याद करें और उत्सव मनाएँ
6 दिसम्बर 1907 को, अमेरिकी राज्य वेस्ट वर्जिनिया में विस्फोटों ने एक छोटे समुदाय को हिलाकर रख दिया, जो कोयला-खनन उद्योग के इतिहास में सबसे खराब आपदाओं में से एक था l कुछ 360 खनिक मारे गए, और यह अनुमान लगाया गया कि इस भीषण त्रासदी ने लगभग 250 विधवाओं और 1000 बच्चों को बिना पिता के पीछे छोड़ दिया l इतिहासकार बताते हैं कि स्मारक सभा विकास का अनुकूल सेवा स्थान बन गया, जिसमें से अमेरिका में फादर्स डे का उत्सव अंततः आरम्भ होनेवाला था l बड़े नुक्सान में से स्मृति निकली और── आखिरकार──उत्सव l
मानव इतहास में सबसे बड़ी त्रासदी तब हुई जब मानव ने अपने सृष्टिकर्ता को क्रूस पर चढ़ाया l फिर भी, उस अँधेरे क्षण ने स्मृति और उत्सव दोनों को उत्पन्न किया l जिस रात वह क्रूस पर चढ़नेवाला था, उससे पहले वाली रात में, यीशु ने इस्राएल के फसह के तत्वों को लिया और अपना स्वयं का स्मारक उत्सव बनाया l लूका का आलेख इस तरह से दृश्य का वर्णन है : “फिर उसने रोटी ली, और धन्यवाद करके तोड़ी, और उनको यह कहते हुए दी, ‘यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए दी जाती है : मेरे स्मरण के लिए यही किया करो’” (22:19) l
आज भी, जब भी हम प्रभु भोज लेते हैं, हम हमारे लिए उसके महान, असीम प्रेम का आदर करते हैं──हमारे बचाव की लागत को याद करते हैं और जीवन के उपहार का जश्न मनाते हैं जो उसके बलिदान ने उत्पन्न किया l जैसा कि चार्ल्स वेस्ली ने अपने महान भजन में कहा, “अद्भुत प्रेम! संभव कैसे कि तू, मेरा परमेश्वर, मेरे लिए मर जाए?”
दुःख में आशा
जब कैब ड्राईवर हमें हवाई अड्डे ले गया, उसने हमें अपनी कहानी बतायी । वह 17 साल की उम्र में गरीबी और कष्ट को दूर करने अकेले शहर आया था । अब 11 साल बाद, उसके पास उसका खुद का परिवार है और वह उनके लिए जो उनके पैतृक गांव में अनुपलब्ध था प्रदान करने में सक्षम है । लेकिन उसे दुःख है कि वह अभी भी अपने माता-पिता और भाई-बहनों से अलग है । उसने हमें बताया कि उसकी यात्रा कठिन रही है जो पूरी नहीं होगी जब तक कि वह अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ नहीं जाता ।
इस जिन्दगी में अपने प्रिय जनों से अलग होना कठिन है, पर मृत्यु में किसी प्रियजन को खोना और भी कठिन है और एक नुकसान की भावना उत्पन्न करती है जो तब तक सही नहीं किया जाएगा जब तक हम उनके साथ फिर से जुड़ नहीं जाते । जब थिस्लुनीके के नए विश्वासियों ने इस तरह के नुकसान के बारे में सोचा, तो पौलुस ने लिखा, “हे भाइयो, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञानी रहो; ऐसा न हो कि तुम दूसरों के समान शोक करो जिन्हें आशा नहीं” (1 थिस्सलुनीकियों 4:13) । उसने समझाया कि यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम एक अद्भुत मिलन की उम्मीद में जी सकते है──मसीह की उपस्थिति में हमेशा के लिए एक साथ (पद.17) l
कुछ अनुभव हमें उतनी ही गहराई से चिह्नित करती है जितनी गहराई से हम अलगाव सहते है, लेकिन यीशु में हमें फिर से मिलने की आशा है । और दुख और हानि के मध्य हम उस स्थायी वायदे में वह आराम पा सकते है जो हमें चाहिए (पद.18) l
जल वहाँ जहाँ हमें ज़रूरत है
विश्व की सबसे गहरी झील, बैकल झील, विशाल और भव्य है l एक मील गहरी और लगभग 400 मील (636 किमी) लम्बी और 49 मील (79 किमी) चौड़ी इसकी माप है l इसमें संसार के सभी सतही ताजा जल का पांचवां (20 फीसदी) हिस्सा है l लेकिन यह पानी काफी हद तक पहुँच से बाहर है l बैकल झील साइबेरिया में स्थित है─रूस के सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में से एक l हमारे ग्रह के काफी हिस्से में पानी की इतनी सख्त जरूरत के साथ, यह असंगत है कि जल का इतना विशाल भंडार एक ऐसे स्थान पर है, जहाँ बहुत लोग इसका उपयोग नहीं कर सकते l
यद्यपि बैकल झील बहुत दूर हो सकती है, लेकिन जीवनदायक जल का एक अंतहीन स्रोत है, जो उन लोगों के लिए उपलब्ध और सुलभ है जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है l जब सामरिया के एक कुएँ पर, यीशु ने एक महिला से बातचीत करते हुए, उसकी गहरी आध्यात्मिक प्यास की तीव्रता को जांचा l उसकी सबसे प्रमुख आवश्यकता का समाधान? स्वयं यीशु l
जिस कुएँ से वह पानी भरने आयी थी, के विपरीत, यीशु ने कुछ बेहतर पेश किया : “जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा, परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह फिर अनंतकाल तक प्यासा न होगा; वरन् जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें एक सोता बन जाएगा जो अनंत जीवन के लिए उमड़ता रहेगा” (यूहन्ना 4:13–14) l
बहुत सी चीजें संतुष्टि का वादा करती हैं लेकिन कभी भी हमारे प्यासे हृद्यों को पूरी तरह से तृप्त नहीं करती हैं l यीशु ही हमारी आध्यात्मिक प्यास को वास्तव में संतुष्ट कर सकता है, और उसका प्रावधान हर किसी के लिए, हर जगह उपलब्ध है l
क्या नहीं देखा जा सकता?
इतिहासकारों का कहना है कि परमाणु युग 16 जुलाई, 1945 को शुरू हुआ था, जब न्यू मैक्सिको के दूरदराज के रेगिस्तान में पहला परमाणु आयुध विस्फोटित किया गया था l लेकिन यूनानी दार्शनिक डेमोक्रिटस (सी. 460–370 ई.पू.) किसी भी चीज़ के आविष्कार से बहुत पहले परमाणु के अस्तित्व और शक्ति की खोज कर रहा था जो कायनात/सृष्टि के इन छोटे निर्माण खण्डों को भी देख सकता था l डेमोक्रिटस जितना देख सकता था उससे अधिक समझता था और उसका परिणाम परमाणु सिद्धांत था l
पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि विश्वास का सार जो नहीं देखा जा सकता उसे मजबूती से पकड़ना है l इब्रानियों 11:1 पुष्टि करता है, “अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है l” यह अभिलाषी या सकारात्मक सोच का परिणाम नहीं है l यह उस परमेश्वर में विश्वास है जिसे हम देख नहीं सकते हैं लेकिन जिसका अस्तित्व कायनात/सृष्टि में सबसे सच्ची वास्तविकता है l उसकी वास्तविकता उसके रचनात्मक कार्यों में प्रदर्शित किया गया है (भजन 19:1) और उसका अदृश्य चरित्र और तरीके उसके पुत्र, यीशु में दिखाई देता है, जो हमें पिता का प्यार दिखाने के लिए आया था (यूहन्ना 1:18) l
यह वह परमेश्वर है जिसमें हम “जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं,” जैसे प्रेरित पौलुस कहता है (प्रेरितों 17:28) l उसी तरह, “हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं (2 कुरिन्थियों 5: 7) l फिर भी हम अकेले नहीं चलते है l अनदेखा परमेश्वर हर कदम पर हमारे साथ चलता है l
कीमत
माइकलएंजेलो की कृतियों ने यीशु के जीवन के कई पहलुओं की खोज की, फिर भी सबसे मार्मिक भी सबसे सरल में से एक था l 1540 के दशक में उन्होंने अपने दोस्त विट्टोरिया कोलोना के लिए एक प्रतिरूप(pieta) बनाया (यीशु की माँ की एक तस्वीर जिसमें वह मृत मसीह की शरीर को सम्भाली हुई है) l चाक(खड़िया) से बनाया गया, चित्रकारी दर्शाता है कि मरियम अपने पुत्र के शांत रूप को गोद में लिए हुए आकाश की ओर निहार रही है l मैरी के पीछे क्रूस का खड़ा हिस्से, के ऊपर दान्ते(Dante) के पैराडाइस(Paradise) से ये शब्द अंकित हैं, “वहां वे नहीं सोचते हैं कि कितने रक्त की ज़रूरत है l” माइकल एंजेलो की बात कितनी सच थी : जब हम यीशु की मृत्यु पर विचार करते हैं, तो हमें उसकी कीमत पर विचार करना चाहिए l
मसीह द्वारा भुगतान की गई कीमत उसकी मृत्यु घोषणा में अंकित है, “पूरा हुआ” (यूहन्ना 19:30) l “पूरा हुआ”(tetelestai) के लिए शब्द कई तरीकों से उपयोग किया जाता था"─यह दिखाने के लिए कि एक बिल का भुगतान किया गया था, एक कार्य पूरा हुआ, एक बलिदान चढ़ाया गया, एक श्रेष्ठकृति पूरी हुई l यीशु ने क्रूस पर हमारे पक्ष में जो किया वह उपरोक्त सभी बातों पर लागू होता है! शायद इसीलिए प्रेरित पौलुस ने लिखा, “पर ऐसा न हो कि मैं अन्य किसी बात का घमण्ड करूँ, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का, जिसके द्वारा संसार मेरी दृष्टि में और मैं संसार की दृष्टी में क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ” (गलातियों 6:14) l
हमारी जगह लेने की यीशु की इच्छा इस बात का शाश्वत प्रमाण है कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करता है l जब हम उसके द्वारा चुकाई गयी कीमत पर विचार करते हैं, हम उसके प्यार का जश्न भी मनाएँ─और क्रूस के लिए धन्यवाद दें l
एक मजबूत हृदय
अपनी पुस्तक फिअरफुली एंड वंडरफुली मेड(Fearfully and Wonderfully Made) में सह-लेखक, फिलिप यैंसी के साथ, डॉ पॉल ब्रैंड कहते हैं, “एक गुंजन पक्षी(humming bird) के दिल का वजन एक औंस का एक अंश होता है और एक मिनट में आठ सौ बार धड़कता है; एक ब्लू व्हेल के हृदय का वजन आधा टन होता है, जो प्रति मिनट केवल दस बार धड़कता है, और दो मील दूर सुना जा सकता है l इन दोनों में से किसी भी एक के विपरीत, मानव हृदय कमज़ोर सुस्त कार्यात्मक लगता है, फिर भी यह अपना काम करता है, दिन में 100,000 बार धड़कता है [एक मिनट में 65-70 बार] जिसके पास आराम के लिए कोई समय नहीं, और सत्तर साल या उससे अधिक उम्र तक हमें ले जाता है l”
अद्भुत हृदय हमें जीवन में इतनी अच्छी तरह से उर्जा देता है कि यह हमारे समग्र आंतरिक स्वास्थ्य का रूपक बन गया है l फिर भी, हमारे दोनों शाब्दिक और लाक्षणिक(metaphorical) दिल विफलता के लिए प्रवृत्त हैं l हम क्या कर सकते है?
इस्राएल का आराधना अगुआ, भजनकार आसाप ने भजन 73 में स्वीकार किया कि सच्ची ताकत कहीं न कहीं से—किसी से—अन्यथा से आती है l उसने लिखा, “मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिए मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है” (पद.26) l आसाप सही था l जीवित परमेश्वर हमारी अंतिम और शाश्वत शक्ति है l स्वर्ग और पृथ्वी के निर्माता के रूप में, वह अपनी पूर्ण शक्ति के प्रति ऐसी कोई सीमा नहीं जानता है l
हमारी कठिनाई और चुनौती के समय में, हम यह जाने कि आसाफ ने अपने संघर्षों के द्वारा क्या सीखा : ईश्वर हमारे हृदयों की सच्ची ताकत है l हम हर दिन उस ताकत में विश्राम कर सकते हैं l
यीशु के समान
एक लड़के के रूप में, धर्मशास्त्री ब्रूस वेयर निराश थे कि 1 पतरस 2:21–23 हमें यीशु की तरह बनने के लिए कहता है l वेयर ने अपनी पुस्तक द मैन क्राइस्ट जीसस(The Man Christ Jesus) में अपनी युवावस्था के बारे में लिखा l "उचित नहीं, मैंने निर्धारित किया l खासतौर पर तब जब परिच्छेद ‘ऐसे व्यक्ति के क़दमों का अनुसरण करने के लिए कहता है ‘जिसने पाप नहीं किया l’ यह पूरी तरह से विचित्र था . . . मैं बिलकुल यह नहीं देख पा रहा था कि कैसे परमेश्वर वास्तव में चाहता है कि हम इसे गंभीरता से लें l”
मैं समझता हूँ कि वेयर को बाइबिल की चुनौती इतना हतोत्साहित करनेवाला क्यों महसूस हो सकता था! एक पुराना वृन्द्गीत/कोरस कहता है, “यीशु की तरह बनना, यीशु की तरह बनना l मेरी इच्छा, उसके जैसा बनना l” लेकिन जैसा कि वेयर ने ध्यान दिया कि हम ऐसा करने में असमर्थ हैं l अपने आप से, हम यीशु की तरह कभी नहीं बन सकते हैं l
हालाँकि, हम अकेले नहीं हैं l परमेश्वर की संतान को पवित्र आत्मा दिया गया है, कुछ हद तक ताकि हम में मसीह का रूप बन जाए (गलतियों 4:19) l इसलिए यह आश्चर्य की बात महसूस न हो कि पौलुस के पवित्र आत्मा सम्बंधित महान अध्याय में हम पढ़ते हैं, “जिन्हें उसने पहले से जान लिया है उन्हें पहले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों” (रोमियों 8:29) l परमेश्वर हममें अपने कार्य को पूरा करेगा l और वह इसे हममें यीशु की आत्मा के द्वारा करता है l
जब हम अपने जीवनों में आत्मा के कार्य के प्रति समर्पण करते हैं, हम वास्तव में और अधिक यीशु की तरह बन जाते हैं l यह जानना कितना सान्तवना देनेवाला है कि हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा कितनी बड़ी है!
सबसे गहरे स्थान
उन्नीसवीं सदी के फ्रांस के सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल के समय के कवि और उपन्यासकार विक्टर ह्यूगो (1802–1885), शायद अपने उत्कृष्ट कृति(classic) लेस मिसरबल्स(Les Miserables) के लिए जाने जाते हैं l एक सदी बाद, उनके उपन्यास का एक संगीत रूपांतरण हमारी पीढ़ी की सबसे लोकप्रिय प्रस्तुतियों में से एक बन गया है l यह हमें आश्चर्यचकित न करने पाए l जैसा कि ह्यूगो ने एक बार कहा था, “संगीत वह व्यक्त करता है जो कहा नहीं जा सकता है और जिस पर चुप रहना असंभव है l”
भजन लिखने वाले मान जाते l उनके गीत और प्रार्थना हमें जीवन और उसके अपरिहार्य दर्द पर सच्चा प्रतिबिंब प्रदान करते हैं l वे हमें उन स्थानों पर स्पर्श करते हैं जहां हमें पहुंचना मुश्किल लगता है l उदाहरण के लिए, भजन 6:6 में दाऊद रोता है, “मैं कराहते कराहते थक गया, मैं अपनी खाट आँसुओं से भिगोता हूँ; प्रति रात मेरा बिचौना भीगता है l”
यह तथ्य कि पवित्रशास्त्र के प्रेरित गीतों में ऐसी सच्ची ईमानदारी शामिल है, हमें बहुत प्रोत्साहन देता है l यह हमें अपने भय को ईश्वर तक लाने के लिए आमंत्रित करता है, जो आराम और मदद देने के लिए अपनी उपस्थिति में हमारा स्वागत करता है l वह हमारे दिल को छू लेनेवाली इमानदारी में गले लगता है l
संगीत हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता दे सकता है जब शब्द मिलना कठिन होता है, लेकिन चाहे वह अभिव्यक्ति गायी जाती है, प्रार्थना की जाती है, या विलाप में व्यक्त की जाती है, हमारा परमेश्वर हमारे हृद्यों में सबसे गहरी जगहों पर पहुंचता है और हमें अपनी शांति देता है l
क्रूस की भाषा
पास्टर टिम केलर ने कहा, “किसी के बताए जाने पर कि वह कौन है कोई भी कभी नहीं सीखता है । उन्हें दिखाया जाना चाहिए l ” एक अर्थ में, यह कहावत का एक अनुप्रयोग है, "कार्य शब्दों से अधिक जोर से बोलते हैं ।" पति या पत्नी अपने जोड़े में से एक को दिखाते हैं कि जब वे उनकी सुनते हैं और उन्हें प्यार करते हैं तब उनकी सराहना होती है l माता-पिता अपने बच्चों की प्रेमी देखभाल करके दिखाते हैं कि वे मूल्यवान हैं l कोच एथलीटों के विकास में निवेश करके उन्हें दिखाते हैं कि उनके अन्दर संभावनाएं हैं l और इस तरह के अनेक उदाहरण हैं l इसी प्रतीक के द्वारा, एक अलग तरह की कार्रवाई लोगों को दर्दनाक चीजें दिखा सकती है जो बहुत बुरे संदेश का संचार करती है ।
सृष्टि में सभी कार्य-आधारित संदेशों में से, एक सबसे अधिक मायने रखता है । जब हम चाहते हैं कि हमें दिखया जाए कि हम परमेश्वर की नजर में कौन हैं, तो हमें उसके क्रूस पर उसके कार्य से आगे नहीं देखना चाहिए । रोमियों 5:8 में, पौलुस ने लिखा, “परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा l” क्रूस हमें दिखाता है कि हम कौन हैं : जिन्हें परमेश्वर इतना प्यार करता था कि उसने हमारे लिए अपने एकलौता पुत्र दे दिया (यूहन्ना 3:16) ।
एक भंग संस्कृति में टूटे हुए लोगों के मिश्रित संदेशों और भ्रामक कार्यों के खिलाफ, परमेश्वर के हृदय का संदेश स्पष्ट होता है । तुम कौन हो? आप वह हैं जिसे परमेश्वर इतना प्यार करता है कि उसने आपको बचाने के लिए अपने पुत्र को दे दिया l उस कीमत पर विचार करें और उस अद्भुत वास्तविकता पर कि, आप उसके लिए, हमेशा महत्वपूर्ण थे l