा था l यह उनके जीवनकाल में घटित नहीं होने वाला था, लेकिन एक दिन—बेबीलोन के आक्रमण के दूसरी ओर—परमेश्वर अपना मुख अपने लोगों की ओर करनेवाला था और उन्हें आशीष देनेवाला था l
हमारे लिए सबक स्पष्ट है l बावजूद इसके कि हम जिसके लायक हैं वह होनेवाला/घटनेवाला है, हम परमेश्वर की आशीष को थामें रह सकते हैं l उसका हृदय हमेशा उसके लोगों के लिए लालायित रहता है l
दौड़ दौड़ना
अपनी पत्नी, पुत्र और पुत्री को खोने की त्रासदियों की एक श्रृंखला के बाद, 89 की उम्र में फौजा सिंह ने दौड़ने के अपने जूनून पर ध्यान केन्द्रित करने का फैसला किया l सिंह, पंजाबी भारतीय मूल के ब्रिटेन के सौ वर्ष के इस व्यक्ति ने, टोरंटो वाटरफ्रंट लम्बी दौड़(मैराथन) खत्म करने वाले पहले 100 वर्षीय व्यक्ति बने l शायद उनके स्वस्थ आहार, और शारीरिक और मानसिक अनुशासन ने उन्हें अपने प्रतिस्पर्धा में बढ़त हासिल करने में सक्षम बनाया l सिंह अपने कमज़ोर पैरों के कारण 5 साल की उम्र तक चलने में असमर्थ थे l हालाँकि उन्हें अक्सर चिढ़ाया जाता था और उन्हें “छड़ी” कह कर पुकारा जाता था, सिंह अपनी उपलब्धियों के कारण अब “पगड़ी वाला तूफ़ान” /(Turbaned Tornedo/ टरबंड टोरनाडो) के रूप में लोकप्रिय हैंl
प्रेरित पौलुस ने अपने दिनों में उसी प्रकार का अनुशासन प्रदर्शित करनेवाले एथलीटों को मान्यता दी (1 कुरिन्थियों 9:24) l लेकिन उसने यह भी माना कि चाहे उन्होंने कितना भी प्रशिक्षण लिया हो, अंततः उनका वैभव फीका पड़ जाता है l इसके विपरीत, उसने कहा, हमारे पास यीशु के लिए इस तरह जीने का अवसर है जो अनंतकाल को प्रभावित करता है l “एक मुकुट तो हमेशा के लिए रहेगा” (पद.25) पौलुस का तात्पर्य है,यदि क्षणिक वैभव के लिए प्रयास करनेवाले एथलीट इसके लिए इतना परिश्रम कर सकते हैं, तो के लिए जीने वालों का कितना अधिक होना चाहिए l
हम उद्धार कमाने के लिए प्रशिक्षण नहीं लेते हैं l बल्कि, इसके बिलकुल विपरीत; जब हम मानते हैं कि हमारा उद्धार वास्तव में कितना अद्भुत है, वह हमारी प्राथमिकताओं, हमारे दृष्टिकोण, और वे चीजें जिनके लिए हम जीते हैं उनको पुनः आकार देता है जब हम परमेश्वर की सामर्थ्य में विश्वासयोग्यता से अपने विश्वास की दौड़ दौड़ते हैं l
परमेश्वर हमारा दुःख हर लेता है
ऑलिव ने अपने मित्र को अपनी कार में दन्त चिकित्सा उपकरण लादते देखा l एक साथी दन्त चिकित्सक ने उससे बिलकुल नई आपूर्ति (सप्लाइज/supplies) खरीदी थी l ऑलिव का एक दन्त चिकित्सक के रूप में अपना खुद का चिकित्सा व्यवसाय करना (प्रैक्टिस) वर्षों से उसका सपना रहा था, लेकिन जब उसका बेटा काइल दिमागी पक्षाघात (सेरिब्रल पैल्सी/cerebral palsy) के साथ जन्म लिया, तो उसने महसूस किया कि उसे उसकी देखभाल के लिए उसे अपना काम बंद करना होगा l
“यदि मेरे पास लाखों जीवनकाल होते, तो भी मैं वही चुनाव करती,” मेरी सहेली ने मुझसे कहा l “लेकिन दन्त चिकित्सा छोड़ना कठिन था l यह एक सपने की मृत्यु थी l”
हम अक्सर ऐसी कठिनाइयों से गुज़रते हैं जो हमारी समझ से परे होती है l ऑलिव को, उसके बच्चे की अनापेक्षित चिकित्सीय स्थिति और उसकी अपनी आकांक्षाओं को त्यागने का दुःख था l नाओमी को, उसके सम्पूर्ण परिवार से बिछड़ने की पीड़ा थी l रूत 1:21 में वह विलाप करती है, “सर्वशक्तिमान् ने मुझे दुःख दिया है l”
लेकिन नाओमी जो देख सकती थी उसकी कहानी में उससे अधिक था l परमेश्वर ने उसे त्यागा नहीं, उसने उसे एक पोता, ओबेद प्रदान करके उसे पुनर्स्थापन दिया (रूत 4:17) l ओबेद केवल नाओमी के पति और पुत्र का नाम ही आगे बढ़ाने वाला नहीं था, लेकिन उसके द्वारा, वह अपने पूर्वज(बोअज) के माध्यम से स्वयं यीशु की एक सम्बन्धी बनने वाली थी (मत्ती 1:5, 16) l
परमेश्वर ने नाओमी का दुःख हर लिया l उसने ऑलिव को तंत्रिका सम्बन्धी (न्यूरोलॉजिकल) स्थितियों वाले बच्चों के लिए एक सेवा आरम्भ करने में सहायता करके उसकी पीड़ा को भी हर लिया l हम पीड़ादायक समय का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन परमेश्वर की आज्ञा मानते और उसका अनुसरण करते हुए, हम भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारी पीड़ा दूर करेगा l अपने प्रेम और बुद्धिमत्ता में, वह इससे अच्छाई उत्पन्न कर सकता है l
मसीह को सुनना, अव्यवस्था को नहीं
प्रतिदिन कई घंटों तक टीवी पर समाचार देखने के बाद, वह बुज़ुर्ग व्यक्ति घबरा गया और चिंतित हो गया—चिंतित इसलिए कि दुनिया बिखर रही है और उसे अपने साथ ले जा रही है l “कृपया टीवी बंद कर दें,” उसकी व्यस्क बेटी ने उनसे आग्रह किया l “सुनना तुरंत बंद कर दीजिए l” लेकिन वह व्यक्ति सोशल मीडिया और दूसरे समाचार स्त्रोतों में अधिकाधिक समय बिताता रहा l
जो हम सुनते हैं वह गहराई से मायने रखता है l हम इसे यीशु का पिलातुस के साथ सामना करने में देखते हैं l धार्मिक अगुओं द्वारा उसके विरुद्ध अपराधिक अभियोग का उत्तर देते हुए, पिलातुस ने उसे बुलवाकर उससे पूछा, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” (यूहन्ना 18:33) l यीशु ने हक्का-बक्काकर देनेवाला (चौकाने वाले) प्रश्न के साथ उत्तर दिया : “क्या तू यह बात अपनी ओर से कहता है या दूसरों ने मेरे विषय में तुझ से यह कहा है?” (पद.34) l
वही प्रश्न हमें भी जाँचता हैl घबराहट के संसार में, हम अव्यवस्था या अराजकता को सुन रहे हैं या मसीह को? निश्चित रूप से,उसने कहा “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं,” l “मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं” (10:27) l यीशु ने उस पर संदेह करनेवाले धार्मिक अगुओं को समझाने के लिए “यह दृष्टान्त कहा” (पद.6) l उसने कहा कि एक अच्छे चरवाहे की तरह, उसकी “भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं, क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं l परन्तु वे पराए के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उससे भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानतीं” (पद.4-5) l
अच्छे चरवाहे के रूप में, यीशु हमें सभी बातों के ऊपर उसे सुनने के लिए कहता है l संभवतः हम उसे अच्छी तरह से सुने और उसकी शांति पाए l