साझा किया हुआ सुख
जब मेरी बेटी हेली मुझसे मुलाकात करने आयी, मैंने उसके तीन साल के बेटे, कैलम को, एक विशेष प्रकार का वस्त्र पहने हुए देखा, जिसे मुझे न खरोंचो(ScratchMeNot) कहते हैं । यह एक लम्बी आस्तीन वाला टॉप है जिसमें दास्ताने जुड़े हुए हैं । मेरा पौत्र पुरानी एक्जिमा से पीड़ित है, त्वचा की एक बिमारी जिसमें त्वचा में खुजली होती है, जिससे वह खुरदरा और पीड़ादायक हो जाता है । “मुझे न खरोंचो(ScratchMeNot) कैलम को अपने त्वचा को खुजलाने और उसे हानि पहुंचाने से बचाता है,” हेली ने समझाया ।
सात महीने बाद, हेली की त्वचा भभक गई , और वह खुजलाने से खुद को रोक न सकी । अब मैं समझ सकती हूँ कि कैलम क्या सह रहा है,” हेली ने मेरे सामना क़ुबूल किया । “शायद मुझे भी मुझे न खरोंचो(ScratchMeNot) पहनना पड़ सकता है!”
हेली की स्थिति ने मुझे 2 कुरिन्थियों 1:3-5 की याद दिलायी जिसमें पौलुस कहता है कि हमारा परमेश्वर “दया का पिता और सब प्रकार की शांति का परमेश्वर है । वह हमारे सब क्लेशों में शांति देता है; ताकि हम उस शांति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शांति दे सकें जो किसी प्रकार के क्लेश में हों । क्योंकि जैसे मसीह के दुखों में हम अधिक सहभागी होते हैं, वैसे ही हम शांति में भी मसीह के द्वारा अधिक सहभागी होते हैं ।”
कभी-कभी परमेश्वर हमें बिमारी, हानि या संकट जैसे समय से गुजरने की अनुमति देता है । वह हमें हमारी पीड़ा के द्वारा सबसे बड़ी पीड़ा की सराहना करना सिखाता है जो मसीह क्रूस पर हमारी ओर से सहा । बदले में, जब हम आराम और शक्ति के लिए उस पर भरोसा करते हैं, तो हम उसके दुःख में दूसरों को आराम देने और प्रोत्साहित करने में सक्षम होते हैं । आइये हम इस बात पर ध्यान दें कि हम किसको शांति दे सकते हैं परमेश्वर ने हमें जिस वजह से यहाँ तक पहुँचाया है ।
अलग किया हुआ
भारत की तीन-पहिया टैक्सी, जिसे “टुकटुक” या ऑटोरिक्शा” के रूप में जाना जाता है, कई लोगों के लिए परिवहन का एक सुविधाजनक और आनंदमय साधन है l चेन्नई की रहनेवाली माला को भी एहसास हुआ कि वह एक मिशन फील्ड है l एक दिन ऑटो में, उसकी मुलाकात एक मित्रवत ड्राईवर से हुई जो धर्म के विषय बातचीत में संलग्न होने में बहुत खुश था l अगली बार, उसने खुद से कहा, वह ड्राईवर से सुसमाचार के बारे में बात करेगी l
रोमियों की पुस्तक की शुरुआत में पौलुस द्वारा खुद को “परमेश्वर के . . . सुसमाचार के लिए अलग किया हुआ” घोषित करते हुए आरम्भ होता है (रोमियों 1:1) l “सुसमाचार” के लिए यूनानी शब्द इवेंगेलियोन(evangelion) है, जिसका अर्थ “खुश खबरी” है l पौलुस खास तौर पर कह रहा था कि उसका मूल उद्देश्य परमेश्वर का सुसमाचार बताना था l
यह सुसमाचार क्या है? रोमियों 1:3 कहता है कि परमेश्वर का सुसमाचार उसके “पुत्र . . . के विषय है l” सुसमाचार यीशु है! यह परमेश्वर ही है जो संसार को बताना चाहता है कि यीशु हमें पाप और मृत्यु से बचाने आया, और वह हमें संप्रेषण के अपने साधन के रूप में होने के लिए चुना है l कितनी विनम्र सच्चाई!
सुसमाचार को साझा करना यीशु में सभी विश्वासियों को प्राप्त एक सुअवसर है l हमें इस विश्वास में दूसरों को बुलाने के लिए “अनुग्रह” मिला है (पद.5-6) l परमेश्वर ने हमें अपने चारों-ओर के लोगों तक सुसमाचार का यह उत्तेजक समाचार ले जाने के लिए अलग किया है, चाहे टुकटुक में या जहाँ भी हम हैं l हम भी, माला की तरह, अपने दैनिक जीवन में दूसरों को सुसमाचार जो यीशु में है बताने के अवसर ढूंढें l
राजा के मेज़ पर
पशु चिकित्सक ने कहा, “वह बच जाएगा, लेकिन उसका एक पैर काटना होगा l” मेरा मित्र जिस आवारा मिश्रित जाति का कुत्ता लेकर आया था उसको कार ने कुचल दिया था l “क्या आप इसके मालिक हैं?” सर्जरी का बिल बड़ा होगा, और उसके ठीक होते समय उसको देखभाल की ज़रूरत होगी l “मैं मौजूद हूँ,” मेरे मित्र ने उत्तर दिया l उसकी दयालुता ने उस कुत्ते को एक स्नेही घर में एक भविष्य दिया l
मपीबोशेत ने खुद को एक “मरे हुए कुत्ते” के समान देखा, जो कृपा के योग्य नहीं था (2 शमूएल 9:8) l एक दुर्घटना के कारण दोनों पैरों से लंगड़ा, वह दूसरों पर सुरक्षा और प्रबंध के लिए निर्भर था (4:4 देखें) l इसके अलावा, उसके दादा, राजा शाऊल की मृत्यु के बाद, शायद उसे डर था कि नया राजा, दाऊद, सिंहासन के सभी शत्रुओं और विरोधियों को मारने का आदेश देगा, जैसा कि उस काल में सामान्य चलन था l
फिर भी, अपने मित्र, योनातान से प्रेम के कारण, दाऊद ने निश्चित किया कि योनातान का बेटा, मपीबोशेत हमेशा सुरक्षित रहेगा और उसके अपने पुत्र के सामान उसकी देखभाल होगी (9:7) l उसी तरह, हम जो एक समय परमेश्वर के शत्रु थे, मृत्यु के लिए चिन्हित, यीशु द्वारा बचा लिए गए हैं और स्वर्ग में हमेशा के लिए उसके साथ स्थान प्राप्त किये हैं l परमेश्वर के राज्य में भोज में खाने का अर्थ यही है जिसका वर्णन लूका अपने सुसमाचार में करता है (लूका 14:15) l हम यहाँ हैं──राजा के बेटे और बेटियाँ! कितना असाधारण, अयोग्य अनुग्रह जो हमने पाया है! आइये हम कृतज्ञता और आनंद में परमेश्वर के निकट जाएँ l
साधारण के रूप में ऐसी कोई बात नहीं
जब अनीता अपने नव्वेवां जन्मदिन पर अपनी नींद में गुज़र गयी, उनके जाने की शान्ति उनके जीवन की शांतता में प्रतिबिंबित होती दिखाई दी l एक विधवा होकर भी, उन्होंने अपना जीवन अपने बच्चों और अपने नाती-पोतों और चर्च में युवा महिलाओं का मित्र होने में समर्पित किया l
अनीता योग्यता या उपलब्धि में ख़ास उत्कृष्ट नहीं थी l लेकिन परमेश्वर में उसका गहरा विश्वास उसके जाननेवालों को प्रेरित करता था l मेरे एक मित्र ने कहा, “जब मुझे नहीं मालूम कि किसी समस्या के विषय मैं क्या करूँ, मैं किसी प्रसिद्ध उपदेशक या लेखक के शब्दों पर विचार नहीं करता हूँ l मैं सोचता हूँ कि अनीता क्या कहती l”
हममें से कई लोग अनीता की तरह हैं──साधारण जीवन जीने वाले साधारण लोग l हमारे नाम कभी भी ख़बरों में नहीं होंगे, और हमारे सम्मान में कभी स्माराकें बनायीं नहीं जाएंगी l लेकिन यीशु में विश्वास के साथ जीया हुआ जीवन कभी भी साधारण नहीं है l इब्रानियों 11 में सूचीबद्ध कुछ लोगों के नाम नहीं हैं (पद.35-38); वे अप्रसिद्धि के मार्ग पर चले और इस जीवन में प्रतिज्ञात ईनाम प्राप्त नहीं किये (पद.39) l फिर भी, इसलिए कि वे परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी थे उनका विश्वास बेकार नहीं गया l परमेश्वर ने उनके जीवनों का उपयोग उन तरीकों से किया जो उनकी कुख्याती की कमी से परे थे (पद.40) l
यदि आप अपने जीवन की प्रतीत होनेवाली सामान्य स्थिति के बारे में निराशा महसूस करते हैं, तो याद रखें कि ईश्वर में विश्वास रखने से जीवन अनंत काल तक प्रभावित होता है l अगर हम साधारण हैं, तो भी हम एक असाधारण विश्वास रख सकते हैं l
सब जो आपकी ज़रूरत है
डाइनिंग रूम टेबल पर बैठी हुई , मैं अपने चारों ओर हर्षित कोलाहल को निहार रही थी l चाची, चाचा, चचेरे भाई-बहन, और भतीजे, और भतीजियाँ भोजन का आनंद ले रहे थे और हमारे पारिवारिक पुनर्मिलन में एक साथ थे l मैं भी सभी का आनंद ले रही थी l लेकिन एक विचार ने मेरे हृदय को छेद दिया : तुम यहाँ एकमात्र ऐसी महिला हो, जिसके पास कोई बच्चा नहीं है, कोई परिवार नहीं जो तुम्हें अपना कह सके l
मेरी जैसी अकेली स्त्रियों के समान अनुभव हैं l मेरी संस्कृति में, एक एशियाई संस्कृति जहाँ विवाह और बच्चों को बहुत महत्व दिया जाता है, अपना एक परिवार न होना अपूर्णता का भाव ला सकता है l यह ऐसा महसूस हो सकता है कि आपको कुछ कमी है जो परिभाषित करता है आप कौन हैं और आपको पूर्ण करता है l
यही कारण है कि परमेश्वर का मेरा “भाग” होने का सच मेरे लिए बहुत आरामदायक है (भजन 73:26) l जब इस्राएल के गोत्रों को उनकी भूमि का आवंटन दिया गया था, तब लेवी के याजकीय गोत्र को कुछ नहीं सौंपा गया l इसके बदले में, परमेश्वर ने वादा किया कि वह उनका भाग और मीरास होगा (व्यवस्थाविवरण 10:9) l वे उसमें पूर्ण संतुष्टता प्राप्त कर सकते थे और उनकी हर आवश्यकता पूरी होने के लिए उस पर भरोसा कर सकते थे l
हममें से कुछ के लिए, कमी के भाव का परिवार से लेना-देना नहीं है l शायद हम एक बेहतर नौकरी या उच्च शैक्षिक उपलब्धि के लिए लालायित है l हमारी स्थितियों के बावजूद, हम परमेश्वर को अपने भाग के रूप में गले लगा सकते हैं l वह हमें पूर्ण करता है l उसमें, हमें कुछ घटी नहीं है l
स्वतंत्र
जब मैं छोटा था और गाँव में रहता था, मुर्गियाँ मेरे लिए रोमांचक थीं l मैं एक को पकड़ कर उसे थोड़ी देर नीचे बैठाकर रखता था और फिर धीरे से जाने देता था l यह सोचकर कि मैं उनको अभी भी पकड़े हुए हूँ, मुर्गियां नीचे बैठी रहती थी, यद्यपि भागने के लिए वे स्वतंत्र थीं l वे अपने को स्वतंत्र महसूस नहीं करती थीं l
जब हम यीशु में विश्वास कर लेते हैं, वह अपने अनुग्रह से हमें हमारे पापों से और शैतान की पकड़ से छुड़ा लेता है l हालाँकि, हमारे पापी आदतों और व्यवहार को बदलने में समय लगने के कारण, शैतान हमें महसूस कराता है कि हम अभी भी उसकी पकड़ में हैं l किन्तु परमेश्वर की आत्मा ने हमें स्वतंत्र कर दिया है; वह हमें दास नहीं बनाता है l पौलुस ने रोमियों को लिखा, “अतः अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दंड की आज्ञा नहीं l क्योंकि जीवन की आत्मा के व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया” (रोमियों 8:1-2) l
अपने बाइबल पठन, प्रार्थना, और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा परमेश्वर हमें पवित्र करने और उसके लिए जीवन जीने के लिए कार्य करता है l बाइबल हमें यीशु के साथ चलने में निश्चित रहने हेतु उत्साहित करता है और कि हम स्वतंत्रता महसूस करें l
यीशु ने कहा, “इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे” (यूहन्ना 8:36) l मसीह में प्राप्त स्वतंत्रता हमें उससे प्रेम करने और उसकी सेवा करने हेतु उकसाए l