मार्गदर्शक प्रकाश
वह रेस्टोरेंट एकांत में था परन्तु अँधेरा l हर एक मेज़ पर केवल एक छोटी मोमबत्ती टिमटिमा रही थी l प्रकाश लाने के लिए, भोजन करनेवाले अपनी व्यंजन-सूची पढ़ने के लिए अपने स्मार्टफोन्स का उपयोग कर रहे थे, अपने साथ भोजन करनेवालों की ओर देखते थे और यह भी कि वे क्या खा रहे थे l
आख़िरकार, एक ग्राहक अपनी कुर्सी पीछे खिसकाकर उठा, वेटर के पास गया, और एक साधारण प्रश्न पुछा l “क्या आप बत्तियां जला सकते हैं?” तुरंत, ऊँचाई पर की एक तेज़ बत्ती जल गयी और कमरे में उच्च प्रशंसा ध्वनि सुनाई दी l परन्तु हंसी भी l और उल्लासपूर्ण बातचीत भी l और ढेर सारे धन्यवाद l मेरी सहेली के पति ने अपना फोन बंद कर दिया, अपने बरतनों को उठाया, और हममें से हर एक के लिए बोला l “और उजियाला हो! अब, हम भोजन करना आरम्भ करें!”
हमारी सूनी शाम स्विच के दबाने से उत्सव में बदल गयी l परन्तु सच्ची ज्योति के वास्तविक श्रोत को जानना कितना अधिक महत्वपूर्ण है l परमेश्वर स्वयं ही सृष्टि को बनाते समय पहले दिन चौकानेवाले शब्द उच्चारित किये, “उजियाला हो,” तो उजियाला हो गया (उत्पत्ति 1:3) l उसके बाद “परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है” (पद.4) l
प्रकाश हमारे लिए परमेश्वर के महान प्रेम को दर्शाता है l उसका प्रकाश हमें “जगत की ज्योति” यीशु की ओर इशारा करता है (युहन्ना 8:12), जो पाप के अंधकार से निकलने में हमारा मर्क्दर्शन करता है l प्रकाश में चलने से, हमें उसके पुत्र को महिमान्वित करनेवाला, जीवन का प्रकाशमान पथ मिलता है l वह संसार का सबसे प्रकाशमान उपहार है l जब वह चमकता है, हम उसके मार्ग पर चल सकें l
एक और मौका
हमारे पड़ोस के निकट दूसरा मौका साइकिल दूकान(Second Chance Bike Shop) पर, स्वयंसेवक अनुपयोगी साइकिलों की मरम्मत करके उन्हें ज़रूरतमंद बच्चों को उपहार स्वरुप देते हैं l दूकान के संस्थापक अर्नी क्लार्क ज़रूरतमंद व्यस्कों के साथ-साथ बेघर, निःशक्त, और सेवानिवृत सिपाहियों को भी साइकिल दान करते हैं जो असैनिक जीवन की ज़रूरतों से संघर्ष कर रहे होते हैं l केवल साइकिलों को ही दूसरा मौका नहीं मिलता परन्तु कभी-कभी इनको प्राप्त करनेवालों को भी नयी शुरुआत मिलती है l एक सेवानिवृत सिपाही अपनी नयी साइकिल से एक नौकरी के साक्षात्कार में गया l
दूसरा मौका किसी के जीवन को रूपान्तरित कर सकता है, विशेषकर जब दूसरा मौका परमेश्वर की ओर से मिलता है l मीका नबी ऐसे समय में इस तरह के अनुग्रह की सराहना करता है जब इस्राएल राष्ट्र घूसखोरी, बेईमानी, और दूसरे घिनौने पापों में घिसट रहा था l जिस प्रकार मीका दुखी हुआ, “भक्त लोग पृथ्वी पर से नष्ट हो गए हैं, और मनुष्यों में एक भी सीधा जन नहीं रहां” (मीका 7:2) l
परमेश्वर उचित रूप से बुराई को दण्डित करने वाला था, मीका यह जानता था l परन्तु प्रेमी होने के कारण, वह पश्चाताप करनेवालों को एक और मौका देने बाला था l इस प्रकार के प्रेम से दीन होकर, मीका पूछता है, “तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहाँ है जो अधर्म को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढाँप दे?” (पद.18) l
हम भी आनंदित हो सकते हैं कि यदि हम क्षमा मांग लेते हैं, परमेश्वर हमें हमारे पापों के कारण त्यागता नहीं है l जिस तरह मीका परमेश्वर के विषय घोषणा करता है, “वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामों को लताड़ डालेगा l तुम उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा” (पद.19) l
परमेश्वर का प्रेम उसके खोजनेवालों को दूसरा मौका देता है l
कचरा से धन तक
बोगोटा के एक गरीब पड़ोस में एक ऊंची सड़क पर कबाड़ी का घर है l उसके विषय एक भी चीज़ विशेष नहीं है l फिर भी कोलोम्बिया की राजधानी में यह विनम्र मकान 25,000 पुस्तकों की एक मुफ्त पुस्तकालय है – अनावश्यक साहित्य जिसे जोस अल्बर्टो गुटीरेज़ ने अपने समुदाय के निर्धन बच्चों के साथ साझा करने के लिए इकठ्ठा किया है l
साप्ताहिक “पुस्तकालय समय” में स्थानीय बच्चे इस घर में इकठ्ठा होते हैं l हर एक कमरे में जाकर, जो पुस्तकों से भरे हुए हैं, बच्चे इस विनम्र घर को आदरणीय जोस के घर से अधिक मानते हैं – यह एक अमूल्य खज़ाना है l
मसीह के प्रत्येक विश्वासी के लिए भी यह सच है l हम सादी मिटटी से रचे गए हैं – जिसमें दोष/दरारें हैं और आसानी से टूट जाते हैं l परन्तु हम परमेश्वर के निवास हैं जिसमें समर्थ करनेवाला आत्मा रहता है, जो हमें दुखित, टूटे संसार में मसीह का सुसमाचार ले जाने के योग्य बनता है l यह साधारण, निर्बल लोगों के लिए बड़ा उत्तरदायित्व है l
“हमारे पास वह धन मिटटी के बरतनों में रखा है कि यह असीम सामर्थ्य हमारी ओर से नहीं, वरन् परमेश्वर ही की ओर से ठहरे” (2 कुरिन्थियों 4:7), प्रेरित पौलुस ने प्राचीन शहर कुरिन्थुस में अपनी मंडली से कहा l वे लोग अलग-अलग समुदाय से और उस क्षेत्र के अलग-अलग हिस्से से थे, इसलिए पौलुस ने कहा, कि शायद उनमें से अनेक “अपने विषय . . . प्रचार करने” की परीक्षा में पड़े होंगे” (पद.5) l
इसके बदले, पौलुस ने कहा, उस अमूल्य व्यक्ति के विषय दूसरों को बताएं जो हमारे अन्दर रहता है l यह वही है और उसकी श्रेष्ठ सामर्थ्य है जो साधारण जीवनों को अमूल्य धन में परिवर्तित कर देता है l
पुत्र के अनुगामी
संसार में सूरजमुखी पौधा लापरवाह/बेफिक्र रीति से अंकुरित होते हैं l मधुमक्खियाँ इन पौधों में परागन करती हैं, ये राजमार्गों के किनारे, पक्षियों को आकर्षित करते हैं, और खेतों, खलिहानों, और घास के मैदाओं में उगते हैं l फसल उगाने के लिए, हालाँकि, सूरजमुखी को अच्छी मिटटी की ज़रूरत होती है l किसानों की विवरण पुस्तिका के अनुसार, “जैविक पदार्थ या प्राकृतिक उर्वरक के साथ,” शुष्क, थोड़ी अम्लीय, पौष्टिक मिटटी, अंततः सूरजमुखी के स्वादिष्ट बीज, असली तेल, और सूरजमुखी उगानेवाले मेहनती किसानों के लिए जीविका उत्पन्न करते हैं l
हमें भी आत्मिक उन्नति के लिए “अच्छी भूमि” की ज़रूरत है (लूका 8:15) l जिस प्रकार यीशु ने एक बीज बोने वाले के दृष्टान्त में सिखाया, परमेश्वर का वचन पथरीली या कांटेदार भूमि में भी उग सकते हैं (देखें पद.6-7) l हालाँकि, यह केवल, “ईमानदार, उत्तम मन वाले लोगों के हृदय रूपी मिटटी में उगता है जो वचन को सुनकर उसे मन में संभाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं” (पद.15) l
सूरजमुखी के छोटे पौधे भी इसी प्रकार अपनी उन्नति में धीरज धरते हैं l पूरे दिन सूरज की चाल का अनुसरण करते हुए, वे प्रतिदिन सुर्यानुवर्तन(heliotropism) की प्रक्रिया में सूर्य की ओर उन्मुख होते हैं l पूर्ण विकसित पौधे भी उसी तरह इच्छित होते हैं l वे पूर्व की ओर स्थायी रूप से मुड़ जाते हैं, जिससे फूल का चेहरा गर्म होता है और इसके द्वारा परागन करनेवाली मधुमखियों का आना बढ़ जाता है l इस प्रकार बड़ा फसल मिलता है l
सूरजमुखी की देखभाल करनेवालों की तरह, हम भी वचन को पकड़े रहकर और उसके पुत्र का अनुकरण करके परमेश्वर के वचन की उन्नति के लिए एक समृद्ध माध्यम बन सकते हैं – हमें परिपक्व बनाने के लिए ईमानदारी और परमेश्वर के वचन के लिए उत्तम मन विकसित कर सकते हैं l काश हम पुत्र का अनुकरण करें और उन्नति करते जाएं l
ईर्ष्या का अंत
लोकप्रिय फ़्रांसिसी कलाकार एडगर दिगास अपने बैले नर्तकियों(ballerinas) के पेंटिंग के लिए विश्व भर में याद किए जाते हैं l उन्होंने अपने मित्र एवं कलात्मक विरोधी एडौर्ड मेनेट, एक और माहिर पेंटर के प्रति जो इर्ष्या प्रगट की वह कम प्रगट है l एडगर मेनेट के विषय कहते हैं, “जो कुछ वह करता है हमेशा ही तुरंत आरंभ कर देता है, जबकि मैं बेहद कोशिश करता हूँ और उसके बाद भी सही नहीं कर पाता हूँ l”
ईर्ष्या, एक विचित्र भाव है – जिसे प्रेरित पौलुस ने सबसे खराब लक्षणों की सूची में रखा है, “सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और वैरभाव और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्ष्या . . . और चुगलखो[री]” (रोमियों 1:29) l पौलुस लिखता है कि यह मूर्खतापूर्ण सोच का परिणाम है – परमेश्वर के स्थान पर मूर्तियों की उपासना करने का परिणाम (पद.28) l
लेखिका ख्रिसटीना फॉक्स कहती हैं कि जब विश्वासियों के मध्य ईर्ष्या बढ़ती है, यह इसलिए है “क्योंकि हमारे हृदय हमारे एकमात्र सच्चे प्रेम से फिर गए हैं l” उसने कहा, “हमारी ईर्ष्या में हम यीशु की ओर देखने के बजाए इस संसार के घटिया सुख के पीछे भाग रहे होते हैं l परिणाम, हम भूल गए हैं हम किसके हैं l”
फिर भी एक समाधान है l परमेश्वर की ओर लौट जाएँ l पौलुस ने लिखा, “अपने अंगों को . . . परमेश्वर को सौंपों” (रोमियों 6:13) – विशेषकर अपने कार्य और जीवन l अपने एक अन्य पत्री में पौलुस ने लिखा, “पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा” (गलतियों 6:4) l
परमेश्वर की आशीष के लिए धन्यवाद – केवल वस्तुएं नहीं, परन्तु उसके अनुग्रह की स्वतंत्रता के लिए l परमेश्वर द्वारा दिए गए अपने दानों को देखते हुए, हम पुनः संतोष प्राप्त करते हैं l
परमेश्वर के स्वरुप में
जब उसकी खुबसूरत भूरी त्वचा अपना रंग खोने लगी, वह युवती डर गयी, मानो वह विलुप्त हो रही हो या “खुद” को खो रही हो l भारी श्रृंगार(मेकअप) के साथ, उसने “मेरे दाग़ों” – को छिपा दिया जैसे कि वह उनको संबोधित करती थी, हलके रंग की त्वचा की चकतियाँ जो श्वेतकुष्ठ/विटिलिगो(vitiligo) की स्थिति के कारण होती है l यह त्वचा के रंगद्रव, मेलेनिन(melanin) का नष्ट होना है, जो त्वचा को उसकी रंग/रंगत देती है l
तब एक दिन, उसने खुद से पूछा : क्यों इसे छिपाना? परमेश्वर की सामर्थ्य पर निर्भर होकर स्वयं को स्वीकार करके, उसने भारी मेकअप करना छोड़ दी l जल्द ही वह अपने आत्म-विश्वास के लिए ध्यान आकर्षित करने लगी l आखिरकार वह श्वेतकुष्ठ/विटिलिगो(vitiligo) के साथ एक वैश्विक प्रसाधन सामग्री ब्रांड की प्रथम प्रवक्ता मॉडल बन गयी l
उसने एक टीवी मेज़बान(host) को बताया, “यह कितनी बड़ी आशीष है” और आगे कहा कि वह अपने विश्वास, परिवार, और मित्रों में ही प्रोत्साहन पाती है l
इस स्त्री की कहानी हमें स्मरण करने को आमंत्रित करती है कि हममें से हर एक परमेश्वर के स्वरुप में रचे गए हैं l “परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरुप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की” (उत्पत्ति 1:27) l चाहे हम बाहर से जैसा दिखाई दें, हम सब परमेश्वर के स्वरुप के धारक है l हम उसकी बनायी हुयी सृष्टि के रूप में, उसकी महिमा को प्रतिबिंबित करते हैं; औए हम यीशु के विश्वासी के रूप में संसार में उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए रूपान्तरित किये गए हैं l
क्या आप अपनी त्वचा से प्रेम करने में संघर्ष करते हैं? आज, आईने में देखें और परमेश्वर के लिए मुस्कुराएँ l उसने आपको अपने ही स्वरुप में रचा है l
कभी भी अकेला नहीं
इंडोनेशिया के पासवानों के लिए एक बाइबल मार्गदर्शिका लिखते समय, मेरा एक लेखक मित्र उस देश के अपनापन की संस्कृति से मोहित हो गया l gotong royong – अर्थात् “आपसी सहायता” – इस मनोभाव का अभ्यास गाँवों में किया जाता है, जहां पड़ोसी मिलकर किसी की घर की छत मरम्मत करते हैं या एक पुल या पथ को पुनः बनाते…
खूबसूरती का आनंद उठाना
उस पेंटिंग ने आकाशदीप की तरह मेरी आँखों को आकर्षित कर लिया l एक बड़े सिटी हॉस्पिटल के लम्बे कोरिडोर/गलियारा में प्रगटित, उसके विविध रंगों के गहरे वर्तिका चित्र और नवाजो अमरीकी मूल प्रजाति की आकृतियाँ बहुत ही आकर्षक थीं जिन्हें मैं देखकर अचंभित हुयी और उन्हें घूरने लगी l “वह देखो,” मैंने अपने पति, डैन से कहा l
वे मेरे आगे चल रहे थे किन्तु रुक गए, दीवार पर दूसरी पेंटिंग्स को टालते हुए केवल एक को निहारने लगे l “खुबसूरत,” मैं फुसफुसायी l
जीवन में अनेक चीजें वास्तव में खुबसूरत हैं l प्राकृतिक परिदृश्य l उत्प्रेरित कारीगरी l परन्तु ऐसी ही एक बच्चे की मुस्कराहट है l एक मित्र का हेलो l एक रॉबिन चिड़िया का नीला अंडा l एक सीप का मजबूत आवरण l बोझ को दूर करने के लिए जो जीवन ला सकता है, “[परमेश्वर] ने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं” (सभोपदेशक 3:11) l बाइबल के विद्वान समझाते हैं, ऐसी सुन्दरता में हमें – परमेश्वर के आनेवाले सिद्ध नियम की महिमा सहित - उसकी रचना की पूर्णता की एक झलक मिलती है l
हम ऐसी पूर्णता की मात्र कल्पना कर सकते हैं, इसलिए परमेश्वर हमें जीवन की सुन्दरता के द्वारा एक पूर्वानुभव देता है l इस तरह से, परमेश्वर ने “मनुष्यों के मन में अनादि-अनंत काल का ज्ञान उत्पन्न किया है” (पद.11) l कभी कभी जीवन नीरस और निरर्थक दिखाई देता है l परन्तु परमेश्वर चिंतन के लिए सौभाग्य से सुन्दरता के क्षण देता है l
जिस पेंटिंग को मैं निहार रही थी, उसका कलाकार जिरार्ड कर्टिस डेलानो, उस बात को समझ चुका था l “परमेश्वर ने मुझे सुन्दरता को रचने के लिए गुण [दिया था],” उसने एक बार कहा, “और यह वही है जो वह चाहता था मैं करूँ l”
ऐसी सुन्दरता को देखकर, हम किस प्रकार प्रत्युत्तर दे सकते हैं? हम ठहरकर उस महिमा का आनंद लेते हुए जो हमने पहले देखा है आनेवाले अनंत के लिए धन्यवाद दे सकते हैं l
परमेश्वर के द्वारा घिरे
एक व्यस्त एयरपोर्ट पर एक युवा माता अकेली संघर्ष कर रही थी। उसका बच्चा बुरी तरह से चिढ़ा हुआ था-वह चिल्ला रहा था, पैर पटक रहा था और वायुयान पर चढ़ने से मना कर रहा था। घबराई हुई और गर्भवती बोझ से दबी उस युवा महिला ने हार मान ली, वह अपने चेहरे को ढक कर निराशा में फ़र्श पर ही बैठ गई थी,और उसने सुबकना शुरू कर दिया था।
अचानक ही सात महिला सहयात्रियों, सभी अजनबी, ने उस युवा महिला और उसके बच्चे के चारों ओर घेरा बना लिया और उनके साथ खाना पीना, पानी बाँटने लगे एक-दूसरे के गले लगने लगे और कुछ नर्सरी राईम्स भी गाने लगे। प्रेम से भरे उनके उस घेरे ने उस माता और बच्चे को शान्त कर दिया, जो फिर अपने वायुयान में चढ़ गए। वे महिलाएं फिर अपनी-अपनी सीट पर चली गईं, इस बात की परवाह कि उनके सहयोग ने एक युवा माता को बल प्रदान किया, जब उसे इसकी आवश्यकता थी।
यह भजन संहिता 125 के एक सुन्दर सत्य का उदाहरण प्रस्तुत करता है। “जिस प्रकार यरूशलेम के चारों ओर पहाड़ हैं” पद 2 बताता है, “उसी प्रकार यहोवा अपनी प्रजा के चारों ओर अब से लेकर सर्वदा तक बना रहेगा।” यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि यरूशलेम कितनी हलचल वाला नगर था, जो वास्तव में पहाड़ों से घिरा था-जिनमें जैतून पर्वत और मौरियाह पर्वत शामिल थे।
उसी प्रकार परमेश्वर अपने लोगों को घेरे रखते हैं-हमारी आत्माओं का “सर्वदा” सहयोग और सुरक्षा करते हुए। इसलिए भजनकार लिखता है कि कठिन दिनों में “पर्वतों की ओर” आँखें लगाओ (भजन संहिता 121:1)। परमेश्वर प्रबल सहायता, स्थिर आशा और अनन्त प्रेम के साथ प्रतीक्षा करते हैं।