जब मैं छोटा था और गाँव में रहता था, मुर्गियाँ मेरे लिए रोमांचक थीं l मैं एक को पकड़ कर  उसे थोड़ी देर नीचे बैठाकर रखता था और फिर धीरे से जाने देता था l यह सोचकर कि मैं उनको अभी भी पकड़े हुए हूँ, मुर्गियां नीचे बैठी रहती थी, यद्यपि भागने के लिए वे स्वतंत्र थीं l वे अपने को स्वतंत्र महसूस नहीं करती थीं l

जब हम यीशु में विश्वास कर लेते हैं, वह अपने अनुग्रह से हमें हमारे पापों से और शैतान की पकड़ से छुड़ा लेता है l हालाँकि, हमारे पापी आदतों और व्यवहार को बदलने में समय लगने के कारण, शैतान हमें महसूस कराता है कि हम अभी भी उसकी पकड़ में हैं l किन्तु परमेश्वर की आत्मा ने हमें स्वतंत्र कर दिया है; वह हमें दास नहीं बनाता है l पौलुस ने रोमियों को लिखा, “अतः अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दंड की आज्ञा नहीं l क्योंकि जीवन की आत्मा के व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया” (रोमियों 8:1-2) l

अपने बाइबल पठन, प्रार्थना, और पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा परमेश्वर हमें पवित्र करने और उसके लिए जीवन जीने के लिए कार्य करता है l बाइबल हमें यीशु के साथ चलने में निश्चित रहने हेतु उत्साहित करता है और कि हम स्वतंत्रता महसूस करें l

यीशु ने कहा, “इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे” (यूहन्ना 8:36) l मसीह में प्राप्त स्वतंत्रता हमें उससे प्रेम करने और उसकी सेवा करने हेतु उकसाए l