हाल ही में मुझे एक सहायक शब्द मिला: शीतकाल। जिस प्रकार से सर्दियों का मौसम अधिकांश प्राकृतिक संसार के धीमे हो जाने का समय होता है, लेखिका कैथरीन मे जीवन के “ठंडे” मौसमों के दौरान विश्राम करने और स्वस्थ होने की हमारी आवश्यकता का वर्णन करने के लिए इस शब्द का उपयोग करती हैं। मैंने अपने पिता को कैंसर की बीमारी से खो देने के बाद उस समरूपता को सहायक पाया, जिसने मुझे महीनों तक मुझे शक्तिहीन बना कर  रखा। इस जबरदस्ती की धीमी गति से नाराज होकर, यह प्रार्थना करते हुए मैंने अपनी सर्दी से लड़ाई लड़ी कि गर्मी का जीवन वापस लौट आए । परन्तु मुझे तो बहुत कुछ सीखना था।

सभोपदेशक की पुस्तक प्रसिद्ध रूप से कहती है कि “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है”— अर्थात् बोने और काटने का समय, रोने और हँसने का, शोक मनाने और नाचने का समय (3:1-4)। वर्षों से मैंने इन वचनों को पढ़ा था, परन्तु इन्हें समझना मैंने अपने शीतकाल में ही आरम्भ किया। क्योंकि यद्यपि हमारा उन पर थोड़ा नियंत्रण हो भी, तौभी प्रत्येक मौसम सीमित होताहै और जब उसका कार्य पूरा हो जाएगा तो वह बीत जाएगा। और जबकि हम हमेशा यह नहीं समझ सकते कि यह क्या हुआ, परमेश्वर उनके द्वारा हमारे भीतर कुछ महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है (पद 11)। मेरा शोक का समय समाप्त नहीं हुआ था। परन्तु जब यह समाप्त होगा तो आनन्द लौट आयेगा । जैसे पौधे और पशु सर्दी से संघर्ष नहीं करते, वैसे ही मुझे भी आवश्यकता थी कि विश्राम करूँ और उसे अपना नवीनीकरण का काम करने दूँ।

मेरे एक मित्र ने प्रार्थना की,“हे प्रभु, क्या आप इस कठिन समय में शेरिडन के जीवन में अपना भला काम करेंगे।” यह प्रार्थना मेरी प्रार्थना से बेहतर थी। क्योंकि परमेश्वर के हाथों में, मौसम तो उद्देश्यपूर्ण वस्तुएँ हैं। आइए हम हर एक के जीवन में उसके नवीनीकरण के कार्य के प्रति समर्पित हो जाएँ।