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Articles by एलिसन कीडा

जहाँ वह अगुवाई करें उसका अनुसरण करना

बचपन में रविवार की संध्या में होने वाली कलीसिया की सभा बहुत रोमांचक होती थी। इसमें प्रायः परिवारों, मित्रों और घर और व्यवसाए आदि को छोड़कर परमेश्वर की सेवा करने वाले मिशनरी आकर प्रेरणादायक सन्देश देते थे।

एलीशा ने भी परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए बहुत कुछ छोड़ा था। जब एल्लियाह नबी की उनसे भेंट हुई तब वह खेत में हल जोत रहे थे, उन्होंने अपने चौगे को एलीशा के कंधों पर डाल दिया (जो नबी के रूप में उनकी भूमिका का प्रतीक था) और उन्हें अपने पीछे हो लेने को कहा। माता और पिता को चूमकर विदा लेने के मात्र एक ही आवेदन के साथ एलीशा ने तुरंत अपने बैलों की बलि चढ़ाई और हल को जलाकर और अपने माता पिता से विदा लेकर उनके पीछे हो लिए।

हम में से अनेकों को अपने परिवारों और मित्रों को छोड़कर पूर्णकालिक रूप से परमेश्वर की सेवा की बुलाहट नहीं मिली है। तो भी परमेश्वर की इच्छा है कि हम सब विश्वासी के समान जैसे परमेश्वर ने [हमें] बुलाया है और जैसी भी स्थिति प्रभु ने [हमें] सौंपी है उसमें उनका अनुसरण करें।(1 कुरिन्थियों 7:17) परमेश्वर की सेवा रोमांच और चुनौतियों से भरा हो सकता है फिर चाहे हम कहीं भी हों-चाहे हम अपने घर भी ना छोड़ें।

अप्रत्याशित मित्रता

फेसबुक में जानवरों की अविश्वसनीय दोस्ती के प्यारे वीडियो पोस्ट किए जाते हैं जैसे  साथ रहने वाले पिल्ला और सुअर तथा  एक हिरण और बिल्ली, और बाघ के शावकों की माँ के समान देख रेख करने वाले वनमानुष का। ऐसी असामान्य मित्रता को देखकर मुझे अदन की वाटिका के विवरण की याद आती हैं। जहाँ आदम और हव्वा परमेश्वर की और एक दूसरे की संगति में रहते थे। क्योंकि खाने के लिये सभी प्रकार के पेड़ थे इसलिए जानवर भी उनके साथ शांति से रहते होंगे (उत्पत्ति 1:30)। परन्तु आदम और हव्वा ने पाप किया और इस सुखद दृश्य में बाधा आ गई थी (3:21–23)। अब मानव सबंध और सृष्टि दोनों में, संघर्ष और टकराव है।

भविष्यवक्ता यशायाह कहते हैं कि “तब भेडिय़ा भेड़ के बच्चे के संग रहा करेगा...” (11:6)। भविष्य में यीशु लौटकर जब राज्य करेंगे उस दिन को कई यूँ ही दिखाते हैं। तब विभाजन नहीं होगा और “मृत्यु न रहेगी...”। (प्रकाशितवाक्य 21:4) नवनिर्मित पृथ्वी पर, सृष्टि अपनी पूर्व स्वर संगति में लौट आएगी और हर जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से बड़ी भीड़, मिलकर एकत्रित होगी और परमेश्वर की जय-जय-कार करेगी (7:9–10; 22:1–5)।

तब तक, हमारे सम्बंध सँभालने और अप्रत्याशित मित्रता विकसित करने में परमेश्वर हमारी सहायता कर सकते हैं।

आनन्द

मैं जीबन की एक नई ऋतु की और बड रही हूँ-बुढ़ापे की "शीत"ऋतु-पर अभी वहां पहुंची नहीं हूँ। वर्ष गुज़रते जा रहे हैं और उनकी गति को धीमा करने का मन करता है, फिर भी मेरा आनन्द मुझे संभालता है। प्रति दिन एक नया दिन है जिसे प्रभु मुझे देते हैं। मैं कह सकती हूँ, "यहोवा का धन्यवाद करना भला है...। (भजन 92:1-2)

परमेश्वर मुझे सक्षम बनाते हैं कि भजनकार के साथ मिलकर "[उसके] हाथों के कामों के कारण आनन्द के गीत [गाऊँ]। (पद 4) इन आशीषों का: परिवार, मित्र, और संतोषजनक व्यवसाय। परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि और उनके प्रेरित वचन का आनन्द। आनन्द क्योंकि यीशु ने हमसे इतना प्रेम किया कि हमारे पापों के लिए अपनी जान दे दी। आनन्द इसलिए क्योंकि उसने हमें पवित्र आत्मा दी जो सच्चे आनन्द का स्रोत है। (रोमियों 15:13) प्रभु पर विश्वास करने वाले "...पुराने होने पर भी फलते रहेंगे" (भजन 92:12-14)।

हमारी परिस्थितियां या जीवन की ऋतु कैसी भी हों, हम अपने जीवन जीने के तरीके और अपने शब्दों के माध्यम से उनके प्रेम का उदाहरण बन सकते हैं। प्रभु को जानने में और उनके लिए जीवन जीने में और उनके बारे में दूसरों को बताने में आनन्द मिलता है।

यीशु मेसेल को प्रेम करता है

मेरी बहन मेसेल बचपन में अपने तरीके से एक परिचित गीत गाया करती थी : यीशु मुझसे करता प्यार, बाइबिल बताती मेसेल को l” इससे मैं अत्याधिक परेशान होती थी! क्योंकि उसकी बड़ी और बुद्धिमान बहन होने के कारण मैं जानती थी कि वास्तविक शब्द थे “यह सार,” न कि “मेसेल को l” किन्तु वह ज़िद  से अपने मन की गाती थी l

अब मैं सोचती हूँ कि मेरी बहन बिलकुल ठीक थी l बाइबिल सही में मेसेल से और हम सब से कहती है कि यीशु हम सब से प्यार करता है l हम बार-बार यह सच्चाई पढ़ते हैं, जैसे, हम यूहन्ना प्रेरित, “[चेला] जिससे यीशु प्रेम रखता था” (यूहन्ना 21:7,20) की पत्रियों में पढ़ते हैं l वह बाइबिल के एक सबसे अधिक जाने हुए पद में हमसे परमेश्वर के प्रेम के विषय बताता है : यूहन्ना 3:16, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनंत जीवन पाए l”

यूहन्ना 1 यूहना 4:10 में इस सन्देश का समर्थन करता है : “प्रेम इसमें नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया, पर इस में है कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए अपने को भेजा l” जैसे कि यूहन्ना जानता था कि यीशु उससे प्रेम करता था, हमें भी वही निश्चय है : यीशु अवश्य  ही हमसे प्रेम करता है l बाइबिल हमें यह बताती है l

महान प्रेम

हाल ही में हमने अपनी बाईस महीने की नातिन, मोरिया को उसके बड़े भाइयों के बिना रात भर के लिए अपने घर ले गए l हमनें अधिक प्रेम के साथ उसका ध्यान दिया, और हम उसकी इच्छा पूरी करने में आनंदित हुए l अगले दिन उसको वापस घर पहुंचाने के बाद, हम अलविदा कहकर घर के बाहर निकलने लगे l ऐसा करते समय, मोरिया ने चुपचाप अपना बैग उठाकर(जो अभी भी दरवाजे के निकट बैठी हुयी थी) हमारे पीछे चलने लगी l

वह तस्वीर मेरी यादों में बैठ गयी : मोरिया अपनी चड्डी में और दो अलग-अलग सैंडल पहनी हुयी पुनः नाना-नानी के साथ जाने को तैयार थी l मैं इसके विषय सोचकर मुस्कराती हूँ l वह मेरे संग जाने को उत्सुक, और अधिक व्यक्तिगत ध्यान पाने के लिए तैयार थी l

यद्यपि हमारी नातिन अभी बता नहीं पाती है, वह प्रेम और उसका महत्व अनुभव करती है l एक छोटे रूप से, मोरिया के लिए हमारा प्रेम हमारे लिए अर्थात् उसकी संतान के लिए परमेश्वर के प्रेम की तस्वीर है l “देखो, पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है कि हम परमेश्वर की संतान कहलाएं; और हम हैं भी” (1 यूहन्ना 3:1) l

हम यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करके, उसकी संतान बन जाते हैं और हमारे लिए उसकी क्रूसित मृत्यु द्वारा उसके उदार प्रेम को समझने लगते हैं (पद.16) l हमारी इच्छा अपने वचन और कार्यों द्वारा उसको प्रसन्न करने(पद.6)-और उसको प्रेम करने और उसके साथ समय बिताने की होती है l

यदि मुझे उस वक्त मालूम होता ...

घर लौटते समय, मैं “Dear Younger Me,” गीत सुन रही थी जो खूबसूरती से पूछता है : यदि मैं अतीत में लौट पाती, जानते हुए जो मैं अभी जानती हूँ, आप अपने युवा व्यक्तित्व से क्या कहते? सुनते हुए, मैंने अपने कम बुद्धिमान युवा व्यक्तित्व को थोड़ी बुद्धि और चेतावनी देना चाही l हममें से बहुतों में जीवन के किसी मोड़ पर भिन्न तरीके से काम करने की इच्छा हुई होगी-काश हम सब कुछ दोहरा पाते l

किन्तु गीत बताता है कि यद्यपि हमारा अतीत हमें खेदित करे, हमारे समस्त अनुभवों ने हमें बनाया है l हम लौट नहीं सकते अथवा अपने चुनाव या पाप के परिणाम को बदल नहीं सकते l किन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो कि हमें अपने अतीत के भारी बोझ और गलतियों को उठाकर घूमने की ज़रूरत नहीं l यीशु के काम के कारण! “जिसने ... अपने बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिए नया जन्म दिया” (1 पतरस 1:3) l

विश्वास में उसकी ओर लौटकर अपने पापों के लिए खेदित होने पर, वह हमें क्षमा करेगा l हम उस दिन बिल्कुल नए बनाए जाएंगे और आत्मिक रूपांतरण की प्रक्रिया आरंभ करेंगे (2 कुरिं. 5:17) l हमने क्या किया था (अथवा नहीं किया था) इसका कोई औचित्य नहीं, क्योंकि उसके काम से हम क्षमा किये गए l हम आगे बढ़ते हुए, वर्तमान का पूरा लाभ उठाकर उसके साथ भविष्य की आशा कर सकते हैं l मसीह में, हम स्वतंत्र हैं!

स्वर्ग की झलक

मैं अपने अध्ययन कमरे की खुली खिड़की के बाहर चिड़ियों को चहकते और पेड़ों पर मंद-मंद हवा चलते देखती हूँ l मेरे पड़ोसी के जोते हुए खेत में पुआल के ढेर, और चमकदार नीले आसमान के विपरीत सफ़ेद बादल दिखाई देते हैं l

मेरे घर के निकट निरंतर यातायात का शोर और मेरे पीठ में हलके दर्द को छोड़ दें तो मैं स्वर्ग का अल्प आनंद उठा रही हूँ l मैं स्वर्ग  शब्द को हलके तौर पर उपयोग कर रही हूँ क्योंकि यद्यपि हमारा संसार एक समय पूरी तौर से अच्छा था, अब नहीं है l मानवता के पापी होने के बाद, हमें अदन के बाग़ से निष्कासित कर दिया गया और भूमि को “श्रापित” किया गया (देखें उत्प.3) l उस समय से पृथ्वी और उसमें की हर वस्तु “पतन के आधीन” है l” पीड़ा, बीमारी, और हमारी मृत्यु मानव के पाप में गिरने का परिणाम है (रोमियों 8:18-23) l

फिर भी परमेश्वर सब कुछ नया कर रहा है l एक दिन उसका निवास उसके लोगों के बीच और पुनःस्थापित संसार में होगा-“एक नया आकाश और एक नयी पृथ्वी”-जहाँ मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं” (प्रकाशित 21:1-4) l हम उस दिन तक चमकीले रंग और कभी-कभी अपने संसार के विस्तृत अद्भुत खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं, जो आनेवाले “स्वर्ग” की एक झलक है l

दुःख से आनंद तक

केली की गर्भावस्था में परेशानी आ गयी, और डॉक्टर चिंतित हो गए l उसके

लम्बे प्रसव पीड़ा में, उन्होंने फुर्ती से सर्जरी (Cesarean section) करने का निर्णय लिया l  किन्तु कठिन समय में, केली अपना दर्द भूल गयी जब उसने अपने नवजात बेटे को अपनी गोद में उठाया l दर्द आनंद में बदल गया l

बाइबिल इस सच्चाई की पुष्टि करती है : “प्रसव के समय स्त्री को शोक होता है, क्योंकि उसकी दुःख की घड़ी आ पहुंची है, परन्तु जब वह बालक को जन्म दे चुकती है, तो इस आनंद से कि संसार में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती” (यूहन्ना 16:21) l यीशु ने इस बात पर बल देने के लिए अपने शिष्यों के साथ इस उदाहरण का उपयोग किया कि उसके शीघ्र जाने से उनको दुःख होगा, किन्तु जब वे उसे पुनः देखेंगे उनका मन फिर आनंद से भर जाएगा (पद.20-22) l

यीशु अपनी मृत्यु और जी उठने और उसके बाद आनेवाली बातों के विषय कह रहा था l उसके जी उठने के बाद, शिष्य आनंदित हुए, क्योंकि यीशु उनको छोड़कर स्वर्ग जाने से पूर्व चालीस दिनों तक उनके साथ रहा और उनको सिखाता रहा (प्रेरितों 1:3) l फिर भी यीशु उनको दुखित नहीं छोड़ा l पवित्र आत्मा उनको आनंद से भरने वाला था (यूहन्ना 16:7-15; प्रेरितों 13:52) l

यद्यपि हम लोगों ने यीशु को आमने-सामने नहीं देखा है, विश्वासी होने के कारण हमें भरोसा है कि एक दिन हम उसे देखेंगे l उस दिन, हम पृथ्वी पर का दुःख भूल जाएंगे l किन्तु उस समय तक, प्रभु ने हमें आनंद के बिना नहीं छोड़ा है l उसने हमें अपना पवित्र आत्मा दिया है (रोमि. 15:13; 1 पतरस 1:8-9) l

कपड़े पहनकर

अपनी पुस्तक Wearing God  में, लेखक लॉरेन विनर कहती है कि हमारे वस्त्र शांति से हमारा व्यक्तित्व संप्रेषित करते हैं l हमारे पहिरावे जीविका, समाज या पहिचान, मिजाज़, अथवा सामजिक स्थिति दर्शाते हैं l स्लोगन वाला टी-शर्ट, बिज़नस सूट, यूनिफार्म, अथवा ग्रीस लगी जीन्स की विषय विचारे और वे क्या प्रगत करते हैं l वह लिखती है, “यह विचार कि, वस्त्र की तरह, मसीही शब्दहीन होकर यीशु के विषय कुछ कह सकते हैं-चित्ताकर्षक है l”

पौलुस के अनुसार, हम भी मसीह का प्रतिनिधित्व शब्दहीन तरीके से कर सकते हैं l रोमियों 13:14 हमसे “मसीह को [पहिनने], और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाए [नहीं करने]” को कहता है l इसका अर्थ क्या है? मसीही हो जानने के बाद, हम मसीह की पहिचान बन जाते है l हम “विश्वास के द्वारा ... परमेश्वर की संतान” हैं (गला.3:26-27) l यही हमारा दर्जा है l फिर भी हमें प्रतिदिन उसके चरित्र को धारण करना है l हम यीशु की तरह जी कर और उसकी तरह और भी बनकर, भक्ति, प्रेम और आज्ञाकारिता में उन्नति करते हुए और एक समय हमें दास बनाने वाले पापों की ओर पीठ फेरकर ऐसा करते हैं l       

यह उन्नत्ति पवित्र आत्मा का हमारे भीतर कार्य, और वचन, प्रार्थना, और दूसरे मसीहियों के साथ संगति का परिणाम है (यूहन्ना 14:26) l जब दूसरे हमारे शब्द और आचरण को देखते हैं, हम मसीह के विषय क्या बोल रहे हैं?