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Articles by पैटरिसीए रेबॉन

जीवित जल

कटे हुए फूल नीलगिरी से आए थे। जब तक वे मेरे घर पहुंचे, वे झुके हुए और सड़क पर थके हुए थे। निर्देशों ने उन्हें ताज़ा पानी के ठंडे पेय के साथ पुनर्जीवित करने को कहा। हालाँकि, उससे पहले, फूलों के तनों को काटना पड़ता ताकि वे पानी को अधिक आसानी से पी सकें। लेकिन क्या वे बच पाते?

अगली सुबह, मुझे मेरा उत्तर मिला। नीलगिरी के गुलदस्ते का एक शानदार नजारा था, फूलों की विशेषता जो मैंने पहले कभी नहीं देखी था। ताजे पानी ने सारा फर्क लाया था।— जो यीशु ने पानी और विश्वासी होना क्या होता है के बारे में कहा एक अनुस्मारक था।

 जब यीशु ने सामरी स्त्री से पीने के लिए पानी माँगा—इसका मतलब जो पानी वह कुएं से निकलती वह पिते—उन्होंने उसका जीवन बदल दिया। वह उनके गुजारिश से चौंक गई। यहूदी सामरी को नीची नज़र से देखते थे। लेकिन यीशु ने कहा, “यदि तू परमेश्‍वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझसे कहता है, ‘मुझे पानी पिला,’ तो तू उससे माँगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।” (4:10)। बाद में, मन्दिर में, उन्होंने कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए।”(7:37)। जिन्होंने उस पर विश्वास किया उन में से, “उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी उसने यह वचन पवित्र आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्‍वास करनेवाले पाने पर थे;” (38-39)।

आज जब हम थके हुए होते हैं तो परमेश्वर का ताजगी देने वाली आत्मा हमें पुनर्जीवित करती है। वह जीवित जल है जो पवित्र ताजगी के साथ हमारे आत्मा में बास करता है। आज हम गहरा पिए।

सीखना और प्यार करना

ग्रीनॉक, स्कॉटलैंड के एक प्राथमिक विद्यालय में, मातृत्व अवकाश पर तीन शिक्षक हर दो हफ्ते में अपने बच्चों को स्कूली बच्चों के साथ बातचीत करने के लिए उन्हें स्कूल लाये। बच्चों के साथ खेलने का समय बच्चों को सहानुभूति, या दूसरों की देखभाल और दूसरों के प्रति भावना सिखाता है। अक्सर, जैसा कि शिक्षक ने कहा सबसे अधिक ग्रहणशील वे छात्र होते हैं जो "थोड़ा चुनौतीपूर्ण" होते हैं। "अक्सर [स्कूली बच्चे] एक-से-एक स्तर पर अधिक बातचीत करते हैं।" वे “एक बच्चे का देखभाल करना कितना कठिन है ”सीखते है, और “एक दूसरे के भावनाओं के बारे में भी।”

यीशु में विश्वासियों को बच्चों से दूसरों की चिंता करना सीखना कोई नया विचार नहीं। हम उसे जानते हैं जो शिशु यीशु के रूप में आया था। हम उसके जन्म ने रिश्तों की देखभाल के बारे में जो कुछ हम समझते थे सब बदल दिया। सबसे पहले मसीह के जन्म के बारे में जानने वाले चरवाहे थे, एक नम्र पेशा जिसमें कमजोर और आलोचनीय भेड़ों की देखभाल शामिल है। बाद में, जब बच्चे यीशु के पास लाये गये। उसने चेलों को डाटा जिन्होंने बच्चों को अयोग्य समझा था। “बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है। ”(मरकुस 10:14)।

यीशु “और उसने उन्हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।” (16)। हमारे जीवनों में कभी-कभी उनके "चुनौतीपूर्ण" बच्चों के रूप में, हमें भी अयोग्य माने जा सकते है। इसके बजाय, जो एक बच्चे के रूप में आया था, मसीह हमें अपने प्रेम से ग्रहण करता है—इस प्रकार हमें बच्चों और सभी लोगों से देखभाल और प्रेम करने की शक्ति सिखाता है।

जाने देने की ताकत

कभी विश्व के सबसे मजबूत व्यक्ति के रूप में जाने जाने वाले, अमेरिकी भारोत्तोलक पॉल एंडरसन ने एक गंभीर आंतरिक कान के संक्रमण और १०३ डिग्री बुखार के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में १९५६ के ओलंपिक में विश्व रिकॉर्ड बनाया। सबसे आगे चलने वालों से पीछे छूटते हुए, स्वर्ण पदक के लिए उनका एकमात्र मौका अपने आखिरी आयोजन में एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड स्थापित करना था। उसके पहले दो प्रयास बुरी तरह विफल रहे।

इसलिए, इस भारी एथलीट ने वही किया जो हममें से सबसे कमजोर भी कर सकता है। उसने अपनी शक्ति को त्यागते हुए, परमेश्वर को अतिरिक्त शक्ति के लिए पुकारा। जैसा कि उन्होंने बाद में कहा, "यह कोई सौदा नहीं था। मुझे मदद की आवश्यकता थी।" अपने अंतिम लिफ्ट के दौरान, उन्होंने अपने सिर पर ४१३.५ पाउंड (१८७. ५ किलोग्राम) उठाया।

मसीह के प्रेरित पौलुस ने लिखा, "जब मैं निर्बल होता हूं, तब बलवन्त होता हूं" (२ कुरिन्थियों १२:१०)। पौलुस आत्मिक शक्ति की बात कर रहा था, परन्तु वह जानता था कि परमेश्वर की सामर्थ "निर्बलता में सिद्ध होती है" (पद ९)।

जैसा कि भविष्यवक्ता यशायाह ने घोषणा की, "[यहोवा] थके हुए को बल देता है, और निर्बलों को बल देता है" (यशायाह ४०:२९)।

ऐसी ताकत को पाने का रास्ता क्या था? यीशु में बने रहना। उसने कहा, "मुझसे अलग होकर तुम कुछ नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)। जैसा कि भारोत्तोलक एंडरसन ने अक्सर कहा, "यदि दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति यीशु मसीह की शक्ति के बिना एक दिन भी नहीं रह सकता है - तो यह आपको कहाँ छोड़ता है?" यह पता लगाने के लिए, हम अपनी स्वयं की भ्रामक शक्ति पर अपनी निर्भरता को छोड़कर, परमेश्वर से उसकी शक्तिशाली और प्रबल मदद मांग सकते हैं।

परमेश्वर की भलाई द्वारा अनुगमन

अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान अपनी पहली अंशकालिक (पार्ट टाइम) नौकरी में, मैंने महिलाओं के कपड़ों की एक दुकान में काम किया, जहां एक महिला सुरक्षा गार्ड एक खरीददार के रूप में कपड़े पहन कर उन महिलाओं का पीछा करती थी जिन पर माल चुराने का संदेह था। कुछ लोग उन लोगों के प्रोफाइल फिट करते हैं जो स्टोर मालिकों के विचार से संदिग्ध थे। दूसरों को खतरा नहीं माना जाता था, इसलिये उन पर ध्यान नहीं दिया जाता था। मुझे स्वयं स्टोर में प्रोफाइल किया गया है और मेरा भी पीछा किया गया है, यह एक दिलचस्प अनुभव है क्योंकि मैं अभी भी कार्यनीति को पहचानती हूं।

इसके ठीक विपरीत, दाउद ने घोषणा की कि उसके पीछे एक ईश्वरीय आशीष है– परमेश्वर की भलाई और करुणा। परमेश्वर के ये दोनों वरदान हमेशा उसके साथ रहते हैं, शक से नहीं बल्कि सच्चे प्यार से उसका पीछा करते हैं। “जुड़वां रक्षक स्वर्गदूत” जैसा कि इंजीलवादी चार्ल्स स्पर्जन ने इन दोनों वरदानों का वर्णन किया है, अच्छे और बुरे दिनों में ये विश्वासियों का बहुत नज़दीकी से अनुगमन करती हैं – सर्दियों के नीरस दिन और साथ ही गर्मियों के उज्ज्वल दिन। भलाई हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है, और करुणा हमारे पापों को मिटा देती है।

एक समय के चरवाहे के रूप में, दाउद ने भलाई और करुणा के इस इरादतन बने जोड़े को समझ लिया क्योंकि  यह परमेश्वर द्वारा प्रदान किया गया है। अन्य चीजें भी विश्वासियों का अनुगमन कर सकती हैं—भय, चिंता, प्रलोभन, संदेह। लेकिन निश्चित रूप से, दाउद निस्संदेह निश्चितता के साथ घोषणा करता है, परमेश्वर की दयालुता और प्रेमपूर्ण दया हमेशा हमारे पीछे आती है।

जैसा कि दाऊद आनन्दित होता है, “निश्चय तेरी भलाई और प्रेम जीवन भर मेरे पीछे पीछे रहेगा, और मैं यहोवा के भवन में सर्वदा वास करूंगा” (भजन संहिता23:6)। हमारे घर आने के लिए अनुगमन करने का क्या ही अद्भुत वरदान है!

एक विनम्र (अभिमान रहित) भोजन

पुणे के एक चर्च में स्वयंसेवा करते हुए, एक अमेरिकी मिशनरी को अन्य स्वयंसेवकों द्वारा रात के खाने के लिए आमंत्रित किया गया था। वे पास के एक रेस्तरां में गए और पांच व्यंजन मंगवाए, जबकि वे सात लोग सात थे। “कितना अशिष्ट”, मिशनरी ने सोचा। लेकिन जब व्यंजन पहुंचे तो भोजन समान रूप से बांटा गया, और मिशनरी को पांच अलग–अलग व्यंजनों का स्वाद लेने का अवसर मिला, और कोई भी भोजन बर्बाद नहीं हुआ। यह एक विनम्रता का  सबक था। वह अभी तक उस संस्कृति को नहीं समझ पाई थी जहाँ वह सेवा करने के लिए सहमत हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह व्यक्तिवाद पर जोर देने के बजाय, उसने सीखा कि भारत में जीवन समुदाय में रहता है। अपने भोजन और सामान को साझा करने से लोग एक–दूसरे से जुड़े रहते हैं। उसका तरीका बेहतर नहीं था, बस अलग था। उसने कबूल किया, “अपने बारे में इन बातों का पता लगाना बहुत विनम्र था।” जैसे–जैसे उसने अपने स्वयं के पक्षपात को पहचानना शुरू किया– उसने यह भी सीखा कि विनम्रतापूर्वक दूसरों के साथ साझा करने से उसे उनकी बेहतर सेवा करने में मदद मिली।

पतरस ने यह पाठ कलीसिया के अगुवों को सिखाया: दूसरों के साथ नम्रता से पेश आना। उसने प्राचीनों को सलाह दी कि वे “अपने सौंपे हुओं पर अधिकार न जताएं”(1पतरस 5:3) और जो छोटे हैं? “अपने आप को अपने बड़ों के हवाले कर दो। तुम सब विनम्रता धारण करो” (पद 5)। उसने घोषणा की “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है। इसलिए, परमेश्वर के सामर्थी हाथ के नीचे अपने आप को दीन करो, कि वह तुम्हें नियत समय पर बढ़ाए” (पद 6)। परमेश्वर आज हमें अपने और दूसरों के सामने नम्रता से जीने में मदद करें।

परमेश्वर को मेरा काम सौपना

जिस पत्रिका के लिए मैं लिख रही थी, वह "महत्वपूर्ण" महसूस हुई, इसलिए मुझे उच्च पद के संपादक के लिए सर्वोत्तम संभव लेख प्रस्तुत करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। उसके स्तर को पूरा करने का दबाव महसूस करते हुए, मैं अपने विचारों और कल्पनाओं को बार बार लिखती। लेकिन मेरी समस्या क्या थी? क्या यह मेरा चुनौतीपूर्ण शीर्षक था? या मेरी वास्तविक चिंता व्यक्तिगत थी: क्या संपादक मुझे स्वीकार करेगा न कि केवल मेरे शब्दों को?

हमारी नौकरी की चिंताओं के जवाब के लिए, पौलुस विश्वासयोग्य निर्देश देता है। कुलुस्सियों के चर्च को लिखे एक पत्र में, पौलुस ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे लोगों की स्वीकृति के लिए नहीं, बल्कि परमेश्वर के लिए कार्य करें। जैसा कि प्रेरित ने कहा, "जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्‍तु प्रभु के लिये करते हो, क्‍योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो” (कुलुस्सियों 3:23-24)।

पौलुस की समझ पर विचार करते हुए, हम अपने सांसारिक अधिकारियों की नज़र में अच्छा दिखने के लिए संघर्ष करना बंद कर सकते हैं। निश्चित रूप से, हम लोगों के रूप में उनका सम्मान करते हैं और उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करते हैं। लेकिन यदि हम अपना कार्य "मानो प्रभु के लिए करते हो" — उससे हमारे कार्य का नेतृत्व करने और उसके लिए अभिषेक करने के लिए कहें — तो वह हमारे प्रयासों पर प्रकाश डालेगा। हमारा पुरुस्कार? हमारे काम का दबाव कम हो जाता है और हमारे काम पूरे हो जाते हैं। इससे भी अधिक, हम एक दिन उसे यह कहते हुए सुनेंगे, "शाबाश!"

परमेश्वर में स्थापित

"हवा बकाइन को उछाल रही है।" अपनी वसंत ऋतु की कविता "मे" की उस प्रारम्भिक पंक्ति के साथ, कवि सारा टीसडेल ने तेज हवाओं में लहराती बकाइन झाड़ियों को अपनी मन की दृष्टि में कैद किया। लेकिन टीसडेल एक खोए हुए प्यार का शोक मना रही थी, और उसकी कविता जल्द ही उदासी में बदल गयी।

हमारे घर के पीछे लगी बकाइनों ने भी एक चुनौती का सामना करा। अपने सबसे हरे-भरे और खूबसूरत मौसम के बाद, उन्हें एक मेहनती माली की कुल्हाड़ी का सामना करना पड़ा, जो हर झाड़ी को "छंटनी" करता था, झाड़ -झंखाड़ उखाड़ता था। मैं रोया। फिर, तीन साल बाद - बंजर शाखाओं के बाद, चुरे जैसे फफूंदी का एक झुंड, और उन्हें खोदने की मेरी विश्वासहीन योजना - हमारे लंबे समय से पीड़ित बकाइन ने फिर से वापसी की। उन्हें बस समय चाहिए था, और मुझे बस उस चीज़ का इंतज़ार करना था जो मैं तब नहीं देख सकता था।

बाइबल ऐसे बहुत से लोगों के बारे में बताती है जिन्होंने विपत्ति के बावजूद विश्वास से प्रतीक्षा की। नूह ने बहुत समय तक वर्षा की प्रतीक्षा की। कालेब ने वादा किए हुए देश में रहने के लिए चालीस वर्ष तक इंतज़ार किया। रिबका ने एक बच्चे को गर्भ धारण करने के लिए बीस वर्ष तक प्रतीक्षा की। याकूब ने राहेल से विवाह करने के लिए सात वर्ष तक प्रतीक्षा की। शिमोन ने शिशु यीशु को देखने के लिए बहुत ही प्रतीक्षा की। उनके धैर्य का उन्हें प्रतिफल प्राप्त हुआ।

इसके विपरीत, जो मनुष्य की ओर देखते हैं वे "बंजर भूमि में झाड़ी के समान होंगे" (यिर्मयाह 17:6)। कवि टीसडेल ने अपनी कविता को इस तरह की निराशा में समाप्त किया। "मैं एक सर्द रास्ते पर जाती हूं," । लेकिन “धन्य है वह जो यहोवा पर भरोसा रखता है,” यिर्मयाह आनन्दित हुआ। "वें उस वृक्ष के समान होंगे जो नदी के किनारे लगा हो" (पद 7-8)।

गतिविधियों को तेज़ करें

हम कोलोराडो, अमेरिका में रहते हैं, और वहां का तापमान तेज़ी से बदल सकता है– कभी–कभी कुछ ही मिनटों में। इसलिए मेरे पति डैन हमारे घर और उसके आस पास के तापमान के अंतर के बारे में उत्सुक थे। गैजेट्स के प्रशंसक के रूप में वह अपने नवीनतम “टॉय” को खोलने के लिए उत्साहित थे — हमारे घर के चारों ओर चार ज़ोन से तापमान की रीडिंग दिखाने वाला थर्मामीटर। यह मज़ाक करते हुए कि यह एक मूर्खतापूर्ण गैजेट था, मैं खुद को बार बार तापमान की जाँच करते हुए देखकर हैरान थी। अंदर और बाहर के अंतर ने मुझे मोहित किया।

यीशु ने लौदीकिया में उदासीन चर्च (कलीसिया) का वर्णन करने के लिए तापमान का उपयोग किया, जो प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में बताई गई सात सबसे अमीर शहरों में से एक है। एक हलचल भरे बैंकिंग, कपड़ों और चिकित्सा केंद्र।  शहर में पानी की आपूर्ति खराब थी, इसलिए इसे गर्म पानी के झरने से पानी ले जाने के लिए एक पानी की नाली की आवश्यकता थी। लेकिन जब तक पानी लौदीकिया पहुँचता था, तब तक न तो वह गर्म था और न ही ठंडा।

लौदीकिया की कलीसिया भी उदासीन थी।  यीशु ने कहा, कि “मैं तेरे कामोंको जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म, भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपके मुंह से उगलने पर हूं।”  प्रकाशितवाक्य 3:15–16। जैसा कि मसीह ने समझाया, “जिनसे मैं प्रेम करता हूं, मैं उन्हें डांटता और ताड़ना देता हूं। इसलिए गंभीर बनो और मन फिराओ” (पद 19)।

हमारे उद्धारकर्ता की याचना हमारे लिए भी अत्यावश्यक बनी हुई है । क्या आप आध्यात्मिक रूप से न तो गर्म हैं और न ही ठंडे हैं? उसके सुधार को स्वीकार करें और  एक ईमानदारए उत्साही विश्वास जीने में मदद करने के लिए कहें।

 

रात के सेवक

अभी गहन-चिकित्सा(intensive-care) हॉस्पिटल में सुबह का 3 बजा है। एक चिंतित मरीज एक घंटे में चौथी बार कॉल बटन दबाता है l रात की पाली की नर्स बिना किसी शिकायत के उत्तर देती है l शीघ्र ही एक और मरीज ध्यानाकर्षित करने के लिए चिल्ला रहा है l नर्स चकित नहीं है l उसने अपने हॉस्पिटल के दिन के हलचल से बचने के लिए पाँच वर्ष पूर्व रात की पाली का आग्रह किया था l फिर सच्चाई सामने आई l अक्सर रात के काम का अर्थ अतिरिक्त काम जैसे मरीज को खुद उठाना और घुमाना होता है l इसका अर्थ रोगी की स्थितियों की ध्यानपूर्वक देख-रेख करना होता है ताकि आपात स्थिति में डॉक्टरों को सूचित किया जा सके l 

अपने रात के सहकर्मियों के साथ निकट मित्रता से हर्षित, यह नर्स अभी भी पर्याप्त नींद लेने के लिए संघर्ष करती है l अक्सर, वह अपने कार्य को प्रमुखता देते हुए, अपनी कलीसिया से प्रार्थना करने के लिए कहती है l “परमेश्वर की प्रशंसा हो, उनकी प्रार्थनाएं अंतर लाती है l”

रात के एक कार्यकर्ता के लिए उसकी प्रशंसा अच्छी और सही है─साथ ही साथ हम सब के लिए भी l भजनकार ने लिखा, “हे यहोवा के सब सेवकों, सुनो, तुम जो रात रात को यहोवा के भवन में खड़े रहते हो, यहोवा को धन्य करो! अपने हाथ पवित्रस्थान में उठाकर, यहोवा को धन्य कहो” (भजन संहिता 134:1-2)।

मंदिर में सेवक/प्रहरी का कार्य करने वाले, लेवियों के लिए लिखा गया यह भजन, उनके अत्यावश्यक कार्य को स्वीकार करता है─जो दिन और रात मंदिर की सुरक्षा करते थे l हमारे नॉनस्टॉप/निरंतर संसार में, रात में काम करनेवाले कार्यकर्ताओं के लिए इस भजन को साझा करना विशेष रूप से उचित है, फिर भी हममें से हर एक रात में परमेश्वर की स्तुति कर सकता है l जैसे कि भजनकार आगे कहता है, “यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, वह सिय्योन में से तुझे आशीष देवे (पद.3)।