जो हमारे पास है
मेरी सहेली अपने परिवार और मित्रों को अपने घर पर एक उत्सव अवकाश समारोह के लिए इकठ्ठा करने हेतु उत्सुक थी l संगति में प्रत्येक अतिथि इकठ्ठा होने को तैयार था और भोजन खर्च में योगदान करके खर्च कम करना चाहता था l कुछ लोग रोटी, दूसरे लोग सलाद या कोई और प्रकार का भोजन लाने वाले थे l हालाँकि, एक अतिथि आर्थिक रूप से अत्यधिक तंग थी l वह शाम को प्रिय लोगों की संगति में शामिल होने की इच्छा रखते हुए भी, कोई भी भोजन लाने में असमर्थ थी l इसलिए, इसके बदले, उसने अपने मेजबान के घर को साफ़ करने का प्रस्ताव रखकर अपना योगदान दिया l
उसका स्वागत खाली हाथ आने पर भी हुआ होता l फिर उसने जो उससे हो सकता था देने की इच्छा प्रगट की - उसका समय और कौशल - और पूरे मन से उस संगति में आयी l मेरे विचार से 2 कुरिन्थियों 8 में पौलुस के शब्दों के भाव यही थे l विश्वासी कुछ साथी मसीहियों की सहायता करने के लिए उत्सुक थे, और पौलुस ने उन प्रयासों का पालन करने का आग्रह किया l उसने उनकी अभिलाषा और उनकी इच्छा को यह कहते हुए सराहा, कि देने की उनकी प्रेरणा ही किसी भी माप के उपहार या राशि को स्वीकार्य बनाता है (पद.12) l
हम अक्सर अपने दान की तुलना दूसरों की दान से करने में जल्दबाजी करते हैं, विशेषकर उस समय जब हमारे संसाधन उस माप की बराबरी नहीं करते जो हम देने की इच्छा रखते हैं l किन्तु परमेश्वर हमारे देने को भिन्न दृष्टिकोण से देखता है : जो हमारे पास है उसे देने की हमारी इच्छा ही से वह प्रेम करता है l
प्रोत्साहित करने के लिए बाध्य
स्टीवन थॉम्पसन सेंटीपीड किसी अन्य के विपरीत एक क्रॉस-कंट्री प्रतियोगिता है l सात सदस्यों की प्रत्येक टीम एक इकाई के रूप में तीन मील की दौड़ की पहली दो मील एक रस्सी को पकड़कर दौड़ती है l दो मील के निशान पर टीम, रस्सी को छोड़ देती है और दौड़ को अलग-अलग ख़त्म करती है l इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति का समय, टीम की गति और उसकी अपनी गति का मेल होता है l
इस साल, मेरी बेटी की टीम ने ऐसी रणनीति का चयन किया जिसे मैंने पहले नहीं देखा था : उन्होंने सबसे तेज धावक को सबसे आगे और सबसे धीमे को उसके पीछे रखा l उन्होंने समझाया कि उनका लक्ष्य सबसे मजबूत धावक का सबसे धीमा धावक के निकट रहकर उसे उत्साहित करना था l
उनकी योजनाओं ने मुझे इब्रानियों की किताब से एक वाक्य दिखाया l लेखक हमसे "आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे" (इब्रानियों 10:23) रहने को कहता है जब "प्रेम और भले कामों में उसकाने के लिए हम एक दूसरे की चिंता" करते हैं (पद.24) l इसे पूरा करने के निश्चित रूप से कई तरीके हैं, लेकिन लेखक ने एक को हाईलाइट किया : "एक दूसरे के साथ इकठ्ठा होना न छोड़े, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें (पद.25) l जैसा कि हम सक्षम हैं, अन्य विश्वासियों के साथ इकठ्ठा होना विश्वास के जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलु है l
जीवन की दौड़ कभी-कभी हमारे संभालने से अधिक महसूस होती है, और हम निराशा में रस्सी छोड़ने हेतु प्रेरित हो सकते हैं l हम साथ में दौड़ते समय, एक दूसरे को मजबूती से दौड़ने के लिए उत्साहित करें!
कद्दू में धन
एक युवा माँ होकर, मैंने अपनी बेटी के पहले साल का सनद(document) रखा l हर महीने, मैंने उसमें बदलाव और विकास देखने के लिए उसके फोटो खींचे l एक पसंदीदा फोटो में वह स्थानीय किसान से ख़रीदे गए कद्दू में जो खोखला किया गया था बैठी खिलखिलाती दिखाई दे रही थी l मेरा जिगर का टुकड़ा उस बड़े कद्दू में बैठी हुयी थी l वह कद्दू बाद में सूख कर ख़त्म हो गया, किन्तु मेरी बेटी निरंतर उन्नति करती और बढ़ती गयी l
जिस प्रकार पौलुस यीशु कौन है की सच्चाई जानने का वर्णन करता है, उससे मैं उस फोटो को याद करती हूँ l वह यीशु का हमारे हृदय में वास करने को मिट्टी के बरतन में रखे धन से तुलना करता है l हमारे लिए यीशु के कार्य का स्मरण “चारों ओर से क्लेश . . . भोगने” (2 कुरिन्थियों 4:8) की स्थिति के बावजूद हमें संघर्षों में धीरज धरने में साहस और सामर्थ्य देता है l हमारे जीवनों में परमेश्वर की सामर्थ्य के कारण, जब हम “गिराए . . . जाते हैं, पर नष्ट नहीं होते हैं,” हम यीशु का जीवन प्रगट करते हैं (पद.9) l
उस कद्दू की तरह जो नष्ट हो गया, हम अपने संघर्षों में टूट-फूट महसूस करेंगे l किन्तु उन चुनौतियों के बावजूद यीशु में हमारा आनंद बढ़ता जाएगा l हमारा उसका जानना अर्थात् हमारे जीवनों में उसकी सामर्थ्य का कार्य वह धन है जो हमारे दुर्बल मिट्टी के शरीरों में है l हम कठिनाई में उन्नति कर सकते हैं क्योंकि उसकी सामर्थ्य हमारे अन्दर कार्य करती है l
अपने नावें ले आओ
2017में तूफ़ान हार्वे(Hurricane Harvey) के कारण पूर्वी टेक्सास में विनाशकारी बाढ़ आ गयी l बारिश से हजारों लोग अपने घरों में घिर गए, और बाढ़ के पानी से भाग नहीं सके l “टेक्सास नेवी” नाम से अनेक साधारण नागरिकों ने राज्य और राष्ट्र के दूसरे भाग से नाव लाकर घिरे हुए लोगों को निकालने में मदद की l
इन बहादुर, दयालु पुरुष और महिलाएँ नीतिवचन 3:27 का उत्साह याद दिलाते हुए सीख देते हैं कि जब भी अवसर मिले हम दूसरों की मदद करें l उनके पास आवश्यक्तामंद लोगों के लिए अपनी नावों को लाकर मदद करने की ताकत थी l और उन्होंने ऐसा किया l उनकी क्रियाएँ दर्शाती हैं कि वे अपने संसाधन दूसरों के लाभ के लिए उपयोग करना चाहते थे l
जो कार्य हाथ में है उसे करने में हम अपने को हमेशा सक्षम नहीं पाते हैं; अक्सर हम दूसरों की मदद करने में खुद में कौशल, अनुभव, साधन, या समय की कमी महसूस करते हैं l ऐसे समय में, हम जल्दी ही अपने साधनों को जो दूसरों की मदद कर सकता है, नज़रंदाज़ करते हुए अपने को किनारे कर लेते हैं l टेक्सास नेवी बाढ़ के बढ़ते पानी को रोक नहीं सकते थे, और न ही सरकारी मदद के लिए कानून बना सकते थे l किन्तु उन्होंने अपने पड़ोसियों की गंभीर ज़रूरतों में अपनी सामर्थ्य की सीमा में अपने साधनों का अर्थात् नाव का उपयोग किया l काश हम सब भी अपनी “नावें” लाकर लोगों को ऊँची भूमि पर ले जा सकें l
सही समय
कल मैंने अपनी बड़ी बेटी के लिए जो कॉलेज जानेवाली थी, हवाई जहाज़ का टिकट खरीदा l मुझे आश्चर्य हुआ कि हवाई यात्रा का टिकट चुनने की प्रक्रिया में मेरे बहते आंसुओं से मेरे कंप्यूटर का कीबोर्ड भीग जाने के बावजूद वह काम कर रहा था l मैंने अपनी बेटी के साथ अठारह वर्षों तक दैनिक जीवन का आनंद उठाया है, इस कारण मैं उसके जाने की बात से दुखी हूँ l यह जानकार भी कि वह मुझसे दूर हो जाएगी, मैं उसे उसके भावी जीवन के अवसर से वंचित नहीं कर सकती l उसके जीवन के इस मुकाम पर, उसके लिए वयस्कता को समझना और देश के एक दूसरे भाग को जानने के लिए नयी यात्रा पर जाना उचित है l
जबकि बेटी की परवरिश का मेरा समय समाप्त हो रहा है, एक और समय आरम्भ हो रहा है l उसमें अवश्य ही चुनौतियां और खुशियाँ दोनों होंगी l इस्राएल का तीसरा राजा, सुलैमान, लिखता है कि परमेश्वर “हर एक बात का एक अवसर, और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय” नियुक्त किया है (सभोपदेशक 3:1) l हम मनुष्यों का अपने जीवन की घटनाओं पर बहुत कम नियंत्रण है – चाहे हम उन घटनाओं को अपने पक्ष में देखें या नहीं l किन्तु परमेश्वर, अपनी महान सामर्थ्य में, “सब कुछ ऐसा [बनाता है] कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं” (पद.11) l
मानसिक व्यथा के समयों में, हम भरोसा करते हैं कि परमेश्वर समय पर उससे कुछ भलाई उत्पन्न करेगा l हमारे सुख और आनंद आ सकते हैं और जा सकते हैं, किन्तु परमेश्वर का काम “सदा स्थिर रहेगा” (पद.14) l हम सभी समयों को पसंद नहीं करेंगे – उनमें से कुछ बहुत दुःख भरे होंगे – फिर भी वह उन सब को खुबसूरत बना सकता है l
ताकत लगाना
शरीर को गठीला बनानेवाले प्रतिस्पर्धी खुद को कठोर प्रशिक्षण क्रम से गुजरने देते हैं l पहले के कुछ महीनों में, वे आकार और ताकत बढ़ाने में लगाते हैं l जैसे-जैसे प्रतिस्पर्धा निकट आता हैं, वे अपना ध्यान शरीर के अतिरिक्त चर्बी को कम करने में लगाते हैं जिससे उनकी मांश पेशियाँ दिखाई दे सकें l प्रतिस्पर्धा से पहले अंतिम कुछ दिनों में, मांश पेशियों के स्पष्ट दिखाई देने के लिए वे कम पानी पीते हैं l पोषण कम लेने के कारण, प्रतिस्पर्धा के दिन ताकतवर दिखाई देने के बावजूद, प्रतिस्पर्धी अपने सबसे बलहीन अवस्था में होते हैं l
2 इतिहास 20 में, हम विपरीत सच्चाई देखते हैं : परमेश्वर की सामर्थ्य का अनुभव करने के लिए अपनी बलहीनता को पहचानना l “लोगों ने यहोशापात से कहा, “एक बड़ी सेना आपके विरुद्ध आक्रमण करने आ रही है l” इस कारण उसने खुद को और अपने सारे लोगों को पोषण/भोजन से वंचित करके “पूरे यहूदा में उपवास का प्रचार करवाया” (पद.3) l उसके बाद उन्होंने परमेश्वर से सहायता मांगी l अंत में अपनी सेना को इकठ्ठा करने के बाद, यहोशापात ने गायकों को नियुक्त किया जो उसकी सेना के आगे-आगे परमेश्वर की प्रशंसा करते थे (पद.21) l जब वे गाकर स्तुति करने लगे, प्रभु ने “लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए” (पद.22) l
यहोशापात का निर्णय परमेश्वर में उसके गहरे भरोसे को प्रगट कर रहा था l उसने जानबूझकर मनुष्य और सेना के कौशल पर भरोसा नहीं करने का चुनाव किया किन्तु इसके बदले परमेश्वर पर भरोसा किया l अपने संघर्षों/परीक्षाओं में खुद पर भरोसा न करके, हम उसकी ओर फिरें और उसे अपनी ताकत बनने दें l
क्या तुम मुझे प्रेम करते हो?
युवावस्था में मैं मां का विद्रोह कर चुकी हूँ। मेरी किशोरावस्था से पहले मेरे पिता की मृत्यु हो गई इसलिए माँ को मेरी परवरिश का बोझ अकेले उठाना पड़ा था।
मुझे लगता था कि माँ नहीं चाहती कि मुझे मज़ा मिले-शायद उन्हें मुझसे प्यार नहीं था-क्योंकि वो हर बात के लिए मुझे मना कर देती थी। अब समझ आता है, मुझसे प्रेम करने के कारण वह उन बातों के लिए मना करती थी जो सही नहीं थी।
बाबुल में बंधुवाई के कुछ समय बाद इस्राएलियों ने परमेश्वर के प्रेम पर सवाल उठाया। परन्तु वास्तव में उनके निरंतर विद्रोह के कारण परमेश्वर ने उन्हें बंधुवाई में भेजा था। फिर, उनके पास परमेश्वर ने मलाकी को भेजा (मलाकी 1:2)। परमेश्वर ने कहा, "मैंने तुमसे प्रेम किया है"। इस्राएल ने संदेहपूर्वक पूछा कि परमेश्वर ने किस बात में उन से प्रेम किया है? मलाकी के माध्यम से परमेश्वर ने उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने उस प्रेम को किस तरह दिखाया था: उन्हें एदोमियों के ऊपर चुनकर।
जीवन के मुश्किल मौसम से गुजरने पर हम परमेश्वर के प्रेम पर प्रश्न उठाने को प्रलोभित हो जाते हैं। याद रखें कि परमेश्वर ने हम पर अपना अचूक प्रेम किस प्रकार दर्शाया है। उनकी भलाई पर विचार करके हम देखते हैं कि वह वास्तव में एक प्रेमी पिता हैं।
रैपिड्स पर सवारी
नदी के किनारे पहुंच कर राफ्टिंग गाइड ने हमारे समूह को लाइफ जैकेट पहनने और पतवार पकड़ने के निर्देश दिए। नदी में आने वाले रैपिड्स (क्षिप्रिकाओं) का सामना करते समय स्थिरता बनाए रखने के लिए उसने नौका पर हमरी सीटें बांट लीं। आगे की जलयात्रा के रोमांच और चुनौतियों के बारे में बता कर, उसने निर्देशों को विस्तार से समझाया जिसे हमारा ध्यानपूर्वक सुनना जरूरी था-ताकि हम प्रभावी तरीके से नाव नियंत्रित कर सकें। उसने आश्वासन दिया कि हालांकि तनावपूर्ण क्षण होंगे, हमारी जलयात्रा रोमांचकारी और सुरक्षित दोनों होगी।
कभी-कभी जीवन एक रिवर राफ्टिंग की तरह होता है, जिसमें अपेक्षा से अधिक रैपिड्स आते हैं। जब समय सबसे बुरा लगे, तो यशायाह द्वारा इस्राएल को दिए परमेश्वर का वादा हमारी भावनाओं का मार्गदर्शक कर सकता है: "जब तू जल में हो कर..." (यशायाह 43:2)। पाप के परिणामस्वरूप जब इस्राएलियों को निर्वासित होना पड़ा, उन्हें परमेश्वर द्वारा त्यागे जाने का भय था। पर इसके बजाय उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया और उनसे अपने प्रेम के कारण उनके साथ रहने का वादा किया (2-4)।
बुरे समय में परमेश्वर हमें छोड़ते नहीं हैं। जब हम-भय से और पीड़ादायक परेशानियों से-गुजरते हैं तो मार्गदर्शन के लिए हम उन पर भरोसा कर सकते हैं-क्योंकि वह हमसे भी प्रेम करते हैं और हमारे साथ रहने का वादा करते हैं।
चुनौतियों पर विजय
हम हर महीने अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों के प्रति एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने के लिए इकट्ठे होते थे l मेरी सहेली मैरी वर्ष के अंत से पहले अपने डाइनिंग रूम की कुर्सियों पर गद्दियाँ लगाना चाहती थी l हमारी नवम्बर की सभा में उसने मजाकीय तरीके से अक्टूबर से अपनी प्रगति के विषय बताया : कुर्सियों पर गद्दियाँ लगाने में 10 महीने और दो घंटे लगे l” महीनों तक सामग्री उपलब्ध नहीं होने या नौकरी में बहुत मांग होने के कारण और अपने छोटे बच्चे की देखभाल करने के बाद समय निकालकर, मात्र दो घंटों में गद्दियाँ लगाने का काम पूरा हो गया l
प्रभु ने नहेम्याह को कहीं बड़े काम के लिए बुलाया था : यरूशलेम को पुनःस्थापित करने के लिए जिसकी दीवारें 150 वर्षों तक खंडहर पड़ी थीं (नहेम्याह 2:3-5, 12) l जब वह लोगों को काम करने में अगुआई कर रहा था, उन्होंने उपहास, आक्रमण, विकर्षण, और पाप के प्रति परीक्षा का सामना किया (4:3, 8; 6:10-12) l फिर भी परमेश्वर ने उनको अपने प्रयास में अडिग खड़े रहने हेतु सज्जित किया और केवल बावन दिनों में चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा कर लिया गया l
इस तरह की चुनौतियों पर विजय पाने के लिए व्यक्तिगत इच्छा या लक्ष्य से अधिक की ज़रूरत होती है; नहेम्याह इस समझ से प्रेरित था कि परमेश्वर ने उसको इस काम के लिए नियुक्त किया था l असाधारण विरोध के बावजूद उसके उद्देश्य के कारण ने लोगों को उसके नेतृत्व में चलने के लिए बल दिया l चाहे किसी सम्बन्ध को ठीक करना हो अथवा अपनी साक्षी देना हो, जब परमेश्वर हमें कोई काम देता है वह हमें उस काम को करने के लिए समस्त कौशल और सामर्थ्य देता है ताकि सभी चुनौतियों का सामना करके हम अपने प्रयास में आगे बढ़ सकें l