कोई प्रश्न?
ऐन, प्रारंभिक परीक्षा के लिए अपने ओरल सर्जन से मिल रही थी — जो एक चिकित्सक थे जिसे वह कई वर्षों से जानती थी। उसने ऐन से पूछा, “क्या कोई प्रश्न पूछना है?” उसने कहा “हाँ“ क्या आप पिछले रविवार को चर्च गए थे?” उसका सवाल आलोचनात्मक नहीं था, उसने केवल विश्वास के बारे में बातचीत शुरू करने के लिए यह पूछा था।
सर्जन के पास चर्च का कोई सकारात्मक अनुभव नहीं था जब वह बड़ा हो रहा था और वह फिर कभी लौट के वहां गया नहीं । ऐन के प्रश्न और उनकी बातचीत के कारण, उसने अपने जीवन में यीशु और चर्च की भूमिका पर पुनर्विचार किया। जब ऐन ने बाद में उसे एक बाइबल दी जिस पर उसका नाम लिखा हुआ था तो बाइबल लेते समय उसकी आंखों में आंसू आ गये।
कभी कभी हम विरोध से डरते हैं या अपने विश्वास को साझा करने में बहुत आक्रामक नहीं दिखना चाहते। लेकिन यीशु के बारे में गवाही देने का एक अच्छा तरीका हो सकता है कि —प्रश्न पूछें।
एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो परमेश्वर था, और सब कुछ जानता था, यीशु ने निश्चित रूप से बहुत सारे प्रश्न पूछे। जबकि हम उसके उद्देश्यों को नहीं जानते हैं, यह स्पष्ट है कि उसके प्रश्नों ने दूसरों को प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने शिष्य अन्द्रियास से पूछा, “तुम क्या चाहते हो?” (यूहन्ना 1:38)। उसने अंधे बरतिमाई से पूछा“ तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिये करूं?” (मरकुस 10:51; लूका 18:41)। उसने लकवे के रोगी से पूछा, “क्या तू चंगा होना चाहता है?” (यूहन्ना 5:6)। यीशु के प्रारंभिक प्रश्न के बाद इनमें से प्रत्येक व्यक्ति के लिए बदलाव हुआ।
क्या कोई ऐसा है जिससे आप विश्वास के मामलों के बारे में संपर्क करना चाहते हैं? परमेश्वर से मांगें कि वह आपको पूछने के लिए सही प्रश्न दे।
बिल्कुल यीशु की तरह
2014 में जीवविज्ञानियों ने फिलीपींस में नारंगी पिग्मी समुद्री घोड़े की एक जोड़ी को पकड़ा। वे उन समुद्री जीवों को औरंज कोरल सी फैन (नारंगी मूंगा समुद्री पंखे) के साथ सैन फ्रांसिस्को में कैलिफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंसेज में ले गए । वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि क्या पिग्मी समुद्री घोड़े अपने माता पिता या अपने पर्यावरण के रंग से मेल खाने के लिए पैदा हुए थे। जब पिग्मी समुद्री घोड़े (सीहॉर्स) ने धुंधले भूरे रंग के बच्चों को जन्म दिया तो वैज्ञानिकों ने टैंक में एक बैंगनी मूंगा समुद्री पंखा रखा। वे बच्चे जिनके माता पिता नारंगी रंग के थे उन्होंने बैंगनी समुद्री पंखे से मेल खाने के लिए अपना रंग बदल लिया। स्वभाव से नाजुक होने के कारण, उनका जीवित रहना उनके माहौल में मेल खाने की उनकी परमेश्वर द्वारा दी गई क्षमता पर निर्भर करता है।
मेल खाना प्रकृति में एक उपयोगी रक्षा व्यवस्था है। परमेश्वर सभी लोगों को उद्धार प्राप्त करने और हमारे जीने के तरीके के द्वारा दुनिया में अलग दिखने के लिए आमंत्रित करता है। प्रेरित पौलुस, यीशु के विश्वासियों से आग्रह करता है कि वे अपने जीवन के हर पहलू में परमेश्वर का आदर करें, अपने शरीरों को जीवित बलिदान करके उसकी आराधना करें (रोमियों 12:1) । पाप से प्रभावित मनुष्य के रूप में हमारी कमज़ोरी के कारण, विश्वासियों के रूप में हमारा आत्मिक स्वास्थ्य पवित्र आत्मा द्वारा हमारे मन को "नवीनीकृत" करने पर निर्भर करता है, और इस संसार के सदृश बनने से बचने के लिए हमें सशक्त बनाता हैं, जो परमेश्वर को अस्वीकार करता है और पाप की महिमा करता है (पद 2)।
इस संसार में मेल खाने का अर्थ है पवित्र शास्त्र के विरोध में रहना। फिर भी, पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा हम यीशु की तरह ही दिख सकते और प्रेम कर सकते हैं!
भविष्यद्वक्ताओं का संदेश
बेसबॉल की 1906 वर्ल्ड सीरीज़ से पहले, खेल लेखक ह्यू फुलर्टन ने एक समझदारी वाली भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा कि शिकागो क्बस जिनके जीतने की उम्मीद थी, पहले और तीसरे गेम हारेंगे और दूसरा जीतेंगे। और चौथे दिन बारिश होगी। उनकी हर बात सही थी। फिर 1919 में उनके विश्लेषणात्मक कौशल ने उन्हें बताया कि कुछ खिलाड़ी जानबूझकर वर्ल्ड सीरीज़ गेम हार रहे थे। फुलर्टन को संदेह था कि जुआरियों ने उन्हें रिश्वत दी है। उनकी लोकप्रिय राय ने उनका उपहास किया। लेकिन फिर से वह सही थे।
फुलर्टन कोई भविष्यवक्ता नहीं थे — बस वह एक बुद्धिमान व्यक्ति थे जिन्होंने सबूतों का अध्ययन किया। यिर्मयाह एक वास्तविक भविष्यवक्ता (नबी) था जिसकी भविष्यवाणियाँ हमेशा सच होती थीं। एक जूएँ को पहने हुए यिर्मयाह ने यहूदा को बेबीलोन के सामने आत्मसमर्पण करने और जीवित रहने के लिए कहा (यिर्मयाह 27:2, 12)। झूठे भविष्यद्वक्ता हनन्याह ने उसका खंडन किया और तब हनन्याह भविष्यद्वक्ता ने उस जूएँ को जो यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता की गर्दन पर था, उतार कर तोड़ दिया। (28:2–4,10)। यिर्मयाह ने उससे कहा, “हनन्याह सुनो! यहोवा ने तुझे नहीं भेजा है, और आगे कहा, इसी वर्ष में तू मरेगा” (पद 15–16)। दो महीने बाद हनन्याह की मृत्यु हो गई (पद 17)।
नया नियम हमें बताता है, “पूर्व युग में परमेश्वर ने बापदादों से थोड़ा थोड़ा करके और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कर के। पर इन अन्तिम दिनों में हम से अपने पुत्र के द्वारा बातें की।” (इब्रानियों 1:1–2)। यीशु के जीवन, मृत्यु, और पुनरुत्थान के द्वारा, और पवित्र शास्त्र के द्वारा, और पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के द्वारा परमेश्वर का सत्य आज भी हमें निर्देश देता है।
छोड़ दो
किताबों की जिस दुकान में कीथ काम करता था उसका मालिक केवल दो दिनों के लिए छुट्टी पर था लेकिन कीथ, जो उसका सहायक था पहले से ही घबरा रहा था। संचालन ठीक चल रहा था, लेकिन कीथ चिंतित था कि वह स्टोर की देखरेख ठीक से नहीं कर पायेगा । बैचेन होकर, जितना बारीकी से वह प्रबंधन कर सकता था उसने किया।
उसके बॉस ने आखिरकार उसे एक वीडियो कॉल पर कहा “ऐसा करना बन्द करो। तुम केवल उन निर्देशों का पालन करो जो मैं तुम्हें प्रतिदिन ईमेल करता हूँ। चिंता मत करो कीथ। बोझ तुम पर नहीं है, मुझ पर है।”
अन्य राष्ट्रों के साथ संघर्ष के समय में इस्राएल को परमेश्वर से एक ऐसा ही संदेश मिला था: “चुप हो जाओ” भजन संहिता 46:10 । “संघर्ष करना बंद करो”, उसने संक्षेप में कहा “मैं जो कहता हूं केवल उसका पालन करो। मैं तुम्हारे लिए लड़ूंगा।” परमेश्वर ने इस्राएल को निष्क्रिय या लापरवाह होने के लिए नहीं बल्कि सक्रिय रूप से स्थिर रहने के लिए ऐसा कहा था — स्थिति पर नियंत्रण और अपने प्रयासों के परिणामों को परमेश्वर पर छोड़ते हुए ईमानदारी से परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए कहा जा रहा था।
हमें भी ऐसा करने के लिए बुलाया गया है। और हम यह कर सकते हैं क्योंकि जिस परमेश्वर पर हम भरोसा करते हैं वह संसार के ऊपर प्रभुता करता है। “यदि वह बोलता है तो पृथ्वी पिघल जाती है, और वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटा सकता है” (पद 6, 9); तो निश्चित रूप से हम उसकी शरण की सुरक्षा और उसके बल पर भरोसा कर सकते हैं (पद 1)। हमारे जीवन पर नियंत्रण का बोझ हम पर नहीं है — परमेश्वर पर है।