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Articles by लिन्डा वाशिंगटन

पराजय असम्भव है

“पराजय असम्भव है!” ये शब्द सुज़न बी. एंथोनी (1820-1906) के थे, जो अमेरिका में महिलाओं के अधिकारों के लिए उनके अचल रुख के लिए जाना जाता है l यद्यपि उन्हें लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा और बाद में अवैध रूप से मतदान करने के लिए गिरफ्तारी, मुकदमा और दोषी होने के फैसले का सामना करना पड़ा, एन्थोनी ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार हासिल करने की लड़ाई कभी नहीं छोड़ने की कसम खायी, विश्वास करते हुए कि उनका कारण जायज़ था l हालाँकि वह अपने श्रम का फल देखने के लिए जीवित नहीं रहीं, लेकिन उनकी घोषणा सही साबित हुयी l 1920 में, संविधान के उन्नीसवें संशोधन ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया l

असफलता नहेम्याह के लिए भी कोई विकल्प नहीं था, खासकर इसलिए कि उसके पास एक शक्तिशाली सहायक था : परमेश्वर l उससे अपने कारण को आशीर्वाद देने के लिए कहने के बाद – यरूशलेम की दीवार का पुनःनिर्माण – नहेम्याह और जो लोग बेबीलोन के निर्वासन से यरूशलेम लौट आए थे, ऐसा करने के लिए काम किया l दुश्मनों से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए दीवार की ज़रूरत थी l लेकिन कारण का विरोध धोखे और धमकियों के रूप में सामने आया l नहेम्याह ने विरोध को उसे डराकर रोकने नहीं दिया l उसने उन लोगों को सूचित किया जिन्होंने काम का विरोध किया था, “मैं तो भारी काम में लगा हूँ” (नहेम्याह 6:3) l उसके बाद उसने प्रार्थना की, “तू मुझे हियाव दे” (पद.9) l दृढ़ता के लिए धन्यवाद, काम पूरा हो गया (पद.15) l

परमेश्वर ने नहेम्याह को विरोध के सामने दृढ़ रहने की शक्ति दी l क्या कोई ऐसा कार्य है जिसके समक्ष आप हार मानने के लिए उत्प्रेरित हैं?  आपको जो कुछ भी जारी रखने की ज़रूरत है उसका प्रावधान करने के लिए परमेश्वर से पूछें l

सावधानीपूर्वक बनाया गया

यू ट्यूब विडिओ में, न्यू यॉर्क के गोशेन में एक पनीर किसान (Cheese farmer) एलन ग्लसटोफ ने परिपक्वन(aging) पनीर की अपनी प्रक्रिया का वर्णन किया, एक प्रक्रिया जो पनीर के स्वाद और प्रकृति को बढ़ाती है l इससे पूर्व कि इसे किसी बाज़ार में भेजा जाए, पनीर का प्रयेक खण्ड छह से बारह महीनों के लिए एक भूमिगत गुफा में एक शेल्फ पर रखा रहता है l इस नम वातावरण में पनीर की सावधानी से देखभाल की जाती है l “हम इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए सही वातावरण देने का . . . [और] इसे अपनी वास्तविक संभाव्यता तक विकसित करने के लिए पूरा प्रयास करते हैं,” ग्लसटोफ ने समझाया l

पनीर की क्षमता विकसित करने के लिए ग्लसटोफ के उत्साह ने मुझे अपने बच्चों की “सबसे अधिक क्षमता” विकसित करने के लिए परमेश्वर की अभिलाषा की याद दिलाई, ताकि वे फलदायी और परिपक्व हो जाएँ l इफिसियों 4 में, प्रेरित पौलुस इस प्रक्रिया में शामिल लोगों का वर्णन करता है : प्रेरित, भविष्यद्वक्ता, सुसमाचार प्रचारक, रखवाले, और उपदेशक (पद.11) l इन वरदानों के साथ लोग प्रत्येक विश्वासी की उन्नति को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सेवा के कार्यों (पद 12 में वर्णित “काम”) को प्रोत्साहित करने में सहायता करते हैं l लक्ष्य यह है कि हम सिद्ध बन जाएँ, और मसीह के पूरे डील=डौल तक बढ़ जाएँ (पद.13) l

आध्यात्मिक उन्नति पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा होती है जब हम परिपक्व होने की उसकी परिक्रिया में खुद को समर्पित कर देते हैं l जब हम उन लोगों के मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं जिनको वह हमारे जीवनों में लाता है, हम और अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं जब वह हमें सेवा करने के लिए भेजता है l

अंधकार में ज्योति

दीज़ आर द जेनेरेशंस (These Are the Generations) पुस्तक में, मिस्टर बे परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और सुसमाचार के सामर्थ्य का वर्णन करते हैं जो अंधकार में प्रवेश कर सकता है l उनके दादा, माता-पिता, और उनके अपने परिवार को मसीह में अपने विश्वास को साझा करने के कारण सताया गया l परन्तु मिस्टर बे के साथ एक रुचिकर घटना हुयी जब एक मित्र को परमेश्वर के विषय बताने के कारण उन्हें जेल में डाला गया : उसका विश्वास बढ़ गया l यही बात उनके माता पिता के लिए भी सच थी जब उन्हें एक बंदी शिविर में भेज दिया गया था – उन्होंने वहाँ भी लगातार मसीह का प्रेम साझा किया l मिस्टर बे ने युहन्ना 1:5 की प्रतिज्ञा को सच पाया : “ज्योति अंधकार में चमकती है, और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया l”

अपनी गिरफ्तारी और क्रूसीकरण से पहले, यीशु ने अपने शिष्यों को उनके सामने आनेवाली मुसीबत के विषय चेतावनी दी l वे लोगों द्वारा त्यागा जाने वाला था जो “ऐसा . . . इसलिए करेंगे कि उन्होंने न पिता को जाना है और न मुझे जानते हैं” (16:3) परन्तु उन्होंने तस्सली के शब्द कहे : “संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया  है” (पद.33) l

जबकि यीशु के कई विश्वासियों ने मिस्टर बे के परिवार की तरह उनके स्तर तक के सताव का अनुभव नहीं किया है, हम मुसीबत का सामना करने की अपेक्षा कर सकते हैं l परन्तु हमें निराश या आक्रोशित नहीं होना चाहिए l हमारे पास एक सहायक है – पवित्र आत्मा जिसे यीशु ने भेजने का वादा किया था l हम मार्गदर्शन और तसल्ली के लिए उसकी ओर मुड़ सकते हैं (पद.7) l परमेश्वर की उपस्थिति की सामर्थ्य हमें अंधकारमय समय में दृढ़ता से थामे रहेगा l

जीभ को नियंत्रित करने वाले

वेस्ट विथ द नाईट(West with the Night) पुस्तक में लेखिका बेरिल मार्खैम एक अत्यंत शक्तिशाली घोडा, कैमसिसकैन के विषय विस्तार से बताती है जिसे उसे प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी मिली थी l उसे उसकी ही तरह जोड़ीदार कैमसिसकैन मिल गया था l हर प्रकार की रणनीति अपनाने के बावजूद भी, वह उस अक्खड़ घोड़े को पूरी तौर से वश में न कर सकी, और केवल उसकी अड़ियल इच्छा पर विजय पा सकी l

हममें से कितने लोग अपने जीभ को वश में करने के लिए संघर्ष करते हुए ऐसा अनुभव करते हैं? जबकि याकूब जीभ को घोड़े के मुँह में लगाम या जहाज के पतवार से तुलना करता हैं (याकूब 3:3-5), और वह खेद प्रगट करते हुए कहता है, “एक ही मुँह से धन्यवाद और शाप दोनों निकलते हैं l हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए” (पद.10) l

इसलिए, किस प्रकार हम जीभ पर विजय प्राप्त कर सकते हैं? प्रेरित पौलुस जीभ पर नियंत्रण प्राप्त करने की सलाह देता है l पहली बात केवल सच बोलना है (इफिसियों 4:25) l हालाँकि, यह कष्टपूर्वक कुंठित होना नहीं है l पौलुस आगे कहता है, “कोई गन्दी बात तुम्हारे मुँह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वह निकले जो उन्नति के लिए उत्तम हो” (पद.29) l हम कूड़े को भी हटा सकते हैं : “सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निंदा, सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए” (पद.31) l क्या यह सरल है? यदि हम अपने बल पर करें तो यह संभव नहीं है l हम धन्यवादी हैं, हमारे पास पवित्र आत्मा है जो हमारी मदद करता है यदि हम उस पर निर्भर होते हैं l

जिस प्रकार मार्खैम ने सीखा, इच्छा की लड़ाई में कैमसिसकैन के साथ सामंजस्य की ज़रूरत थी l इसी प्रकार जीभ के नियंत्रण में भी होता है l

बच्चों के मूँह से

दस वर्ष की विओला को एक पेड़ की शाखा को एक माइक्रोफोन की तरह इस्तेमाल करके एक प्रचारक की नक्ल करते हुए देखने के बाद, मिशेल ने विओला को एक गाँव में प्रचार के दौरान “प्रचार करने” का मौका देने का निर्णय किया। विओला ने स्वीकार कर लिया। दक्षिण सूडान में एक मिशनरी, मिशेल ने लिखा, “भीड़ भावविभोर हो गई...एक छोटी बच्ची जिसे छोड़ दिया गया था, उनके सामने राजाओं के राजा की बेटी के रूप में अधिकार के साथ खड़ी हुई और सामर्थ के साथ परमेश्वर के राज्य के बारे में बताया। आधी भीड़ यीशु को स्वीकार करने के लिए आगे आई” (मिशेल पैरी, लव हैज़ ए फेस ) ।

उस दिन उस भीड़ ने एक बच्चे को प्रचार करते हुए सुनने की आशा नहीं की थी। यह घटना मन में एक ही वाक्य ले कर आती है, “बच्चों और दूध पिउवों के मुँह से” जो भजन संहिता 8 में पाया जाता है दाऊद ने लिखा, “तू ने अपने बैरियों के कारण बच्‍चों और दूध पिउवों के द्वारा सामर्थ्य की नींव डाली है, ताकि तू शत्रु और पलटा लेनेवालों को रोक रखे” (पद 2)। बाद में मत्ती 21:16 में यीशु ने इस पद का सन्दर्भ दिया, जब महायाजकों और शास्त्रियों ने यरूशालेम के मन्दिर में बच्चों के यीशु की प्रशंसा करने की आलोचना की। इन अगुवों के लिए बच्चे एक सरदर्द थे। इस पवित्रशास्त्र के अंश का सन्दर्भ देने के द्वारा यीशु ने दर्शाया कि परमेश्वर ने इन बच्चों की प्रशंसा को गम्भीरता से लिया। उन्होंने वही किया जो वे अगुवे करने के लिए अनिच्छुक थे: इच्छित मसीह को महिमा देना। 

 जैसे विओला और मन्दिर के बच्चों ने दर्शाया, परमेश्वर एक बच्चे को भी अपनी महिमा करवाले के लिए इस्तेमाल कर सकता है। उनके इच्छित हृदयों से प्रशंसा का एक झरना बह निकला।

मन:स्थिति बनाने वाला

जब मैं अपने सप्ताह भर के आने-जाने के समय में एक बार ट्रेन के स्टेशन पर प्रतीक्षा कर रहा था, तो कुछ नकारात्मक विचारों से मेरा मस्तिष्क भर गया, जैसे की यात्री ट्रेन में चढ़ने के लिए लाईन में खड़े हैं-ऋण के तनाव में, मुझे कहे गए बुरे शब्द, निसहायता में या परिवार के किसी सदस्य के साथ हाल ही में हुए अन्याय का सामना करते हुए। जब तक ट्रेन आई, मैं बहुत ही विचलित मन:स्थिति में थी।

ट्रेन में, एक दूसरा विचार मेरे मन में आया: परमेश्वर को एक नोट लिखूँ और उसे मेरे दुःख के बारे में बताऊँ। जल्द ही जब मैंने अपने विचारों को अपने जनरल में लिख डाला, तो उसके बाद मैंने अपना फोन निकाला और उसमें स्तुति के गीतों को सुनना शुरू कर दिया। और कुछ ही समय में बुरी मन:स्थिति पूरी तरह से बदल गई। 

मुझे नहीं पता था कि मैं भजनकार 94 के नमूने का पालन कर रही थी। भजनकार ने पहले अपनी शिकायतों को उंडेल डाला: “हे पृथ्वी के न्यायी, उठ; और घमण्डियों को बदला दे... कुकर्मियों के विरुद्ध मेरी ओर कौन खड़ा होगा? मेरी ओर से अनर्थकारियों का कौन सामना करेगा?” (भजन संहिता 94:2, 16)। जब उसने परमेश्वर से बात की तो उसने विधवाओं और अनाथों के साथ हुए अन्याय के बारे में कुछ बचाकर नहीं रखा। एकबार जब उसने परमेश्वर को अपना दुःख बता दिया, तो वह भजन स्तुति की ओर चला गया: “परन्तु यहोवा मेरा गढ़, और मेरा परमेश्‍वर मेरी शरण की चट्टान ठहरा है” (पद 22)।

परमेश्वर हमें अपने दुःख उसे बताने के लिए बुलाता है। वह हमारे भय, उदासी और निस्सहायता को स्तुति में बदल सकता है।

प्रार्थना

मैंअपनी आंटी ग्लैडिस की बेबाक़ स्वाभाव का आदर करती हूँ यद्यपि कभी-कभी वह मेरे विषय होता है l आंटी ने ई-मेल भेजा, “कल मैंने अखरोट का पेड़ काट दिया” जिससे मैं चिंतित हुयी l
प्रार्थना का सदैव उपयोग करनेवाली मेरी आंटी छिहत्तर वर्ष की हैं! अखरोट का वह पेड़ उनके गेराज के पीछे उग गया था l जब उसके जड़ से गेराज की कंक्रीट के फटने का डर उत्पन्न हो गया, उन्होंने उसे काटने का निर्णय किया l किन्तु उन्होंने हमें बताया, “मैं उस तरह का काम करने से पूर्व प्रार्थना करती हूँ l”
इस्राएल के निर्वासन के समय फारस के राजा का पियाऊ होकर सेवा करते हुए, नहेम्याह को  यरूशलेम लौट आए लोगों के विषय खबर मिली l कुछ काम होना ज़रूरी था l “यरूशलेम की शहरपनाह टूटी हुयी, और उसके फाटक जले हुए हैं” (नहेम्याह 1:3) l टूटी दीवारों के कारण वे दुश्मनों के आक्रमण की संभावनाओं से असुरक्षित थे l नहेम्याह अपने लोगों पर तरह खाकर भागीदारी करने का मन बनाया l किन्तु प्रार्थना प्राथमिक बात थी, क्योंकि नए राजा ने पत्र भेजकर यरूशलेम के निर्माण प्रयास को रोकना चाहा था (देखें एज्रा 4) l नहेम्याह ने अपने लोगों के लिए प्रार्थना की(नहेम्याह 1:5-10), और राजा से अनुमति माँगने से पूर्व परमेश्वर से सहायता मांगी (पद.11) l
क्या प्रार्थना आपका प्रतिउत्तर है? जीवन में किसी कार्य या परीक्षा का सामना करते समय यह हमेशा सबसे अच्छा तरीका है l

परम संतोष

एक बाइबल स्कूल कार्यक्रम में बच्चों को नाश्ता बांटते हुए, हमने एक बच्चे को लालच से  अपना नाश्ता खाते देखा l फिर उसने बच्चों का छोड़ा हुआ नाश्ता भी खा लिया l वह पोपकोर्न का एक बड़ा पैकेट प्राप्त करने के बाद भी संतुष्ट नहीं हुआ l अगुआ होने के कारण हम चिंतित थे कि क्यों यह छोटा लड़का इतना भूखा था l

मेरे मन में यह विचार आया कि हम भी अपनी भावनाओं के सम्बन्ध में उस छोटे लड़के की तरह हो सकते हैं l हम अपनी गहरी इच्छाओं की संतुष्टि के लिए रास्ता ढूंढते हैं, किन्तु हमें पूरी तरह संतुष्ट करने वाली वस्तु नहीं मिलती है l नबी यशायाह भूखे लोगों को बुलाता है, “आओ . . .  मोल लो और खाओ” (यशायाह 55:1) l किन्तु उसके बाद पूछता है, “जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिए तुम क्यों रुपया लगाते हो, और जिस से पेट नहीं भरता उसके लिए क्यों परिश्रम करते हो ? (पद.2) l यशायाह यहाँ पर केवल शारीरिक भूख की बात नहीं करता है l परमेश्वर हमारी आत्मिक और भावनात्मक भूख को अपनी उपस्थिति की प्रतिज्ञा से संतुष्ट कर सकता है l पद 3 में “सदा की वाचा” 2 शमूएल 7:8-6 में परमेश्वर द्वारा दाऊद को दी गयी प्रतिज्ञा याद दिलाती है l दाऊद के परिवार से, एक उद्धारकर्ता  लोगों को परमेश्वर के साथ जोड़ने के लिए आएगा l बाद में, यूहन्ना 6:35 में और 7:37 में, यीशु ने यशायाह का ही निमंत्रण देकर, खुद को यशायाह और दूसरे नबियों द्वारा बताया गया उद्धारकर्ता कहा l

आप भूखे हैं? परमेश्वर आपको पास आकर उसकी उपस्थिति से भर जाने का नेवता देता है l

बिगड़ा न्याय

मैं सड़क पर चलते हुए और हाथ में फ़ोन पकड़े हुए किसी पर भी दोष लगा देती हूँ l वे किस तरह उन कारों से बेखबर रह सकते हैं जो उनको टक्कर मार सकते हैं?  क्या वे अपनी सुरक्षा नहीं देखते हैं?  मैंने खुद से बोला है l किन्तु एक दिन, मैं एक गली का रास्ता पार करते समय, इतना अधिक टेक्स्ट मेसेज में डूबी हुई थी, कि मैं अपनी बाँयी ओर से आती हुई कार को देख न सकी l संयोग से मैं बच गयी, चालक ने मुझे देख लिया और तुरन्त गाड़ी रोक दी l किन्तु मैं शर्मिंदा हो गयी l मेरा स्वधर्मी होकर दूसरों में दोष ढूढ़ना मुझे ही परेशान करने लगा l मैंने दूसरों में दोष खोजा था, और अब मैं ही दोषी थी l

मेरा पाखंड वही सोच थी जिसे यीशु ने अपने पहाड़ी उपदेश में संबोधित किया था : “हे कपटी, पहले अपनी आँख में से लट्ठा निकाल ले, तब तू अपने भाई कि आँख का तिनका भली भांति देखकर निकाल सकेगा”(मत्ती 7:5) l मेरी आँख में एक बड़ा “लट्ठा” – एक अंध बिंदु थी जिसमें से होकर मैंने अपने कमज़ोर न्याय से दूसरों का न्याय किया l

यीशु ने यह भी कहा, “जिस प्रकार तुम दोष लगते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा” (7:2) l उस दिन उस चालक का चिढ़ा हुए चेहरा याद करके, जिसने मेरे उसकी गाड़ी के सामने आने पर अचानक अपनी गाड़ी रोकनी पड़ी थी, मुझे भी ताकीद मिलती है कि लोग मुझे अपने फोन में मगन देखकर परेशान होते होंगे l

हममें से कोई पूर्ण नहीं है l किन्तु कभी-कभी मैं भूल जाती हूँ कि जल्दीबाजी में मुझे दूसरों पर दोष नहीं लगाना चाहिए l हम सभों को परमेश्वर का अनुग्रह चाहिए l