मध्य रात्रि बीत चुकी है जब जेम्स, जो एक मछुआरा है मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाता है l शुरूआती घंटा उसे परेशान नहीं करता है l “मछली पकड़ना शुरु करने से पूर्व जीवन बहुत कठिन था,” वह कहता है l “मेरे पास आय का कोई श्रोत नहीं था l” अब, समुद्री-संरक्षण कार्यक्रम(marine-protection program) के सदस्य के रूप में वह अपनी आय को बढ़ाता और स्थिर करते हुए देखता है lवह आगे कहता है, “हम परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं कि यह प्रोजेक्ट आया l”

यह बड़े रूप में दिखाई दिया क्योंकि जो उनके प्रोजेक्ट की ज़रूरत है अर्थात् समुद्री जीव की एक प्राकृतिक आपूर्ति, उसे परमेश्वर की रचना ने प्रबंध किया l हमारे प्रबंध करनेवाले परमेश्वर की प्रशंसा में, भजनकार ने लिखा, “तू पशुओं के लिए घास, और मनुष्यों के काम के लिए अन्न आदि उपजाता है” (भजन 104:14) l उसके साथ ही, “समुद्र . . . है, और उसमें अनगिनित जलचर, जीव-जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं” (पद.25) l

यह वास्तव में आश्चर्य की बात है कि किस प्रकार परमेश्वर की आश्चर्यजनक रचना हमारे लिए प्रबंध भी करती है l उदहारण के लिए, मछली, एक स्वस्थ समुद्री खाद्य श्रृंखला बनाने में मदद करती है l सावधानी से मछली पकड़ना, बदले में, जेम्स और उसके पड़ोसियों को एक जीवित मजदूरी देता है l

परमेश्वर की रचना में कुछ भी निरुद्देश्य नहीं है l वह यह सब अपनी महिमा और हमारी भलाई के लिए करता है lइस प्रकार, “मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूँगा, भजन कार कहता है (पद.33) l  जब हम उन सभी चीजों पर विचार करते हैं जो वह प्रबंध करता है, तो आज हम भी उसकी प्रशंसा कर सकते हैं l