मेरे भाइयों और हमारे परिवारों ने हमारे माता–पिता के सामान को हमारे बचपन के घर से हटाने में सारा दिन बिताया। दोपहर में देर से, हम आखिरी बार सामान उठाने के लिए वापस गए और यह जानते हुए कि हम अपने  पारिवारिक घर में आखिरी बार हैं हमने  पीछे के बरामदे में एक तस्वीर खिंचवाने का फेसला किया। मैं आँसुओं को छिपाने की कोशिश कर रहा था कि मेरी माँ ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “अब यह सब खाली है।” इसने मुझे पूरी तरह से भावनातमक तरह से हिला दिया । चौवन साल की यादें समेटे वह घर अब सूना है। मैं इसके बारे में न सोचने की कोशिश करता हूं।

मेरे दिल का दुख यिर्मयाह के विलापगीत  के पहले शब्दों के साथ गूँजता है— “जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली है” (1:1); एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि यरूशलेम नगरी अपने बहुत से अपराधों के कारण सूनी थी (पद 5)। परमेश्वर ने अपने लोगों को बाबुल में बंधुआई में भेजा क्योंकि उन्होंने उसके विरुद्ध विद्रोह किया और पश्चाताप करने से इनकार कर दिया (पद 18)। मेरे माता–पिता पाप के कारण आगे नहीं बढ़ रहे थे, कम से कम खुले दिल से तो नहीं । परन्तु अदन की वाटिका में आदम के पाप के बाद से, प्रत्येक व्यक्ति के जीवनकाल में उनके स्वास्थ्य में  गिरावट आई है। जैसे–जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे लिए यह असामान्य नहीं है कि हम छोटे घरों में रहें जिनका रख–रखाव आसान हो।

मैं उन यादों के लिए शुक्रगुजार हूं जिन्होंने हमारे साधारण घर को खास बनाया। दुख दर्द प्यार की कीमत है। मुझे पता है कि अगली अलविदा मेरे माता–पिता के घर के लिये नहीं, बल्कि मेरे माता–पिता के लिए होगी। और मैं रोता हूं, मैं यीशु को आने के लिए पुकारता हूं, कि वह आये और इस अलविदा को समाप्त  करे, और सभी चीजों को बहाल करे । मेरी आशा उस पर है।