क्रिसमस पत्र
हर क्रिसमस, मेरा एक दोस्त साल की घटनाओं की समीक्षा करते हुए अपनी पत्नी को एक लम्बा पत्र लिखता है, और भविष्य के बारे में सपना देखता है l वह हमेशा उसे कहता है वह उससे कितना प्यार करता है, और क्यों l वह अपनी प्रत्येक बेटी को भी पत्र लिखता है l प्यार के उसके शब्द एक विस्मरणीय उपहार बन जाता है l
हम कह सकते हैं कि मूल क्रिसमस प्रेम पत्र यीशु था, देहधारित वचन l यूहन्ना अपने सुसमाचार में इस सच्चाई को उजागर करता है : “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था” (यूहन्ना 1:1) l प्राचीन दर्शनशास्त्र में, यूनानी शब्द, लोगोस (logos), का अर्थ सच्चाई को मिलाने वाला एक दिव्य मस्तिस्क या व्यवस्था थी, किन्तु यूहन्ना ने उस परिभाषा को एक व्यक्ति के रूप में प्रगट किया : यीशु, परमेश्वर का पुत्र जो “आदि से परमेश्वर के साथ था” (पद.2) l वचन, पिता का “एकलौता पुत्र,” “देहधारी होकर हमारे बीच निवास किया” (पद.14) l वचन जो यीशु था के द्वारा, परमेश्वर ने पूर्ण रूप से खुद को प्रगट किया l
धर्मविज्ञानिकों ने सदियों से इस खूबसूरत सहस्य के साथ सामना किया है l हालाँकि जितना भी हो हम नहीं समझेंगे, हम इस बात से निश्चित हैं कि यीश वचन होकर हमारे अन्धकार संसार को ज्योति देता है (पद.9) यदि हम उसमें विश्वास करते हैं, हम परमेश्वर के प्रिय बच्चे होने के उपहार का अनुभव करेंगे (पद.12) l
यीशु, हमारे लिए परमेश्वर का पत्र, आकर हमारे बीच में निवास किया l तो यह एक अद्भुत क्रिसमस उपहार है!
एक गुप्त सेवा
एक बड़े शैक्षिक प्रोजेक्ट का बोझ मुझ पर था, और मैं उसे तय समय सीमा पर पूरा करने के विषय चिंतित थी l मेरी घबराहट में, उत्साहवर्धन कर रहे तीन सहेलियों के पत्र प्राप्त हुए l हर एक ने लिखा, "मेरी प्रार्थना में परमेश्वर ने मुझे तुम्हारी याद दिलाई l" मैं दीन और उत्साहित की गयी कि इन मित्रों ने मेरी स्थिति को जाने बगैर मुझसे संवाद किया, और मेरा विश्वास था परमेश्वर ने उनको प्रेम के संदेशवाहक के तौर पर उपयोग किया था l
कुरिन्थुस की कलीसिया के विश्वासियों को लिखते हुए प्रेरित पौलुस प्रार्थना की सामर्थ्य से परिचित था l उसने लिखा कि वह आशा करता था कि परमेश्वर उन्हें मृत्यु के संकट से बचाता रहेगा जब "तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे" (2 कुरिन्थियों 1:10-11) l और परमेश्वर द्वारा उनकी प्रार्थना का उत्तर देने के बाद, वह (परमेश्वर) महिमामंडित होगा जब "बहुत से लोगों की प्रार्थनाओं" (पद.11) के उत्तर के लिए लोग धन्यवाद देंगे l
मेरी सहेलियाँ और पौलुस मध्यस्थता की प्रार्थना में लगे हुए थे, जिसे ऑस्वाल्ड चैम्बर्स "एक गुप्त सेवा संबोधित करता है जिससे निकलनेवाला परिणाम पिता को महिमामंडित करता है l" यीशु की ओर अपना मन और हृदय केन्द्रित करते समय, हम उसे हमें आकार देते हुए पाते हैं, जिसमें हमारी प्रार्थना करने का तरीका भी है l वह हमें मित्रों, परिजनों, और अपरिचितों को सच्ची मध्यथता की प्रार्थना का इनाम देने में योग्य बनाता है l
क्या परमेश्वर ने आपके हृदय और मन में किसी को लाया है जिसके लिए आप प्रार्थना कर सकते हैं?
लोमड़ियों को पकड़ना
समुद्र तट के निकट रहनेवाली एक सहेली से फोन पर बातचीत करते समय, सामुद्रिक चिड़ियों के चीखने की आवाज़ सुनकर मैंने ख़ुशी दर्शायी l उसका उत्तर था, “वे दुष्ट प्राणी हैं,” क्योंकि उसके लिए वे दैनिक कष्ट हैं l लन्दन निवासी होने के कारण, लोमड़ियों के विषय मेरा विचार भी यही है l मैं उनको आकर्षक जानवर नहीं समझती हूँ किन्तु आवारा फिरनेवाले प्राणी जो सुबह के समय बदबूदार गंदगी छोड़ जाते हैं l
लोमड़ियों का वर्णन पुराने नियम की पुस्तक, श्रेष्ठगीत, की प्रेम कविता में है, जो पति-पत्नी के बीच और कुछ एक टिप्पणीकारों के अनुसार परमेश्वर और उसके लोगों के बीच प्रेम को दर्शाता है l दुल्हन छोटी लोमड़ियों के विषय चेतावनी देते हुए, अपने दूल्हे से उन्हें पकड़ने को कहती है (2:15) l दाख़ के अंगूर के लिए भूखीं लोमड़ियाँ, अंगूर के कोमल बेलों को हानि पहुँचा सकती हैं l अपने भावी वैवाहिक जीवन साथ बिताने की चाह रखते हुए, वह नहीं चाहती कोई बुरा व्यक्ति उनके प्रेम के वाचा में बाधा डाले l
किस तरह “लोमड़ियाँ” परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध को बाधित कर सकती हैं, जब मैं बहुत सारी इच्छाओं में “हाँ” कहती हूँ, मैं असहाय और अरुचिकर हो जाती हूँ l अथवा जब मैं सम्बन्धात्मक झगड़े का हिस्सा होती हूँ, मैं निराशा या क्रोध की परीक्षा में होती हूँ l जब मैं प्रभु से इन “लोमड़ियों” के प्रभाव को सीमित करने के लिए कहती हूँ – जिन्हें मैंने खुले फाटक से आने दिया है या जो छिपकर घुस गई हैं – मैं उसकी उपस्थिति और मार्गदर्शन को महसूस करके, परमेश्वर में भरोसा और प्रेम पाती हूँ l
आपके साथ क्या ऐसा है? आपको परमेश्वर से दूर रखने वाली किसी भी बात में आप किस प्रकार उससे सहायता प्राप्त कर सकते हैं?
अनपेक्षित दयालुता
मेरी सहेली किराने की दूकान का भुगतान करने के लिए खड़ी थी जब एक व्यक्ति ने उसे 10 पौण्ड(14 डॉलर) दिए l उसकी नींद पूरी नहीं होने के कारण, वह उसकी दयालुता के कार्य के कारण रोने लगी; और उसके बाद अपने रोने पर हँसने लगी l यह अनपेक्षित दयालुता उसके हृदय को छु गया था और थकान में उसे आशा मिली थी l दूसरे व्यक्ति द्वारा भलाई के लिए उसने प्रभु का धन्यवाद दिया l
इफिसुस के गैर-यहूदी मसीहियों को लिखे अपने पत्र में प्रेरित पौलुस का प्रमुख विचार देने के सम्बन्ध में था l उसने यह कहकर कि वे अनुग्रह से बचाए गए हैं, उनसे पुराने जीवनों को पीछे छोड़कर नए जीवन को गले लगाने को कहा l उसने समझाया कि इस बचाने वाले अनुग्रह से, “भले काम” करने की इच्छा निकलती है क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरुप में बनाए गए हैं और उसके हाथ की “कारीगिरी हैं” (2:10) l सुपर मार्केट में उस व्यक्ति की तरह, हम अपने दैनिक कार्यों के द्वारा परमेश्वर का प्रेम फैला सकते हैं l
निस्संदेह, ज़रूरी नहीं कि हम परमेश्वर का अनुग्रह बाँटने के लिए भौतिक वस्तुएँ दें; हम उसके प्रेम को दूसरे कार्यों द्वारा दर्शा सकते हैं l जो हमसे बात करना चाहता है, हम समय निकालकर उसकी सुन सकते हैं l जो हमारी सेवा करते हैं हम उनका हाल चाल पूछ सकते हैं l हम ठहरकर किसी की ज़रूरत पूरी कर सकते हैं l जब हम दूसरों को देंगे, हम बदले में आनंद प्राप्त करेंगे (प्रेरितों 20:35) l
खेत में सिला बटोरना
तंजानिया की मेरी एक सहेली ने राजधानी दोदोमा में सुनसान/उजाड़ भूमि को खरीदने का दर्शन पाया l कुछ स्थानीय विधवाओं की ज़रूरतों को महसूस करके, रूत उस गन्दी भूमि को मुर्गी पालन और अनाज बोने के लिए तैयार करना चाहती थी l आवश्यक्तामंद लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने का उसका दर्शन परमेश्वर के लिए उसके प्रेम में स्थापित था, और बाइबल में उसके हमनाम, रूत से प्रेरित था l
परमेश्वर की व्यवस्था निर्धनों या परदेशियों को खेत के किनारों से अनाज की बालियाँ बीनने की अनुमति देता था (लैव्य. 19:9-10) l (बाइबल की) रूत परदेशी थी, इस कारण वह खेतों में काम करके, अपने लिए और अपनी सास के लिए भोजन बटोर सकती थी l एक निकट सम्बन्धी, बोअज़ के खेत में सिला बीनने से, रूत और नाओमी को आख़िरकार एक घर और सुरक्षा मिल गयी l रूत ने अपने दैनिक कार्य में होशियारी और मेहनत की अर्थात् खेत के किनारों से भोजन इकठ्ठा किया और परमेश्वर ने उसे आशीष दी l
मेरी सहेली रूत का उत्साह और बाइबल के रूत का समर्पण मुझे परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए उभारता है कि किस प्रकार वह निर्धनों और कुचले हुओं को संभालता है l ये लोग मुझे अपने समुदाय में दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करते हैं और बड़े पैमाने पर देनेवाले परमेश्वर के प्रति मुझे धन्यवादी बनाते हैं l आप किस प्रकार दूसरों पर तरस दिखाकर परमेश्वर की उपासना कर सकते हैं?
उसकी हथेलियों पर खोदा हुआ
1800 के दशक में, चार्ल्स स्पर्जन ने लन्दन के चर्च में अपनी लम्बी सेवा के दौरान, यशायाह 49:16 की प्रचूरता पर उपदेश देना पसंद किया, जिसमें लिखा है कि परमेश्वर ने अपनी हथेलियों पर हमारे चित्र खोद रखे हैं l उन्होंने कहा, “ऐसे पदों पर सौ बार उपदेश दिए जाने चाहिए!” यह विचार इतना बहुमूल्य है कि हम इसे बार-बार याद कर सकते हैं l
स्पर्जन प्रभु की इस प्रतिज्ञा का अद्भुत सम्बन्ध उसके इस्राएली लोग, और परमेश्वर पुत्र, यीशु, जो क्रूस पर हमारे लिए मृत्यु सही के बीच बताते हैं l स्पर्जन प्रश्न पूछते हैं, “उन हथेलियों में ये घाव कैसे हैं? . . . घाव बनानेवाला उपकरण कील था, जिसका साथ हथौड़े ने दिया था l उसे क्रूस पर जकड़ा गया, ताकि उसके लोगों के चित्र वास्तव में उसके हथेलियों में खोद दिए जाएं l” क्योंकि प्रभु ने अपनी हथेलियों पर अपने लोगों के चित्र खोदने की प्रतिज्ञा की, इसलिए यीशु क्रूस पर अपनी बाहों को फैलाकर, अपनी हथेलियों में कीलों को स्वीकार किये ताकि हम अपने पापों से स्वतंत्र हो जाएं l
यदि और जब भी हम सोचने को प्रवृत होते हैं कि परमेश्वर भूल गया है, हमें अपने हथेलियों को देखकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा को याद करना है l उसने अपनी हथेलियों पर हमारे लिए अमिट दाग बनाए हैं; वह हमसे अत्यधिक प्रेम करता है l
चट्टान पर बना घर
मेरे मित्र के घर की बैठक धीरे-धीरे ज़मीन में घंस रही थी-दीवारों पर दरारें थीं और अब खिड़की नहीं खुलती थी। उन्हें पता चला कि इस कमरे की नींव नहीं थी। इसे सुधारने के लिए महीनों कार्य चला क्योंकि बिल्डर को नई नींव डालनी पड़ी।
बाद में देखा तो दरारें नहीं थीं और खिड़की खुल रही थी। तब मुझे एक ठोस नींव के मायने समझ आए।
यह हमारे जीवन में भी सत्य है।
यीशु ने उनकी बातों को अनसुना करने की मूर्खता को समझाने के लिए बुद्धिमान और मूर्ख बिल्डर का दृष्टान्त सुनाया (लूका 6:46-49)। उनकी बातें सुनकर पालन करने वाले उस व्यक्ति के समान होते हैं जो एक मजबूत नींव पर घर बनाते हैं। बजाय उसके जो सुनकर उनकी आज्ञाओं की अवहेलना करते हैं। यीशु ने अपने श्रोताओं को आश्वासन दिया कि तूफान आने पर उनका घर खड़ा रहेगा। उनका विश्वास न डिगेगा।
इस बात में हमें शांति मिलती है कि यीशु की बात सुनने और मानने से वह हमारे जीवन की नींव मजबूत बनाते हैं। बाइबिल पढ़ने, प्रार्थना करने और अन्य मसीहियों से सीखने द्वारा हम उनके लिए अपने प्रेम को मजबूत कर सकते हैं। फिर जब तूफान आएगा-चाहे विश्वासघात, पीड़ा या निराशा-हमें भरोसा रहेगा कि हमारी नींव मजबूत है। हमारा उद्धारकर्ता वह सहायता प्रदान करेगा जिसकी हमें जरूरत होगी।
हम यीशु से भेंट करना चाहते हैं
मंच से गाड़ने की प्रार्थना करते हुए मैंने पीतल की पट्टिका पर यूहन्ना 12:21 लिखा देखा: "श्रीमान् हम यीशु...। मैंने सोचा कि जिस स्त्री के जीवन का समारोह हम आंसुओं और मुस्कुराहटों के साथ मना रहे थे उसमें हमने यीशु को कैसे देखा था? यद्यपि उसका जीवन चुनौतियों और निराशाओं से भरा था, उसने मसीही विश्वास कभी नहीं छोड़ा। उसमें परमेश्वर की आत्मा होने के कारण, हम उसमें यीशु को देख सकते थे।
यूहन्ना में यीशु के सवारी पर यरूशलेम पहुचने के उपरांत (12:12-16) कुछ यूनानियों ने फिलिपुस से कहा, "श्रीमान, हम यीशु..." (21) उनकी उत्सुकता का कारण कदाचित यीशु के चंगाई और अश्चार्य्कर्म थे, परन्तु यहूदी न होने के कारण, उन्हें भीतर जाने की अनुमति नहीं थी। जब यीशु को बताया गया तो उन्होंने कहा कि उनके महिमावंत होने का समय आ गया है (23)। अर्थात बहुतों के पापों के लिए वह मरेंगे। न केवल यहूदियों, परन्तु अन्यजातियों (20 पद में "यूनानियों") के लिए अपने मिशन को पूरा करेंगे, और फिर वे भी यीशु से भेंट कर सकेंगे।
मरणोपरांत, यीशु ने पवित्र आत्मा भेजी कि वह चेलों के साथ रहे (14:16-17)। इसलिए यीशु से प्रेम और उनकी सेवा करने पर हम उन्हें अपने जीवन में सक्रिय देख सकते हैं। और अद्भुत रूप से अन्य लोग हममें यीशु को देख सकते हैं!
जटिल रहस्य
सैर करते हुए मेरी मित्र और मैं बाइबिल के प्रति अपने प्रेम की बात करने लगे। उसने कहा, " मुझे पुराना नियम खास पसंद नहीं। जटिल बातें और प्रतिशोध-मुझे बस यीशु चाहिए!"
उसके कहे अनुसार कदापि हम भी नहूम जैसी पुस्तक में लिखे वचन को पढ़ कर, घबरा जाएँगे। “यहोवा जल उठने वाला...; (नहूम 1:2) और इसके बावजूद अगला ही पद हमें आशा से भरता है: "यहोवा विलम्ब से क्रोध...।" (पद 3)।
परमेश्वर के क्रोध के विषय पर अधिक गहराई से मनन करने पर हम पाते हैं कि वह अधिकतर अपने लोगों का या अपने नाम का बचाव करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। अपने असीम प्रेम के कारण, वह गलतियों के लिए न्याय और मनफिराव कर उनकी ओर मुड़ने वालों के लिए छुटकारा चाहते हैं। हम इसे न केवल पुराने नियम में देखते हैं-जब अपने लोगों को अपने पास वापस बुलाते हैं, परन्तु नए नियम में भी जब हमारे पापों के बलिदान के लिए वह अपने निज पुत्र को भेजते हैं।
भले ही हम परमेश्वर के चरित्र के रहस्यों को ना समझें, परन्तु हम भरोसा कर सकते हैं कि वह न केवल न्यायी परमेश्वर हैं वरन सभी प्रेमों का स्रोत भी हैं। हमें उनसे डरने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह "भला है; संकट के दिन में...।"(पद 7)