Dave Branon | हमारी प्रतिदिन की रोटी Hindi Our Daily Bread - Part 3

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Articles by डेव ब्रेनन

कोई प्रश्न?

ऐन, प्रारंभिक परीक्षा के लिए अपने ओरल सर्जन से मिल रही थी — जो एक चिकित्सक थे जिसे वह कई वर्षों से जानती थी। उसने ऐन से पूछा, “क्या कोई प्रश्न पूछना है?” उसने कहा “हाँ“ क्या आप पिछले रविवार को चर्च गए थे?” उसका सवाल आलोचनात्मक नहीं था, उसने केवल विश्वास के बारे में बातचीत शुरू करने के लिए यह पूछा था।

सर्जन के पास चर्च का कोई सकारात्मक अनुभव नहीं था जब वह बड़ा हो रहा था और वह फिर कभी लौट के वहां गया नहीं । ऐन के प्रश्न और उनकी बातचीत के कारण, उसने अपने जीवन में यीशु और चर्च की भूमिका पर पुनर्विचार किया। जब ऐन ने बाद में उसे एक बाइबल दी जिस पर उसका नाम लिखा हुआ था तो बाइबल लेते समय उसकी आंखों में आंसू आ गये। 

कभी कभी हम विरोध से डरते हैं या अपने विश्वास को साझा करने में बहुत आक्रामक नहीं दिखना चाहते। लेकिन यीशु के बारे में गवाही देने का एक अच्छा तरीका हो सकता है कि —प्रश्न पूछें।

एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो परमेश्वर था, और सब कुछ जानता था, यीशु ने निश्चित रूप से बहुत सारे प्रश्न पूछे। जबकि हम उसके उद्देश्यों को नहीं जानते हैं, यह स्पष्ट है कि उसके प्रश्नों ने दूसरों को प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपने शिष्य अन्द्रियास  से पूछा, “तुम क्या चाहते हो?” (यूहन्ना 1:38)। उसने अंधे बरतिमाई से पूछा“ तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिये करूं?” (मरकुस 10:51; लूका 18:41)। उसने लकवे के रोगी से पूछा, “क्या तू चंगा होना चाहता है?” (यूहन्ना 5:6)। यीशु के प्रारंभिक प्रश्न के बाद इनमें से प्रत्येक व्यक्ति के लिए बदलाव हुआ।

क्या कोई ऐसा है जिससे आप विश्वास के मामलों के बारे में संपर्क करना चाहते हैं? परमेश्वर से मांगें कि वह आपको पूछने के लिए सही प्रश्न दे।

अंधियारे से ज्योति के तरफ

कोई भी आकाश को उसके गहरे अवसाद से बाहर नहीं निकाल सका। एक ट्रक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद, उन्हें दक्षिण पश्चिम एशिया के एक मिशनरी अस्पताल में ले जाया गया। आठ ऑपरेशनों के बाद उसकी टूटी हड्डियों को ठीक किया गया, लेकिन वह खाना नहीं खा सका। निराशा शुरू हो गई। उसका परिवार प्रबंध करने के लिए उस पर निर्भर था, जो वह नहीं कर सकता था, इसलिए उसका दुनिया और अधिक अंधकारमय हो गया।

एक दिन एक अतिथि ने आकाश को उसकी भाषा में यूहन्ना का सुसमाचार पढ़ा और उसके लिए प्रार्थना किया। परमेश्वर का मुफ्त उपहार यीशु के द्वारा क्षमा और उद्धार के आशा से प्रभावित होकर, उसने उन पर अपना विश्वास रखा। उसका अवसाद तुरंत छोड़ दिया। जब वह घर लौटा, शुरुआत में वह अपने नए पाए हुए विश्वास के बारे में बताने से डरा था। अनंतः, हालाँकि, उसने अपने परिवार को यीशु के बारे में बताया—और उनमें से छः लोगों ने भी उस पर भरोसा किया!    

युहन्ना का सुसमाचार एक अंधकारमय संसार में ज्योति का स्रोत है। उसमें हम पढ़ते हैं “... जो कोई उस (यीशु) पर विश्वास करें वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” हम पाते हैं की “... जो मेरा (यीशु) का वचन सुनकर ...विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है...” (5:24)। और हम यीशु को कहते हुए सुनते हैं, “... “जीवन की रोटी मैं हूँ: जो मेरे पास आता है वह कभी भूखा न होगा,...” (6:35)। वास्तव में, “जो सत्य पर चलता है, वह ज्योति के निकट आता है, ..” (3:21)। 

जिन समस्याओं का हम सामना करते हैं वे महान हो सकते हैं, लेकिन यीशु अतिमहान है । वह हमें “बहुतायत का जीवन” (10:10) देने आया। आकाश की तरह, आप भी अपना विश्वास यीशु पर डालें--जो संसार का आशा और सारे मानव के लिए ज्योति।

बिदाई शब्द

जैसे–जैसे वह अपने जीवन के अंत के करीब आया, जॉन एम पर्किन्स के पास उन लोगों के लिए एक संदेश था जिन्हें वह पीछे छोड़ कर जाएगा। जातीय सुलह का समर्थन करने के लिए प्रसिद्ध पर्किन्स ने कहा, “पश्चाताप ही ईश्वर तक वापस जाने का एकमात्र तरीका है। यदि तुम मन न फिराओगे, तो तुम सब नाश हो जाओगे।”

ये शब्द बाइबिल में यीशु और कई अन्य लोगों की भाषा को प्रतिबिंबित करते हैं। मसीह ने कहा, “मैं तुम से कहता हूं कि यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होगे।  (लूका 13:3)। प्रेरित पतरस ने कहा, “इसलिये, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं   (प्रेरितों के काम 3:19)।

बहुत पहले पवित्रशास्त्र में, हम एक और व्यक्ति के शब्दों को पढ़ते हैं जो चाहता था कि उसके लोग परमेश्वर की ओर फिरें। सारे इस्राएल को अपने विदाई भाषण में (1 शमूएल 12:1) भविष्यद्वक्ता, याजक और न्यायी शमूएल ने कहा, “डरो मत। तुमने बुराई तो की है परन्तु अब यहोवा के पीछे चलने से मत मुड़ना  परन्तु अपके सम्पूर्ण मन से यहोवा की उपासना करना (पद 20)। यह उनका पश्चाताप का संदेश था — बुराई से मुड़ना और पूरे दिल से परमेश्वर का अनुसरण करना।

हम सभी पाप करते हैं और परमेश्वर के मापदण्ड के लक्ष्य को खो देते हैं। इसलिए हमें पश्चाताप करने की आवश्यकता है, जिसका अर्थ पाप से मुड़ना और यीशु की ओर आना है, जो हमें क्षमा करता है और हमें उसका अनुसरण करने की शक्ति देता है। आइए हम दो पुरुषों — जॉन पर्किन्स और शमूएल के शब्दों पर ध्यान दे,जिन्होंने पहचाना था कि कैसे परमेश्वर पश्चाताप की शक्ति का उपयोग हमें उन लोगों में बदलने के लिए कर सकता है जिसका उपयोग वह अपने सम्मान के लिए कर सकता है।

सितारों की खोज

2021 में, एक बहुराष्ट्रीय प्रयास के द्वारा जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का प्रक्षेपण हुआ—ब्रह्मांड की बेहतर जांच के लिए पृथ्वी से लगभग दस लाख मील की दूरी पर स्थापित किया गया। यह चमत्कार गहरे अंतरिक्ष में झांकेगा और सितारों और अन्य खगोलीय चमत्कारों की जांच करेगा।

यह वास्तव में प्रौद्योगिकी का एक आकर्षक खगोलीय टुकड़ा है, और अगर सब कुछ काम करता है, तो यह हमें अद्भुत तस्वीरें और जानकारी प्रदान करेगा। लेकिन इसका मिशन नया नहीं है। वास्तव में, नबी यशायाह ने सितारों की खोज का वर्णन किया जब उन्होंने कहा, "अपनी आंखें ऊपर उठा कर देखो, किस ने इन को सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता है” (यशायाह 40:26)। "हर रात" वे हमारे सृष्टिकर्ता के बारे में बात करते हैं जिसने इस अलक्षित रूप से विशाल ब्रह्मांड को अस्तित्व में लाया (भजन संहिता 19:2) - और इसके साथ अनगिनत चमकदार पिंड हैं जो चुपचाप हमारे रात के आकाश को सुशोभित करते हैं (पद. 3)।

और यह स्वयं परमेश्वर है जिसने तय किया कि कितनी चमकीली वस्तुएँ हैं: "वह तारों की संख्या निर्धारित करता है और उनमें से प्रत्येक का नाम लेता है" (भजन संहिता 147:4)। जब मानव जाति ब्रह्मांड का पता लगाने के लिए जटिल, आकर्षक जांच भेजती है, तो हम उनके द्वारा की गई खोजों का मंत्रमुग्ध आश्चर्य के साथ आनंद ले सकते हैं, क्योंकि प्रत्येक अवलोकन उसी की ओर इशारा करता है जिसने सौर मंडल और उससे परे सब कुछ बनाया है। हाँ, "आकाश परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है" (19:1)—तारे और सभी।

क्षमा की शक्ति

2021 की एक समाचार रिपोर्ट में सत्रह मिशनरियों के बारे में बताया गया था जिनका एक गिरोह द्वारा अपहरण कर लिया गया था। गिरोह ने फिरौती की मांग पूरी नहीं होने पर समूह (बच्चों सहित) को मारने की धमकी दी। अविश्वसनीय रूप से, सभी मिशनरियों को या तो रिहा कर दिया गया या वे आज़ाद हो गए। सुरक्षा तक पहुँचने पर, उन्होंने अपने क़ैदियों को एक संदेश भेजा: “यीशु ने हमें वचन और अपने उदाहरण से सिखाया कि क्षमाशील प्रेम की शक्ति हिंसक बल की घृणा से अधिक मजबूत है। इसलिए, हम आपको क्षमा करते हैं।

यीशु ने स्पष्ट किया कि क्षमा शक्तिशाली है। उसने कहा, "यदि तुम दूसरे लोगों को क्षमा करते हो, जब वे तुम्हारे विरुद्ध पाप करते हैं, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा" (मत्ती 6:14)। बाद में, पतरस को उत्तर देते हुए, मसीह ने बताया कि हमें कितनी बार क्षमा करना चाहिए: "मैं तुम से कहता हूं, सात बार नहीं, बरन सतहत्तर बार" (18:22; देखें पद 21-35)। और क्रूस पर, उसने ईश्वरीय क्षमा का प्रदर्शन किया जब उसने प्रार्थना की, "हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं" (लूका 23:34)।

जब दोनों पक्ष चंगाई और मेल-मिलाप की ओर बढ़ते हैं, तब पूर्ण रूप से क्षमा को महसूस किया जा सकता है। और जबकि यह किए गए नुकसान के प्रभावों को दूर नहीं करता है या दर्दनाक या अस्वास्थ्यकर संबंधों को संबोधित करने के तरीके में विवेकपूर्ण होने की आवश्यकता, यह लोगों को पुनर्स्थापित कर सकता है, परमेश्वर के प्रेम और शक्ति की गवाही देते हुए। आइए उसकी महिमा के लिए "क्षमा बढ़ाने" के तरीकों की तलाश करें।

हमारे शरणस्थान

छठी कक्षा का बास्केटबॉल खेल काफी अच्छा चल रहा था। माता-पिता और दादा -दादी अपने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ा रहे थे, जबकि टीम में लड़को के छोटे भाइयों और बहनों ने स्कूल के दालान में खुद को मनोरंजन किया, अचानक, सायरन बजा और जिम में रोशनी चमकी। एक आग अलार्म ट्रिप किया था। जल्द ही भाई-बहन अपने माता-पिता की तलाश में दहशत में जिम में वापस आ गए। 

वहाँ आग नहीं थी; अलार्म गलती से सक्रिय हो गया था। लेकिन जैसा मैंने देखा, जिस तरह से बच्चे - संकट को भांपते हुए - बिना शर्माए अपने माता-पिता को गले लगाने के लिए दौड़े, उसे देखकर मैं स्तब्ध रह गया। उनमें साहस की क्या ही तस्वीर जो डर के समय में सुरक्षा और आश्वासन प्रदान कर सकतें हैं!

पवित्रशास्त्र एक ऐसे समय को प्रस्तुत करता है जब दाऊद ने बड़े भय का अनुभव किया। शाऊल और कई अन्य शत्रु ने उसका पीछा किया (2 शमूएल 22:1)। परमेश्वर के दाऊद को सुरक्षित पहुँचाने के बाद, कृतज्ञ व्यक्ति ने उसकी मदद के बारे में स्तुति का एक शानदार गीत गाया। उसने परमेश्वर को “...मेरी चट्टान, और मेरा गढ़, मेरा छुड़ानेवाला,” कहा (v.2)। जब “अधोलोक की रस्सियाँ” और “मृत्यु के फन्दे” जब उसे घेरे थे। दाऊद ने “यहोवा को पुकारा;” और “दोहाई उसके कानों में पहुँची” (v.7)। अंत में, दाऊद ने कहा उसने “ मुझे छुड़ा लिया।”(vv.18, 20, 49)।

भय और अनिश्चितता के समय में, हम “चट्टान” की ओर दौड़ सकते हैं (v.32)। जब हम परमेश्वर को पुकारते हैं, केवल वह ही हमें वह गढ़ और शरणस्थान प्रदान करता है जिसकी हमें आवश्यकता है (v.2-3)।

मित्रों की विरासत

मैं उससे 1970 के दशक में मिला था जब मैं हाई स्कूल का शिक्षक और बास्केटबॉल कोच था, और वह लम्बा, दुबला-पतला नया विद्यार्थी l जल्द ही वह मेरे बास्केटबॉल टीम और मेरी कक्षाओं में था—और एक मित्रता आरम्भ हो गयी l वही मित्र, जो मेरे साथ सह-सम्पादक का काम कई वर्षों तक किया था, मेरी सेवानिवृत्ति समारोह (रिटायरमेंट पार्टी) में मेरे सामने खड़ा था और जिसने हमारी पुरानी मित्रता की विरासत के बारे में साझा किया l 

परमेश्वर के प्रेम से जुड़े मित्रों के बारे में ऐसा क्या है जो हमें उत्साहित करता है और हमें यीशु के निकट लाता है? नीतिवचन के लेखक ने समझा कि मित्रता के दो उत्साहजनक अंश हैं : पहला, सच्चे मित्र बहुमूल्य सलाह देते हैं, भले ही देना या लेना आसान न हो (27:6) : “जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य हैं,” लेखक समझाता है l दूसरी बात, एक मित्र जो निकट है और सुलभ है संकट के समय में महत्वपूर्ण है : “प्रेम करनेवाला पड़ोसी, दूर रहनेवाले भाई से कहीं उत्तम हैI” (पद.10)

जीवन में अकेले उड़ना हमारे लिए अच्छा नहीं है l जैसा कि सुलैमान ने कहा : “एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है” (सभोपदेशक 4:9) l जीवन में, हमें दोस्त की ज़रूरत है और हमें दोस्त बनने की ज़रूरत है l परमेश्वर हमें “भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह [रखने]” (रोमियों 12:10) और “एक दूसरे का भार [उठाने]” (गलातियों 6:2) में सहायता कर सकता है—ऐसा मित्र बनना जो दूसरों को प्रोत्साहित कर सके और उन्हें यीशु के प्रेम के निकट ला सके l 

कॉफी-बीन बाउल

मैं कॉफी पीने वाला नहीं हूं, लेकिन कॉफी बीन्स सूंघने से मुझे सुकून और उत्साह दोनों का क्षण मिलता है। जब हमारी किशोर बेटी मेलिस्सा अपने शयनकक्ष को विशिष्ट रूप से अपना बना रही थी, उसने एक कटोरा को कॉफी बीन्स से भर दिया, ताकि उसके कमरे में एक गर्म, सुखद सुगंध प्रवेश करें।

17 साल की उम्र में जब से मेलिस्सा का सांसारिक जीवन एक कार दुर्घटना में समाप्त हुआ लगभग दो दशक हो गए हैं, लेकिन हमारे पास अभी भी वह कॉफी-बीन का कटोरा है। यह हमें मेल के साथ हमारे जीवन का एक निरंतर, सुगंधित स्मरण देता है।

पवित्रशास्त्र भी सुगंध का उपयोग अनुस्मारक के रूप में करता है। श्रेष्ठगीत सुगंध को एक पुरुष और एक महिला के बीच प्रेम के प्रतीक के रूप में संदर्भित करता है (देखे श्रेष्ठगीत 1:3; 4:11, 16)। होशे  में इस्राएलियों को परमेश्वर का क्षमा “उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी।” (होशे 14:6) कहा गया है। और मरियम का यीशु के पावों को अभिषेक करना, जो मरियम के घर और उसके भाई-बहनों में “तब मरियम ने जटामांसी का आधा सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पाँवों पर डाला” (यूहन्ना 12:3) का कारण बना, जो यीशु की मृत्यु की ओर इशारा किया' (7)।

सुगंध का विचार हमारे आसपास के लोगों के लिए हमें हमारे विश्वास के गवाही में सावधान रहने में भी मदद कर सकता है। पौलुस ने इस तरीके से समझाया: “क्योंकि हम परमेश्‍वर के निकट उद्धार पानेवालों और नाश होनेवालों दोनों के लिये मसीह की सुगन्ध हैं।” (2 कुरिन्थ 2:15)।

जिस तरह से कॉफ़ी का सुगंध मुझे मेलिस्सा का याद दिलाता है, हमारा जीवन यीशु का सूगंध और उसका प्यार जो दूसरों को उसकी जरूरत की याद दिलाता है उत्पन्न कर सकें।

लेगो सबक

पृथ्वी पर हर साल प्रत्येक व्यक्ति के लिए लगभग 10 लेगो पिस बेचे जाते हैं—75 अरब से भी ज्यादा छोटी प्लास्टिक की ईंटें। लेकिन अगर यह डेनिश टॉयमेकर ओले किर्क क्रिस्टियनसेन की दृढ़ता के लिए नहीं होता, तो एक साथ जोड़ने के लिए कोई लेगो नहीं होता।

क्रिस्टियनसेन ने लेग गॉड बनाने से पहले दशकों तक बिलुंड, डेनमार्क में कड़ी मेहनत की, जिसका अर्थ है "अच्छा खेलें।" उनकी कार्यशाला दो बार आग से जल गई थी। उन्होंने दिवालियापन और एक विश्व युद्ध को सहन किया जिसके कारण सामग्री की कमी हो गई। अंत में, 1940 के दशक के अंत में, वह स्व-लॉकिंग प्लास्टिक ईंटें का  योजना बनाया। 1958 में जब लेगो एक घरेलू शब्द बनने की कगार पर था तब तक ओले किर्क मर गया।

काम और जीवन की चुनौतियों में बने रहना मुश्किल हो सकता है। यह हमारे आत्मिक जीवन में भी सच है क्योंकि हम यीशु की तरह बनने के लिए बढ़ने का प्रयास करते हैं। मुसीबतें हमसे टकराती हैं, और हमें दृढ़ रहने के लिए परमेश्वर के सामर्थ्य की जरूरत है। प्रेरित याकूब ने लिखा: “धन्य है वह मनुष्य जो परीक्षा में स्थिर रहता है,”(याकूब 1:12)। कभी-कभी जिन परीक्षाओं का सामना हम करते है वे रिश्तों या वित्त या स्वास्थ्य में झटके हैं। कभी-कभी वे प्रलोभन हमें हमारे जीवनों के द्वारा परमेश्वर को महिमा देने के लक्ष्य में हमें धीमा कर देता हैं।

लेकिन परमेश्वर वैसे समयों के लिए बुद्धि का वादा करता है (5), और जैसे हमें जो चाहिए प्रदान करता है (6) वह हमें उस पर भरोसा करने के लिए कहता है। इस सब से, जब हम उसे अपने जीवनों के द्वारा उसकी महिमा करने में लगे रहने में सहायता करने की अनुमति देते है, तो हम सच्चा आशीर्वाद पाते है(12)।