मैं क्या कहूँ?
जब मैं एक इस्तेमाल की हुई किताबों की दुकान पर किताबों के एक बॉक्स में खोजने के लिए रुका, तो दुकान का मालिक दिखाई दिया। जब हम उपलब्ध शीर्षकों के बारे में बात कर रहे थे, मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या वह विश्वास में दिलचस्पी ले सकता है। मैंने मार्गदर्शन के लिए चुपचाप प्रार्थना की। एक मसीही लेखक की जीवन कथा से जानकारी दिमाग में आई, और हम उन मामलों पर चर्चा करने लगे जो परमेश्वर की ओर इशारा करते थे। अंत में, मैं आभारी था कि एक त्वरित प्रार्थना ने हमारी बातचीत को आध्यात्मिक मामलों में बदल दिया।
नहेम्याह फारस में राजा अर्तक्षत्र के साथ बातचीत में एक महत्वपूर्ण क्षण से पहले प्रार्थना करने के लिए रुका। राजा ने पूछा था कि वह नहेम्याह की कैसे मदद कर सकता है, जो यरूशलेम के विनाश से व्याकुल था। नहेम्याह राजा का सेवक था और इसलिए कृपादृष्टि माँगने की स्थिति में नहीं था, परन्तु उसे एक की आवश्यकता थी—एक बड़ी कृपादृष्टि की। वह यरूशलेम को पुनर्स्थापित करना चाहता था। इसलिए, उसने अपनी नौकरी छोड़ने के लिए कहने से पहले "स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना की" ताकि वह शहर को फिर से स्थापित कर सके (नहेम्याह 2:4-5)। राजा ने सहमति व्यक्त की और यहां तक कि नहेम्याह की यात्रा व्यवस्था करने और परियोजना के लिए लकड़ी खरीदने में मदद करने के लिए सहमत हो गया।
बाइबल हमें "हर समय और हर प्रकार से . . . विनती करते” रहने के लिए प्रोत्साहित करती है (इफिसियों 6:18)। इसमें ऐसे क्षण शामिल हैं जब हमें साहस, आत्म-नियंत्रण या संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है। बोलने से पहले प्रार्थना करने से हमें परमेश्वर को अपने दृष्टिकोण और अपने शब्दों पर नियंत्रण करने में मदद मिलती है।
वह आज आपके शब्दों को कैसे निर्देशित करना चाहेगा? उससे पूछें और पता करें!
महानतम शिक्षक
“मुझे समझ में नहीं आता है!” मेरी बेटी ने डेस्क पर अपनी पेंसिल को पटक दिया l वह गणित का एक गृहकार्य हल कर रही थी, और मैंने होमस्कूलिंग माँम/टीचर के रूप में अपना “काम” शुरू किया ही था l हम समस्या में थे l मैंने जो दशमलव को अंश में बदलना पैंतीस साल पहले सीखा था उसे याद नहीं कर पा रही थी l मैं उसे कुछ नहीं सीखा पा रही थी जो मैं पहले से नहीं जानती थी, इसलिए हमने एक ऑनलाइन टीचर को इस युक्ति को समझाते हुए देखा l
मानव रूप में, हम उन चीजों के साथ कई बार संघर्ष करते हैं जिन्हें हम जानते या समझते नहीं हैं l लेकिन परमेश्वर नहीं l वह सर्वज्ञ है──सर्वज्ञानी है l यशायाह ने लिखा, “किसने यहोवा . . . [का] मत्री होकर उसको ज्ञान सिखाया है? उसने किससे सम्मति ली और किसने उसे समझाकर न्याय का पथ बता दिया और ज्ञान सिखाकर बुद्धि का मार्ग जता दिया है?” (यशायाह 40:13-14) l उत्तर? कोई नहीं!
मनुष्य के पास अक्ल/समझ है क्योंकि परमेश्वर ने हमें अपने स्वरुप में बनाया है l इसके बावजूद, हमारी समझ केवल उसकी एक छाप है l हमारा ज्ञान सीमित है, लेकिन परमेश्वर अनंत अतीत से अनंत भविष्य तक सब कुछ जानता है (भजन 147:5) l आज हमारा ज्ञान तकनीक की मदद से बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी हम गलती करते हैं l यीशु, हालाँकि, “तुरंत, साथ-साथ, सुविस्तृत रूप से और सच्चाई से सब कुछ” जानता है जैसा कि धर्मविज्ञानी कहते हैं l
चाहे मनुष्य जितना भी ज्ञान में विकास कर ले, हम कभी भी मसीह के सर्वज्ञानी दर्जा को पार नहीं कह सकते हैं l हमें हमारी समझ को आशीष देने और हमें यह सिखाने के लिए कि अच्छा और सच्चा क्या है उसकी हमेशा ज़रूरत पड़ेगी l
आनंदपूर्ण सीखना
भारत के मैसूर शहर में, ट्रेन के दो डिब्बों को नया स्वरूप देकर, और दोनों ओर से जोड़कर एक स्कूल बनाया गया है l स्थानीय शिक्षकों ने दक्षिण पश्चिम रेलवे कम्पनी के साथ एक टीम बनाकर खारिज डिब्बों को ख़रीदा और उन्हें नया स्वरुप दिया l ये इकाइयाँ वास्तव में धातु के बड़े बक्से थे, और कर्मियों द्वारा सीढ़ियाँ, फंखें, बत्तियां, और डेस्क लगाए जाने तक अनुपयोगी थे l कर्मियों ने दीवालों को भी पैंट किया और अन्दर और बाहर रंगीन भित्ति-चित्र बनाए l वर्तमान में, आश्चर्यजनक रूपांतरण के कारण, यहाँ पर साठ विद्यार्थी कक्षाओं में उपस्थित होते हैं l
कुछ और अधिक आश्चर्यजनक होता है जब हम प्रेरित पौलुस का निर्देश “तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए” का अनुसरण करते हैं ((रोमियों 12:2) l जब हम पवित्र आत्मा को हमें संसार और उसके तरीकों से अलग करने की अनुमति देते हैं, तो हमारे विचार और दृष्टिकोण बदलने लगते हैं l हम अधिक प्रेममय, अधिक आशान्वित और आंतरिक शांति से परिपूर्ण हो जाते हैं (8:6) l
कुछ और भी होता है l यद्यपि यह रूपांतरण प्रक्रिया अविरत है, और अक्सर रेल के सफ़र से अधिक ठहराव एवं आरम्भ होते हैं, यह प्रक्रिया हमें समझने में मदद करती है कि परमेश्वर हमारे जीवनों के लिए क्या चाहता है l यह हमें एक ऐसे स्थान पर ले जाता है जहाँ हम “परमेश्वर की . . . इच्छा अनुभव” करते हैं (12:2) l उसकी इच्छा में बारीकियां हो सकती हैं या नहीं हो सकती हैं, लेकिन इसमें हमेशा खुद को उसके चरित्र और संसार में उसके काम के साथ संरेखित करना शामिल है l
भारत में रूपांतरित स्कूल का नाम, नली कली(Nali Kali) का मतलब हिंदी में “आनंदपूर्ण सीखना” है l किस तरह परमेश्वर की रूपांतरित करनेवाली सामर्थ्य आपको उसकी इच्छा में आनंदपूर्ण सीखने की ओर अगुवाई करती है?
परमेश्वर को आदर देने का चुनाव
मुझे ऑस्ट्रेलिया की एक असाधारण शल्यचिकित्सक कैथरीन हैमलिन की निधन सूचना पढ़ने के बाद उनके बारे में पता चला l इथियोपिया में, कैथरीन और उनके पति ने विश्व के एकमात्र हॉस्पिटल की स्थापना की जो शरीर की विनाशकारी और प्रसूति नासूर(obstetric fistula) के भावनात्मक आघात का इलाज करने के लिए समर्पित किया गया जो विकासशील संसार में एक सामान्य क्षति के रूप में बच्चे के जन्म के समय हो सकता है l कैथरीन को 60,000 से ज्यादा महिलाओं के इलाज की देखरेख का श्रेय दिया गया ।
हैमलिन बानवे की उम्र तक हॉस्पिटल में काम करती रही और अपने हर दिन की शुरुआत एक कप चाय और बाइबल अध्ययन से करती हुयी, जिज्ञासा से प्रश्न पूछनेवालों से कहा कि वह यीशु में एक साधारण विश्वासी है जो केवल वही कार्य कर रही थी जो परमेश्वर ने उसे दिया था l
मैं उनके असाधारण जीवन के बारे में जानकर आभारी थी क्योंकि उन्होंने मेरे लिए पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन को हमारे जीवन को इस तरह जीने के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया, यहाँ तक कि जो परमेश्वर को सक्रिय रूप से अस्वीकार करते हैं “वे भी [हमारे] भले कामों को देखकर . . . परमेश्वर की महिमा करें” (1 पतरस 2:12) l
परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ्य जो हमें आत्मिक अंधकार से निकालकर उसके साथ एक रिश्ते में बुलाया है (पद. 9) हमारे काम या हमारी सेवा क्षेत्रों को विश्वास की गवाही में परिवर्तित कर सकता है । परमेश्वर ने जो भी जुनून या कौशल हमें उपहार के तौर पर दिए हैं, हम उन सभी को करने में अतिरिक्त सार्थकता और उद्देश्य के साथ इस प्रकार करें जिसके पास लोगों को उसकी ओर इंगित करने की ताकत हो l
हमारी समस्यायों से बड़ा
आप क्या सोचते हैं जब डायनासोर जीवित थे तब कैसे दिखते थे? बड़े दांत? छिलकेदार त्वचा? लम्बी पूँछ? एक कलाकार इन विलुप्त जीवों को बड़े-बड़े भित्ती चित्रों में फिर से बनाता है l उसकी एक चित्रावली 20 फीट से अधिक ऊँची और 60 फीट लम्बी है l इसके आकार के कारण, इसे खण्डों में स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों के एक दल की आवश्यकता थी जहाँ यह प्राकृतिक इतिहास के सैम नोबल ओक्लाहोमा संग्रहालय में है l
डायनासोर द्वारा बौना महसूस किये बिना इस भित्ति-चित्र के सामने खड़ा होना कठिन होगा l जब मैं उस शक्तिशाली जानवर “जलगज” के बारे में परमेश्वर का वर्णन पढ़ता हूँ मुझे उसी तरह का अनुभव होता है (अय्यूब 40:15) । यह बड़ा जानवर बैल के समान घास चबाता था और उसकी पूँछ पेड़ के तने के आकार की थी l उसकी हड्डियाँ लोहे के पाइप की तरह थीं l वह पहाड़ों पर चरता था, और कभी-कभी स्थानीय कीचड़ के गड्ढों में आराम करने के लिए ठहरता था l जब बाढ़ का पानी बढ़ता था, जलगज ने कभी भी चिंता या असहमति नहीं दर्शायी l
उसके सिरजनहार के सिवाय──कोई भी इस अविश्वसनीय प्राणी को वश में नहीं कर सकता था (पद.19)। परमेश्वर ने अय्यूब को इस सच्चाई की याद ऐसे समय में दिलायी जब उसकी समस्याओं ने उसके जीवन पर अशुभ छाया डाली l दुःख, विस्मय और कुंठा ने उसके दर्शन के क्षेत्र को भर दिया जब तक उसने परमेश्वर से प्रश्न करना शुरू नहीं किया l किन्तु परमेश्वर के प्रत्युत्तर ने अय्यूब को चीजों के वास्तविक आकार को देखने में मदद की l परमेश्वर अपने मुद्दों से बड़ा था और उन समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए काफी शक्तिशाली था जिनका समाधान अय्यूब स्वयं नहीं कर सकता था l अंत में, अय्यूब ने स्वीकारा, ‘‘मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है’’ (42:2) l
पुनः फलो-फूलो
पर्याप्त धूप और पानी मिलने के कारण, जंगली फूल कैलिफोर्निया के एंटीलोप घाटी और फिगेरोआ पर्वत के क्षेत्रों को ढंके हुए हैं l लेकिन जब सूखे की मार पड़ती है तो क्या होता है? वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कुछ जंगली फूल अपने ढेर सारे बीज मिट्टी के नीचे संचय कर लेते हैं और उन्हें खिलने की अनुमति देने के बजाय भूमि में नीचे पहुँचा देते हैं l सूखे के बाद, पौधे सुरक्षित बीजों का उपयोग फिर से फलने-फूलने के लिए करते हैं l
प्राचीन इस्राएली कठोर परिस्थितियों के बावजूद मिस्र की भूमि में बढ़ते और फैलते गए l दासों के मालिकों ने उन्हें खेतों में काम करने और ईंटें बनाने के लिए मजबूर किया l क्रूर निरीक्षक उनसे फिरौन के लिए पूरे शहर का निर्माण करने की अपेक्षा करते थे l मिस्र के राजा ने उनकी संख्या कम करने के लिए शिशु हत्या(infanticide) का उपयोग करने की कोशिश की l हालाँकि, कि परमेश्वर ने उन्हें जीवित रखा, “ज्यों-ज्यों वे उनको दुःख देते गए, त्यों-त्यों वे बढ़ते और फैलते चले गए” (निर्गमन 1:12) l कई बाइबल विद्वानों का अनुमान है कि इस्राएल के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की आबादी मिस्र में उनके समय के दौरान बढ़कर बीस लाख (या अधिक) हो गई l
परमेश्वर, जिसने अपने लोगों को तब सुरक्षित रखा था, आज भी हमें संभाले हुए है l वह किसी भी वातावरण में हमारी मदद कर सकता है l हम एक और मौसम के दौरान टिके रहने की चिंता कर सकते हैं l लेकिन बाइबल हमें आश्वास्त करती है कि परमेश्वर, जो “मैदान के घास को, जो आज है और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है” हमारी आवश्यकता को भी पूरी करेगा (मत्ती 6:30) l
चमकते तारे
मैं अपनी आँखें बंद कर सकता हूं और अतीत में उस घर में जा सकता हूँ जहाँ में बड़ा हुआ था l मुझे अपने पिता के साथ तारों को निहारना याद है l हम बारी बारी उनकी दूरबीन से अधखुली आँखों से, प्रज्वलित बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करते थे जो टिमटिमाते थे ओर चमकते थे l ऊष्मा और अग्नि से उत्पन्न प्रकाश की ये सूक्ष्म बिन्दुएँ, साफ़ और स्याह से काले आकाश में स्पष्ट दिखाई दे रहे थे l
क्या आप खुद को एक चमकता तारा मानते हैं? मैं मानव उपलब्धि की ऊंचाइयों तक पहुंचने के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ, लेकिन टूटेपन और बुराई की एक अंधेरे पृष्ठभूमि के खिलाफ स्पष्ट खड़ा होने के बारे में l प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों के विश्वासियों को बताया कि परमेश्वर उनमें होकर और उनके द्वारा चमकेगा जब वे “जीवन का वचन लिए [रहेंगे]” और न कुड़कुड़ाएंगे और न बहस करेंगे (फिलिप्पियों 2:14–16) l
अन्य विश्वासियों के साथ हमारी एकता और ईश्वर के प्रति हमारी विश्वासयोग्यता हमें संसार से अलग कर सकती हैं l समस्या यह है कि ये चीजें स्वाभाविक रूप से नहीं आती हैं l हम लगातार आजमाइशों को दूर करने का प्रयास करते हैं ताकि हम ईश्वर के साथ एक करीबी रिश्ता बनाए रख सकें l हम अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों के साथ सद्भाव रखने के लिए स्वार्थ के खिलाफ कुश्ती करते हैं l
लेकिन फिर भी, आशा है l प्रत्येक विश्वासी में जीवित रहनेवाला परमेश्वर का आत्मा हमें आत्म-नियंत्रित, दयालु, और विश्वासयोग्य रहने के लिए समर्थ करता है (गलतियों 5:22–23) l जिस तरह हमें अपनी स्वाभाविक क्षमता से परे रहने के लिए कहा गया है, ईश्वर की अलौकिक मदद यह संभव बनाती है (फिलिप्पियों 2:13) l यदि प्रत्येक विश्वासी आत्मा की शक्ति के द्वारा एक “एक "चमकता हुआ तारा” बन जाए, तो जरा सोचिए कि ईश्वर का प्रकाश हमारे साथ अंधेरे को कैसे दूर भगाएगा!
अपूर्ण योजनाएँ
मैं एक नए सामुदायिक केंद्र के निचले तल पर एक पुस्तकालय में घूम रहा था जब एक ऊपरी धमाका ने अचानक कमरे को हिला दिया l कुछ मिनट बाद यह फिर से हुआ, और फिर l एक क्षुब्ध लाइब्रेरियन ने आखिरकार बताया कि एक वेट-लिफ्टिंग क्षेत्र सीधे पुस्तकालय के ऊपर स्थित किया गया था, और हर बार यह आवाज़ होती थी जब कोई वजन गिराता है l वास्तुविद् (architect) और अभिकल्पकों (designer) ने इस अत्याधुनिक सुविधा के कई पहलुओं की सावधानीपूर्वक योजना बनाई थी, फिर भी कोई लाइब्रेरी को इन सभी क्रिया से दूर स्थापित करना भूल गया था l
जीवन में भी, हमारी योजनाएँ अक्सर दोषपूर्ण होती हैं l हम महत्वपूर्ण विचारों की अनदेखी करते हैं l हमारी योजनाएं हमेशा दुर्घटनाओं या आश्चर्यों का कारण नहीं होती हैं l यद्यपि योजना बनाने से हमें वित्तीय घाटा, समय की कमी, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिलती है, यहां तक कि सबसे गहन रणनीति भी हमारे जीवनों से सभी समस्याओं को समाप्त नहीं कर सकती हैं l हम अदन के बाद वाले संसार में रहते हैं l
परमेश्वर की मदद से, हम भविष्य के बारे में विवेकपूर्ण रूप से विचार करते हुए संतुलन पा सकते हैं (नीतिवचन 6:6–8) और कठिनाइयों का जवाब दे सकते हैं l परमेश्वर अक्सर हमारे जीवन में अनुमत परेशानी के लिए एक उद्देश्य रखता है l वह इसका उपयोग हममें धैर्य विकसित करने के लिए, हमारे विश्वास को बढ़ाने के लिए, या केवल हमें उसके करीब लाने के लिए कर सकता है l बाइबल हमें याद दिलाती है, “मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएँ होती हैं, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है” (नीतिवचन 19:21) l जब हम भविष्य के लिए अपने लक्ष्य और उम्मीदें यीशु को सौंप देते हैं, तो वह हमें वह दिखाएगा कि वह हममें और हमारे द्वारा क्या पूरा करना चाहता है l
कुछ ज्यादा ही बड़ा
इंग्लैंड के साउथेम्पटन में, अक्टूबर बुक्स(October Books), जो एक बुकस्टोर है, दो सौ से अधिक स्वयंसेवकों ने उनका स्टॉक थोड़ी आगे सड़क पर स्थानांतरित करने में सहायता की l सहायकों ने फुटपाथ पर लाइन लगाई और किताबों को “मानव वाहक पट्टा(human conveyor belt)” से गुजारा l स्वयंसेवकों को कार्य करते हुए देखकर, स्टोर के एक कर्मचारी ने कहा, “यह . . . लोगों को [मदद] करते हुए देखने का एक वास्तविक मार्मिक अनुभव था . . . वे कुछ ज्यादा ही बड़े का हिस्सा बनना चाहते थे l”
हम भी खुद की अपेक्षा बहुत बड़ी चीज का हिस्सा हो सकते हैं l परमेश्वर हमें अपने प्रेम के संदेश के साथ संसार तक पहुँचने के लिए उपयोग करता है l क्योंकि किसी ने हमारे साथ संदेश साझा किया है, हम किसी अन्य व्यक्ति की ओर मुड़कर इसे आगे बढ़ा सकते हैं l पौलुस ने इसकी तुलना की─परमेश्वर के राज्य का निर्माण से─एक बगीचे को बढाने से l हममें से कुछ लोग बीज बोते हैं जबकि हममें से कुछ लोग बीज को पानी देते हैं l जैसा कि पौलुस ने कहा, हम “परमेश्वर के सहकर्मी” हैं (1 कुरिन्थियों 3:9) l
प्रत्येक कार्य महत्वपूर्ण है, फिर भी सब परमेश्वर की आत्मा की सामर्थ्य में किए जाते हैं l अपनी आत्मा के द्वारा, परमेश्वर लोगों को आध्यात्मिक रूप से पनपने में सक्षम बनाता है जब वे सुनते हैं कि वह उनसे प्यार करता है और अपने पुत्र को उनके स्थान पर मरने के लिए भेजा है ताकि वे अपने पाप से मुक्त हो सकें (यूहन्ना 3:16) l
परमेश्वर आप और मेरे जैसे “स्वयंसेवकों” के द्वारा पृथ्वी पर अपना काम करता है l हालाँकि हम एक समुदाय का हिस्सा हैं जो हमारे द्वारा किए गए किसी भी योगदान से बहुत बड़ा है, हम संसार के साथ उसके प्यार को साझा करने के लिए एक साथ काम करके इसे बढ़ने में मदद कर सकते हैं l