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Articles by एमी बाउचर पाई

अजनबियों का अभिनन्दन

जब मेरे मित्र मोल्डोवा, यूरोप के सबसे गरीब देश में रहते थे, तो वे उस अभिनन्दन से आश्चर्यचकित हो गए जो उन्हें वहाँ, विशेष रूप से मसीहियों से प्राप्त हुआ। एक बार वे अपनी कलीसिया के दम्पत्ति, जो बहुत ही गरीब थे, के लिए कुछ कपड़े और सामग्री ले गए, जो गरीब होने पर भी अनेक बच्चों की देखभाल कर रहे थे। उस दम्पत्ति ने मेरे मित्रों के साथ सम्माननीय मेहमानों जैसा व्यवहार किया, अपनी बदहाल परिस्थिति के बावजूद उन्हें मिठाइयाँ और चाय दी। जब मेरे मित्र तरबूज़ और अन्य फलों और सब्जियों के साथ वहाँ से निकले, तो वे उस मेहमान नवाज़ी (से) आश्चर्यचकित थे, जो उन्होंने वहाँ अनुभव की थी।

इन विश्वासियों ने वह अभिनन्दन पहना हुआ था, जिसकी आज्ञा परमेश्वर ने अपने लोगों, इस्राएलियों, को प्रदर्शित करने की आज्ञा दी  थी। उन्होंने उन्हें “अपने परमेश्‍वर यहोवा का भय मानने, और उसके सारे मार्गों पर चलने, उससे प्रेम रखने, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करने” के निर्देश दिए थे (व्यवस्थाविवरण 10:12) । इस्राएलियों को इनके अनुसार कैसे जीना था? इसका उत्तर कुछ पदों के बाद मिलता है: “इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (पद 19)। अजनबियों का अभिनन्दन करने के द्वारा, वे परमेश्वर की सेवा और उसका सम्मान करेंगे; और उन्हें प्रेम और देखभाल दिखाने के द्वारा, वे परमेश्वर पर अपने भरोसे का प्रदर्शन करेंगे। 

हमारी परिस्थितियाँ मोल्डोव के लोगों या इस्राएलियों से भिन्न हो सकती हैं, परन्तु हम भी दूसरों का अभिनन्दन करने के द्वारा परमेश्वर के लिए अपने प्रेम का जीवन जी सकते हैं। जिनसे हम मिलते हैं, उनके लिए चाहे अपने घर का दरवाजा खोलना या उनके लिए मुस्कुराना हो, इस प्रकार हम इस अकेले और आहत संसार को परमेश्वर की देखभाल और उपलब्धता प्रदान कर सकते हैं।

जीवित बलिदान

मेरी आंटी की विज्ञापन की एक रोमांचक नौकरी थी और वह शिकागो से न्यू यॉर्क सिटी के बीच यात्रा करती थी। परन्तु उन्होंने अपने माता-पिता के लिए अपने उस करियर को छोड़ देने को चुना। वे मिनेसोटा में रहते थे और उन्हें देखभाल की जरूरत थी। उनके दोनों भाइयों की युवावस्था में ही दुखद परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी और वह उनके माता-पिता की बची हुई एकलौती सन्तान रह गई थी। उनके लिए अपने माता-पिता की देखभाल करना उनके विश्वास का प्रकटन था।    

रोम की कलीसिया को प्रेरित पौलुस के पत्र ने विश्वासियों को एक “जीवित और पवित्र और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान” होने का आग्रह किया (रोमियों 12:1) । उसने आशा की कि वे मसीह के त्यागमय प्रेम को एक-दूसरे को दिखाएँगे। और उसने उन्हें अपने आप को जैसा समझना चाहिए उससे बढ़कर अपने आप को न समझने के लिए कहा (पद 3) ।जब उनमें मतभेद और विभाजन आ गया, तो उसने उन्हें घमण्ड को त्याग देने को कहा क्योंकि “वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह होकर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।” (पद 5) । उसने विनती की कि वे एक-दूसरे को त्यागमय प्रेम दिखाएँ।

हर दिन हमारे पास एक-दूसरे की सेवा करने का अवसर होता है। उदाहरण के लिए, हम कतार में किसी को हमारे से पहले जाने दे सकते हैं या हम, मेरी आंटी के समान किसी बिमार की देखभाल कर सकते हैं। या हम अपने अनुभव से किसी को सलाह या मार्गदर्शन दे सकते हैं। जब हम अपने आप को एक जीवित बलिदान के रूप में चढ़ाते हैं, तो हम परमेश्वर का आदर करते हैं।

सर्वदा परमेश्वर की एक सन्तान

कलीसिया की एक सभा के दौरान, जिसमें मैंने अपने माता-पिता के साथ भाग लिया, उस सभा के सामान्य अभ्यास के अनुसार प्रभु की प्रार्थना को एकसाथ बोलते हुए हम ने अपने हाथों को पकड़ा। जब मैं एक हाथ से अपनी माता और दूसरे हाथ से अपने पिता को पकड़े हुए थी, तो मेरे मन में एक विचार आया कि मैं सर्वदा उनकी बेटी रहूँगी। यद्यपि मैं पूरी तरह से मेरी मध्य आयु में हूँ, मुझे अभी भी “लियो और फिलिस की सन्तान” बुलाया जा सकता है। मैंने गौर किया कि मैं न केवल उनकी बेटी हूँ, परन्तु मैं सर्वदा परमेश्वर की भी सन्तान रहूँगी।  

प्रेरित पौलुस रोम की कलीसिया के लोगों को समझाना चाहता था कि उनकी पहचान परमेश्वर के परिवार में गोद लिए हुए सदस्यों पर आधारित थी (रोमियों 8:15)। क्योंकि वे आत्मा से जन्में थे (पद 14), अब उन्हें उन बातों का और दास रहने की आवश्यकता नहीं है, जो वास्तव में महत्व नहीं रखती हैं। बल्कि, पवित्र आत्मा के उपहार के द्वारा, वे “परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं” (पद 17)।

उन लोगों के लिए जो मसीह के पीछे चलते हैं, यह क्या अन्तर पैदा करता है? बिलकुल साधारण सी बात, यह हर प्रकार का अन्तर पैदा करता है! परमेश्वर की सन्तान के रूप में हमारी पहचान हमें बुनियाद उपलब्ध करवाती है और हम स्वयं और संसार को कैसे देखते हैं, इसकी दृष्टि प्रदान करती है। उदाहरण के लिए यह जानना कि हम परमेश्वर के परिवार का हिस्सा हैं हमें, जब हम उसके पीछे चलते हैं, अपने आराम से बाहर आने में सहायता करता है। हम दूसरों की सहमति खोजने से भी स्वतन्त्र हो जाते हैं।

आज, क्यों न हम इस बात पर मनन करें की परमेश्वर की सन्तान होने का क्या अर्थ है?

संदेशवाहक

मेरे पास आपके लिए एक खबर है, बुरी खबर, या चुनौती देनेवाली खबर l पुराना नियम में, परमेश्वर ने अपने नबियों द्वारा आशा या न्याय का समाचार दिया l किन्तु निकटता से देखने पर, उन न्याय के शब्दों के पीछे भी पश्चाताप, चंगाई, और पुनर्स्थापन था l

मलाकी 3 में दोनों ही प्रकार की खबर है जब प्रभु ने एक संदेशवाहक भेजने की प्रतिज्ञा की जो उसके लिए मार्ग तैयार करेगा l यूहन्ना बपतिस्मादाता ने एक सच्चे संदेशवाहक, यीश की घोषणा की (देखें मत्ती 3:11) – “वाचा का वह दूत” (मलाकी 3:1) जो परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को पूरी करेगा l किन्तु वह “सोनार की आग और धोबी के साबुन” की तरह कार्य करेगा (पद.2), क्योंकि वह उसके वचन में विश्वास करनेवालों को पवित्र करेगा l प्रभु ने अपने लोगों की भलाई के लिए अपनी प्रेमपूर्ण चिंता के कारण अपने लोगों को शुद्ध करने के लिए अपना वचन भेजा l

परमेश्वर का सन्देश प्रेम, आशा, और छुटकारे का है l उसने अपने पुत्र को एक संदेशवाहक बनने के लिए भेजा जो हमारी भाषा बोलता है – कभी-कभी सुधार का समाचार, किन्तु हमेशा आशा की l हम उसके सन्देश पर भरोसा कर सकते हैं l

क्रिसमस पत्र

हर क्रिसमस, मेरा एक दोस्त साल की घटनाओं की समीक्षा करते हुए अपनी पत्नी को एक लम्बा पत्र लिखता है, और भविष्य के बारे में सपना देखता है l वह हमेशा उसे कहता है वह उससे कितना प्यार करता है, और क्यों l वह अपनी प्रत्येक बेटी को भी पत्र लिखता है l प्यार के उसके शब्द एक विस्मरणीय उपहार बन जाता है l

हम कह सकते हैं कि मूल क्रिसमस प्रेम पत्र यीशु था, देहधारित वचन l यूहन्ना अपने सुसमाचार में इस सच्चाई को उजागर करता है : “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था” (यूहन्ना 1:1) l प्राचीन दर्शनशास्त्र में, यूनानी शब्द, लोगोस (logos), का अर्थ सच्चाई को मिलाने वाला एक दिव्य मस्तिस्क या व्यवस्था थी, किन्तु यूहन्ना ने उस परिभाषा को एक व्यक्ति  के रूप में प्रगट किया :  यीशु, परमेश्वर का पुत्र जो “आदि से परमेश्वर के साथ था” (पद.2) l वचन, पिता का “एकलौता पुत्र,” “देहधारी होकर हमारे बीच निवास किया” (पद.14) l वचन जो यीशु था के द्वारा, परमेश्वर ने पूर्ण रूप से खुद को प्रगट किया l

धर्मविज्ञानिकों ने सदियों से इस खूबसूरत सहस्य के साथ सामना किया है l हालाँकि जितना भी हो हम नहीं समझेंगे, हम इस बात से निश्चित हैं कि यीश वचन होकर हमारे अन्धकार संसार को ज्योति देता है (पद.9) यदि हम उसमें विश्वास करते हैं, हम परमेश्वर के प्रिय बच्चे होने के उपहार का अनुभव करेंगे (पद.12) l

यीशु, हमारे लिए परमेश्वर का पत्र, आकर हमारे बीच में निवास किया l तो यह एक अद्भुत क्रिसमस उपहार है!

एक गुप्त सेवा

एक बड़े शैक्षिक प्रोजेक्ट का बोझ मुझ पर था, और मैं उसे तय समय सीमा पर पूरा करने के विषय चिंतित थी l मेरी घबराहट में, उत्साहवर्धन कर रहे तीन सहेलियों के पत्र प्राप्त हुए l हर एक ने लिखा, "मेरी प्रार्थना में परमेश्वर ने मुझे तुम्हारी याद दिलाई l" मैं दीन और उत्साहित की गयी कि इन मित्रों ने मेरी स्थिति को जाने बगैर मुझसे संवाद किया, और मेरा विश्वास था परमेश्वर ने उनको प्रेम के संदेशवाहक के तौर पर उपयोग किया था l
कुरिन्थुस की कलीसिया के विश्वासियों को लिखते हुए प्रेरित पौलुस प्रार्थना की सामर्थ्य से परिचित था l उसने लिखा कि वह आशा करता था कि परमेश्वर उन्हें मृत्यु के संकट से बचाता रहेगा जब "तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे" (2 कुरिन्थियों 1:10-11) l और परमेश्वर द्वारा उनकी प्रार्थना का उत्तर देने के बाद, वह (परमेश्वर) महिमामंडित होगा जब "बहुत से लोगों की प्रार्थनाओं" (पद.11) के उत्तर के लिए लोग धन्यवाद देंगे l
मेरी सहेलियाँ और पौलुस मध्यस्थता की प्रार्थना में लगे हुए थे, जिसे ऑस्वाल्ड चैम्बर्स "एक गुप्त सेवा संबोधित करता है जिससे निकलनेवाला परिणाम पिता को महिमामंडित करता है l" यीशु की ओर अपना मन और हृदय केन्द्रित करते समय, हम उसे हमें आकार देते हुए पाते हैं, जिसमें हमारी प्रार्थना करने का तरीका भी है l वह हमें मित्रों, परिजनों, और अपरिचितों को सच्ची मध्यथता की प्रार्थना का इनाम देने में योग्य बनाता है l
क्या परमेश्वर ने आपके हृदय और मन में किसी को लाया है जिसके लिए आप प्रार्थना कर सकते हैं?

लोमड़ियों को पकड़ना

समुद्र तट के निकट रहनेवाली एक सहेली से फोन पर बातचीत करते समय, सामुद्रिक चिड़ियों के चीखने की आवाज़ सुनकर मैंने ख़ुशी दर्शायी l उसका उत्तर था, “वे दुष्ट प्राणी हैं,” क्योंकि उसके लिए वे दैनिक कष्ट हैं l लन्दन निवासी होने के कारण, लोमड़ियों के विषय मेरा विचार भी यही है l मैं उनको आकर्षक जानवर नहीं समझती हूँ किन्तु आवारा फिरनेवाले प्राणी जो सुबह के समय बदबूदार गंदगी छोड़ जाते हैं l
लोमड़ियों का वर्णन पुराने नियम की पुस्तक, श्रेष्ठगीत, की प्रेम कविता में है, जो पति-पत्नी के बीच और कुछ एक टिप्पणीकारों के अनुसार परमेश्वर और उसके लोगों के बीच प्रेम को दर्शाता है l दुल्हन छोटी लोमड़ियों के विषय चेतावनी देते हुए, अपने दूल्हे से उन्हें पकड़ने को कहती है (2:15) l दाख़ के अंगूर के लिए भूखीं लोमड़ियाँ, अंगूर के कोमल बेलों को हानि पहुँचा सकती हैं l अपने भावी वैवाहिक जीवन साथ बिताने की चाह रखते हुए, वह नहीं चाहती कोई बुरा व्यक्ति उनके प्रेम के वाचा में बाधा डाले l
किस तरह “लोमड़ियाँ” परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध को बाधित कर सकती हैं, जब मैं बहुत सारी इच्छाओं में “हाँ” कहती हूँ, मैं असहाय और अरुचिकर हो जाती हूँ l अथवा जब मैं सम्बन्धात्मक झगड़े का हिस्सा होती हूँ, मैं निराशा या क्रोध की परीक्षा में होती हूँ l जब मैं प्रभु से इन “लोमड़ियों” के प्रभाव को सीमित करने के लिए कहती हूँ – जिन्हें मैंने खुले फाटक से आने दिया है या जो छिपकर घुस गई हैं – मैं उसकी उपस्थिति और मार्गदर्शन को महसूस करके, परमेश्वर में भरोसा और प्रेम पाती हूँ l
आपके साथ क्या ऐसा है? आपको परमेश्वर से दूर रखने वाली किसी भी बात में आप किस प्रकार उससे सहायता प्राप्त कर सकते हैं?

अनपेक्षित दयालुता

मेरी सहेली किराने की दूकान का भुगतान करने के लिए खड़ी थी जब एक व्यक्ति ने उसे 10 पौण्ड(14 डॉलर) दिए l उसकी नींद पूरी नहीं होने के कारण, वह उसकी दयालुता के कार्य के कारण रोने लगी; और उसके बाद अपने रोने पर हँसने लगी l यह अनपेक्षित दयालुता उसके हृदय को छु गया था और थकान में उसे आशा मिली थी l दूसरे व्यक्ति द्वारा भलाई  के लिए उसने प्रभु का धन्यवाद दिया l
इफिसुस के गैर-यहूदी मसीहियों को लिखे अपने पत्र में प्रेरित पौलुस का प्रमुख विचार देने के सम्बन्ध में था l उसने यह कहकर कि वे अनुग्रह से बचाए गए हैं, उनसे पुराने जीवनों को पीछे छोड़कर नए जीवन को गले लगाने को कहा l उसने समझाया कि इस बचाने वाले अनुग्रह से, “भले काम” करने की इच्छा निकलती है क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरुप में बनाए गए हैं और उसके हाथ की “कारीगिरी हैं” (2:10) l  सुपर मार्केट में उस व्यक्ति की तरह, हम अपने दैनिक कार्यों के द्वारा परमेश्वर का प्रेम फैला सकते हैं l
निस्संदेह, ज़रूरी नहीं कि हम परमेश्वर का अनुग्रह बाँटने के लिए भौतिक वस्तुएँ दें; हम उसके प्रेम को दूसरे कार्यों द्वारा दर्शा सकते हैं l जो हमसे बात करना चाहता है, हम समय निकालकर उसकी सुन सकते हैं l जो हमारी सेवा करते हैं हम उनका हाल चाल पूछ सकते हैं l हम ठहरकर किसी की ज़रूरत पूरी कर सकते हैं l जब हम दूसरों को देंगे, हम बदले में आनंद प्राप्त करेंगे (प्रेरितों 20:35) l

खेत में सिला बटोरना

तंजानिया की मेरी एक सहेली ने राजधानी दोदोमा में सुनसान/उजाड़ भूमि को खरीदने का दर्शन पाया l कुछ स्थानीय विधवाओं की ज़रूरतों को महसूस करके, रूत उस गन्दी भूमि को मुर्गी पालन और अनाज बोने के लिए तैयार करना चाहती थी l आवश्यक्तामंद लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने का उसका दर्शन परमेश्वर के लिए उसके प्रेम में स्थापित था, और बाइबल में उसके हमनाम, रूत से प्रेरित था l

परमेश्वर की व्यवस्था निर्धनों या परदेशियों को खेत के किनारों से अनाज की बालियाँ बीनने की अनुमति देता था (लैव्य. 19:9-10) l (बाइबल की) रूत परदेशी थी, इस कारण वह  खेतों में काम करके, अपने लिए और अपनी सास के लिए भोजन बटोर सकती थी l एक निकट सम्बन्धी, बोअज़ के खेत में सिला बीनने से, रूत और नाओमी को आख़िरकार एक घर और सुरक्षा मिल गयी l रूत ने अपने दैनिक कार्य में होशियारी और मेहनत की अर्थात् खेत के किनारों से भोजन इकठ्ठा किया और परमेश्वर ने उसे आशीष दी l

मेरी सहेली रूत का उत्साह और बाइबल के रूत का समर्पण मुझे परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए उभारता है कि किस प्रकार वह निर्धनों और कुचले हुओं को संभालता है l ये लोग मुझे अपने समुदाय में दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करते हैं और बड़े पैमाने पर देनेवाले परमेश्वर के प्रति मुझे धन्यवादी बनाते हैं l आप किस प्रकार दूसरों पर तरस दिखाकर परमेश्वर की उपासना कर सकते हैं?