एक कवयित्री और भक्ति लेखिका क्रिस्टीना रोसेटी ने पाया कि उनके लिए जीवन में कुछ भी आसान नहीं था। वह अपने पूरे जीवन में अवसाद और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित रही और तीन बार सगाई का टूटना सहा। आखिरकार उसकी कैंसर से मौत हो गई।

जब दाऊद इस्राएल की राष्ट्रीय चेतना में फूट पड़ा, तो यह एक विजयी योद्धा के रूप में था। फिर भी दाऊद ने अपने पूरे जीवन में कठिनाइयों का सामना किया। उसके शासनकाल के अंत में, उसका अपना पुत्र, उसके विश्वस्त सलाहकार और देश के अधिकांश लोगों के साथ, उसके विरुद्ध हो गया (2 शमूएल 15:1-12)। इसलिए दाऊद एब्यातार और सादोक याजकों को और परमेश्वर के पवित्र सन्दूक को अपने साथ ले गया और यरूशलेम से भाग गया (पद 14, 24)।

जब एब्यातार परमेश्वर के लिये बलिदान चढ़ा चुका, तब दाऊद ने याजकों से कहा, परमेश्वर के सन्दूक को नगर में लौटा लो। “यदि यहोवा के अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर हो, तो वह मुझे लौटाकर उसको और अपने वासस्थान को भी दिखाएगा” (पद. 25)। अनिश्चितता के बावजूद, दाऊद ने कहा, “यदि [परमेश्‍वर] कहे, ‘मैं तुझ से प्रसन्न नहीं हूँ,’ . . . जैसा उसको भाए वैसा ही वह मेरे साथ बर्त्ताव करे।” (पद 26)। वह जानता था कि वह परमेश्वर पर भरोसा रख