अपने सृजनहार को याद रखो
मैंने हाल ही में एक महिला के बारे में एक उपन्यास पढ़ा जो यह स्वीकार करने से इंकार कर देती है कि उसे लाइलाज कैंसर है। जब निकोला के परेशान दोस्त उसे सच्चाई का सामना करने के लिए मजबूर करते हैं, तो उसके टाल-मटोल का कारण सामने आता है। वह उनसे कहती है, ''मैंने अपना जीवन बर्बाद कर दिया है।'' यद्यपि प्रतिभा और धन के साथ पैदा हुई, “मैंने अपने जीवन में कुछ भी सार्थक नहीं किया। मैं लापरवाह थी, मैं कभी भी किसी चीज़ पर स्थिर नहीं रही।” अब यह महसूस करते हुए कि उसने बहुत कम हासिल किया है, दुनिया छोड़ने की संभावना का विचार निकोला के लिए बहुत दर्दनाक था।
मैं लगभग उसी समय सभोपदेशक पढ़ रहा था और मुझे इसमें बिल्कुल विरोधाभास (अन्तर) नजर आया। इसका शिक्षक हमें मृत्यु की वास्तविकता से बचने नहीं देता, "क्योंकि अधोलोक में जहाँ तू जाने वाला है" (9:10)। और जबकि इसका सामना करना कठिन है (पद- 2), यह हमें अब हमारे पास मौजूद हर पल को महत्व देने के लिए प्रेरित करता है (पद- 4), समझ बूझ के अपने भोजन और परिवारों का आनंद लेना (पद- 7-9), उद्देश्यपूर्ण ढंग से काम करना (पद- 10) ), असाधारण कार्य करना और जोखिम उठाना (11:1, 6), और एक दिन इन सभी कार्यों से सम्बंधित उत्तर हम परमेश्वर को देंगे (पद 9; 12:13-14)। निकोला के दोस्तों का कहना है कि अपने दोस्तों के प्रति उसकी वफादारी और उदारता साबित करती है कि उसका जीवन बर्बाद नहीं हुआ है। लेकिन शायद शिक्षक की सलाह हम सभी को हमारे जीवन के अंत में ऐसे संकट से बचा सकती है: अपने रचयिता (12:1) को याद रखें, उसके तौर-तरीकों का पालन करें, और जीने और प्रेम करने के हर अवसर को स्वीकार करें जो वह आज प्रदान करता है।
परमेश्वर ने उन सभी को बनाया
जैसे ही हम कैलिफोर्निया में मोंटेरी बे एक्वेरियम (Monterey Bay Aquarium) में दाखिल हुए, तो उत्साह से मेरे तीन साल के बेटे ज़ेवियर ने मेरा हाथ दबा दिया। छत से लटकी हंपबैक व्हेल (hump back whale) की आदमकद मूर्ति की ओर इशारा करते हुए उसने कहा, "बहुत बड़ा!" जब हमने प्रत्येक प्रदर्शनी का अवलोकन किया तो उनकी बड़ी-बड़ी आँखों वाली खुशी जारी रही। भोजन के समय ऊदबिलाव(Otters) को पानी की छींटे उड़ाते देख कर हम हँस पड़े। हम एक बड़ी कांच की एक्वेरियम खिड़की के सामने चुपचाप खड़े थे, चमकीले हल्के नीले पानी में नाचती सुनहरी-भूरी जेलिफ़िश (jelly fish) को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए। "परमेश्वर ने समुद्र में हर प्राणी को बनाया," मैंने कहा, "ठीक वैसे ही जैसे उसने तुम्हे और मुझे बनाया है।" ज़ेवियर फुसफुसाया, "वाह।"
भजन संहिता 104 में, भजनकार ने परमेश्वर की भरपूर सृष्टि को स्वीकार किया और गाया, “इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण हैI”(पद-24) । "इसी प्रकार समुद्र बड़ा और बहुत ही चौड़ा है, और उस में अनगिनित जलचरी जीव- जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं।" (पद-25) । उसने परमेश्वर के द्वारा बनाई गई सभी चीज़ों के लिए परमेश्वर की उदारता और संतोषजनक प्रावधान की प्रशंसा की (पद 27-28)। उसने यह भी पुष्टि की कि परमेश्वर ने प्रत्येक के अस्तित्व के दिन निर्धारित किए हैं (पद- 29-30)।
हम अराधना की इस घोषणा को गाने में भजनकार के साथ शामिल हो सकते हैं: “मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूंगा; जब तक मैं बना रहूँगा तब तक अपने परमेश्वर का भजन गाता रहूंगा” (पद 33)। प्रत्येक प्राणी जो अस्तित्व में है, बड़े से लेकर छोटे तक, सभी हमें प्रशंसा की ओर ले जा सकते है क्योंकि परमेश्वर ने उन सभी को बनाया है ।
मसीह के लिए उत्साह साझा करना
पहली बार जब हम अपने पड़ोसी हेनरी से मिले, तो उसने अपने बैग से बाइबल निकाली जो बहुत ज्यादा इस्तेमाल किये जाने के कारण पुरानी हो गई थी। आँखों में चमक के साथ उन्होंने पूछा कि क्या हम पवित्रशास्त्र पर चर्चा करना चाहेंगे। हमने सहमती प्रकट की, और उसने कुछ निशान लगाये हुये हिस्सों के पन्ने पलटे। उसने हमें अपने अवलोकनों (विचारों) से भरी एक नोटबुक दिखाई और कहा कि उसने अन्य संबंधित जानकारी से भरी एक कंप्यूटर प्रस्तुति (presentation) भी बनाई है।
हेनरी ने हमें बताया कि कैसे वह एक कठिन पारिवारिक स्थिति से आया था और फिर, अकेले और सबसे खराब स्थिति में, उसने यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान को अपने विश्वास की नींव के रूप में स्वीकार किया (प्रेरितों के काम 4:12)। उसका जीवन बदल गया था क्योंकि पवित्र आत्मा ने उसे बाइबल के सिद्धांतों का पालन करने में मदद की थी। हालाँकि हेनरी ने वर्षों पहले अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित कर दिया था, उसका उत्साह अभी भी ताज़ा और शक्तिशाली था।
हेनरी के उत्साह ने मेरे आत्मिक जुनून पर विचार करने के लिए मुझे प्रेरित किया— मुझे, एक ऐसे इन्सान को, जो कई वर्षों तक यीशु के साथ चली। प्रेरित पौलुस ने लिखा: "आत्मिक उन्माद में भरे रहो; प्रभु की सेवा करते रहो I" (रोमियों 12:11)। यह एक कठिन आदेश की तरह लगता है, जब तक कि मैं पवित्रशास्त्र को ऐसे दृष्टिकोण को विकसित करने की अनुमति नहीं देता जो निरंतर यीशु के प्रति मेरी कृतज्ञता को दर्शाता है जो उसने मेरे लिए किया है ।
जीवन में हमारे द्वारा अनुभव किए जाने वाले भावनात्मक उतार-चढ़ाव के विपरीत, मसीह के लिए उत्साह उसके साथ निरंतर बढ़ते रिश्ते से आता है। जितना अधिक हम उसके बारे में सीखते हैं, वह उतना ही अधिक मूल्यवान होता जाता है और उतनी ही अधिक उसकी भलाई हमारी आत्माओं में भर जाती है और संसार में फैल जाती है।
परमेश्वर जो दें उसका इस्तेमाल करना
ऑस्ट्रेलिया में ब्रिस्बेन सिटी हॉल 1920 के दशक की चकित कर देने वाला एक परियोजना थी। सफ़ेद सीढ़ियाँ उसी खदान के संगमरमर से बनी हैं जिसका उपयोग माइकल एंजेलो ने अपनी डेविड स्कल्पचर (दाउद मूर्ति) के लिए किया था। टावर (मीनार) वेनिस के सेंट मार्क बेसिलिका को प्रतिबिंबित करता था, और तांबे का गुंबद दक्षिणी गोलार्ध (southern hemisphere) में सबसे बड़ा था। बिल्डरों का इरादा शिखर को सजाने के लिए एक विशाल शांति दूत बनाने का था; लेकिन इसमें एक समस्या थी: पैसे नहीं बचे। प्लम्बर फ्रेड जॉनसन बचाव के लिए आए। उन्होंने लगभग एक सौ वर्षों से टॉवर की शोभा बढ़ाने वाले प्रतिष्ठित गोले को तैयार करने के लिए एक टॉयलेट सिसर्न(टंकी), एक पुराने लैंप पोस्ट (बत्ती का खंभा) और स्क्रैप धातु (रद्दी सामानजिसमें प्रयुक्त माल से दोबारा कुछ बनाया जा सके) के टुकड़ों का उपयोग किया।
फ्रेड जॉनसन के पास जो कुछ भी था उन्होंने उसका उपयोग किया हम भी उन्ही की तरह, जो कुछ भी हमारे पास है - बड़ा या छोटा – उसके साथ परमेश्वर के काम में शामिल हो सकते हैं। जब परमेश्वर ने मूसा से इस्राएल को मिस्र से बाहर निकालने के लिए कहा, तो मूसा ने यह कह कर टालना चाहा कि: “यदि वे मेरा विश्वास नहीं करेंगे .......और न मेरी सुनेंगे?" (4:1) तब परमेश्वर ने एक सरल प्रश्न के साथ उत्तर दिया: “तेरे हाथ में वह क्या है?" (पद- 2)I मूसा के पास एक लाठी, एक साधारण लकड़ी थी। परमेश्वर ने उससे लाठी को ज़मीन पर फेंकने के लिए कहा, "तब वह सर्प बन गयी" (पद-3)। तब उन्होंने मूसा को सर्प को उठाने का आदेश दिया, और वह फिर से लाठी बन गयी। परमेश्वर ने मूसा को समझाया कि, उसे बस इतना ही करना था कि वह लाठी उठाए और बाकी काम करने के लिए उन पर भरोसा करे। वह उल्लेखनीय रूप से इस्राएल को मिस्रियों से बचाने के लिए मूसा के हाथ में मौजूद उस लाठी का उपयोग करेंगे (7:10–12; 17:5–7)।
हमारे पास जो कुछ है वह शायद हमें काफी न लगे, लेकिन परमेश्वर के लिए, हमारे
परमेश्वर हमारा शरणस्थान है
2019 की उल्लेखनीय (अपूर्व) फिल्म लिटिल वुमन ने मुझे मेरी पुरानी उपन्यास की प्रति में वापस भेज दिया, विशेष रूप से मार्मी के सांत्वना देने वाले शब्दों ने जो एक बुद्धिमान और विनम्र मां थी। मैं उपन्यास में उनके अडिग विश्वास के चित्रण की ओर आकर्षित हुई हूँ, जो उनकी बेटियों के लिए प्रोत्साहन के उनके कई शब्दों का आधार है। जो बात मेरे सामने उभरकर सामने आई वह यह थी :“परेशानियाँ और प्रलोभन....बहुत सारे हो सकते हैं, लेकिन यदि आप अपने स्वर्गीय पिता के सामर्थ्य और दयालुता को महसूस करना सीख जाते हैं तो आप उन सभी पर काबू पा सकते हैं और जीवित रह सकते हैं।
मार्मी के शब्द नीतिवचन में पाए गए सत्य को दोहराते हैं कि “यहोवा का नाम दृढ़ गढ़ है; धर्मी उसमें भागकर दुर्घटनाओं से बचता हैं।” (18:10)। प्राचीन प्राचीन समय के शहरों में टावरों (दुर्ग) को खतरे के दौरान सुरक्षा के स्थान के रूप में बनाया गया था, शायद दुश्मन के हमले के कारण। उसी तरह, परमेश्वर के पास दौड़ने के द्वारा यीशु में विश्वास करने वाले उसकी देखभाल में शांति का अनुभव कर सकते हैं जो "हमारा शरणस्थान और बल " है। (भजन संहिता 46:1)।
नीतिवचन 18:10 हमें बताता है कि सुरक्षा परमेश्वर के "नाम" से मिलती है - जो उन सभी को सूचित करता है जो वह है। पवित्रशास्त्र परमेश्वर को “दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करूणामय और सत्य," के रूप में वर्णित करता है (निर्गमन 34: 6)। परमेश्वर की सुरक्षा उसकी पराक्रमी सामर्थ के साथ-साथ उसकी दयालुता और प्रेम से आती है, जिसके कारण वह पीड़ितों को आश्रय प्रदान करने के लिए लालायित रहता है। उन सभी के लिए जो संघर्ष कर रहे हैं, हमारे स्वर्गीय पिता अपने सामर्थ्य और कोमलता में शरणस्थान प्रदान करते हैं।