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Articles by एमी बाउचर पाई

क्यों क्षमा की जाएँ?

एक सहेली के मुझे धोखा देने के बाद, मुझे मालूम था कि मुझे उसे क्षमा करना है, किन्तु मैं आश्वस्त नहीं थी कि मैं कर पाऊँगी l उसके शब्द मुझको चुभ गए थे, और मैं दर्द और क्रोध से भरी हुयी थी l यद्यपि हमनें इसके विषय बातें कीं और मैंने उससे कहा कि मैं क्षमा कर चुकी हूँ, बहुत समय तक उसे देखने पर मैंने चोट का दर्द महसूस किया, इसलिए मैं जानती थी कि मेरे अन्दर कुछ नाराज़गी थी l एक दिन, हालाँकि, परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे उसे छोड़ने की ताकत दी l आखिरकार मैं स्वतंत्र थी l

हमारे उद्धारकर्ता के साथ जो क्रूस पर मरते वक्त भी क्षमा दिया, क्षमा मसीही विश्वास का केंद्र है l यीशु ने उनको क्षमा किया जिन्होंने उसे क्रूसित किया, और पिता से उन्हें क्षमा करने को कहा l उसके अन्दर कड़वाहट अथवा क्रोध नहीं था, किन्तु उसने उसे दुःख पहुँचानेवालों पर अनुग्रह दिखाया और उनसे प्रेम किया l

यीशु के आदर्श का अनुसरण करते हुए अपने प्रभु के समक्ष किसी को भी जिन्होंने आपको चोट पहुँचाया है, क्षमा करने और उसका प्रेम दिखाने का यह ठीक समय है l जब हम परमेश्वर से उसकी आत्मा द्वारा क्षमा करने की मदद मांगेंगे, वह हमारी सहायता करेगा-चाहे हम क्षमा करने में अधिक समय लगाने की सोचते हैं l हमारे ऐसा करने पर, हम नहीं क्षमा करने के कैद से छूट जाएंगे l

जीवन और मृत्यु

मैं अपनी सहेली के भाई की मृत्यु के समय उसके खाट के निकट बैठना नहीं भूल सकती; साधारण से असाधारण की मुलाकात का दृश्य l हम तीनों बैठे थे जब हमने रिचर्ड को कठिनाई से श्वास लेते देखा l हम उसके चारों ओर खड़े होकर, देखते और इंतज़ार करते हुए प्रार्थना करते रहे l जब उसने अंतिम श्वास ली, पवित्र क्षण सा महसूस हुआ; एक चालीस वर्ष के एक अद्भुत व्यक्ति की मृत्यु के समय परमेश्वर की उपस्थिति ने हमें हमारे दुःख में घेर लिया l

हमारे विश्वास के अनेक नायकों ने अपनी मृत्यु के समय परमेश्वर की विश्वासयोग्यता का अनुभव किया l जैसे, याकूब ने कहा कि वह जल्द ही “अपने लोगों के साथ मिलने पर” है (उत्प. 49:29-33) l याकूब का पुत्र युसूफ भी अपने भाइयों को अपनी निकट मृत्यु बताया : “मैं तो मरने पर हूँ,” और उनसे अपने विश्वास में दृढ़ रहने को कहा l उसने शांति का अनुभय किया, फिर भी अपने भाइयों से प्रभु पर भरोसा रखने को कहा (50:24) l

हममें से कोई भी अपनी मृत्यु का समय अथवा कारण नहीं जानते हैं, किन्तु उसके हमारे साथ रहने के लिए मदद और भरोसा रखें l हम यीशु की प्रतिज्ञा पर विश्वास करें कि वह पिता के घर में हमारे लिए रहने का एक स्थान तैयार करेगा (यूहन्ना 14:2-3) l

तरोराजा बसंती वर्षा

अवकाश चाहिए, मैं निकट के पार्क में टहलने गयी l आगे बढ़ने पर ढेर सारी हरियाली ने मुझे आकर्षित किया l मिट्टी से जीवन की कोपलें निकलीं जो कुछ ही सप्ताहों में सुन्दर डैफोडिल फूल बनकर बसंत और गर्माहट की घोषणा कर रहीं थीं l सर्दी का एक और मौसम बीत चुका था l

होशे की पुस्तक पढ़ते समय, कहीं-कहीं कठोर सर्दी दिखाई देती है l इस्राएली लोगों के प्रति सृष्टिकर्ता के प्रेम को दर्शाने के लिए प्रभु ने नबी को एक विश्वासघाती स्त्री से विवाह करने का अपरिहार्य कार्य दिया (1:2-3) l होशे की पत्नी, गोमेर, के विवाह प्रतिज्ञा  तोड़ने के बाद भी होशे ने उसे यह चाहते हुए वापस बुलाया कि वह उससे समर्पित प्रेम करेगी (3:1-3) l इसी तरह परमेश्वर की इच्छा है कि हम शक्ति और समर्पण के साथ उससे प्रेम करें जो सुबह की ओस की तरह गायब न हो जाए l

हम परमेश्वर के साथ कैसा सम्बन्ध रखते हैं? क्या हम उसे केवल संकट में खोजते हैं, दुःख में उत्तर चाहते हैं किन्तु हमारे आनंद के समय उसकी अवहेलना करते हैं? किन्तु हम इस्राएलियों की तरह हैं, अपने समय के मूर्तियों के प्रभाव में चले जाते हैं, जिसमें व्यस्ततता, सफलता, और प्रभाव शामिल है?

आज, पुनः हम स्वयं को प्रभु को समर्पित करें, जो बंसंत के खिलने वाली कलियों की तरह प्रेम करता है l

स्वागत का उपहार

जो भोज हमनें पाँच देशों के परिवारों के लिए आयोजित किया था एक अद्भुत यादगार है l  पता नहीं क्यों बातचीत दो भागों में नहीं बँटा, किन्तु हम सब ने लन्दन के जीवन पर एक चर्चा में विश्व के विभिन्न भागों के दृष्टिकोण प्रस्तुत किये l शाम के अंत में, हम दोनों पति-पत्नी ने विचारा कि हमने देने से अधिक पाया, जिसमें नए मित्र बनाने और भिन्न संस्कृतियों से सीखने के वे स्नेही अहसास शामिल थे l

इब्रानियों के लेखक ने सामाजिक जीवन के लिए कुछ प्रोत्साहन में अपने पाठकों से आतिथ्य जारी रखने को कहा l ऐसा करने से, “कुछ लोगों ने अनजाने में स्वर्गदूतों का आदर-सत्कार किया है” (13:2) l संभवतः वह अब्राहम और सारा का सन्दर्भ दे रहा होगा, जिन्हें हम उत्पति 18:1-12 में अपरिचितों का स्वागत करते हुए, उनके लिए उदारता से भोज खिलाते देखते हैं, जैसे कि बाइबिल के दिनों में प्रथा थी l उन्हें पता नहीं था कि वे स्वर्गदूतों का खातिर कर रहे थे, जो उनके लिए आशीष का सन्देश लेकर आए थे l

हम लोगों से कुछ पाने के लिए उनको अपने घर आमंत्रित नहीं करते हैं, किन्तु देने से अधिक पाते हैं l उसके नाम से दूसरों का स्वागत करते समय परमेश्वर हमारे द्वारा अपना प्रेम फैलाए l

ज्योतिस्तंभ

रुवान्डा में सेवा केंद्र “लाइट हाउस” अपने अस्तित्व से ही छुटकारा को दर्शाता है l यह उस भूमि पर स्थित है जहाँ 1994 में हुए जातिसंहार के दौरान देश के राष्ट्रपति का भव्य मकान था l नया भवन, हालाँकि, मसीहियों ने ज्योति और आशा के ज्योतिस्तंभ के रूप में बनाया है l वहां नयी पीढ़ी के मसीही अगुए तैयार करने के लिए एक बाइबिल संस्थान के साथ एक होटल, रेस्टोरेंट, और समाज के लिए अन्य सेवाएँ उपलब्ध हैं l राख में से नया जीवन आया l “लाइट हाउस” को बनानेवाले यीशु को अपनी आशा और छुटकारे का श्रोत मानते हैं l

यीशु जब सब्त के दिन नासरत के आराधनालय में गया, उसने यशायाह की पुस्तक पढ़कर घोषणा की कि प्रभु की प्रसन्नता की घोषणा करने वाला अभिषिक्त वही है (देखें लूका 4:14-21) l वह ही कुचलों को छुड़ाने और छुटकारा और क्षमा देने आया l यीशु में हम राख से सुन्दरता निकलते देखते हैं (यशा. 61:3) l

हम रुवान्डा के जातिसंहार की क्रूरता देखते हैं, जब जनजातियों के बीच लड़ाई में पाँच लाख से अधिक लोग मारे गए, भयानक और खौफनाक, और हम इसके विषय कुछ नहीं कह सकते l फिर भी हमें ज्ञात है कि प्रभु  क्रूरता से छुटकारा दे सकता है-इस पृथ्वी पर या स्वर्ग में l विलाप के बदले हर्ष का तेल देनेवाला हमें अंधकारमय स्थितियों के मध्य आशा देता है l

मैं आपको देखता हूँ

एक ऑनलाइन लेखक समूह में जहाँ हम परस्पर सहयोग और प्रोत्साहित करते हैं एक सहेली बोली, “मैं आपको देख सकती हूँ l तनाव और चिंता महसूस करते हुए, मैं उसके शब्दों से शांति और सुख महसूस करती हूँ l उसने मुझे “देखा”-मेरी आशाएँ, भय, संघर्ष, और सपने-और मुझसे प्रेम किया l

अपनी सहेली के सरल किन्तु सामर्थी प्रोत्साहन को सुनकर, मैंने अब्राहम के घर की दासी, हाजिर पर विचार किया l सारै और अब्राम के अनेक वर्षों तक वारिस की चाह में, सारै ने संस्कृति का अनुसरण करके अपने पति से हाजिर द्वारा संतान उत्पन्न करने को कहा l किन्तु हाजिरा गर्भवती होकर सारै को तिरस्कार की निगाहों से देखा, बदले में सारै के दुर्व्यवहार से हाजिरा दूर मरुभूमि की ओर भागी l

प्रभु ने हाजिरा को दुःख और भ्रम में देखकर उसे अनेक वंश देने की प्रतिज्ञा की l इस सामना के बाद, हाजिरा ने प्रभु को “एल रोई,” अर्थात् सर्वदर्शी ईश्वर पुकारा (उत्प. 16:13), क्योंकि उसे मालुम था कि वह अकेली और त्यागी हुई नहीं है l

हाजिरा की तरह हम भी देखे गए और प्रेम प्राप्त किये l मित्र अथवा परिवार द्वारा हम उपेक्षित अथवा अस्वीकृत किये जा सकते हैं, फिर भी हमारा पिता हमारे बाहरी चेहरे को नहीं, किन्तु हमारे समस्त भीतरी भावनाओं और भय को जानता है l वह हमें जीवन देनेवाले शब्द बोलता है l

अदृष्ट नायक

बाइबिल की कहानियाँ हमें रोककर चकित करती हैं l जैसे, मूसा द्वारा प्रतिज्ञात देश में परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करते वक्त अमालेकियों के आक्रमण के समय, मूसा को कैसे ज्ञात हुआ कि पहाड़ पर चढ़कर परमेश्वर की लाठी थामनी है? (निर्गमन 17:8-15) l हमें नहीं मालूम, किन्तु हम पाते हैं कि मूसा के हाथ उठाने पर, इस्राएली युद्ध जीतते थे, और नीचे करने पर अमालेकी l मूसा के श्रमित होने पर, उसका भाई हारून और एक अन्य व्यक्ति, हूर, मूसा के हाथों को थामे रहे कि इस्राएली जीत जाएँ l

हमें हूर के विषय अधिक नहीं बताया गया है, किन्तु इस्राएल के इतिहास के इस मुकाम पर उसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी l यह हमें ताकीद मिलती है कि अदृश्य नायक विशेष हैं, कि सहयोगी और अगुओं को उत्साहित करनेवाले मुख्य हैं और उपेक्षित भूमिका निभाते हैं l अगुओं का ज़िक्र इतिहास में आएगा या सोशल मीडिया पर उनकी बड़ाई होगी, किन्तु अन्य तरीकों से सेवा करनेवालों की शांत, विश्वासयोग्य साक्षी को प्रभु नज़रंदाज़ नहीं करता l वह मित्रों और परिवार के लिए प्रतिदिन प्रार्थना करनेवालों को देखता है l वह उस स्त्री को देखता है जो रविवार को चर्च में कुर्सियाँ उठाती है l वह प्रोत्साहन के शब्द बोलनेवाले पड़ोसी को देखता है l

परमेश्वर हमारे महत्वहीन कार्य को भी देखता है l और हम किसी भी अदृष्ट मददगार नायक पर ध्यान देकर उसको धन्यवाद दें l

जीवन की श्वास

एक ठंडी और तुषाराच्छादित सुबह में, मेरी बेटी और मैं स्कूल जाते समय, अपने श्वास को भाप में बदलते देखा l हमारे मुहं से निकलनेवाली वाष्पमय बादलों पर हम खिलखिला रहे थे l मैंने उस क्षण को उपहार स्वरूप लिया, उसके साथ आनंद करना और जीवित l

आम तौर पर हमारा अदृश्य श्वास ठंडी हवा में दिखाई दिया, और श्वास और जीवन के श्रोत-हमारा सृष्टिकर्ता प्रभु-के विषय सोचने को कायल किया l आदम को धूल से रचकर उसमें श्वास फूंकनेवाला हमें और समस्त जीवों को जीवन देता है (उत्प. 2:7) l सब वस्तुएँ उसकी ओर से हैं-हमारा श्वास भी, जिसे हम बगैर सोचे लेते हैं l      

इस सुविधा युक्त और तकनीकी संसार में रहते हुए हम हमारे आरंभ को और कि परमेश्वर हमारा जीवनदाता है को भूलने की परीक्षा में पड़ सकते हैं l किन्तु जब हम ठहरकर विचारते हैं कि परमेश्वर हमारा बनानेवाला है, हम अपने दिनचर्या में धन्यवादी आचरण जोड़ सकते हैं l हम दीन, धन्यवादी हृदयों से जीवन के उपहार को स्वीकार करने हेतु उससे सहायता मांग सकते हैं l हमारा धन्यवाद छलक कर दूसरों को स्पर्श करें, ताकि वे भी प्रभु की भलाइयों और विश्वासयोग्यता के लिए उसे धन्यवाद दे सकें l

पाने के लिए खोना

जब मैं अपने अंग्रेज मंगेतर से विवाह करके ग्रेट ब्रिटन में रहने लगी, मैंने सोचा यह विदेश में पंच-वर्षीय रोमांच होगा l मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं लगभग बीस वर्षों से यहाँ लगातार रहूँगी, या कभी-कभी इस अहसास के साथ कि मैंने अपने परिवार और मित्र, कार्य, और समस्त परिचित बातों को अलविदा कही थी l किन्तु जीवन के पुराने तरीके छोड़कर, मैंने एक बेहतर जीवन पाया है l

यीशु ने अपने शिष्यों से प्रतिज्ञा की कि जीवन पाने का उल्टा उपहार है, जब हम खोकर पाते हैं l जब उसने बारह शिष्यों को सुसमाचार सुनाने हेतु भेजा, उसने उनसे उसे अपने माता या पिता, बेटा या बेटी से अधिक प्रेम करने को कहा (मत्ती 10:37) l उसके शब्द एक ऐसी संस्कृति में कही गई जहाँ परिवार समाज की आधारशिला थी और अत्यधिक महत्वपूर्ण l किन्तु उसकी प्रतिज्ञा थी कि वे उसके लिए अपना जीवन खोकर, उसे प्राप्त करेंगे (पद.39) l

मसीह में खुद को पाने के लिए हमें विदेश नहीं जाना पड़ेगा l सेवा और समर्पण द्वारा-जैसे शिष्य परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने हेतु तैयार थे-हम प्रभु को देने से अधिक प्रभु के उदार प्रेम के कारण अधिक प्राप्त करते हैं l अवश्य ही वह हमसे प्रेम करता है चाहे हम जितनी भी उसकी सेवा करें, किन्तु दूसरों के लिए अपने को समर्पित करके हम संतोष, अर्थ, और तृप्ति पातें हैं l