किसी बड़े कार्यक्रम में भाग लेना आपको आश्चर्यजनक तरीके से बदल सकता है l यूके और यूएस में अनेक दिनों की सभाओं में 1,200 से अधिक लोगों के साथ बातचीत करने के बाद, शोधकर्ता डेनियल युद्किन और उनके सहयोगियों ने सीखा कि बड़े त्यौहार हमारे नैतिक सीमा को प्रभावित कर सकते हैं और दूसरों के साथ संसाधन साझा करने की हमारी इच्छा को भी प्रभावित कर सकते हैं l उनके शोध में पाया गया कि 63 फीसदी उपस्थित लोगों को त्यौहार में “परिवर्तनकारी” अनुभव मिला, जिसने उन्हें मानवता से अधिक जुड़ा हुआ और मित्रों, परिवार और पूर्ण अजनबियों के प्रति भी अधिक उदार महसूस कराया l

जब हम दूसरों के साथ परमेश्वर की आराधना करने के लिए एकत्रित होते हैं, हालाँकि, हम एक लौकिक त्यौहार के मात्र सामाजिक “रूपांतरण” से अधिक अनुभव कर सकते हैं; हम स्वयं ईश्वर के साथ बातचीत करते हैं l परमेश्वर के लोगों ने बेशक परमेश्वर के साथ उस सम्बन्ध का अनुभव किया जब वे प्राचीन काल में पूरे वर्ष अपने पवित्र पर्वों के लिए यरूशलेम में एकत्रित होते थे l उन्होंने—बगैर आधुनिक सुविधाओं के—अखमीरी रोटी का पर्व, सप्ताहों का पर्व, और झोपड़ियों के पर्व के लिए मंदिर में उपस्थित होने के लिए वर्ष में तीन बार यात्राएँ की (व्यवस्थाविवरण 16:16) l ये समारोह परिवार, सेवकों, विदेशियों, और दूसरों के साथ “परमेश्वर यहोवा के सामने” (पद.11) पवित्र स्मरण, उपासना, और आनंद करने के समय थे l  

आइए हम दूसरों के साथ आराधना के लिए एकत्रित हों ताकि परस्पर सहायता कर सकें ताकि उसका आनंद लेते रहें और उसकी विश्वासयोग्यता पर भरोसा रखें l