Month: अगस्त 2023

आदर

आज की दुनिया में हम आदर की आत्मा को किस प्रकार बढ़ा सकते हैं?

कोई भी सिद्ध नहीं! हमारा पाप हमें भद्र बनाता और हमारा मानवीय स्वभाव स्वयं हमें तुच्छ जानता है। परंतु स्वयं में संतुष्टि प्राप्त करने का मार्ग ही आदर है - जो ईश्वर के प्रति आदर है। प्रत्येक विश्वव्यापी सोच आत्मिक उन्नति और नैतिक्ता परमेश्वर के आदर की…

परमेश्वर की अनंत कलीसिया

“क्या चर्च ख़त्म हो गया है?” जैसे ही रविवारीय सभा समाप्त हो रही थी, एक युवा माँ ने दो बच्चों के साथ हमारे चर्च में आते समय कहा l एक स्वागतकर्ता ने उसे बताया कि निकट के एक चर्च में दो रविवारीय आराधना होती है और दूसरी जल्द ही शुरू होनेवाली है l क्या वह वहां जाना चाहेगी? वह युवा माँ ने हाँ कहा और कुछ दूरी पर उस चर्च में जाने के लिए आभारी थी l बाद में विचार करते हुए, स्वागतकर्ता इस परिणाम पर पहुंचा : “क्या चर्च ख़त्म हो गया है? कभी नहीं l परमेश्वर की कलीसिया सर्वदा चलती रहती है l”

चर्च एक “नाजुक” इमारत नहीं है l पौलुस लिखता है, यह परमेश्वर का विश्वासयोग्य परिवार है जो “परमेश्वर के घराने के [हैं] . . . और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नींव पर, जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु स्वयं ही है, बनाए गए [हैं] जिसमें सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मंदिर बनती जाती है l जिसमें तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवासस्थान होने के लिए एक साथ बनाए जाते हो” (इफिसियों 2:19-22) lआपकी स्थानीय कलीसिया के विषय में कौन सी बात आपको आभारी बनाती है? आप परमेश्वर की विश्वव्यापी कलीसिया को बढ़ने में कैसे मदद कर सकते हैं?

यीशु ने स्वयं ही अपनी कलीसिया को अनंतता के लिए स्थापित किया l उसने घोषणा की कि चुनौतियों या मुसीबतों के बावजूद जिसका सामना कलीसिया करती है, “अधोलोक की फाटक उस पर प्रबल न होंगे” (मत्ती 16:18) l

समर्थ बनाने वाले इस लेंस के द्वारा, हम अपनी स्थानीय कलीसियाओं को—हम सभी—परमेश्वर की विश्वव्यापी कलीसिया के एक हिस्से के रूप में, मसीह यीशु में उसकी महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग” बनते हुए देख सकते हैं!” (इफिसियों 3:21) l

प्रोत्साहन का उपहार

“आपकी मधुमक्खियाँ जानेवाली हैं!” मेरी पत्नी मुझे बतायी जो कोई भी मधुमक्खी पालक सुनना पसंद नहीं करता l मैं बाहर जाकर हज़ारों मधुमक्खियों को अपने छत्ते से निकलकर ऊँचे चीड़ पर जाते देखा जो फिर लौटने वाली नहीं थीं l

मैंने संकेत थोड़ी देर से पढ़ी कि मधुमक्खियाँ झुण्ड बनाकर छत्ता छोड़ने वाली थीं; आंधी ने मेरे निरीक्षणों को बाधित कर दिया था l जिस सुबह तूफ़ान थमा, मधुमक्खियाँ जा चुकी थीं l छत्ता नया और स्वस्थ था, और मधुमक्खियाँ वास्तव में एक नयी शुरुआत करने के लिए छत्ते को विभाजित कर रही थीं l एक अनुभवी मधुमक्खी पालक ने मेरी निराशा को देखकर ख़ुशी से बोला, “अपने आप पर कठोर मत बनो l” “यह किसी के साथ भी हो सकता है!”

प्रोत्साहन एक सुखद उपहार है l जब दाऊद निराश हुआ, क्योंकि शाऊल उसको मारने हेतु उसका पीछा कर रहा था, तब शाऊल का पुत्र योनातान ने दाऊद को उत्साहित किया l योनातान ने कहा, “मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा; और तू इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे हूँगा; और इस बात को मेरा पिता शाऊल जानता है” (1 शमुएल 23:17) l

ये आश्चर्यजनक रूप से निःस्वार्थ शब्द हैं जो सिंहासन के सीध में खड़े किसी व्यक्ति के हैं l यह संभव है कि योनातान ने पहचाना कि परमेश्वर दाऊद के साथ था, इसलिए उसने विश्वास के विनम्र हृदय से बात की l

हमारे चारों ओर ऐसे लोग हैं जिन्हें उत्साहवर्धन चाहिए l परमेश्वर उनकी सहायता करने में हमारी मदद करेगा जब हम उसके सामने स्वयं को दीन करते हैं और उससे हमारे द्वारा उन्हें प्रेम करने के लिए कहते हैं l

खुले स्थान ढूँढना

अपनी पुस्तक मार्जिन(Margin) में, डॉ. रिचर्ड स्वेन्सन लिखते हैं, “हमारे पास सांस लेने के लिए थोड़ी जगह होनी चाहिए l हमें सोचने के लिए स्वतंत्रता और चंगा करने के लिए अनुमति चाहिए l हमारे रिश्ते वेग/गति से भूखे मर रहे हैं . . . हमारे बच्चे धरती पर घायल हैं, हमारे उच्च गति वाले नेक इरादों से कुचले जा रहे हैं l क्या ईश्वर अब थकान का समर्थक है? क्या वह अब लोगों को शांत जल के पास नहीं ले जाता? अतीत के उन पूर्ण खुले स्थानों को किसने लूटा, और हम उन्हें कैसे वापस ला सकते हैं?” स्वेन्सन कहते हैं कि हमें जीवन में कुछ शांत, उपजाऊ “भूमि” की ज़रूरत है जहाँ हम ईश्वर में विश्राम पाएँ और उससे मिल सकें l

क्या वह गूंजता है? खुली जगहों की तलाश करना मूसा अच्छी तरह से जानता था l “हठीले” लोगों की अगुवाई करते हुए (निर्गमन 33:5), वह अक्सर परमेश्वर की उपस्थिति में विश्राम और मार्गदर्शन के लिए अलग जाता था l अपने “मिलापवाले तम्बू” (पद.7) में “यहोवा मूसा से इस प्रकार आमने-सामने बातें करता था, जिस प्रकार कोई अपने भाई से” (पद.11) l यीशु भी “जंगलों में अलग जाकर प्रार्थना किया करता था” (लूका 5:16) l दोनों ने पिता के साथ अकेले समय बिताने के महत्व को समझा l

हमें भी अपने जीवन में मार्जिन/गुंजाइश बनाना चाहिए, विश्राम में और ईश्वर की उपस्थिति में बिताए कुछ अधिक और खुले स्थान l उसके साथ समय बिताने से हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी—हमारे जीवन में स्वस्थ सीमाएं और हदें ऐसी होंगी ताकि हमारे पास उसे और दूसरों को अच्छी तरह से प्यार करने के लिए बैंडविड्थ/bandwidth उपलब्ध हो l

आइए आज हम खुले स्थानों में ईश्वर की खोज करें l

मसीह की सामर्थ्य

2013 में, लगभग छह सौ प्रत्यक्ष दर्शकों ने कलाबाज निक वॉलेंडा को ग्रैंड कैनियन(Grand Canyon) के पास 1500 फीट चौड़ी खाई के ऊपर एक तंग रस्से पर चलते हुए देखा l उसने 2 इंच मोटी स्टील के रस्से पर कदम रखकर यीशु को धन्यवाद दिया जब उसके मुख्य कैमरा ने नीचे घाटी की ओर इशारा किया l उसने प्रार्थना और यीशु की स्तुति करते हुए रस्से पर इतनी शांति से चला मानो वह फूटपाथ पर टहल रहा हो l हवा के विरुद्ध होने पर, वह रुक कर झुक गया l वह उठा और “उस रस्से को शांत करने” के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हुए अपना संतुलन वापस प्राप्त किया l उस तनी रस्सी पर हर कदम के साथ, उसने मसीह की शक्ति पर अपने भरोसे को तब और अब सुनने वाले हर किसी के सामने प्रदर्शित किया, जैसा कि वीडियों दुनिया भर में देखा जाता है l

जब तूफ़ान ने गलील के समुद्र में शिष्यों को लहरों से घेर लिए, तो सहायता के लिए उनकी याचनाओं में डर दिखाई दिया (मरकुस 4:35-38) l यीशु द्वारा तूफ़ान को शांत करने के बाद, वे जान गए कि वह हवाओं और बाकी सब चीजों को नियंत्रित करता है (पद.39-42) l धीरे-धीरे उस पर उनका भरोसा बढ़ा l उनके व्यक्तिगत अनुभव दूसरों को यीशु की गहरी उपलब्धता और असाधारण ताकत को पहचानने में मदद कर सकते हैं l

जीवन के तूफानों का अनुभव करते समय या दुःख की गहरी घाटियों पर फैले भरोसे की तनी रस्सी पर चलते समय, हम मसीह की शक्ति में विश्वास का प्रदर्शन कर सकते हैं l परमेश्वर हमारे विश्वास-कदम का उपयोग दूसरों को उसमें आशा रखने के लिए प्रेरित करने के लिए करेगा l