परमेश्वर का छुटकारा
एक करुणामय स्वयंसेवक को उसके बहादुरी के कार्य हेतु उसे एक “संरक्षक दूत” (guardian angel) कहके संबोधित किया गया। जेक मन्ना अपने काम के स्थान पर सोलर पैनल लगा रहा था जब वह एक लापता पांच वर्षीय लड़की को ढूंढने के लिए तत्काल खोज में शामिल हो गया। जब पड़ोसियों ने अपनी गराजों और आंगनों में ढूंढा । मन्ना भी लड़की को ढूंढने के लिए एक नजदीकी मार्ग पर सीधा निकल गया जब वह एक जंगली क्षेत्र पर पहुंचा तो उसने वहां पर लड़की को कमर तक कीचड़ में फंसे हुए देखा उसने बड़ी ही सावधानी से उस गंदी दलदल से उसे बाहर निकाला और उसे किसी भी क्षति के बिना उसकी धन्यवादी माँ को लौटा दिया।
उस छोटी बच्ची की तरह, दाऊद ने भी छुटकारे का अनुभव किया। भजनकार भी अपनी पीड़ा में परमेश्वर को पुकार कर उसकी करुणा के लिए "धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की" (भजन संहिता 40:1)। और परमेश्वर ने किया, उसने उसकी पुकार की ओर अपनी दृष्टि की और सहायता देते हुए उसे उस कीचड़ रूपी परिस्थिति से बाहर निकाला (पद 2)—दाऊद के जीवन को स्थिर किया। बीते समय की दलदल से जब परमेश्वर ने उसे बचा निकाला तब उसके हृदय में स्तुति के भजन गाने लगा, जिससे भविष्य की परिस्थितियों में परमेश्वर को अपना भरोसा बनाए और अपनी कहानी दूसरों के साथ साझा कर सके (पद 3-4)।
जब हम स्वयं को जीवन की चुनौतियों जैसे आर्थिक मंदी, विवाहित परेशानियां और अयोग्य महसूस करने जैसी परिस्थितियों से घिरा हुआ पाते हैं, तो हम परमेश्वर की ओर अपनी आवाज को उठाएं और बड़े धीरज के साथ उसके प्रत्युत्तर की अपेक्षा करें (पद 1)। वह वहाँ है, हमारी ज़रूरत के समय में हमारी मदद करने और हमें खड़े होने के लिए एक स्थाई जगह देने के लिए तैयार है।।
पुत्र के प्रकाश को प्रतिबिंबित करना
मेरी मां से मेरा झगड़ा होने के बाद, उन्होंने मुझे घर से 1 घंटे की दूरी पर मिलने को सहमत हुई । जब मैं वहां पहुंचा, तो पता चला कि वह मेरे पहुंचने से पहले ही वहां से जा चुकी थी। मैंने गुस्से में, उन्हें एक संदेश लिखा। लेकिन जब मुझे लगा कि प्रभु मुझे प्यार से जवाब देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो मैंने इसमें संशोधन किया। । जब मेरी मां ने वह भिन्न तरीके से लिखा हुआ संदेश पढ़ा तो उन्होंने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा, "तू बदल गया है" । परमेश्वर ने मेरे संदेश द्वारा उन्हें प्रेरित किया वह यीशु मसीह के बारे में मुझसे पूछे जिसका अंततः परिणाम उन्होंने भी यीशु को अपना निजी उद्धारकर्ता करके स्वीकार किया।
मत्ती 5 में यीशु ने अपने चेलों को जगत की ज्योति कहा (पद 14) फिर उसने कहा कि, “उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।”(पद16) जैसे ही हम यीशु को अपना उद्धारकर्ता करके स्वीकारते हैं तभी हम पवित्र आत्मा की सामर्थ्य को पा लेते हैं। वह हमें बदल देता है ताकि हम जहां भी जाएं, परमेश्वर की सच्चाई और प्रेम के चमकदार गवाह बन सकें।।
पवित्र आत्मा की सामर्थ्य द्वारा हम आशा और शांति की आनंदमय ज्योति बन कर चमक सके जो प्रतिदिन यीशु के प्रतिरूप में बदलता जाता है। ऐसे में हम जो भी भला काम करते हैं - वह धन्यवाद स्वरूप आराधना में बदलता जाता है जो दूसरों को आकर्षक लगती है और जीवंत विश्वास के रूप में देखी जा सकती है। पवित्र आत्मा को समर्पित होकर - पुत्र यीशु की ज्योति को प्रतिबिंबित करते हुए हम पिता को आदर पहुंचा सकते हैं।
प्रत्येक जन आराधना करता है
मैंने हाल ही में एथेंस, ग्रीस का दौरा किया। जब मैं वहां ऐतिहासिक इमारतों के मध्य से होकर जा रहा था—यह वही स्थान था जहां पर बाजारों में बड़े दार्शनिकों ने लोगों को शिक्षित किया और एथेनिया के लोग आराधना भी किया करते थे—मुझे अपोलो और ज़ीउस की वेदियाँ मिलीं, यह सब एक्रोपोलिस जगह में स्थापित है जहां एक समय पर एथेना देवी की मूर्ति खड़ी होती थी ।
आजकल हम अपोलो और ज़ीउस देवताओं के सामने नतमस्तक ना हो फिर भी हमारा समाज आज भी धार्मिक है। "प्रत्येक जन आराधना करता है", लेखक डेविड फोस्टर वालेस एक चेतावनी के साथ कहते हैं यदि तुम पैसे और वस्तुओं की आराधना करोगे… तो आप कभी संतुष्ट नहीं होंगे … यदि तुम अपनी सुंदरता और शरीर की आराधना करोगे… तो तुम सदैव कुरूप बने रहोगे… और यदि तुम अपनी बुद्धि की आराधना करोगे… आप अंतत: मूर्खतापूर्ण महसूस करने लगेंगे।'' हमारे धर्मनिरपेक्ष युग के अपने देवता हैं, और वे अच्छे नहीं हैं ।
“एथेंस के निवासियों!” पौलुस ने अगोरा का दौरा करते हुए कहा, मैं देखता हूँ कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े माननेवाले हो (प्रेरितों 17:22)। प्रेरित ने सच्चे परमेश्वर को एक सृष्टिकर्ता परमेश्वर के रूप में बताया है(पद 24-26) जो अपने आप को प्रकट करना चाहता है (पद 27) और उसने यीशु मसीह के पुनरुत्थान द्वारा स्वयं को प्रकट किया(पद 31), यह परमेश्वर अपोलो और ज़ीउस की तरह मानव रचित नहीं है । पैसे, सुंदरता या बुद्धि के विपरीत, उसकी आराधना करने से हम बर्बाद नहीं होंगे।
हमारा "परमेश्वर" वह है जिस पर हम हमें उद्देश्य और सुरक्षा देने के लिए भरोसा रखते हैं। शुक्र है, जब हर सांसारिक परमेश्वर हमें विफल कर देता है, एकमात्र सच्चा परमेश्वर हमें मिलने के लिए तैयार होता है। (पद 27)
यीशु अनुकरण करने के योग्य है
रोनित एक धार्मिक गैर मसीही परिवार से आती है। उनकी आत्मिक चर्चाएं बड़ी ही अरुचिकर व औपचारिक होती थी। उसने कहा “मैं सभी प्रार्थनाओं को करती हूं परंतु मुझे [परमेश्वर से] कुछ सुनाई नहीं देता।"
उसने बाइबल पढ़ना आरंभ किया धीरे-धीरे उसका विश्वास यीशु को एक मसीहा मानने की ओर बढ़ा। रोनित निरीक्षण के बारे में बताया कि मैंने अपने हृदय में एक स्पष्ट आवाज को सुना जो मुझसे कह रही थी तुम बहुत कुछ सुन चुकी हो बहुत कुछ देख चुकी हो अब समय आ गया है कि तुम विश्वास करो परंतु उनके समक्ष एक समस्या थी उसके पिता। वह उस क्षण को याद करती है जब उसके पिता ने इसके प्रति अपना रौद्र रूप दिखाया।
जब यीशु इस पृथ्वी पर चलते थे तो उनके पीछे भीड़ चलती थी (लूका 14:25) हमें स्पष्ट रूप से पता नहीं है कि भीड़ क्या ढूंढ रही थी, परंतु यीशु चेलों की तलाश में था । और उसके लिए कीमत चुकानी पड़ती है । “यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्चों और भाइयों और बहिनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता", यीशु ने कहा (पद 26)। उसने एक गढ़ बनाने के विषय कहानी कही । "पहले बैठकर खर्च न जोड़े....? उसने पूछा (पद 28)। यीशु का मतलब अपने परिवार से घृणा करना नहीं था परंतु यह कहना चाह रहे थे कि इन सबसे बढ़कर हमें उसका चुनाव करना है । उन्होंने कहा, "तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, वह मेरा चेला नहीं हो सकता"(पद 33)।
रोनित अपने परिवार को बहुत प्रेम करती हैं फिर भी उसने कहा चाहे कितनी भी कीमत क्यों ना हो मैंने जान लिया है कि वह योग्य है। यीशु आपका मार्गदर्शन कर रहे हैं तो उनका अनुसरण करने के लिए आपको क्या त्यागने की आवश्यकता हो सकती है?