यह कहते हुए कभी कोई नहीं मरा, “मैं आत्म-केन्द्रित, स्वयंसेवी, एवं आत्म-रक्षक जीवन जीकर बहुत खुश हूँ,” लेखक पार्कर पामर ने एक आरंभिक संबोधन में कहते हुए, स्नातकों से “खुले हृदय से उदारता के साथ [खुद को] संसार की सेवा में पेश करने” का आग्रह किया l

लेकिन, पार्कर ने जारी रखा, इस तरह जीने का अर्थ सीखना भी होगा कि “आप कितना कम जानते हैं और असफल होना कितना सरल है l” खुद को संसार की सेवा में पेश करने के लिए “शुरू करनेवाले मस्तिष्क” विकसित करने की ज़रूरत हैं जो “सीधे अपने अनजाने में चले, और बार-बार असफल होने का जोखिम उठाए—उसके बाद सीखने के लिए बार-बार उठ खड़ा हो l”

जब हमारा जीवन अनुग्रह की नींव पर निर्मित होगा तब ही “खुले दिल की उदारता” के ऐसे जीवन को चुनने का साहस पा सकते हैं l जैसा कि पौलुस ने अपने शिष्य तीमुथियुस को समझाया, हम आत्मविश्वास से “प्रज्वलित कर” सकते हैं (2 तीमुथियुस 1:6) और परमेश्वर के उपहार पर जीवित रह सकते हैं जब हम याद करते हैं कि यह परमेश्वर का अनुग्रह है जो हमें बचाता है और हमें एक उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए बुलाता है (पद. 9) l यह उसकी शक्ति है जो हमें आत्मा की “सामर्थ्य और प्रेम और संयम” (पद.7) के बदले कायर जीवन जीने के प्रलोभन का विरोध करने का साहस देती है l और यह उसका अनुग्रह है जो हमें तब उठाता है जब हम गिरते हैं, ताकि अपने जीवन को उसके प्रेम में स्थापित करने की आजीवन यात्रा जारी रख सकें (पद.13-14) l