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Articles by किर्स्टेन होल्मबर्ग

दृश्य के पीछे

मेरी बेटी ने शीघ्र उत्तर की आशा से एक सहेली को एक सन्देश भेजा l उसके फोन मेसेज सिस्टम ने उसको बताया कि प्राप्तकर्ता ने उसका सन्देश पढ़ लिया है, इसलिए वह व्याकुलता से उत्तर का इंतज़ार करती रही l महज़ क्षण गुज़र गए, फिर भी वह निराश होकर देरी के लिए अपनी चिढ़ पर शोक करती रही l चिढ़चिढ़ाहट चिंता बन गई; उसने सोचा कि उनके बीच में कोई समस्या होगी l आखिरकार उत्तर से मेरी बेटी निश्चिन्त हुई कि उनके सम्बन्ध ठीक हैं l उसकी सहेली प्रश्न का उत्तर खोज रही थी l

पुराने नियम का दानिय्येल नबी भी उत्तर के लिए व्याकुल था l महायुद्ध के डरावने  दर्शन के बाद दानिय्येल उपवास और दीन प्रार्थना के साथ परमेश्वर को खोजा (10:3,12) l  तीन सप्ताह तक उत्तर नहीं आया (पद.2,13) l अंत में, एक स्वर्गदूत ने उसे निश्चित किया कि “उसी दिन तेरे वचन सुने गए l” उसके बीच, स्वर्गदूत उसकी प्रार्थनाओं के पक्ष में लड़ता रहा l यद्यपि पहले दानिय्येल अनिभिज्ञ था, उसकी प्रथम प्रार्थना और स्वर्गदूत के आने के बीच परमेश्वर उन इक्कीस दिनों तक कार्यरत था l

यह भरोसा कि परमेश्वर प्रार्थना सुनता है (भजन 40:1), हमारे समयानुसार उत्तर नहीं मिलने पर हम व्याकुल होते हैं l हम उसकी देखभाल पर शक करने लगते हैं l फिर भी दानिय्येल का अनुभव हमें याद दिलाता है कि जाहिर नहीं होने पर भी परमेश्वर अपने प्रेमियों के लिए कार्य करता है l

सुख का पलना

मेरी सहेली ने मुझे अपने चार दिन की बेटी को गोद में लेने का सौभाग्य दिया l बच्चावह मेरे गोद में आने के बाद ही हलचल करने लगा l मैंने उसे दुलारा, अपने गाल उसके सिर से लगाया, और उसे चुप करने के लिए हिलाते हुए एक गीत गुनगुनाने लगी l इन प्रयासों के साथ, दस वर्षों के अपने लालन-पालन अनुभव के बाद भी, मैं उसे शांत न कर सकी l मैंने उसे उसकी अधीर माँ के बाहों में डालने तक वह अत्यंत परेशान रही l तुरन ही वह शांत हो गई; उसका रोना बंद हो गया और उसकी बेचैनी उसके भरोसेमंद सुरक्षा में तब्दील हो गई l  मेरी सहेली अपनी बेटी को गोद लेना और उसकी परेशानी दूर करना जानती थी l

परमेश्वर अपने बच्चों को माता की तरह सुख देता है : कोमल, भरोसेमंद, और बच्चे को शांत करने में चिन्ताशील l हमारे थकित अथवा परेशान होने पर, वह हमें अपनी बाहों में उठाता है l हमारा पिता और सृष्टिकर्ता होकर, वह हमें निकटता से जानता है l “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है” (यशा. 26:3) l

जब हमें संसार का भारी बोझ दबाए, हम इस ज्ञान में सुख पाते हैं कि वह प्रेमी अभिभावक की तरह हमें अर्थात् अपने बच्चों को सुरक्षित रखता और उनके लिए लड़ता है l

उँगलियों से गिराना

मेरी असावधानी से रेस्टोरेंट काउन्टर पर पेय गिरकर फर्श पर फ़ैल गया l कोरी शर्मिंदगी में, मैं चुल्लू से उसे इकट्ठा करना चाही l मेरा ज्यादातर प्रयास असफल रहा; अधिकतर पेय मेरी उँगलियों के बीच से निकलकर बह गया l अंत में, मेरी हथेलियों में एक चम्मच से थोड़ा अधिक पेय था, और मेरे पाँव तलैया में थे l

मेरा जीवन के कई दिनों में ऐसा ही होता है l मैं समस्याओं का हल निकालने, विवरण निरीक्षण, और स्थितियों को संभालने में लगी रहती हूँ l मेरे कठिन प्रयास के बावजूद, मेरे निर्बल हाथ सभी टुकड़ों और हिस्सों को संभाल नहीं पाते l कुछ-न-कुछ मेरी उँगलियों के बीच से फिसलकर मेरे पाँव के पास फर्श पर गिरकर मुझे अभिभूत करते हैं l मैं हाथों को मोड़कर अथवा उँगलियों को दबोच कर भी सब कुछ संभाल नहीं सकती l

फिर भी परमेश्वर सक्षम है l यशायाह कहता है कि परमेश्वर विश्व के जल को-सभी महासागर और नदियाँ और वर्षा-को चुल्लू से माप सकता है (40:12) l केवल उसके हाथ उन्हें थाम सकते हैं l हम एक चम्मच से अधिक थामने का प्रयास न करें जो उसने हमारे थामने के लिए रचा है l पराजित महसूस करने पर, हम उसके समर्थ हाथों में अपनी देखभाल और चिंता छोड़ दें l