प्रमस्तिष्क पक्षाघात(Cerebral Palsy-मस्तिष्क क्षति जिसके कारण भुजाओं और टांगों पर नियंत्रण भी क्षतिग्रस्त हो जाता है) के साथ जन्मा एक लड़का बोलने या बातचीत करने में असमर्थ था l किन्तु उसकी माँ, शेटल ब्रायन ने हार नहीं मानी, और जब वह दस वर्ष का हुआ उसने अपने बेटे के साथ अपनी आखों और एक अक्षर बोर्ड की सहायता से बातचीत करना ढूंढ़ लिया l इस महत्वपूर्ण खोज के बाद, उसने कहा, “वह स्वतंत्र हो गया था और हम उससे कुछ भी पूछ सकते थे l” अब जोनाथन आँखों की सहायता से बातचीत करते हुए लिख और पढ़ सकता था जिसमें कविता भी सम्मिलित थी l जब उससे पुछा गया कि अपने परिवार और मित्रों से “बातचीत” करना कैसा लगता है, उसने कहा, “उनको बताना कि मैं उनसे प्यार करता हूँ अद्भुत है l”

जोनाथन की कहानी पूरी तौर से मार्मिक है और हमें विचार करने को मजबूर करती है कि परमेश्वर किस तरह हमें पाप के कैद से स्वतंत्र करता है l जिस तरह प्रेरित पौलुस ने कुलुस्से के मसीहियों को लिखा, कि पहले हम “निकाले हुए थे” (कुलुस्से 1:21), हमारा बुरा स्वभाव हमें परमेश्वर का शत्रु बना दिया था, किन्तु क्रूस पर मसीह की मृत्यु के द्वारा हम परमेश्वर की उपस्थिति में “पवित्र” ठहराए गए हैं (पद.22) l फलवंत होते हुए हमारा “चाल-चलन प्रभु के योग्य” होता जाए, हम परमेश्वर के ज्ञान में उन्नत्ति करते जाएँ, और उसकी सामर्थ्य में सबल बनते जाएं l

हम अपनी स्वतंत्र आवाज़ को परमेश्वर की महिमा करने और उसका सुसमाचार बांटने के लिए उपयोग करते हुए दर्शाएँ कि अब हम पापी जीवन के दास नहीं हैं l अपने विश्वास में उन्नत्ति करते हुए, हम मसीह में अपनी आशा को थामे रहें l