सामर्थ्य में प्रवेश
क्या हमें साँप दिखेंगे?
हमारा पड़ोसी युवक, एलन घर के निकट एक नदी के किनारे हमारे साथ पैदल घूमते हुए पूछा l
“हमने पहले कभी नहीं देखा, मैंने कहा, “किन्तु देख सकते हैं l इसलिए परमेश्वर से सुरक्षा मांगे l” हम प्रार्थना करके आगे चले l
कुछ मिनट बाद मेरी पत्नी, केरी, अचानक पीछे हटी, और सड़क पर एक कुंडलित जहरीले साँप से बची l हमने उसको जाने दिया l तब हमने परमेश्वर को धन्यवाद दिया l मुझे विश्वास है कि एलन के प्रश्न द्वारा, परमेश्वर ने हमें इस घटना के लिए तैयार किया था, और प्रार्थना उसके शुभ देखभाल का हिस्सा था l
उस शाम हमारा खतरे से बचना दाऊद के शब्द याद दिलाता है : “यहोवा और उसकी सामर्थ्य की खोज करो; उसके दर्शन के लिए लगातार खोज करो” (1 इतिहास 16:11) l यह सलाह यरूशलेम में वाचा के संदूक की वापसी का उत्सव मनानेवाले भजन का हिस्सा है l यह सम्पूर्ण इतिहास में परमेश्वर के लोगों का उनके संघर्ष में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता स्मरण करने, उनको उसे सदा उसकी प्रशंसा करने और उसे “पुकारने” को कहता है (पद.35) l
“[परमेश्वर] के दर्शन के लिए .... खोज करो” का अर्थ क्या है? अर्थात् सबसे साधारण क्षणों में भी उसको खोजो l कभी-कभी प्रार्थनाओं के उत्तर हमारे मांगने से भिन्न होते हैं, किन्तु परमेश्वर हमेशा विश्वासयोग्य है l हमारा अच्छा चरवाहा मार्गदर्शन करते हुए हमें अपनी करुणा, सामर्थ्य, और प्रेम में रखेगा l हम उस पर निर्भर रहें l
शांति और भरोसा
छः वर्ष की उम्र में मैं पहली बार अपने बड़े भाई के साथ रोलर कोस्टर(टेढ़ा-मेढ़ा घुमावदार रेल पथ) का आनंद लिया l जैसे ही वह तीव्र गति से मुड़ा मैंने चिल्लाना शुरू किया : “इसे अभी रोक दो ! मैं उतरना चाहता हूँ!” रोलर कोस्टर नहीं रुका, और मुझे पूरे सैर में “अत्यधिक तनाव में” उसे पूरी ताकत से थामे रहना पड़ा l
कभी-कभी जीवन भी अनचाहे रोलर कोस्टर सैर के समान हो सकता है जिसमें सीधी “ढलान” और दोहरे मोड़ हैं जिनसे हम अज्ञान हैं l जब अनापेक्षित कठिनाइयां आती हैं, बाइबिल हमें याद दिलाती है कि हमारा परमेश्वर पर भरोसा करना ही हमारा सर्वोत्तम उपाय है l वह अशांत समय ही था जब आक्रमण द्वारा उसके देश को धमकी दिए जाने पर नबी यशायाह ने आत्मा से प्रेरित होकर परमेश्वर की ओर से इस प्रबल प्रतिज्ञा को पहचाना : “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है” (यशायाह 26:3) l
उद्धारकर्ता की ओर उन्मुख होने से प्राप्त शांति “समझ से परे है” (फ़िलि. 4:7) l मैं स्तन कैंसर पीड़ित महिला के शब्द भूल नहीं सकता हूँ l एक शाम हमारी कलीसिया के एक समूह द्वारा उसके लिए प्रार्थना करने के बाद, उसने कहा, “मैं नहीं जानती क्या होगा, किन्तु मैं जानती हूँ कि मैं ठीक हो जाउंगी, क्योंकि आज शाम प्रभु हमारे साथ था l”
जीवन के पास अपनी परेशानियाँ होंगी, किन्तु जीवन की अपेक्षा हमसे अधिक प्रेम करनेवाला हमारा प्रभु, उन सबसे महान है l
यीशु को सौंपना
उनके अनुसार वह “शैतान के पदचिन्ह” हैं l मेसाचुसेट्स, इपस्विच में चर्च के निकट एक पहाड़ के पत्थर पर एक पैर सा निशान है l स्थानीय दन्तकथा अनुसार “पदचिन्ह” 1740 में बना जब प्रचारक जॉर्ज वाइटफील्ड द्वारा शरद् ऋतू के एक दिन प्रबल उपदेश देने पर शैतान चर्च की चोटी से पत्थर पर कूदकर शहर से भागा l
यद्यपि यह एक दन्त कथा है, इसमें परमेश्वर के वचन का उत्साहवर्धक सत्य है l याकूब 4:7 स्मरण दिलाता है, “शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा l”
परमेश्वर ने हमारे शत्रु और हमारे जीवनों में परीक्षाओं का सामना करने हेतु हमें समर्थ किया है l बाइबिल कहती है कि यीशु मसीह द्वारा परमेश्वर के स्नेही अनुग्रह से “तुम पर पाप की प्रभुता न होगी” (रोमि. 6:14) l परीक्षा के समय यीशु की ओर दौड़ने पर, वह हमें अपनी सामर्थ्य में खड़े होने के योग्य करता है l हमारे द्वारा सामना की जानेवाली कुछ भी उसको पराजित नहीं कर सकती, क्योंकि उसने “संसार को जीत लिया है” (यूहन्ना 16:33) l
जब हम अपने उद्धारकर्ता के समक्ष खुद को समर्पित कर उस क्षण अपनी इच्छा छोड़ कर परमेश्वर के वचन के प्रति आज्ञाकारी होते हैं, वह हमारी मदद करता है l जब हम परीक्षा में न पड़कर, खुद को यीशु को समर्पित करते हैं, वह हमारे युद्ध में मदद करेगा l उसमें हम जय पा सकते हैं l
परमेश्वर बुलाता है
एक सुबह मेरी बेटी ने अपने ग्यारह माह के बेटे को मनाने के लिए अपना मोबाइल फ़ोन दे दिया l तुरन्त मेरा फ़ोन बजा, और उसे उठाते साथ उसकी छोटी आवाज़ सुनाई दी l उससे मेरे नंबर का “स्पीड डायल” बटन दब गया था और उसके बाद अविस्मरणीय “बातचीत” आरंभ हुई l मेरा नाती थोड़े शब्द बोलता है, किन्तु मेरी आवाज़ पहचानकर मुझे उत्तर देता है l इसलिए मैंने उससे बात करके कहा कि मैं उसे बहुत प्यार करती हूँ l
अपने नाती की आवाज़ सुनकर प्राप्त आनंद मेरे लिए परमेश्वर का हमारे साथ सम्बन्ध रखने की गहरी इच्छा की ताकीद थी l आरंभ ही से, बाइबिल बताती है कि परमेश्वर हमें सक्रियतापूर्वक खोज रहा है l आदम और हव्वा का परमेश्वर की आज्ञा उल्लंघन पश्चात छिपने पर परमेश्वर ने आदम से पूछा, “तू कहाँ है?” (उत्प. 3:9) l
परमेश्वर निरन्तर यीशु के द्वारा मानवता को खोजता रहा l क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ सम्बन्ध चाहता है, उसने यीशु को संसार में क्रूस पर उसकी मृत्यु द्वारा हमारे पापों का दंड चुकाने भेजा l “जो प्रेम परमेश्वर ... रखता है, वह इस से प्रगट हुआ ....कि उसने ...हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए अपने पुत्र को भेजा” (1 यूहन्ना 4:9-10) l
यह जानना कितना अच्छा है कि परमेश्वर हमसे प्रेम करता है और चाहता है कि हम यीशु के द्वारा उसके प्रेम का प्रतिउत्तर दें l बोलने में हमारी असमर्थता के बावजूद, हमारा पिता हमसे सुनना चाहता है!
टूटेपन की ख़ूबसूरती
इन्तसुगी मिट्टी के टूटे बर्तनों की मरम्मत करने की शताब्दियों प्राचीन कला है l धूना के साथ स्वर्ण धूल मिलाकर टूटे टुकड़े जोड़े या दरार भरे जाते हैं, परिणाम असाधारण जोड़ l मरम्मत को छिपाने की जगह, कला टूटेपन को खूबसूरत बनाता है l
बाइबिल अनुसार पापों से वास्तविक प्रायश्चित करने पर परमेश्वर हमारे टूटेपन को महत्व देता है l दाऊद के बतशेबा से व्यभिचार करने और उसके पति की हत्या के बाद, नातान का उसका सामना करने पर, उसने मन फिराया l दाऊद की बाद की प्रार्थना हमारे पाप करने पर परमेश्वर की इच्छा के विषय अंतर्दृष्टि देती है : “तू मेलबलि से प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता l टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता” (भजन 51:16-17) l
पाप के कारण हमारे हृदय के दुःख में परमेश्वर उदारता से क्रूसित उद्धारकर्ता द्वारा अमूल्य क्षमा देता है l खुद को दीन करने पर वह हमें प्रेम से स्वीकारता है और निकटता पुनरस्थापित होती है l
अति करुणामयी परमेश्वर! उसके दीन हृदय और दयालुता की विस्मयकारी खूबसूरती की इच्छा के तहत, आज हमारी एक बाइबिल-सम्बन्धी प्रार्थना हो : “हे परमेश्वर, मुझे जांचकर ... परखकर मेरी चिंताओं को जान ले! ... कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनंत के मार्ग में मेरी अगुवाई कर” (भजन 139:23-24) l
मार्ग ढूँढना
कैलिफोर्निया, सैंटा बारबरा, शहर में कुतूहल उत्पन्न करनेवाली एक सड़क है l उसका नाम है “सैल्सिप्युडेस,” अर्थात् “छोड़ सकते हो तो छोड़ दो l” सड़क के नामकरण के वक्त, वह क्षेत्र दलदल के किनारे था और कभी-कभी बाढ़ आती थी, और स्पेनी-भाषी नगर आयोजकों ने ठिकाने को सरल नाम देकर लोगों को उससे दूर रहने को चिताया l
परमेश्वर का वचन हमें पाप और परीक्षा के “गलत मार्ग” से दूर रहने को कहता है : “उसे छोड़ दे, उसके पास से भी न चल, उसके निकट से मुड़कर आगे बढ़ जा” (नीतिवचन 4:15) l किन्तु वचन केवल यह नहीं कहता “छोड़ सकते हो तो छोड़ दो l”वह हमें आश्वस्त करके सही मार्ग पर ले जाता है : “परमेश्वर सच्चा है और वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन् परीक्षा के साथ निकास भी करेगा कि तुम सह सको” (1 कुरिं. 10:13) l
प्रतिज्ञा कि परमेश्वर हमें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में नहीं पड़ने देगा एक उत्साहवर्धक ताकीद है l परीक्षा के समय परमेश्वर की ओर मुड़ते समय, हमें मालुम है कि वह हमें उससे दूर रखना चाहता है l
बाइबिल बताती है कि यीशु “हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी” होता है l” किन्तु वह “सब बातों में हमारे समान परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला” (इब्र.4:15) यीशु हर परीक्षा से निकलने का हल जानता है l उसकी ओर मुड़ने से वह हमें दिखाएगा l
अँधेरे में स्तुति
अपनी आखों की रोशनी जाते देख कर भी मेरा मित्र मिकी ने कहा, “मैं प्रतिदिन परमेश्वर की स्तुति करता रहूँगा, क्योंकि उसने मेरे लिए बहुत किया है l”
यीशु ने मिकी और हमें निरंतर स्तुति करने का परम कारण किया है l मत्ती 26 अध्याय हमें बताता है कि यीशु किस तरह क्रूसित होने से पूर्व अपने शिष्यों के साथ फसह का भोज खाया l पद 30 हमें भोज का अंत बताता है : “फिर वे भजन गाकर जैतून पहाड़ पर गए l”
यह भजन कोई और नहीं स्तुति का भजन था l हजारों वर्षों से, यहूदियों ने फसह के समय “हल्लेल” [Hallel] नमक भजनों का एक समूह गाते आएं हैं (इब्री भाषा में हल्लेल अर्थात “स्तुति” है l) भजन 113-118 में पायी जानेवाली प्रार्थनाएं और गीत हमारे उद्धारक परमेश्वर के आदर में है (118:21) l वह निकम्मा ठहराए गए पत्थर का सन्दर्भ देता है जो कोने का सिरा हो गया (पद. 22) और जो प्रभु के नाम में आता है (पद.26) l वे यह भी गा सकते थे, “आज वह दिन है जो यहोवा ने बनाया है; हम इसमें मगन और आनंदित हों” (पद.24) l
यीशु ने अपने शिष्यों के साथ स्तुति करके, हमें हमारे तात्कालिक स्थितियों से ऊपर नज़र उठाने का अंतिम कारण दे रहा था l वह हमारे परमेश्वर के अविरल प्रेम और विश्वासयोग्यता की प्रशंसा में अगुवाई कर रहा था l
हमेशा सुननेवाला
पिताजी कम बोलते थे l सेना में वर्षों तक ड्यूटी के दौरान सुनने की शक्ति कम होने पर वे सुनने का यंत्र लगाते थे l एक दिन जब मेरी माँ और मैं उनकी अपेक्षा से अधिक समय तक बातें करते रहे, उन्होंने मज़ाक किया, “शांति और आराम हेतु, मुझे केवल यही करना है l” उन्होंने सुननेवाले यंत्र बंद करके, सिर के पीछे दोनों हाथों को जोड़कर, धीरे से मुस्कराते हुए आँखें बंद कर लीं l
हम हँस दिए l जहाँ तक उनसे मतलब था, बातचीत ख़त्म हो चुकी थी!
मेरे पिता की उस दिन की क्रिया ने मुझे याद दिलाया कि परमेश्वर हमसे कितना भिन्न है l वह हमेशा हमारी सुनता है l हम बाइबिल की एक सबसे छोटी प्रार्थना से यह समझ जाते हैं l एक दिन फारस के राजा, अर्तक्षत्र का सेवक, नहेम्याह, राजा के समक्ष उदास दिखा l कारण पूछने पर, डरते हुए, नहेम्याह ने स्वीकारा कि उसके पुरखाओं का पराजित शहर, यरूशलेम, उजाड़ पड़ा है l नहेम्याह ने याद किया, “राजा ने मुझसे पूछा, ‘फिर तू क्या मांगता है?’ ”तब मैंने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करके , राजा से कहा ... l” (नहे. 2:4-5) l
परमेश्वर ने नहेम्याह की क्षणिक प्रार्थना सुन ली l इस प्रार्थना से यरूशलेम के लिए नहेम्याह की अन्य प्रार्थनाओं को परमेश्वर का करुणामय उत्तर मिला l उस क्षण, अर्तक्षत्र ने शहर के पुनर्निर्माण सम्बंधित नहेम्याह का निवेदन सुन लिया l
क्या यह जानना सुखकर नहीं कि परमेश्वर हमारी छोटी-बड़ी प्रार्थनाएँ सुनता है?
हमारा परम मित्र
बारह वर्ष की उम्र में, मेरा परिवार मरुभूमि क्षेत्र के एक शहर में रहने लगा l अपने स्कूल में, गर्म हवा में जिम कक्षाओं के बाद, हम दौड़ कर पानी पीने नल के पास भागते थे l अपनी कक्षा में दुबला और छोटा, मुझे पंक्ति से बाहर धकेल दिया जाता था l अपनी उम्र से बड़ा और ताकतवर मेरा मित्र, जोस, यह होते देखकर अपना एक बाँह आगे करके मेरे लिए जगह बना दिया l “सुनो!” वह चिल्लाया, “ बैंक्स को पहले पीने दो!” उसके बाद मुझे पानी पीने में परेशानी नहीं हुयी l
सीमा से परे दूसरों की दयाहीनता सहना यीशु जानता था l बाइबिल हमसे कहती है, “वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था” (यशा.53:3) l किन्तु यीशु केवल दुःख पीड़ित नहीं था, वह पक्षसमर्थक भी है l अपना जीवन देकर, यीशु ने हमारे लिए परमेश्वर के साथ सम्बन्ध में प्रवेश हेतु “[नया] और [जीवता] मार्ग” खोल दिया है (इब्रानियों 10:19) l उसने हमारे लिए वह किया जिसमें हम अक्षम थे l अपने पापों से पश्चाताप कर उस पर भरोसा करके हम उसके द्वारा उद्धार का मुफ्त उपहार पा सकते हैं l
यीशु हमारा सर्वोत्तम मित्र है l उसने कहा, “जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा” (यूहन्ना 6:37) l दूसरे हमें अपनी ताकत से संभालेंगे अथवा धकेल देंगे, किन्तु परमेश्वर ने क्रूस द्वारा हमारे लिए अपनी बाहें फैलायी है l हमारा उद्धारकर्ता कितना सामर्थी है!