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Articles by ऐनी सिटास

कर्म द्वारा विश्वास प्रकट करना

2021 में जून की एक शाम को एक चक्रवात ने एक समुदाय में से होकर गुज़रते हुए, एक परिवार के खलिहान को नष्ट कर दिया l यह एक दुखद हानि थी क्योंकि 1800 के दशक के उत्तरार्ध से खलिहान पारिवारिक संपत्ति थी l जब जॉन और उसकी पत्नी गाड़ी से उसी रास्ते चर्च जा रहे थे, तो उन्होंने वहाँ हुए नुक्सान को देखा और सोचा कि वे कैसे सहायता कर सकते हैं l इसलिए वे ठहर गए और जब उन्हें पता चला कि परिवार को सफाई में मदद की जरुरत है l  वे अपनी कार को तेजी से घुमाते हुए,कपड़े बदलने के लिए घर  चले गए और लौट कर प्रचंड हवाओं द्वारा उत्पन्न गंदगी को साफ़ करने के लिए दिन भर रुके l उन्होंने उस परिवार की सेवा करते हुए अपने विश्वास को अमल में लाया l 

याकूब ने कहा कि “विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है” (याकूब 2:26) l वह अब्राहम का उदाहरण देता है, जिसने आज्ञाकारिता में परमेश्वर का अनुसरण किया जब वह नहीं जानता था कि वह कहाँ जा रहा है (पद..23; देखें उत्पत्ति 12:1-4; 15:6; इब्रानियों 11:8) l याकूब ने राहाब का भी उल्लेख किया, जिसने इस्राएल के परमेश्वर में अपना विश्वास दिखाया जब उसने उन भेदियों को छिपा दिया जो यरीहो शहर की पड़ताल करने आए थे (याकूब 2:25; यहोशु 2;6:17 देखें l 

“यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो इससे क्या लाभ?” (याकूब 2:14) l मैथ्यू हेनरी टिप्पणी करता है, “विश्वास जड़ है, तो अच्छे काम फल हैं, और हमें यह देखना चाहिए कि हमारे पास दोनों हो l” परमेश्वर को हमारे अच्छे कर्मों की आवश्यकता नहीं है,लेकिन हमारा विश्वास हमारे कार्यों से सिद्ध होता है l 

परमेश्वर से प्रेम और उस पर झुकना

सुनील मजाकिया, स्मार्ट और लोकप्रिय था। लेकिन गुप्त रूप से वह डिप्रेशन से जूझ रहा था। पंद्रह साल की उम्र में उसके आत्महत्या करने के बाद, उसकी माँ प्रतिभा ने उसके बारे में कहा, "यह समझना मुश्किल है कि कोई व्यक्ति जिसके लिए इतना कुछ हो रहा था वह उस मुकाम पर कैसे आगया। सुनील . . आत्महत्या से अछूता नहीं था। "एकांत के कुछ ऐसे क्षण होते थे जब प्रतिभा अपना दुःख परमेश्वर के सामने उँड़ेलती थी। वह कहती है कि आत्महत्या के बाद का गहरा दुख "दुख का एक अलग स्तर" है। फिर भी उसने और उसके परिवार ने सामर्थ के लिए परमेश्वर और दूसरों पर निर्भर रहना सीख लिया था, और अब वें ऐसे लोगों से प्रेम करने में अपना समय उपयोग करते है जो अवसाद से जूझ रहे हैं।

प्रतिभा का सिद्धांत अब "प्रेम और निर्भरता" बन गया था। यह विचार पुराने नियम की रूत की कहानी में भी देखा जाता है। नाओमी ने अपने पति और दो पुत्रों को खो दिया—एक जिसका विवाह रूत से हुआ था (रूत १:३-५)। नाओमी, कटु  और उदासी से भरी, रूत से अपनी माँ के परिवार में लौटने का आग्रह किया जहाँ उसकी देखभाल की जा सकती थी। रूत, हालांकि दुख में थी, पर अपनी सास से "चिपकी रही" और उसके साथ रहने और उसकी देखभाल करने के लिए प्रतिबद्ध थी (वव. १४-१७)। वे नाओमी की मातृभूमि बेतलेहेम लौट आए, जहाँ रूत एक परदेशी थी। परन्तु प्रेम और निर्भरता के लिए उनके पास एक दूसरे का साथ था, और परमेश्वर ने उनके लिए प्रयोजन किया (२:११-१२)।

हमारे दुःख के समय में, परमेश्वर का प्रेम स्थिर रहता है। वह हमेशा हमारे पास है की हम उस पर निर्भर रह सके जैसे हम भी उसकी सामर्थ द्वारा दूसरों पर निर्भर रहते और उनसे प्रेम करते हैं।

जीवित और संपन्न

एक एनिमेटेड अंग्रेजी फिल्म में एक गुफावासी परिवार का मानना है कि जीवित रहने का एकमात्र तरीका है अगर पैक [उनका छोटा परिवार] एक साथ रहता है। वे दुनिया और दूसरों से डरते हैं, इसलिए रहने के लिए एक सुरक्षित जगह की तलाश में वे अपने चुने हुए क्षेत्र में पहले से ही एक अजीब परिवार के मिलने पर डर से भर जाते हैं। लेकिन वे जल्द ही अपने नए पड़ोसियों के मतभेदों को अपनाना सीख जाते हैं, उनसे ताकत हासिल करते हैं और एक साथ जीवित रहते हैं। वे पाते हैं कि वे वास्तव में उनके साथ आनन्दित हैं और उन्हें पूरी तरह से जीवन जीने के लिए दूसरों की आवश्यकता है।
रिश्ते में रहना जोखिम भरा हो सकता है लोग हमें चोट पहुँचा सकते हैं, और पहुंचाते हैं। फिर भी यह अच्छे कारण के लिए है कि परमेश्वर ने अपने लोगों को एक देह (चर्च) में एक साथ रखा है। दूसरों के साथ संगति में, हम समझ में बढ़ते हैं (इफिसियों4:13)। विनम्र, शान्त और धैर्यवान होने में मदद के लिए हम उस पर निर्भर रहना सीखते हैं (पद 2)। हम एक दूसरे को प्रेम में (पद 16) बनाने के द्वारा एक दूसरे की मदद करते हैं। जब हम एक साथ इकट्ठे होते हैं तो हम अपने वरदानों का उपयोग करते हैं और दूसरों से सीखते हैं जो उनका उपयोग करते हैं जो बदले में हमें परमेश्वर के साथ चलने और उसकी सेवा करने में सक्षम बनाता है।
जब वह आपकी अगुवाई करता है तो परमेश्वर के लोगों के बीच अपना स्थान ढूँढ़ें, यदि आपको वह अभी तक नहीं मिला है। आप जीवित रहने से ज्यादा कुछ करेंगे — साझा किये प्रेम में आप परमेश्वर के लिए सम्मान लाएंगे और यीशु के समान बनेंगे। और जब हम यीशु और अन्य लोगों के साथ बढ़ते संबंधों से गुजरते हैं तो हम सब उस पर निर्भर हों।

दूसरों के साथ चलना

बिली, एक प्रेम करने वाला और वफादार कुत्ता, 2020 में एक इंटरनेट स्टार बन गया। उसके मालिक, रसेल, का टखना टूट गया था और चलने के लिए बैसाखी का उपयोग करते थे। जल्द ही कुत्ता भी जब अपने मालिक के साथ चलता तो लंगड़ाने लगता। चिंतित, रसेल बिली को पशु चिकित्सक के पास ले गया, जिसने कहा कि उसके साथ कुछ भी गलत नहीं है! वह ठीक से भागता जब वह अकेला होता। बाद में यह पता चला कि कुत्ता जब अपने मालिक के साथ चलता, तो झूठमूठ लंगड़ाता था। इसे आप कह सकते है कि किसी के दर्द के साथ एक समान होने की कोशिश करना!

रोम की कलीसिया को प्रेरित पौलुस के निर्देशों में दूसरों के साथ चलना सबसे आगे आता है। उसने दस आज्ञाओं में से अंतिम पाँच आज्ञाओं का सार इस प्रकार दिया: "अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखो" (रोमियों 13:9)। हम पद 8 में भी दूसरों के साथ चलने के महत्व को देख सकते हैं: "एक दूसरे से प्रेम रखने के अतिरिक्त कोई ऋण बकाया न रहे।"

लेखक जेनी अल्बर्स सलाह देते हैं: “जब कोई टूटा हुआ होता है, तो उसे जोड़ने की कोशिश मत करो। (आप नहीं कर सकते।) जब कोई दर्द में हो, तो उसका दर्द दूर करने का प्रयास न करें। (आप नहीं कर सकते।) इसके बजाय, उस दर्द में उनके साथ में चलकर उन्हें प्रेम करें। (आप कर सकते हैं।) क्योंकि कभी-कभी लोगों को केवल यह जानने की आवश्यकता होती है कि वे अकेले नहीं हैं।"

क्योंकि यीशु, हमारा उद्धारकर्ता, हमारे सभी दुखों और पीड़ाओं में हमारे साथ चलता है, हम जानते हैं कि दूसरों के साथ चलने का क्या अर्थ है।

एक घर की अभिलाषा

ऐनीऑफ़ ग्रीन गेबल्स  कहानियों के मुख्य पात्र ऐनी को एक परिवार की इच्छा थी। वह अनाथ थीं और उसने कभी एक ऐसे जगह पाने की आशा खो दी थी जिसे वह घर कह सके। फिर उसने यह जाना कि मैथ्यू नामक एक बूढा आदमी और उसकी बहन मरिला उसे स्वीकार करने के लिए तैयार थे। एक छोटी गाड़ी में उनके घर जाते हुए ऐनी ने बार–बार बकबक करने के लिए माफ़ी मांगी, पर मैथ्यू, जो एक शांत स्वभाव का था ने कहा, “तुम जितना चाहो उतना बात कर सकती हो। मुझे कोई आपत्ति नहीं है।”  यह ऐनी के कानों के लिए संगीत था। उसे लगता था कि कोई भी कभी उसे अपने आसपास नहीं चाहता, तो  उसकी बकबक क्यों सुनना चाहेगा। पहुंचने के बाद, उसकी उम्मीदें धराशायी हो गई जब उसे पता चला कि  भाई–बहनों ने सोचा था की उन्हें खेत में मदद करने के लिए एक लड़का मिल रहा है। वह लौटाए जाने से डरी, लेकिन ऐनी की एक प्यार भरे घर की लालसा तब पूरी हुई जब उन्होंने उसे अपने परिवार का एक हिस्सा बनाया।

हम सब ने ऐसे समय का सामना किया है जब जब हम अनचाहे और अकेला महसूस करते हैं। लेकिन जब हम यीशु में उद्धार के द्वारा परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बनते हैं तो वह हमारे लिए एक सुरक्षित गढ़ बन जाता है। भजनसंहिता 62:2।वह हममें प्रसन्न होता है और हमे अपने साथ सब कुछ के बारे में बात करने के लिए आमंत्रित करता है — हमारी चिंता, परीक्षाएं, दुःख और आशा। भजनकार हमें कहता है “ परमेश्वर में आराम पाओ और अपने मन की बातें उससे खोल के कहो। (पद5,8) 

संकोच न करें। जितना चाहे परमेश्वर से बात करें। वह बुरा नहीं मानेगा। वह आपके हृदयों से प्रसन्न है। उसमें आप एक घर पा सकते है।

अटूट विश्वास

अरुण अपने पिता की मृत्यु के बाद उनका सामान लेने के लिए वृद्धाश्रम में गया। कर्मचारियों ने उसे दो छोटे बक्से सौंपे। उसने कहा कि उस दिन उसे यह महसूस हुआ कि खुश रहने के लिए वास्तव में बहुत सारी संपत्ति नहीं चाहिए होती।

उसके पिता, सतीश, चिन्तामुक्त और हमेशा एक मुस्कान और दूसरों के लिए एक उत्साहजनक शब्द के साथ तैयार रहते थे। उनकी खुशी का कारण एक दूसरी  "संपत्ति" थी जो किसी बक्से में नहीं समा सकती थी : उनके उद्धारकर्ता, यीशु में एक अटूट विश्वास।

यीशु हमसे आग्रह करते हैं कि “अपने लिए स्वर्ग में धन इकट्ठा करो" (मत्ती 6:20)। उन्होंने यह नहीं कहा कि हम एक घर या गाड़ी नहीं खरीद सकते हैं या भविष्य के लिए धन नहीं जोड़ सकते या हमारे पास अन्य कई संपत्तियां नहीं हो सकती। परन्तु वह हमसे यह आग्रह करते है कि हम जांचे कि हमारा हृदय कहाँ केंद्रित है। सतीश का ध्यान कहाँ था? दूसरों से प्रेम करने के द्वारा परमेश्वर से प्रेम करने पर। वह उन बड़े कमरों में ऊपर और नीचे घूमते थे जहां वे रहते थे, अपने मिलने वालों का अभिवादन और उनको प्रोत्साहित करते थे । अगर किसी की आंखों में आंसू होते, तो वह एक सुकून देने वाले शब्द या सुनने वाले कान या दिल से की गई प्रार्थना करने के लिए मौजूद रहते थे। उनका मन इस बात पर केंद्रित था कि वह अपना जीवन परमेश्वर का आदर और दूसरों की भलाई करने के लिए जीएँ।

हम शायद खुद से पूछना चाहेंगे कि क्या हम कम चीजों में भी खुश रह सकते हैं जो हमें दौड़-धूप कराती हैं और हमें परमेश्वर और दूसरों से प्रेम करने के अधिक महत्वपूर्ण विषय से विचलित करती हैं। "जहाँ [हमारा] धन है, वहाँ [हमारा] मन भी रहेगा" (पद 21 )। हम जिस चीज को महत्व देते हैं, वह इस बात से झलकती है कि हम कैसे जीवन जीते हैं।

विश्वास से जीना

चलते समय मोहित को कुछ संतुलन की समस्या का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए उसके चिकित्सक ने उसका संतुलन सुधारने के लिए भौतिक चिकित्सा का आदेश दिया। एक सत्र के दौरान उनके चिकित्सक ने उनसे कहा, "आप जो देख सकते हैं उस पर आप बहुत अधिक भरोसा कर रहे हैं, भले ही वह गलत हो! आप अपनी अन्य प्रणालियों पर पर्याप्त निर्भर नहीं हैं - जो आप अपने पैरों के नीचे महसूस करते हैं और आपके आंतरिक-कान के संकेत - जो आपको संतुलित रखने में मदद करने के लिए भी हैं। ”

"आप जो देख सकते हैं उस पर आप बहुत अधिक भरोसा कर रहे हैं" डेविड की कहानी, एक युवा चरवाहा, और गोलियत के साथ उसकी मुठभेड़ को ध्यान में लाता है। चालीस दिनों के लिए, गोलियत, एक पलिश्ती चैंपियन, "इस्राएली सेना के सामने लड़खड़ाता हुआ," उन्हें ताना मारता रहा कि किसी को उससे लड़ने के लिए बाहर भेजो (1 शमूएल 17:16 एनएलटी)। लेकिन लोगों ने स्वाभाविक रूप से जिस पर ध्यान केंद्रित किया, उससे उन्हें डर लगा। तब युवा दाऊद प्रकट हुआ क्योंकि उसके पिता ने उसे अपने बड़े भाइयों के लिए सामग्री लेने के लिए कहा था (v 18)।

दाऊद ने स्थिति को कैसे देखा? ईश्वर में विश्वास से, दृष्टि से नहीं। उसने विशाल को देखा लेकिन भरोसा था कि परमेश्वर उसके लोगों को बचाएगा। हालाँकि वह सिर्फ एक लड़का था, उसने राजा शाऊल से कहा, “इस पलिश्ती की चिंता मत करो। . . . मैं उससे लड़ने जाऊंगा!" (v 32)। तब उसने गोलियत से कहा, "लड़ाई तो यहोवा की है, और वह तुम सब को हमारे हाथ में कर देगा" (v 47)। और बस यही परमेश्वर ने किया।

परमेश्वर के चरित्र और शक्ति पर भरोसा करने से हमें दृष्टि के बजाय विश्वास से अधिक निकटता से जीने में मदद मिल सकती है।

प्यारा परमेश्वर

प्रोफेसर ने हर बार दो में से एक तरीके से अपनी ऑनलाइन कक्षा समाप्त की। वह कहते, "अगली बार मिलते हैं" या "आपका सप्ताहांत अच्छा हो।" कुछ छात्र "धन्यवाद" के साथ जवाब देते। आप का भी!" लेकिन एक दिन एक छात्र ने जवाब दिया, "मैं आपसे प्यार करता हूँ।" आश्चर्यचकित होकर, उन्होंने उत्तर दिया, "मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ!" उस शाम सहपाठियों ने अपने प्रोफेसर की प्रशंसा में अगली कक्षा के लिए "मैं  तुमसे प्यार करता हूँ - कड़ी" बनाने के लिए सहमति व्यक्त की, जिन्हें अपने कंप्यूटर पर एक स्क्रीन पर पढ़ाना था, न कि व्यक्तिगत रूप से शिक्षण जैसा वह पसंद करते थे। कुछ दिनों बाद जब उन्होंने पढ़ाना समाप्त किया, तो प्रोफेसर ने कहा, "अगली बार मिलते हैं," और एक-एक करके छात्रों ने उत्तर दिया, "मैं आपसे प्यार करता हूँ।" उन्होंने इस प्रथा को महीनों तक जारी रखा। शिक्षक ने कहा कि इसने उनके छात्रों के साथ एक मजबूत बंधन बनाया, और अब उन्हें लगता है कि वे "परिवार" हैं।

1 यूहन्ना 4:10-21 में, हम, परमेश्वर के परिवार के हिस्से के रूप में, उसे "मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ" कहने के कई कारण पाते हैं : उसने अपने पुत्र को हमारे पाप के लिए बलिदान के रूप में भेजा (पद 10)। उसने हमें हम में रहने के लिए अपनी आत्मा दी (पद 13, 15)। उसका प्रेम हमेशा विश्वसनीय है (पद 16), और हमें न्याय से कभी भी डरने की आवश्यकता नहीं है (पद 17)। वह हमें उसे और दूसरों से प्रेम करने में सक्षम बनाता है "क्योंकि उसने पहिले हम से प्रेम किया" (पद 19)।

अगली बार जब आप परमेश्वर के लोगों के साथ एकत्रित हों, तो उसे प्रेम करने के अपने कारणों को साझा करने के लिए समय निकालें। परमेश्वर के लिए "मैं तुमसे प्यार करता हूँ" श्रृंखला बनाना उसको स्तुति देगा और आपको करीब लाएगा।

भयभीत न हों

मिथुन एक छोटा लड़का था जो सुरक्षा के लिए हमेशा अपने पसंदीदा स्टफ्ड टेडी (खिलोना) को कसकर पकड़े हुए रहता था। वह इसे हर जगह ले जाता था और आराम के लिए इसकी आवश्यकता पर शर्मिंदा नहीं होता था। उसकी बहन मेघा को यह आदत पसंद नहीं थी और वह अक्सर इसे छुपाती रहती थी। हालाँकि मिथुन यह भी जानता था कि उसे अपने टेडी पर कम निर्भर रहना चाहिए और उसे समय-समय पर जाने देना चाहिए, लेकिन वह हमेशा इसे पकड़े हुए रहता था।

एक क्रिसमस में एक चर्च के बच्चों के प्रोग्राम में जिसका शीर्षक था 'क्रिसमस क्या है?' मिथुन को एक कथावाचक के रूप में लिया गया था, और जैसे ही उसने लूका 2:8-14 का पाठ करने के लिए कदम आगे बढ़ाया, विशेष रूप से शब्द "मत डरो," उसने अपने टेडी को गिरा दिया──वह चीज जिसे, जब वह डरता था तो उससे हमेशा चिपका रहता था।

क्रिसमस के बारे में ऐसा क्या है जो हमें याद दिलाता है कि हमें डरने की जरूरत नहीं है? चरवाहों को दिखाई देनेवाले स्वर्गदूतों ने कहा, “मत डरो . . . तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा हुआ है" (लूका 2:10-11)।

यीशु "परमेश्वर हमारे साथ" है (मत्ती 1:23)। हमारे पास उसकी उपस्थिति उसकी पवित्र आत्मा, सच्चे दिलासा देने वाले (यूहन्ना 14:16) के माध्यम से है, इसलिए हमें डरने की आवश्यकता नहीं है। हम अपने "सुरक्षा कंबल" को छोड़ सकते हैं और उस पर भरोसा कर सकते हैं।